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मंगलवार, फ़रवरी 16, 2010

“संवाद सम्मान 2009…” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-66


चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"


आज के "चर्चा “मंच" में कुछेक ही पोस्टों की चर्चा करूँगा!


बात सम्मान की हो तो चर्चा में तो आना ही चाहिए ना!


देखिए तो सही पुरस्कार को लेकर कैसी भेड़िया-धसान हो रही है?

संवाद सम्मान 2009 - श्रेणी: बच्चों का ब्लॉग। बच्चों जैसी तू-तू मैं-मैं के बीच बच्चों के ब्लॉग का चयन।

हिन्दी के चर्चित रचनाकार विनायक ने अपने बाल उपन्यास (सम्भवत:) 'नदिया और जंगल' में लिखा है कि मनुष्य सात जन्मों तक अपना हिसाब-किताब नहीं भूलता है। उसका एहसास मुझे पिछली पोस्ट में भलीभांति हो गया है। ...खैर, उन तमाम वाद-विवाद-संवाद से उबरते हुए 'संवाद सम्मान-2009' की श्रेणी 'बच्चों का ब्लॉग' पर हम आते हैं। इस हेतु जो नामांकन आए, वे इस प्रकार हैं-
आदित्य - 2 वोट
सरस पायस - 2 वोट
बाल मन - 1 वोट
नन्हे मुन्ने - 1 वोट
मेरी दुनिया मेरे सपने - 1 वोट
कासिम का ब्लॉग - 1 वोट
बेटियों का ब्लॉग - 1 वोट
आश्चर्य का विषय यह रहा है इसमें बच्चों के सबसे चर्चित ब्लॉग 'बाल उद्यान' का एक भी नामांकन नहीं था, जबकि वह बच्चों का सबसे पुराना, सबसे नियमित और बच्चों से जुड़ा हुआ इकलौता ब्लॉग है।
तमाम बातों पर विचार करने के बाद 'बाल उद्यान' को 'बच्चों के ब्लॉग' के लिए सर्वश्रेष्ठ पाया गया है। हालाँकि 'आदित्य' के ब्लॉग को दो वोट मिले हैं, लेकिन वह बच्चों का ब्लॉग नहीं है, एक बच्चे का ब्लॉग है। इसलिए उसे दो वोट मिलने के बावजूद नामित श्रेणी के लिए चुना गया है। 'सरस पायस' पूरी तरह से बच्चों का ब्लॉग नहीं है, इसलिए उसे इस श्रेणी हेतु विचारार्थ स्वीकृत नहीं किया जा सका। इसी प्रकार 'बेटियों का ब्लॉग' भी बच्चों के लिए नहीं है। जहाँ तक मेरे अपने दो ब्लॉग 'मेरी दुनिया मेरे सपने' एवं 'बाल मन' का प्रश्न है, उन पर विचार करना सम्भव ही नहीं था।

अत: "बच्चों के ब्लॉग" श्रेणी के अन्तर्गत मुख्य सम्मान हेतु 'बाल उद्यान' तथा नामित श्रेणी हेतु 'आदित्य' के ब्लॉग की घोषणा की जाती है। चूंकि 'बाल उद्यान' एक सामुहिक ब्लॉग है, इसलिए उसे सम्मान राशि नहीं दी जाएगी। सिर्फ सम्मान पत्र एवं ई-प्रमाण पत्र ही प्रदान किया जाएगा। इसी प्रकार 'आदित्य' को भी नामित श्रेणी हेतु ई-प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। इन दोनों ब्लॉगों के विजेता बनने पर संवाद समूह की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ।
.
--------------
नोट- सभी श्रेणियों में दिये जाने वाले मुख्य सम्मान के रूप में प्रशस्ति पत्र, रू0 1001.00 की सम्मान राशि और ई-प्रमाण पत्र दिया जाएगा जबकि नामित श्रेणी के सम्मान हेतु ई-प्रमाण पत्र का प्राविधान है। 'संवाद सम्मान' सम्मान सम्बंधी प्रक्रिया एवं अन्य सूचना के लिए कृपया यहाँ चटका लगाएंअन्य श्रेणियों के सम्मान की जानकारी के लिए यहाँ पर चटका लगाएं।

Comments
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Anonymous Kunnu said...

Bachche bhagvan ki sabse sundar rachna hain. In dono vijetaon ko BADHAYI.
Aasha hai ispe koi vivad nahee hoga.

14/02/2010 23:22

Blogger राजकुमार जैन 'राजन' said...

दोनों विजेताओं को हार्दिक बधाईयाँ।

14/02/2010 23:26

Blogger अनूप शुक्ल said...

मुबारक!

14/02/2010 23:27

Blogger रंजना [रंजू भाटिया] said...

वाह बहुत बहुत बधाई

14/02/2010 23:44

Blogger अविनाश वाचस्पति said...

बच्‍चे मन के सच्‍चे
ब्‍लॉगजगत की आंख के तारे
ये वो नन्‍हे फूल हैं जो
हम सभी को लगते हैं प्‍यारे
दुलारे।

14/02/2010 23:46

Anonymous रंजन said...

आभार

15/02/2010 00:04

Blogger रचना said...

zakir
i think we should give prizes to all the nominated blogs in this category
congrats to all nominies they are WINNERS ALL THE WAY

15/02/2010 00:18

Blogger ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...

