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गुरुवार, जनवरी 21, 2010

बी एस पाबला जी को कोसने वालों पर कृपा करो सरस्वती माँ ! "चर्चा मंच" (ललित शर्मा)

चर्चा मंच-अंक-३६
चर्चाकार-ललित शर्मा 
कल बसंत पंचमी का त्यौहार धूम धाम से मनाया गया. हमारे छत्तीसगढ़ में बसंत पंचमी से ही होली त्यौहार की शुरुवात होती है. इस दिन अंडा पेड (अरंड) काट कर होली दहन के स्थल पर पूजन करेक गाडा जाता है. इसके पश्चात् इस पेड के इर्द-गिर्द लकड़ियाँ और छेना(कंडे) इकट्ठे करके होली बनायीं जाती है. रात को नंगाडा लेकर ग्राम वासी सामूहिक रूप से फाग गाकर मनोरंजन करते हैं. नगाड़े की धुन और फाग गाने लय का मधुर ताल मेल झुमने को मजबूर कर देता है. मानो रोज ही होली मन रही हो. चलिए आज की चिटठा चर्चा पर चलते हैं और प्रारंभ करते हैं अलबेला खत्री जी के चिट्ठे से........

कल ब्लोगवाणी में मित्रों के आलेख और टिप्पणियां पढ़ते - पढ़ते बाबा समीरानंद के रास्ते, रचना की एक टिप्पणी के ज़रिये मैं"मसिजीवी" पर पहुँच गया जहाँ "चिट्ठाचर्चा" के स्वामित्व को लेकर हंगामा मचा था और लोग पानी पी पी कर बी एस पाबला को इसलिए कोस रहे थे क्योंकि उनके परिवारजन ने या उन्हींने 'चिट्ठाचर्चा' डोट कॉम का डोमेन अपने नाम लिया हुआ है ।लोगों का गुस्सा देखा और ये फ़ालतू सा तर्क भी देखा कि चूँकि चिट्ठाचर्चा पुराना है, पहले से चला रहा है इसलिए नैतिकता के नाते पाबला जी को ये नाम नहीं लेना चाहिए थाइसका मतलब ये हुआ कि हज़ारों साल पहले दशरथ ने अपने पुत्र का नाम राम रखा था तो अब किसी को भी नैतिकता के नाते वह नाम नहीं रखना चाहिए..........हा हा हा हा
देखिये दिल्ली की धुंध और दिल्ली की सर्दी------.आज सुबह जब हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार हुआ और बाहर निकल कर बालकनी से देखा, तो देखकर दांग रह गया। साढ़े आठ बजे भी सामने वाला ब्लॉक नज़र नहीं आ रहा था। कुछ देर इंतज़ार कर जब सड़क पर पहुंचे , तो ऐसा नज़ारा था। 
 

** *सखि, वसंत आया . * *भरा हर्ष वन में मन, नवोत्कर्ष छाया .* *किसलय-वसना नव-वय-लतिका* *मिली मधुर प्रिय-उर तरु पतिका,* *मधुप-वृंद वंदी पिक़- स्वर नभ गहराया .* *लता-मुकुल -हार- गंध-भार भर * *बही पवन मन्द-मन्...
 
 
 
महावीर वचनामृत-1पिछले दिनों मै विनोबाजी का साहित्य पढ़ रहा था. संत विनोबा  महान क्रांतिकारी थे. सामाजिक जागरण की दिशा में उन्होंने गाँधी जी के काम को आगे बढ़ाने की कोशिश की. भूदान आन्दोलन, दस्यु-समर्पण जैसे अभिनव काम उन्होंने किये. गो हत्या पर रोक लगाने की मांग लेकर वे आमरण अनशन पर बैठ गए थे. (उनका अनशन चालाकी के साथ तुडवा दिया गया, लेकिन कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु हो गयी.) विनोबा भावे ने सामाजिक काम ही नहीं किये, समाज को नैतिक बनाने वाले महान चिंतन भी दिया. उनका बीस खंडो में प्रकाशित साहित्य पढ़ कर पता चलता है कि विनोबा जी ने बौद्धिक चेतना जगाने के लिए इतना श्रेष्ठ लेखन-चिंतन किया


