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शनिवार, दिसंबर 26, 2009

"विज्ञापन दिखाकर कमाई करवाने वाली साइट्स कितनी विश्वसनीय? " (चर्चा-मंच)

चर्चाकार-ललित शर्मा
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया अईसने कहे जथे हमर छत्तीसगढ़ में. तो एक छत्तीसगढ़िया आये हे शाश्त्री जी के आग्रह मा चिटठा चर्चा करे के लिए चिटठा मंच मा . भाई मंच बने हो और माइक लगे हो और सुनने वाली जनता हो तो किसी का भी मन बदल जाता है कुछ कहने को चाहे वो नेता हो आम जन, तो हमारी दुनिया में नेता तो बड़े-बड़े हैं लोग उनकी सुनते हैं और नहीं भी सुनते. पर आम जन की आम आदमी सुनता है. चलिए आज की चर्चा प्रारंभ करें, ये मेरी पहली चर्चा है आपके स्नेह का आकांक्षी हूँ. चर्चा का प्रारंभ करते हैं जी.के अवधिया जी की पोस्ट से जो दिखा रहे हैं विज्ञापन का जादू

विज्ञापन दिखाकर कमाई करवाने वाली साइट्स कितनी विश्वसनीय?

इंटरनेट के प्रसार बढ़ने के साथ ही साथ विज्ञापनदाता कम्पनियों का ध्यान इंटरनेट के द्वारा विज्ञापन करने पर अधिक जाते जा रहा है। अब सवाल यह उठता है कि किसके पास इतना समय है कि नेट में विज्ञापन देखते फिरे? इसके लिये विज्ञापन एजेंसियों ने तोड़ यह निकाला कि लोगों को विज्ञापन देखने के एवज में पैसे दिये जायें। इस प्रकार से कम से कम कुछ प्रतिशत लोग नेट पर इसी बहाने विज्ञापनों को देखेंगे। इसलिये आजकल “पेड-विज्ञापन” देखो वाली साईटें आ रही हैं।


AlbelaKhatri.com द्वारा Hasyakavi Albela Khatri - पर पोस्ट किया गया
चर्च में नियमित आने वाली इक सुन्दर और बिन्दास कन्या को देख एक पादरी ने उससे कहा - "कल क्रिसमस की रात मैंने तुम्हारे लिए बहुत प्रार्थना की ।" "प्रार्थना की क्या ज़रूरत थी ? एक फोन कर दिया होता ............
फोन बहुत किया था पर इस रूट की सभी लाइने व्यस्त थी.

गिरीश पंकज जी चर्चा पान की दुकान पर व्यंग्य के मध्यम से गौवों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं.

गइया को कचरा, तू दूध डकार!!! हमारे मुहल्ले में एक गौ-सेवक रहते हैं। अक्सर पान ठेले पर आते है, और गुटखा खा कर पूरे शहर में चित्रकारी करते घूमते है . पिच..पिच..करके थूकने की प्रतिभा का प्रदर्शन भी करते है. उनकी गायों की हड्डियों और गो-सेवक जी की तंदरुस्ती देख कर मैं समझ जाता हूँ, कि पट्ठा गो माता की सेवा करते-करते इतना बलिष्ठ हो गया है लेकिन गो-माता इतनी दुबली-पतली क्यों है? बहुत देर तक कारण सोचता रहा। फिर ख्याल आया, कि माँ तो माँ होती है न। बेटे को अपना खून सुखा कर भी दूध पिलाती है। यह गउ माता भी इसी कोटि की माँ है।


चर्चा हिन्दी चिट्ठो की !!! पंकज मिश्रा जी बता रहे हैं सारी तैयारी पूरी हो चुकी हैं--. नमस्कार …पंकज मिश्रा आपके साथ ! आज शास्त्री जी ने अपने ब्लाग पर चिट्ठाजगत के बन्द होने के कारणो पर गौर फ़रमाया है और बताये है कि क्यु आजकल चिट्ठाजगत बन्द पडा है…

