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गुरुवार, जनवरी 14, 2010

“एक चील जो चाँद पे अंडे देती थी ...” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-30
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"


आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं-


बच्चों के ब्लॉगों से!
“सरस पायस” पहले तो सभी के लिए था किन्तु इस “बाल-दिवस” (14 नवम्बर,2009) से इसके सम्पादक “रावेंद्रकुमार रवि” इसे बच्चों को समर्पित कर दिया है।


मेरा फोटो

रावेंद्रकुमार रवि


आज इस पर उन्होंने

चकमक के संपादक सुशील शुक्ल की रचना लगाई है।

जो

बहुत ही अनूठे अंदाज़ में बच्चों के लिए कविताएँ रचते हैं-

एक चील जो चाँद पे अंडे देती थी ... ... . :
सुशील शुक्ल की एक ताज़ा बालकविता


My Photo

श्री amlendu asthana का ब्लॉग है-

नन्हे पंख

tujhse naraj nahi Zindgi hairan hoon main

यह ब्लॉग अक्षम बच्चों के संघर्ष को समर्पित है।
'पल दो पलÓ

नये साल के शुभ अवसर पर आप तमाम ब्लॉगर भाइयों को शुभकामना। नन्हे पंखों की ओर से आप सबको ढेर सारा प्यार। नए साल के इस पल को जिस तरह मैंने महसूस किया और इसें जिन शब्दों में पिरोया, आपके सामने रख रहा हूं। इसे लिखते हुए मैं अपने वास्तविक मुहिम से हर पल के अहसास को जोडऩा चाहता हूं। नन्हे पंखों के पलपल का जो अहसास है उसकी कुछ छवि शायद आपको इन पंक्तियों में मिले।


पेड़ों के नीचे बैठे पल ,
कुछ सोए से, कुछ संभल-संभल।
कुछ हाथों से यूं फिसल-फिसल,
वो दूर खड़े मुस्काते पल।
कुछ सपनों में, कुछ अपनों में,
कुछ घायल से कतराते पल।
कुछ बिखरे-बिखरे पत्ते से,
कुछ खिलते से, अंकुराते पल।
कुछ पल दो पल में हवा हुए,
बीते जीवन, मुरझाते पल।
कुछ याद रहे, कुछ भूल गए,
कुछ साथ चले हमसाए पल।

………..

बच्चों का ब्लॉग

cartoonist suresh sharma

CARTOONIST SURESH SHARMA

बच्चों के लिए आमंत्रण

प्यारे नन्हें दोस्तों, इस ब्लॉग पर आपकी रचनाओं का स्वागत है, आप अपनी ड्राइंग चुटकुले कविता कार्टून आदि मेल करें, चुनी हुई रचनाओं को इस ब्लॉग में स्थान मिलेगा, आप इस पते पर मेल द्वारा अपनी रचना भेजे- suresh.cartoon@gmail.com

बच्चों का ब्लॉग (पत्रिका)

प्यारे बच्चों, आज आप पढिये अंकल श्यामल सुमन की सुंदर कविता, और कार्टूनिस्ट सुरेश के कार्टून साथ ही मनोरंजक चुटकुला भी। आप भी अपनी रचनाएँ हमें suresh.cartoon@gmail.com पर भेजें।
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शब्द-चित्र

बच्चा से बस्ता है भारी

ये भबिष्य की है तेयारी

खोया बचपन, सहज हँसी भी
क्या बच्चे की है लाचारी

……..

सीमा कुमार - भावों को शब्द दिए, और शब्दों का ताना-बाना यहाँ लेकर आई हूँ
सीमा कुमार
का ब्लॉग है-

मेरी कृति

मेरी अभिव्यक्ति हिंन्दी में

सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर

बाल-उद्यान पर

सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर . यह तस्वीरें पिछले साल की हैं जब हम अलवर और सरिस्का घूमने गए थे.
कुछ
तस्वीरें मेरे अंग्रेज़ी चिठ्ठे पर भी हैं……..

नन्हा मन “सीमा सचदेव”
My Photo
का साझा ब्लॉग है, इसके सदस्य है-
आज इस ब्लॉग पर “मकर-संक्रान्ति” के बारे में उपयोगी जानकारी दी गई है-

14 JANUARY 2010

मकर संक्रान्ति

नमस्कार बच्चो ,
कल मैं आपको लेकर गई थी पंजाब जहां लोहडी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा था और हम सबने कल खूब लड्डु और रेवडियां भी खाए थे । अब बताओ भला आज कौन सा
दिन है ....? बिलकुल सही आज है मकर संक्रान्ति , इसे माघ पूर्णिमा भी कहा जाता है । आज के दिन भी घरों में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं , मुख्य रूप से खिचडी । तो खिचडी हम बाद में खाएंगे पहले यह तो जान लें कि यह त्योहार मनाया क्यों जाता है । इसके साथ भी अनेक कथाएं जुडी हैं । जैसे .......
१) इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने उसके घर जाते हैं । शनि क्योंकि मकर राशि के स्वामी हैं तो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर इसे मकर संक्रान्ति कहा जाता है । इसे सूर्य वर्ष का प्रारम्भ माना जाता है ।
२) वसंत आगमन के साथ भी इस त्योहार का संबंध जोडा जाता है , सर्दी का मौसम खत्म होते ही वसंत रितु प्रारम्भ हो जाती है ।