रचना जी, आपकी बात सही है। पर यहाँ पर इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि अधिकतर ब्लॉग लोगों ने स्वयं ही नॉमिनेट किये हैं, ऐसे में हर नॉमिनेट ब्लॉग को सम्मानित करना उचित नहीं है। हाँ जिन श्रेणियों में कई अच्छे ब्लॉग नामित हुए हैं, वहाँ नामित श्रेणी के अन्तर्गत एक से अधिक ब्लॉग को भी सम्मानित किया जाएगा।

15/02/2010 00:24

Anonymous Anonymous said...

Dono Vijetaon ko Badhayi. Lekin jakir bhai, Cash rashi to bachayi.

15/02/2010 00:48

Blogger सलीम ख़ान said...

badhaaee!!!

15/02/2010 00:58

Blogger रचना said...

thanks zakir but my suggestion holds good for only this category

15/02/2010 01:00

Blogger ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...

लेकिन रचना जी, सम्‍मानों के लिए कुछ तो चयन रख्नना ही चाहिए। इससे अन्य लोग भी प्रेरित होंगे। ऐसा मेरा विचार है।

15/02/2010 01:08

Blogger सीमा सचदेव said...

नमस्कार जाकिर जी ,
आज मुझे खुशी भी हो रही है और उससे ज्यादा दुख । खुशी इस बात की कि बाल-उद्यान को आपने प्रथम श्रेणी में रखकर उसे उचित सम्मान दिया जिसके लिए कोई नामिनेशन नहीं हुआ लेकिन आदित्य को आपने किस आधार पर दूसरे स्थान पर रखा , यह समझ से बाहर है । आप जैसा बाल-साहित्यकार अगर आदित्य को बाल-साहित्य की श्रेणी में रखता है तो खेद के साथ कहुंगी कि बाल-साहित्य के प्रति किया गया हमारा हर सार्थ्क प्रयास असफ़ल है और बाल-साहित्य का भविष्य अंधकारमय है । केवल इस आधार पर कि एक ब्लाग को दो वोट मिले आप बाकी सब के साथ अन्याय कैसे कर सकते हैं । मर्जी आपकी है , आप जिसे चाहें उत्तम श्रेणी में रखें और जिसे चाहें अनदेखा करदें । आपने यह फ़ैसला लिया किस आधार पर है --क्या वोटिंग के आधार पर ? तो बाल-उद्यान के लिए एक भी वोट नहीं हुआ । या फ़िर बाल-साहित्य को सम्मुख रखते हुए ? तो फ़िर आदित्य को किसी भी हालत में बाल-साहित्य की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता , यह आपका स्वयं का मानना है । मुझे आपकी इस नामिनेशन प्रक्रिया का पता भी नहीं था , इस लिए मुझे अपना ब्लाग नन्हामन यहां पर देखने की कोई उम्मीद भी नहीं थी लेकिन अगर आपने वोटिंग को ही आधार बनाना था तो एक तुच्छ सी बाल-साहित्यकार होने के नाते मैं आप जैसे महान लेखक को कुछ भी कहने की सामर्थ्य तो नहीं रखती लेकिन आपका एक गलत फ़ैसला इतिहास में आपको जवाब देह बनाएगा । धन्यवाद.... सीमा सचदेव

15/02/2010 01:11

Blogger दिगम्बर नासवा said...

विजेताओं को हार्दिक बधाई ...

15/02/2010 01:15

Blogger ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...

सीमा जी, सबसे पहले तो आप यह जान लें कि यह सम्मान 'बाल साहित्य' के लिए नहीं था, सिर्फ बच्चों के ब्लॉग के लिए था।
दूसरी बात यह है कि 'संवाद सम्मान' सकारात्मक ब्लॉगिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रदान किये जा रहे हैं। चूंकि 'बाल उद्यान' का इस सम्बंध में अतुलनीय योगदान है, इसलिए हम सिर्फ इस वजह से उसे निग्लेक्ट नहीं कर सकते थे कि उसका नामांकन नहीं हुआ है। बाल उद्यान ने न सिर्फ ब्लॉग जगत में बल्कि ब्लॉग जगत के बाहर भी इसके लोकप्रियकरण के अथक प्रयास किये हैं, यह आप भी जानती हैं। इसीलिए उसका नाम न होने के बावजूद उसे इसमें शामिल किया गया है।
जहाँ तक 'आदित्य के ब्लॉग' की बात है, उसके संचालक रंजन जी ब्लॉग जगत के एक सक्रिय व्यक्ति हैं और लगभग सभी जगहों पर जा कर टिप्पणियों द्वारा ब्लॉगिंग को प्रोत्साहित करते रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी दिखाया है कि बच्चों की गतिविधियों को आधार बनाकर भी एक अच्छा सकारात्मक ब्लॉग चलाया जा सकता है। उनकी निरंतरता, उनकी सक्रियता किसी भी ब्लॉगर के लिए ईर्ष्या का विषय हो सकती है।
तीसरी बात यह है कि 'संवाद सम्मान' के संदर्भ में आपके ब्लॉग के बारे में भी सोचा गया था, लेकिन पिछले काफी समय से वह नियमित नहीं है। न तो उसपर ज्यादा विजिटर आते हैं और न ही ज्यादा टिप्पणियां। ये इस बात की गवाही हैं कि ब्लॉग का प्रबंध समुचित ढंग से नहीं हो पा रहा है। इसीलिए उसे इस योग्य नहीं माना गया कि उसे सम्मान से नवाजा जाए।
चौथी बात यह भी जान लें कि उक्त सम्मान की प्रक्रिया पिछले दो माह से चल रही थी और इस सम्बंध में कई पोस्टें लगातार लिखी जा रही थीं। इसके अतिरिक्त मेरे अपने ब्लॉग 'बालमन', 'हमराही', 'तस्लीम' एवं 'साइंस ब्लॉगस असोसिएशन' पर भी इसकी सूचना लगातार लगी रही है। यदि आप पिछले दो महीने के दौरान अगर थोडा सा भी सक्रिय होतीं, तो आपको इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी अवश्य मिल जाती।
पांचवी बात के रूप में आप भी यह जान लें कि आपके ब्लॉग के सक्रिय सदस्य रावेन्द्र जी को इस प्रक्रिया की जानकारी थी और उन्होंने अपने ब्लॉग को इस प्रक्रिया में शामिल भी किया था। मेरी समझ से आपको उनसे से भी सूचना मिल जानी चाहिए थी।