 
कुछ ज्यादा समय नहीं हुआ है जब हर देशवासी प्रत्येक ओलिम्पिकोत्सव पर निश्चिंत रहता था कम से कम एक स्वर्ण पदक की आवक को लेकर। फिर उसे नज़र लग गयी जमाने की। रही सही कसर पूरी कर दी एक इंसान के अक्खड़पन ने। कैसे क्या हुआ था उसे सभी जानते हैं।लगता है इतिहास अपने को फिर दोहरवा रहा है। इस बार निशाने पर वह पात्र है जिसने अपने बल-बूते पर स्वर्ण पदक हासिल किया है। जैसी की खबरें निकल कर आ रहीं हैं कि अहमों के टकराव से फिर एक खेल को नुक्सान होने जा रहा है। इस बार निशानेबाजी के खेल पर बुरी नज़र का निशाना है। हर बार की तरह बहती गंगा में हाथ धोने वाले लोगों की मंशाओं पर ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता बिंद्रा ने तब पानी फेर दिया जब अपने स्वागत समारोह में उसने नेशनल राइफल एसोसिएशन द्वारा क्रेडिट लेने

कामदेव का पूजन होता था वसन्तोत्सव के दिन आज हम वसन्त ऋतु में वसन्त पंचमी और होली त्यौहार मनाते हैं किन्तु प्राचीन काल में वसन्तोत्सव मनाया जाता था। वसन्तोत्सव, जिसे कि मदनोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, मनाने की परम्परा हमारे देश में अत्यन्त प्राचीनकाल से ही रही है। संस्कृत के प्रायः समस्त काव्यों, नाटकों, कथाओं में कहीं न कहीं पर वसन्त ऋतु और वसन्तोत्सव या मदनोत्सव का वर्णन अवश्य ही आता है। वसन्त को ऋतुराज माना गया है क्योंकि यह मानव की मादकता एवं कोमल भावनाओं को उद्दीप्त करता है। वसन्त पंचमी से लेकर रंग पंचमी तक का समय वसन्त की मादकता, होली की मस्ती और फाग का संगीत से सभी के मन को मचलाते रहता है। टेसू और सेमल के रक्तवर्ण पुष्प, जिन्हें कि वसन्त के श्रृंगार की उपमा दी गई है, सभी के मन को मादकता से परिपूर्ण कर देते हैं। शायद यही कारण है वसन्तोत्सव मनाने की।

उमड़त घुमड़त विचार -मित्रों ब्लागर बैठकी भिलाई की कुछ यादों को तुकबंदी के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ. संजीवन ललित तव प्रेरणा लिखे पोस्ट उनचास उर्जा बिच बिच भरत रह्यो भाई ललित शरद कोकास ब्लॉगर बैठकी बुलाई क..

संजीव तिवारी  जूनियर कौंसिल पर
छत्तीसगढ उच्च न्यायालय ने आज बहुचर्चित रामअवतार हत्याकांड में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ् दायर सतीश जग्गी की पुनरीक्षण याचिका विचारार्थ स्वीकार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी के...

 

खुशदीप सहगल देशनामा  पर
जननायक कौन होता है...वो जो राजनीति की गोटियों को साधता हुआ सत्ता के शीर्ष पर पहुंच जन-जन का स्वयंभू भाग्यविधाता बन जाता है...या जननायक वो होता है जो सत्ता के लोभ को तज कर जन-जन के दिलों पर राज करता है...सत...