संगीता पुरी जी गत्‍यात्‍मक चिंतन -पर चिंतन कर रही हैं.
ज्‍योतिष जैसे विषय से मेरे संबंधित होने के कारण मेरे समक्ष परेशान लोगों की भीड लगनी ही है। तब मुझे महसूस होता है कि इस दुनिया में समस्‍याओं की कमी नहीं , सारे लोग किसी न किसी प्रकार के दुख से परेशान हैं। इसमें वैसे अभिभावकों की संख्‍या भी कम नहीं , जो अपने पुत्र या पुत्रियों के विवाह के लिए कई कई वर्षों से परेशान हैं। प्रतिवर्ष मेरे पास आनेवाले परेशान अभिभावकों को मदद करने के क्रम में एक दो विवाह मेरे द्वारा भी हो जाया करते हैं। पर इधर कुछ वर्षों से मैं महसूस कर रही हूं कि हमारे पास आनेवाले परेशान अभिभावकों में बेटियों के माता पिता कम हैं और बेटों के अधिक। इससे स्‍पष्‍ट है कि वर की तुलना में विवाह के लिए वधूओं की संख्‍या कम है।
बी बी सी हिंदी पर श्री विनोद वर्मा की यह रिपोर्ट कुछ कहती है-पिछले दिनों अंग्रेज़ी पत्रिका आउटलुक ने 'न्यूज़ फ़ॉर सेल' यानी 'बिकाउ ख़बरों' पर एक अंक निकाला.इसमें ज़िक्र किया गया है कि किस तरह चुनावों के दौरान ख़बरों के लिए नेताओं को पैसे देने पड़ रहे हैं। किस तरह ख़बरें प्रकाशित-प्रसारित करने के लिए दरें तय कर दी गई हैं. इसमें अख़बारों के साथ टेलीविज़न चैनल भी बराबरी से शरीक हैं.हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान बीबीसी हिंदी ने भी ख़बरों के विज्ञापन में तब्दील हो जाने की रिपोर्ट छापी थी।

गगन शर्मा जी बता रहे है-भरी दोपहर दरवाजे पर दस्तक हुई, घोष बाबू ने दरवाजा खोला तो सामने फटिक खडा था फटिक घोष गंगा घाट पर बैठे नदी के जल पर उतराती नौकाओं को देख रहे थे। कोई सवारियों को पार ले जाने के लिये लहरों से संघर्ष कर रही थी, तो कोई पानी मे जाल ड़ाले मछली पकड़ने का उपक्रम कर रही थी। बहुत से लोग घाट पर नहा भी रहे थे। बीच बीच में घोष बाबू एक नज़र अपने पोते बापी पर भी ड़ाल लेते थे जो पानी मे कागज की छोटी-छोटी नावें बना तैराने की कोशिश कर रहा था।


मुरजी लाल पारीक चला रहे हैं सिक्किम से हंसी के हथौड़े-

हंसी के हथोड़े मुर्र्र्रारी लाल के साथ !!! रेडियो शो का आनंद लीजिये !!

जी हाँ दोस्तों १९.१२.०९ शनिवार को सुबह १० बजे से दोपहर १ बजे तक की लाइने सुनिए जिसमे चुटकुलों का तडका लगा है, मिमिक्री भी है|
कुलवंत हैप्पी बता रहे है
युवा सोच युवा ख्यालात
ऑफिस शौचाल्य के भीतर मैं आईने के सामने खड़ा अपने हाथ पोंछ रहा था कि मेरे कानों में एक आवाज आई कि कैसी है पारूल "मेरी गर्भवती पत्नी", मैंने कहा सर जी बहुत बढ़िया है और अगले महीने मैं पिता बन जाऊंगा, जो भी हो बस एक ही काफी है लड़का या लड़की।

चोरी और हमले के शुभ-मुहूर्त


अजित वडनेकर जी मुहूर्त के विषय में बता रहे है. किसी शुभकार्य के लिए निर्दिष्ट समय को मुहुर्त कहते हैं। ज्योतिष एवं पंचांग में विश्वास करने का संस्कार केवल भारत भूमि पर निवास करनेवालों में ही था, ऐसा नहीं है। प्राचीन यूनान, रोम से लेकर अरब क्षेत्र के निवासियों में भी यह परम्परा थी और ज्योतिषी-नजूमी प्रभावशाली लोगों के लिए सूर्य-चंद्र एवं ग्रहों की स्थिति के आधार पर कालगणना करते थे और उन्हें शुभाशुभ योग के बारे में मार्गदर्शन देते थे।




ताऊ रामपुरिया- ताऊजी डॉट कॉम -पर क्रिसमस की शुभकामनायें दे रहे हैं.
 *क्रिसमस की **शुभकामनाएँ' * *हाय..आंटीज एंड अंकल्स, दिस इज मी... रामप्यारी.. * *'आप सभी को शुभकामनाएं * क्रिसमस की **शुभकामनाएँ' * नमस्कार ...