15/02/2010 01:54

Blogger मोहम्मद कासिम said...

कासिम का ब्लॉग - 1 वोट
thank u
sim786.blogspot.com

15/02/2010 02:10

Blogger सीमा सचदेव said...

जाकिर जी मुझे बाल-उद्यान के लिए अति प्रसन्नता है और मेरा वहां पर कितना योगदान है यह मुझे कहने की आवश्यक्ता नहीं है ।
दूसरी बात यह कि मैने बाल-साहित्य और बाल-साहित्यकारों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया है न कि टिप्पणियां बटोरने का । मुझे किसी के साथ कोई बैर-भाव नहीं , आदित्य निश्चय ही अच्छा ब्लाग है उसमें कोई दो राय नहीं लेकिन बाल-साहित्य नहीं है यह आप स्वयं मानते हैं ।
तीसरी बात मैने अपने ब्लाग का नाम कभी नहीं लिया और न ही कभी लूंगी ।
चौथी बात कि अपनी तरफ़ से अच्छा करना हमारी जिम्मेदारी है वो हम निभाते हैं , उसे कोई पढता है अथवा नहीं , यह किसी की इच्छा पर निर्भर है , हम पर नहीं ।
पांचवीं बात जहां तक टिप्पणियों का स्वाल है तो जाकर टिप्पणी करो और टिप्पणी बटोर लो यही होता है ब्लाग जगत में , हम ऐसा नहीं करते ।
छ्टी बात कि पिछले कुछ समय से उस पर कोई सक्रिय नहीं है तो यह मेरी कोई व्यक्तिगत समस्या भी हो सकती है ।
सातवीं बात बच्चों के ब्लाग का सीधा सा मतलब बाल-साहित्य होता है इतना तो कोई भी समझ सकता है ।
और आखिरी बात कि कहीं जाकर टिप्पणी करने वाले ब्लागर को अगर आप सार्थक प्रयास रत कहते हैं तो आपकी सोच को सलाम ।

15/02/2010 02:26

Blogger ali said...

दोनों ब्लाग्स को शुभकामनायें !

15/02/2010 02:44

Blogger रावेंद्रकुमार रवि said...

मुझे लगता है -
कुछ भूल हुई है!
कृपया देखिए -

आज से "सरस पायस" पूरी तरह से बच्चों का

15/02/2010 03:29

Blogger ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...

रावेन्द्र जी, अगर ऐसा है, तो अवश्य ही मुझसे 'सरस पायस' को लेकर भूल हुई है। लेकिन इस भूल का कारण आपके ब्लॉग पर लगा विषयगत इंडेक्स है, जिसमें नवगीत, गजल तथा लघुकथा का भी आप्शन है। इसके साथ ही साथ सरस पायस बाल दिवस से बच्चों का ब्लॉग हुआ है जबकि संवाद सम्मान पूरे वर्ष की गतिविधियों को ध्यान में रखकर दिये गये हैं।

15/02/2010 03:50

Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...

@जाकिर अली रजनीश जी!
मैं तो केवल संक्षेप में ही अपनी बात लिखूँगा-
1- "नन्हा मन" के सदस्य के रूप में रावेन्द्रकुमार रवि के साथ-साथ आप भी तो थे। क्या आपकी यह जिम्मेदारी नही बनती थी कि आप सीमा जी को सूचित करते! यह बात अलग है कि रवि जी अब नन्हा मन के सदस्य नही हैं, जबकि आप अब भी है!
2- बाल-दिवस 14 नवम्बर,2009 से "सरस पायस" पूरी तरह बच्चों को समर्पित हो गया है। इस समय सरस पायस पर लगीं सारी पोस्टें बच्चों से ही सम्बन्धित हैं! तभी मैंने सरस पायस को वोट किया था!
3- आदित्य एक बच्चे का ब्लॉग है और सक्रिय है! उसे पुरस्कृत कर आपने अच्छा काम किया है!
4- आपके अनुसार यदि सरस पायस और आदित्य को समान वोट मिले हैं तो पुरस्कार से सरस पायस को वंचित क्यों रखा गया है?
5- यदि सरस पायस पूर्णतया बच्चों का ब्लॉग नही होता तो मुझ जैसा व्यक्ति इसे वोट करने की मूर्खता क्यों करता?
खैर निर्णय आपका है क्योंकि सम्मानदाता भी तो आप ही हैं।
एक बात सीमा जी से भी कहना चाहता हूँ कि
आप यहाँ लम्बी-लम्बी टिप्पणी करने कैसे आ गयी?
मैं तो यह समझता था कि आप नन्हा मन के अतिरिक्त कहीं टिप्पणी करने जाती ही नही हैं।

15/02/2010 04:15

Delete

Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...