बङगङां बङगङां बङगङां -2महाराणा ! मेवाड़ के सरदार आए है , आपके चरणों का कुशल पूछने |''उन्हें कह दो लौट कर चितौड़ चले जाएँ और कुशल पूछें अपनी आयु और परिवार का | मुझपर सारंगदेव का अहसान था | पृथ्वीराज और जयमाल ने मुझ पर आक्रमण किया था तब उस स्वामिभक्त साथी ने उसके वार को अपने ही सिर पर ले लिया | अपने पुत्र लिम्बा को उसने मेरे लिए खोया | शरीर पर ३५ घाव लगे और अंत में बाठरडे देवी मंदिर में कपट से पृथ्वीराज के हाथों मारा गया | मेरी स्वामिभक्ति उसे कितनी महंगी पड़ी , पर मै अभागा तो अपने हित चिंतकों के अहसान भी नहीं उतार सका | इन कायर सदारों ने मेरी आयु पर डाका डाल दिया | काश ! मै स्वामिभक्त सारंगदेव की समाधी पर दो आंसू ही बहा सकता ! जाओ सरदारों ! मेवाड़ के मगरों पर खरगोशों की शिकार खेलो ! देखो , बचो , बचो ! 


ताऊ रामपुरिया द्वारा ताऊजी डॉट कॉम - पर
नमस्कार बहनों और भाईयो. रामप्यारी पहेली कमेटी की तरफ़ से मैं समीरलाल "समीर" यानि कि "उडनतश्तरी" फ़र्रुखाबादी सवाल का जवाब देने के लिये आचार्यश्री यानि कि हीरामन "अंकशाश्त्री" जी को निमंत्रित करता हूं कि वो...

नामुराद वो हसीं पल !

जिस्म तो पूरा ही निर्दोष था पर,
अनाडी इन ओंठो का है दोष सारा !
उनकी गली से हम कई बार गुजरे,
पत्थर किसी ने इसी बार मारा !!

ठिठुरती ठण्ड में, कमबख्त ये ओंठ ,
सीटी बजाने की जिद पर अड़े थे !
नहीं था हमें ज़रा भी अहसास कि वो,
भाई के संग बरामदे में खड़े थे !!

खुशियों की होम डिलीवरीजी हां मैं समझ रहा हूं कि आप लोग सोच रहे होंगे कि आज तो पिज्जा की होम डिलिवरी का जमाना है और वो भी बाकायदा पेमेंट करके मिलती है ।और यदि मुफ़्त में किसी चीज़ की होम डिलिवरी होती है तो वो है तनाव /दुख / गम और इनके ही भाई बंधु .........॥ तो ऐसे में यदि

कांग्रेसी ही कांग्रेस को हराते हैं, यह तो राहुल गांधी अभी-अभी रायपुर में हुआ हैकांग्रेस के कुछ पार्षद महापौर परिषद में न लिए जाने से विचलित हो गए हैं। वे पार्टी छोडऩे तक की धमकी दे रहे हैं। उनका कहना है कि वे वरिष्ठï पार्षद हैं और उनका हक पहले बनता है, महापौर परिषद में सम्मिलित होने का। सबसे ज्यादा आक्रोश तो मनोज कंदोई को महापौर

वेटिंग लिस्ट वाले बैठे हैं ,तत्काल सेवा वाले चले जा रहे ....बनारस का कल का तापक्रम ३.५  डिग्री तक ढुलक आया  ,इस हाड कपाऊँ ठण्ड में ३५ लोग अकाल मृत्य का वरण कर लिए . मित्रगण मुझे बसंत उत्सव पर आमंत्रित कर रहे हैं .उन्हें कह दिया भाई अभी तो ठण्ड के मारे बुरा हाल है कुछ राहत मिलेगी तो बसंत सेना

आपका जन्‍म 1954 या 1955 में फरवरी से अगस्‍त के मध्‍य तो नहीं हुआ था ??अपने पिछले आलेख ' कहीं आपका जन्‍म जनवरी - फरवरी 1981 में तो नहीं हुआ था ??' में मैने लिखा है कि किस तरह मई 1998 से मई 2000 के मध्‍य मेरे पास आनेवाले परेशान किशोरों की भीड ने मुझे उस बात की पुन: याद दिला दी, जो दस वर्ष पूर्व अपने अध्‍ययन के दौरान मेरे मन