खुशदीप सहगल बता रहे हैं

मैं रुचिका हूं...आज मैं आपके बीच होती तो 33 साल की होती...अपना घर बसा चुकी होती...शायद स्कूल जाने वाले दो बच्चे भी होते...लेकिन मुझे इस दुनिया को छोड़े सोलह साल हो चुके हैं...मेरे पापा, मेरा भाई ज़िंदा तो हैं लेकिन गम़ का जो पहाड़ उनके सीने में दफ़न है वो किसी भी इंसान को जीती-जागती लाश बना देने के लिए काफ़ी है...मुझे याद है टेनिस खेलने का बड़ा शौक था...लेकिन मुझे क्या पता था कि यही शौक मेरा बचपन, मेरी खुशियां, मेरा चहचहाना एक झटके में मुझसे छीन लेगा...



अब चर्चा एक लाईना

गोरयां नु दफा करो -कुछ दिन पहले एक बच्चे से मिला। उसे उसकी मां ने छोड़ दिया था...पैदा होते ही।


प्‍यार की मौत-दूरियो के दौर में, मजबूरियाँ नज़र आती है। तेरे चाहत की तनहाई मे, तेरी परछाई नज़र आती है।।

चाणक्य नीति शास्त्र-दुष्ट की संगत कर ली तो सांप क्या कर लेगा?-नीति विशारद चाणक्य महाराज का कहना है कि "क्षान्तिश्चत्कवचेन किं किमनिरभिः क्रोधीऽस्ति चेद्दिहिनां ज्ञातिश्चयेदनलेन किं यदि सहृदद्दिव्यौषधं किं फलम्।"

मीडिया ही बनेगा राजनीतिक अपराध के खिलाफ युद्ध का हरावल दस्ता-शेष नारायण सिंह, आजकल अपराध और दबदबे का अजीब मेल देखा जा रहा है.

बस्तर का प्रसिद्द दशहरा पर्व- हमर छत्तीसगढ़-- पुराना साल जा रहा है, नया आने वाला है. इस अवसर पर आपको बस्तर के मशहूर दशहरे की एक सैर कराते हैं चित्रों के माध्यम से आशा है आपको अवश्य ही पसंद आएँगी. तो आप इस दशहरा यात्रा का आनंद लीजिये,





आज की चर्चा को यहीं विराम देते हैं. फिर मिलते हैं कुछ नए चिट्ठे एवं नयी चर्चा के साथ. राम-राम, जय जोहार

19 टिप्‍पणियां:

  1. charcha to badhiya rahi hi magar usmein pradhanmantri jaise nirih prani ki durdasha dekhkar hansi roke nhiruk rahi.......hahaha.

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  2. शायद पहली बार आपने चर्चा की है .. बहुत बढिया रहा .. शुभकामनाएं !!

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  3. नवा अउ पहिली चरचा बर आप मन ल गाड़ा गा़ड़ा बधाई गा.

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  4. कमाल है! आप यहाँ भी पाए जाते हैं :)
    बहुत ही बढिया रही ये चर्चा.....शुभकामनाऎँ!!!

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  5. बहुत बधाई और शुभकामनाएं शर्माजी.

    रामराम.

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  6. वाह ललितजी बहुत ही चर्चा क्या है पुरे शानदार संचार है !!! अंदाजे बयान भी बेहतरीन है टेम्पलेट तो बहुत ही सुन्दर है !!! आनंद आ गया यूँ कहिये की आनंद के पिताजी ही आ गए !! बड़े धुआंदार शुरुआत की है बहुत बहुत बधाई!!!

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  7. zordar charcha... blog ka luk bhi achchha lag raha hai. yahee rang bana rahe.

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  8. अरे! वाह! यह चर्चा तो बहुत बढ़िया रही...... आपको बहुत बहुत बधाई.....

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  9. बेहतरीन चर्चा और अच्छा कवरेज!!

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  10. पहला प्रयास
    बंधी है कुछ आस
    कुछ कर पाएँगे अब खास
    :-)

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  11. bahut achi rachna hai Rahasyo Ki Duniya par aapko India ke rahasyamyi Places ke baare me padhne ko milegi, Rupay Kamaye par Make Money Online se sambandhit jankari padhne ko milegi.
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