@जाकिर अली रजनीश जी!
आपकी बात मेरी समझ मे नही आ रही है-
क्या नवगीत, गजल तथा लघुकथा बच्चों के लिए
नही हो सकती है?

15/02/2010 04:19

Delete

Blogger Arvind Mishra said...

अब जाकिर चूंकि खुद एक जाने माने बाल साहित्यकार है अपने बिरादरी से निपट लें -मैं जिन्हें भी पुरस्कार मिलेगा बधाई दूंगा मगर एक बात मेरे भी समझ मेंनहीं आ रही है की जिसके लिए कोई नामांकन नहीं हुआ हो उसे किस आधार पर पुरस्कार मिला -क्या आपने ये निर्णय खुद लिया ? आप ले सकते हैं -आप उस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते है-मुझे विश्वास है की विज्ञान ब्लागों का निर्णय मुझे बिना बताये नहीं करेगें -क्योंकि कुछ लोग मुझे भी विज्ञान लेखन का एक्सपर्ट मानते हैं -पक्का ?

15/02/2010 04:34

Blogger ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...

शास्त्री जी, मेरी रावेन्द्र जी से अक्सर फोन पर बात होती रहती है, यह तो आप भी जानते होंगे। पिछले कुछ महीनों मं जब भी उनसे बात हुई, चाहे वे कैम्प में बिजी रहे हों, चाहे पोस्ट डिलीट हो जाने के कारण परेशान रहे हों, सरस पायस बिलकुल अनियमित रहा है। यह बात मेरे मस्तिष्क में बैठी हुई थी।
दूसरी बात जैसा कि पहले भी कह चुका हूं कि चूंकि सरस पायस बाल दिवस से ही पूरी तरह से बच्चों का ब्लॉग घोषित हुआ है, इसलिए यदि मुझे पता होता कि सरस पायस पूरी तरह का बच्चों का ब्लॉग है, तो भी मैं इसपर विचार न करता।
तीसरी बात अभी 05 फरवरी को जो लघुकथा 'मानसिकता' प्रकाशित हुई है, वह भी चुगली करती है कि यह ब्लॉग अभी भी पूरी तरह से बच्चों का नहीं बन पाया है। इसलिए मेरी समझ से इस विषय को आगे बढाना उचित नहीं होगा।

15/02/2010 04:34

Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...

पुनश्च्
@जाकिर अली रजनीश जी!
आपकी बात मेरी समझ मे नही आ रही है-
क्या नवगीत, गजल तथा लघुकथा बच्चों के लिए
नही हो सकती है?
यदि आप सक्षम हों तो इस प्रश्न का उत्तर भी देने की कृपा करें।
सरस पायस पर प्रकाशित संगीता स्वरूप की लघुकथा
"मानसिकता" क्या बालिकाओं को यह प्रेरणा नही देगी कि वे बड़ी होकर उच्च पदों को सुशोभित करें?

15/02/2010 04:42

Delete

Blogger ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...

शास्त्री जी, कृपया इसे बहस का मुद्दा न बनाएं। वैसे मैंने आजतक कोई 'बाल नवगीत' नहीं पढ़ा है। जहाँ तक गजल विधा का सम्बंध है, तो उस पैटर्न पर बहुत से लोगों ने बच्चों के लिए लिखा है, लेकिन उसे भी बाल कविता ही कहा जाता है। मैंने इस संदर्भ में किसी भी साहित्यिक लेख आदि में भी बाल गजल नामक वर्गीकरण नहीं पढा है। और रही बात लघुकथाओं की, इस तरह के कई प्रयास अवश्य हुए हैं, लेकिन ऐसा बहुत कम देखने में आता है। ज्यादातर मामलों में 'लघुकथा' के चक्कर में रचना 'बाल कहानी' के खांचे से उतर जाती है, जैसा कि 'मानसिकता' के संदर्भ में हुआ है।

15/02/2010 04:49

Blogger Udan Tashtari said...

वाह!! बबुआ जीत गया...वो तो है ही बेस्ट...
आदि के जीत की खुशी में जश्न होगा..बहुत बधाई!!!
यूँ तो सभी बच्चे बेस्ट ही होते हैं और हैं भी....

15/02/2010 05:20

Blogger सुशीला पुरी said...

meri hadik badhai..........

15/02/2010 05:50

Blogger डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत बधाई..

15/02/2010 06:58

Blogger अजय कुमार झा said...