……..
नटखट

आदित्य (Aaditya) की अदाएँ भी खूब हैं-

मेरे बारे मे चटपटी खबरें (The Indian Baby Blogger)


THURSDAY, JANUARY 14, 2010

बताइये साबजी कैसा लग रहा हूं मैं...

बाबा नेपाल से दौरा-सूरवाल लाये... बताइये साबजी कैसा लग रहा हूं मैं....

चक्कर पोटी का!!

सर्दी क्या आई जिसे देखो अपने सर पर पोटी लगाए घूम रहा है.. रंग बिरंगी पोटी.. आदि से सर पर पोटी.. बाबा से सर पर पोटी.. बिना पोटी लगाए कोई घर से बाहर ही नहीं निकलता... मम्मी जब मुंबई गई तो मैंने और बाबा दोनों दोनों से सर पर पोटी लगा दी.. सर्दी बहुत थी न.. और जब ये बात मम्मी को बताई तो मम्मी हैरान.. मुझे पता है आप भी हैरान हो गए होगें...

चक्कर ये की मैं "टोपी" को "पोटी" बोलता था.. अब जाकर सही तरह से टोपी बोलना सिखा हूं..

बाल संसार में पढ़िए

बच्चों का घोड़ा

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बच्चों का एक ब्लॉग फुलबगिया भी है-
मेरा फोटो

Hemant Kumar

जाड़ा--2

जाड़ा ताल ठोंक जब बोला,
सूरज का सिंहासन डोला,
कुहरे ने जब पांव पसारा,
रास्ता भूला चांद बिचारा।……….

लविजा का ब्लॉग भी तो बहुत मनमोहक है जी!

लविजा के पापा सैयद

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आपने कभी हॉर्स राइडिंग की है ?


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आपने कभी हॉर्स राइडिंग की है ? नही !!

मैने तो की है, और पता है मुझे तो डर भी नही लगा इसमें.

फ़र्स्ट जनवरी को जब हम बोट क्लब गये थे. वहीं पर मैने राइडिंग की थी.

नवगीत की पाठशाला

एक साझा साहित्यिक ब्लॉग है। ये बच्चों और किशोरों के लिए भी है-

ये कार्यशाला-6 के कवि हैं। 1. नियति
2. निर्मल सिद्धू
3. मनोज कुमार
4. डॉ.जगदीश व्योम
5. गिरि मोहन गुरु
6. रजनी भार्गव
7. धर्मेन्द्र कुमार सिंह ’सज्जन’
8. संजीव सलिल
9. विमल कुमार हेडा
10. निर्मला जोशी
11. शारदा मोंगा
12. मानोशी
13. रावेंद्रकुमार रवि

१३- कोहरे में भोर हुई,

कोहरे में भोर हुई,
दोपहरी कोहरे में!
कोहरे में शाम हुई,
रात हुई कोहरे में!
कलियों के खिलने की,
आहट भी थमी हुई!
तितली के पंखों की,
हरक़त भी रुकी हुई!
मधुमक्खी गुप-चुप है,
चिड़िया भी डरी हुई!
भौंरे के गीतों की,
मात हुई कोहरे में!.....

-- रावेंद्रकुमार रवि
खटीमा (ऊधमसिंहनगर)


आइए आपको बच्चों के एक और ब्लॉग से परिचित कराते हैं-


My Photo

मानसी

परी कथा

बच्चों को समर्पित बाल कथाओं/बाल-कविताओं का ब्लाग


बिग आल- हूबहू नहीं पर कहानी वही


आज ऐन्ड्रू क्लेमेंट्स योशी की कहानी "बिग आल" का हिन्दी रूपांतरण- हूबहू नहीं पर कहानी वही।
पूरे नीले समंदर में बिग आल जैसी अच्छी मछली नहीं थी। मगर वो दिखने में बेहद भयानक थी। इतनी भयानक कि उस पूरे समंदर में उसका कोई दोस्त नहीं था । सारी छोटी-बड़ी मछलियाँ उससे दूर भागती थीं। बिग आल उन से दोस्ती करना चाहती थी, मगर उसका भयंकर रूप देख कर उसके पास कोई भी नहीं आता। बिग आल ने काफ़ी कोशिश की छोटी मछलियों से बात करने की, उनसे दोस्ती करने की। मगर हर बार बात बिगड़ जाती।

…….
"बाल सजग" से भी आपका परिचय कराते हैं-
इसकी विशेषता यह है कि इसमें विद्यार्थी भी प्रतिभाग करते हैं!