चिट्ठी चर्चा : बसंत पंचमी पर्व की शुभकामना और बधाई के साथ दो सौ वीं पोस्ट " समयचक्र " परआज मै महेन्द्र मिश्र आपका सादर अभिनन्दन करते हुए दो सौ वीं पोस्ट के साथ चिट्ठी प्रस्तुत कर रहा हूँ . आज बसंत पंचमी का पर्व है .बसंत का बर्फीली हवाओं से स्वागत कर रहा है आज का दिन . चहुओर कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है सामान्य जीवन अस्त व्यस्त हो गया है . उत्तर

आज वसंत पंचमी है !या कुन्देन्दु तुषारहार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता !या वीणावरदंडमंडितकरा, या श्वेत पद्मासना !!या ब्रह्मास्च्युत शंकर प्रभृतिर्भिरदेवाः सदाबंदिताः,सा मां पातु सरस्वती देवी, या निशेष जाड़यापहा !!शिशिर की शीत निशा से अवगुंठित मन-प्राण को नवजीवन का सन्देश

वो फरिश्ते की तरह ज़िन्दगी में आया है......ज़िन्दगी को 'जंग' भी कहा गया है और 'जुआ' भी, लेकिन कभी-कभी ऐसे हालात आ जाते हैं कि सब कुछ आपके खिलाफ़ होता चला जाता है। आप लाख सही हों, लाख प्रयत्न करें, पर स्थितियाँ विपरीत होती चली जाती हैं। ऐसे में आप अपने आपको एक भयानक तूफान में खड़ा पाते हैं। आप लाख

वसंत.. वसंत.. कहाँ हो तुम डॉ महेश परिमल अभी तो पूरे देश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। लगता है इस बार वसंत जल्‍दी आ गया। बस कुछ ही दिनों की बात है, जब हमें लगेगा कि हवाओं में एक अजीब सी मादकता है। मन में उमंगें कुलांचे मार रही है। कुछ नया करने की इच्‍छा हो रही है। तब समझो, हमारे

मन की गलियाँमन कीविहंगम गलियाँऔर उसकेहर मोड़ परहर कोने मेंइक अहसासतेरे होने काबस और क्या चाहिएजीने के लिएवहाँ हमतुझसे बतियाते हैंऔर चले जाते हैंफिर उन्ही गलियों केकिसी मोड़ परऔर खोजते हैंउसमें खुद कोना तुझसे बिछड़ते हैंना खुद से मिल पाते हैंऔर मन की गलियों कीइन    

नर्मदा जयंती की पूर्व संकल्प लीजिये संग-ए-मरमरी सफ़ेद चट्टानों  के बीच होकर  प्रवाहित  माँ नर्मदा  को सादर प्रणाम करते हुए आपको याद दिला दूं की नर्मदा जयंती यानी 22 जनवरी 2010 हम अटूट संकल्प लें लें कि इसके घाटों को हम स्वच्छ रखेंगें. नदियाँ हमारी सांस्कृतिक एवं वैभव  

अब आज की चर्चा को देते हैं विराम-आप सभी को ललित शर्मा का राम-राम 

 

24 टिप्‍पणियां:

  1. ये लो...आज जरा तबीयत नासाज रही ..लगभग सभी लिंको पर जाना शेष है...आपका आभार बजाते जायेंगे...धन्यवाद!!

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  2. कई महत्वपूर्ण चिट्ठों को एक साथ समेटने की बेहतर कोशिश।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  3. सुन्दर चर्चा । अदभुत है आपकी सक्रियता । आभार ।

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  4. वाह! ललित जी की लालित्यमय चिट्ठाचर्चा!!

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  5. बढ़िया चर्चा!
    घुघूती बासूती

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  6. Wah guru ji
    pata naheen tha ke pabala ji itane kantedar hain ki unake liye post likhanee pade
    bata dete mahraj to ham bhee ....?
    kya zamana aa gaya hai
    narmade har har

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  7. आपकी चिट्ठाचर्चा से ये फायदा हो जाता है कि ब्लोग्ज़ पे किसी वजह से नहीं पहुँच पाए...उनके लिंक भी मिल जाते हैं ...

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