ज़ाकिर भाई हर श्रेणी के साथ यूं विवाद का उठना बहुत अखर रहा है और भविष्य में ऐसे प्रयासों के लिए चिंता भी बढा रही है , मुझे लगता है कि श्रेणियों में कम से कम तीन पुरस्कार होते और किंचित ही नकद राशि का कोई विकल्प रखा जाता जैसे हरेक श्रेणी से संबंधित पुस्तक आदि का प्रावधान रखते तो ज्यादा बेहतर होता , और जब उन पर प्रश्नचिन्ह उठ रहे हैं तो आप विनम्रतापूर्वक उनकी बात का जवाब देने की कृपा करें आप इन पुरस्कारों के आयोजक हैं इसलिए आपकी जिम्मेदारी ज्यादा बनती है , शुभकामनाएं , और हां दोनों को ही बधाई
अजय कुमार झा

15/02/2010 08:06

Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...

@ जाकिर अली रजनीश जी!
रात गई बात गई!
जो मन को सही लगा लिख दिया!
हमें क्या पड़ी है!
पुरस्कार चाहे बिना नामांकन वालों को दें,
या नामांकन वालो को!
आप आयोजक है तो सोच-समझकर ही
आपने निर्णय लिये होंगे!
न कुछ करने से कुछ करना बेहतर है!
आपके प्रयास की सराहना करता हूँ!

15/02/2010 08:43

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Blogger Sanjeet Tripathi said...

badhai dono ko.
ye sabloche khatm ho jayein to dono ko unka puraskaar de diya jaye
;)

15/02/2010 11:48

Blogger BAL SAJAG said...

dono vijato ke samman ke liye badahiya....afsos hua ki isme bal sajag jo ki bachcho ka blog hai bachche isame apni rachana khud likhate hai aur blog par post bhi khud hi karte hai isse vanchit rah gaye... agar aap ek bar blog apdh sake to hame achchhha lagega aur hausala bhi milega aage aur likahne ke liye........

15/02/2010 12:27

Blogger 'अदा' said...

BAL SAJAG blog dekh lijiye..
sahi maayne mein bacchon ka blog yahi lag raha hai..yahan bacche hi likh rahe hain...bade nahi..
AGAR SAMBHAV HO TAB (CAPITAL MEIN LIKH RAHI HUN) ho sake to ek category aur bana sakte hain...aur aise blogs ko sammilit kijiye ...jahan bacchon dwara likhi rachnaaon ka sankalan hota hai..na ki bacchon ke liye likhi gayi rachnaaon ka..AGAR IS BLOG KO PURASKAAR NAHI DE SAKTE HAIN TO KAM SE KAM RECOGNIZE ZAROOR KAREIN..BACCHON NE BAHUT ACCHA YOGDAAN KIYA HAI...
vijetaaon ko hriday se badhai..

15/02/2010 13:02

Blogger रंजन राजन said...

विजेताओं को बधाई। आपके ब्लाग के माध्यम से कई अद्यतन जानकारियां मिलीं। धन्यवाद।

15/02/2010 14:41

Blogger Ratan Singh Shekhawat said...

दोनों विजेताओं को हार्दिक बधाईयाँ।

15/02/2010 18:14

Blogger सीमा सचदेव said...

डा. रूपचन्द्र शास्त्री जी , आपने सही कहा कि सम्मानदाता जाकिर जी हैं , मर्जी भी उनकी है तो हमें क्या पडी कि किसको सम्मानित करें और किसको नहीं , मेरा विरोध किसी को दिए गए सम्मान से नहीं बल्कि बाल-साहित्य के लिए है और मैं अब भी वही कहना चाहुंगी कि आदित्य बाल-साहित्य नहीं है , सरस पायस पूरी तरह से बाल-साहित्य को समर्पित न सही लेकिन बच्चों के लिए उसमें एक सार्थक प्रयास तो है जो केवल एक बच्चे के लिए न होकर सभी के लिए है उसके अलावा भी और बहुत सारे बच्चों के ब्लाग हैं तो फ़िर आदित्य ही क्यों क्या बाकी बाल-साहित्यकार जो इस को बढावा देने का अनथक प्रयास कर रहे हैं क्या उसको केवल टिप्पणी के आधार पर परखा जाएगा तो मैं कहुंगी कि बच्चों के ब्लाग बच्चों के लिए होते हैं बडों के लिए नहीं । आदित्य बच्चे का ब्लाग बडों के लिए है , जिसे पढ कर मजा आता है और वहां टिप्पणियां भी होती हैं , लेकिन बच्चों के लिए जानकारी भरपूर नहीं है । खैर इस विषय पर मुझे और कोई बहस नहीं करनी है ।
आपने यह भी सही समझा कि मैं कहीं और टिप्पणी नहीं करती । लेकिन जब बाल-साहित्य को लेकर कोई बात होगी तो आप मुझे वहां उपस्थित पाएंगे और जहां गलत लगेगा वहां लम्बी-चौडी टिप्पणी करने से मुझे कोई परहेज नहीं ।
रावेन्द्र जी नन्हामन के सदस्य थे , हैं और रहेंगे ।किसी तकनीकी खराबी के कारण उनका नाम नन्हामन में शायद नहीं दिख रहा है लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं कि वह नन्हामन के सदस्य नहीं हैं ।
यह भी सही है कि मैं पिछले कुछ महीनों से अपनी निजी समस्या से जूझ रही थी और कहीं भी ध्यान नहीं दे पाई , तो वास्तव में मुझे नहीं पता चला कि ब्लाग जगत में क्या हो रहा है । मुझे किसी से कोई सूचना नहीं मिली , वर्ना मैं बाल-उद्यान ,सरस पायस , बाल-सजग , बाल-सभा को नामिनेट अवश्य करती ।
आखिरी बात ज़ाकिर जी से कहना चाहुंगी कि प्लीज़ आप अपने चयन में बच्चों के लिए ब्लाग हटाकर सबसे सक्रिय ब्लाग चुनिए अथवा बच्चों के ब्लाग में केवल बाल-साहित्य संबंधी ब्लाग्स पर विचार कीजिए ,मेरा अभिप्राय नन्हामन से नहीं है और भी ऐसे ब्लाग हैं जो इस दिशा में सार्थक प्रयासरत हैं । बाकी आप स्वयं बाल-साहित्यकार है , ज्यादा समझते हैं ।
सादर
सीमा सचदेव