BAL SAJAG

space of children


कुत्ता राजा

कुत्ता राजा
कुत्ता राजा आया था ।
पुस्तक साथ में लाया था ॥
बिल्ली रानी अध्यापक थी ।
साथ में खड़िया लाई थी ॥
कुत्ते ने बिल्ली से पूछा ।
कहाँ लगाती हो तुम कक्षा ॥
मैं भी पढ़ने आउगा ।
साथ में पुस्तक लाउगा ॥
पढ़ना- लिखना सीख जाउगा ।
क ख ग का गुण गाउगा ॥
बिल्ली बोली कुत्ता राजा ।
तुम न बजाओ घर में बाजा ॥
पढ़ने में लगाओ मन ।
साफ़- सुथरा रखो अपना तन ॥
तुम पढ़ -लिख जाओगे ।
देश का नाम कराओगे ॥


लेखक -मुकेश कुमार
कक्षा –८

हेमन्त 'स्नेही' “स्नेहांचल”
सन्त हूँ ना पीर हूँ;
सिर्फ बहता नीर हूँ।
मुस्करा कर देखिए;
आपकी तस्वीर हूँ।

माता-पिता ने नाम दिया हेमन्त कुमार अग्रवाल।
लेखनी को नाम मिला हेमन्त 'स्नेही'।
शिक्षा-दीक्षा हुई मेरठ कॉलेज, मेरठ में।
रोज़ी-रोटी की तलाश खींच लाई पत्रकारिता में
और पत्रकारिता दिल्ली में।


बंजारे हैं जाना होगा ( ग़ज़ल )

बंजारे हैं जाना होगा,
जाने फिर कब आना होगा।
बस उतनी ही देर रुकेंगे,
जितना पानी-दाना होगा।
शहर बड़ा पर दिल छोटे हैं,
जाने कहाँ ठिकाना होगा।
चलो किया उसने जो चाहे,
हमको मगर निभाना होगा।

…..
-हेमन्त 'स्नेही'
आप इन ब्लॉग पर जायें तो सही!
नन्हें सुमनों को देखकर आपका मन प्रसन्न हो जायेगा!

19 टिप्‍पणियां:

  1. ये बड़ा अच्छा और सार्थक कार्य किया आपने जो आज बच्चों से संबंधित ब्लॉग चर्चा की है. बेहतरीन!!

    जवाब देंहटाएं
  2. प्‍यारे प्‍यारे बच्‍चों के इतने सारे ब्‍लॉग .. बहुत बढिया संग्रह है .. सचमुच मन खुश हो जाता है इनके ब्‍लोगों से !!

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह सारे बच्चों के ब्लॉग एक साथ यह बहुत बढ़िया है।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह शास्त्री जी , ये चर्चा अब तक मेरे द्वारा पढे गए कुछ सबसे सुंदर चर्चाओं में से एक रही । एक संग्रहणीय चर्चा पोस्ट। आपका बहुत बहुत आभार
    अजय कुमार झा

    जवाब देंहटाएं
  5. सुबह इतनी सारी घास मिल गयी की अब ज़रा सुस्ताना पडेगा!!! बहुत ही सार्थक चर्चा!!!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर शास्त्री जी, इस बात को महत्व देना भी बहुत जरूरी था !

    जवाब देंहटाएं
  7. सोचा करता था किसी दिन केवल बच्चों की चर्चा हो.. आपने कर दी बहुत आभार....

    वैसे और भी बहुत प्यारे ब्लॉग है बच्चो के.. जादू, स्वपनिल, पाखी, रूद्र, अक्षयांशी.. ये सब मिल जाए तो सबकी छुट्टी....

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहद दिलचस्प एवं सार्थक चर्चा किये हैं हजूर

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर रही ये बाल ब्लाग चर्चा.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  10. बाल-ब्लाग चर्चा का यह अंक बहुत सुंदर है।
    शास्त्री जी इसके लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. waah bahut hi badhiya karya kiya ye to .......ye andaz bhi bahut badhya raha.

    जवाब देंहटाएं
  12. बढ़िया लिंक्स। अच्छी चर्चा लेकिन टिप्पणी का टेक्स्ट पीले रंग में साफ दीख नहीं रहा है !

    जवाब देंहटाएं
  13. सभी बच्चों और इन ब्लॉग्स के नियंत्रकों-संपादकों की ओर से
    बच्चों के इन दादा जी को ढेर-सारा प्यार और दुलार!
    आशा ही नहीं विश्वास है कि
    जल्दी ही चर्चा-मंच पर इस तरह की
    और चर्चाएँ भी पढ़ने को मिलेंगी!

    --
    संपादक : सरस पायस

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  14. बहुत ही सार्थक बाल ब्लाग चर्चा!

    जवाब देंहटाएं

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