15/02/2010 20:42

Blogger सलीम ख़ान said...

ज़ाकिर भाई का यह प्रयास अभिनंदनीय है और मुझे लगता है हम सभी को उनके इस महान कृत्य के लिए अवश्य ही बधाई देना चाहिए और उनका सहयोग करना चाहिए.
मुझे नहीं लगता कि जिस तरह का पुरस्कार आयोजन ज़ाकिर भाई ने किया है वह इससे पूर्व में इतने बड़े पैमाने पर और इतनी पारदर्शिता (ऑनलाइन वोटिंग के ज़रिये) के साथ किसी भी महान अथवा कथित महान ब्लॉगरों ने किया होगा. और वृहद कार्य में छोटी मोटी गलतियाँ होना भी संभावित होती है. इस हेतु हमें उसे नज़र अंदाज़ कर उसकी नियत, नज़रिए और मेहनत को देखना चाहिए.
घबराईये नहीं......18 श्रेणिया अभी बाक़ी हैं मेरे दोस्त !!!
आपका
सलीम ख़ान
संयोजक
लख़नऊ ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

15/02/2010 21:42

Blogger ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ said...

सीमा जी, शास्त्री जी, आप सबके सुझाव उपयोगी हैं। इनके लिए आभार व्यक्त करता हूँ। जब कोई भी काम पहली बार किया जाता है, तो उसमें कुछ न कुछ कमियां रह ही जाती हैं। हम अनुभवों से ही सीखते हैं। आप सबके बहाने सीख ही रहे हैं। आशा है, आगे से इस तरह की दिक्कतें नहीं होंगी।

15/02/2010 21:46

Blogger रवीन्द्र प्रभात said...

इस श्रेणी के ब्लॉग पर सार्थक बहस में हिस्सा लेना मेरे बस की बात नहीं है, क्योंकि इस दिशा में मैं स्वयं एक बच्चा हूँ !वैसे शाष्त्री जी , सीमा जी और जाकिर भाई के परस्पर संवाद से अद्यतन कई जानकारियाँ प्राप्त हुयी है ....सम्मानित दोनों ब्लॉग को मेरी अनंत आत्मिक शुभकामनाएं !

15/02/2010 21:46

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This post has been removed by the author.

15/02/2010 21:54

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15/02/2010 21:55

Blogger सलीम ख़ान said...

एक सन्देश आप सभी ब्लॉग बंधुओं के लिए; जैसा कि मैं भी कभी-कभी यह ग़लती कर बैठता हूँ कि लेख लिखते वक़्त ज़्यादातर वर्तनी पर ध्यान नहीं देता हूँ और वर्तनी में कदाचित त्रुटी कर बैठता हूँ. अतः मेरी आप सभी से यह गुज़ारिश है कि भारतीय भाषा में लिखते वक़्त वर्तनी का अवश्य ही ध्यान रखा करें. यह ज़रूरी भी है सार्थक भी...
मसलन अगर आप ग़लती लिख रहे हैं तो उसे 'गलती' न लिख 'ग़लती' लिखें......
हमारी भाषा भारतीय है न कि हिंदी, उर्दू अथवा इंग्लिश... हम निश्चित ही सम्मिलित रूप से इन सारी भाषाओँ के साथ अन्य भाषाओँ के शब्दों का भी मिश्रण कर बोलते व लिखते हैं और ज़रूरी है कि हम इसका ख़्याल रखें और सच्चे भारतीय बनें.
(यह सन्देश लखनऊ ब्लॉगर असोसिएशन द्वारा ब्लॉग हित में जारी)

15/02/2010 21:57

Blogger seema gupta said...

दोनों विजेताओं को हार्दिक बधाईयाँ।
regards

15/02/2010 22:00


होती ही क्यूँ हैं अपेक्षाएँ?

[पेंटिंग साभार-श्री प्रकाश गोविन्द ]हाल ही में प्रेम दिवस पर श्री शरद कोकस जी की एक कविता पढ़ी-उसके इस एक अंश से न जाने कितने विचार मन में उठने लगे.बरसों बाद भीखत्म नहीं होती अपेक्षाएँशुभकामनाओं की तरह अल्पजीवी नहीं होती अपेक्षाएँपलती रहती हैंसमय की आँच

कुछ भी...कभी भी..

ये मन जो कुछ भी ...कभी भी कहता ही रहता है उसे आपके सामने रख दिया है...

ब्लोग्गर्स पुरस्कार पर कुछ बातें

आज पहले बात उन मुद्दों की जो पिछले दिनों छाए रहे , जिनमें सबसे पहला रहा ब्लोग्गर्स को पुरस्कार दिए जाने को लेकर उठा विवाद । विवाद इस बात के लिए नहीं था कि ब्लोग्गर्स को पुरस्कार दिया जा रहा है बल्कि किन्हें और किस आधार पर दिया जा रहा है । हालांकि यही बात पहले भी उठी थी जब श्री अलबेला खत्री जी ने ऐसी ही एक कोशिश की थी और थक हार कर उन्हें भी ये योजना टालनी पडी ।अब जो कुछ लखनऊ ब्लोग्गर्स ऐसोसिएशन और जाकिर भाई के विशेष प्रयासों द्वारा वर्ष २००९ के लिए पुरस्कार दिए जाने के लिए घोषणाएं की जा रही हैं , उन्हें भी विवाद में घिरता देख रहा हूं । यहां पोस्ट के माध्यम से इस बात को उठाने के दो अहम कारण तो थे ही मेरे पास , पहला ये कि जब जाकिर भाई ने सबसे पहले पुरस्कारों की घोषणा की तो उसमें उठे विवाद में कुछ पाठकों ने अपना मत रखते हुए वहां टिप्पणी करके बधाई करने वालों पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया कि क्या सिर्फ़ चुपचाप बधाई दे कर निकल जाने से जिम्मेदारी खत्म हो जाती है । किसी भी बात में बहस विमर्श में कूद पडने वाले हम सभी ब्लोगगर्स की क्या ये जिम्मेदारी नहीं बनती कि इस मुद्दे पर खुल कर सभी अपना मत विमत रखते ? दूसरा और ज्यादा जरूरी कारण ये रहा कि यदि इस तरह से ही हर प्रोत्साहन /पुरस्कार ..जैसी योजनाओं और पहल को हम कटघरे में खडा करते रहेंगे तो फ़िर तो इस लिहाज़ से तो हम सबको ये घोषित कर देना चाहिए कि जो भी ब्लोग्गर्स को प्रोत्साहित करन के लिए ऐसी किसी नई योजना को मूर्त रूप देने की सोच रहे हैं , वे ऐसा सिर्फ़ अपने रिस्क पर करें ।
इस मुद्दे पर मेरी समझ से दो बातें मुख्य रूप से उठ कर सामने आई हैं । पहली ये कि ब्लोग्गिंग जगत में पुरस्कारों को लेने देने का औचित्य क्या है ? दूसरा ये कि जिस तरह से भाई खुशदीप सहगल ने दोनों ही बार पुरस्कार लेने से मना कर दिया , उसके निहितार्थ क्या हैं ?? इस विषय पर जो मेरा सोचना है वो आपके सामने रख रहा हूं ताकि इसी बहाने आपकी राय जान सकूं । ब्लोग्गिंग में पुरस्कार देने के औचित्य की जहां तक बात है तो मेरा मानना है कि क्षेत्र चाहे कोई भी हो प्रोत्साहन ..जरूरी भी है और प्रशंसनीय है । मगर जहां तक इन पुरस्कारों के वितरण , उनके चयन , निर्धारण की बात है तो उसमें बहस की पर्याप्त गुंजाईश है । मेरे विचार से इन पुरस्कारों को देने वाले कोई एक ब्लोग्गर या ब्लोग्गर्स की संस्था , खुद उनकी छवि , नामित ब्लोग्गर्स की सूची और उनके चयन में पूर्ण पारदर्शिता का ख्याल , विशेषकर किसी भी अपेक्षित विवाद को भांपते हुए उसे यथासंभव उपेक्षित रखने का प्रयास आदि जैसी बातों पर बहुत ध्यान रखा जाना बहुत आवश्यक था । अब यदि उदाहरण के लिए जिस पुरस्कार को सबसे पहले घोषित किया गया यदि उस पुरस्कार को कुछ अन्य कैटेगरी के पुरस्कारों के बाद घोषित किया जाता , या फ़िर सबसे बाद में किया जाता तो हंगामा उतना नहीं होता जितना इन पुरस्कारों की ओपनिंग में ही हो गया । क्योंकि सलीम खान जी के नाम पर विवाद का होना .शायद संभावित तो था ही । मगर आज फ़िर जो विवाद उठता हुआ देख रहा हूं उसने तो फ़िर से मुझे काफ़ी कुछ सोचने पर विवश कर दिया है । जहां तक बात है खुशदीप भाई द्वारा अनुग्रहपूर्वक इसे लेने से मना किए जाने की । तो इसमें कोई शक नहीं कि यहां मिलने वाले नियमित पाठक और उनकी सराहना/अलोचना ही सबसे बडा पुरस्कार है , मगर चूंकि ये पुरस्कार पिछले वर्ष किए गए लेखन के लिए था तो नि:संदेह इसके लिए उनसे बढिया दूसरा कोई और नाम नहीं हो सकता था । और एक पल को मान भी लूं कि उन्हें पुरस्कार से कोई रुचि नहीं थी तो आखिर था ही कौन सा परमवीर चक्र , एक ई प्रमाण पत्र और एक हजार नकद, यहां एक बात कहनी जरूरी लगी कि यदि इन पुरस्कारों से नकद भुगतान वाला प्रावधान हटा दिया जाए तो शायद इन पुरस्कारों पर उठता विवाद का साया थोडा सा हट तो जाएगा ही ,तो उन्हें पुरस्कार को लेने से यूं मना नहीं करना चाहिए था , हालांकि इसके लिए उनके पास अपने अकाट्य तर्क हैं जिनसे असहमत नहीं हुआ जा सकता , मगर अपने हीरो को हर कोई जीतना देखना चाहता है और हम तो पब्लिक हैं जी , खैर खुशदीप भाई खुशदीप भाई हैं , और हमेशा ही खुशदीप भाई रहेंगे , देखते हैं कब तक हमारे प्यार और पुरस्कार को मना करेंगे । और हां चयन प्रणाली को भी विस्तार से बताते , जैसा कि पिछले वर्ष के अंत में श्री रविन्द्र प्रभात जी ने सफ़लता पूर्वक ब्लोग्गिंग के बहुत से श्रेणियों में बहुत से नाम सामने रखे , मगर कहीं कोई विवाद नहीं रहा ।
जो भी हो , इन पुरस्कारों के नाम पर उठते सवालों ने ब्लोग्गिंग का एक और विरोधाभासी रूप सामने रख दिया है । अभी तो ये एक शुरूआत है और यदि इन मसलों पर अभी ही खूब मंथन न किया गया तो भविष्य में ये ज्यादा कष्टकारी होंगी । मुझे उम्मीद है कि आप अपनी राय से अवगत कराएंगे बिना किसी पूर्वाग्रह के .....

टिप्पणियाँ:

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

असल में इस ब्लॉग जगत के बारे में मैं जो समझ रहा हूँ-- यहाँ --कर्म किये जा फल की चिंता मत कर रे इंसान-- वाली बात नहीं है,यहाँ सभी केवल और केवल वाह-वाह के अभिलाषी हैं,जहाँ कामना होगी निश्चित वहाँ कष्ट होगा ही.

१५ फरवरी २०१० ९:०३ PM

Arvind Mishra ने कहा…

अजय भाई सौ फीसदी सहमत -

१५ फरवरी २०१० ९:२२ PM

Suman ने कहा…

nice

१५ फरवरी २०१० ९:२५ PM

AlbelaKhatri.com ने कहा…

आपने विस्तार से और बारीकी से काम कर दिया है ,,,,,,इस पर मेरी टिप्पणी वैसे तो कोई मायने नहीं रखती लेकिन मैं यह प्रकटाने के लिए टिपिया रहा हूँकि मुझे आपका आलेख पसन्द आया ........

१५ फरवरी २०१० ९:२६ PM

डॉ टी एस दराल ने कहा…

अभी ऐसे सम्मान आयोजित करने के लिए उपयुक्त समय नहीं आया है । न ही प्रयाप्त साधन जुटाए गए हैं।
अत : बचा जाये तो बेहतर है।

१५ फरवरी २०१० ९:४८ PM

श्यामल सुमन ने कहा…

इस ब्लागिंग की दुनिया में जो भी हैं - लेखन-कर्म से जुड़े हैं। प्रायः अपनी वैयक्तिक अनूभूति की निर्वैयक्तिक प्रस्तुति के लिए। बिना विवाद में गए, लेखन-कर्म के अतिरिक्त और पवित्र उद्येश्य क्या हो सकता? जो अच्छा लिखते हैं, प्रशंसा - सम्मान के स्वतः भागीदार बन जाते हैं। उन्हें प्रोत्साहन मिलना भी चाहिए।
यदि किसी संस्था - समूह या व्यक्तिगत तौर पर किसी को किसी क्षेत्र में लेखन के लिए बिना "प्रयास" के सम्मान या प्रोत्साहन, किसी भी रूप में मिलता है, तो उसका स्वागत है।
किसी अच्छी और नयी परम्परा का स्वागत किया भी जाना चाहिए। अन्त में कहना चाहता हूँ कि-
रोज मैं गीत नया गाता हूँ
सोने वालों को जगाता हूँ
आँधियाँ आतीं जातीं रहतीं हैं
दीप को दीप से जलाता हूँ।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

१५ फरवरी २०१० ९:५५ PM

महफूज़ अली ने कहा…

मैं अपने खुशदीप भैया को हमेशा जीतते ही देखना चाहता हूँ.....
आपसे सहमत हूँ .......

१५ फरवरी २०१० ९:५७ PM

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

विवाद खड़े होने का एकमात्र कारण,
जो मुझे नज़र आया -
आयोजन और चयन प्रणाली का त्रुटिपूर्ण होना!

--
कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "वसंत फिर आता है - मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा! "
--
संपादक : सरस पायस

१५ फरवरी २०१० १०:२७ PM

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

डॉ. दराल की टिप्पणी एकदम सटीक है!

१५ फरवरी २०१० १०:२८ PM

राजीव तनेजा ने कहा…

मेरे हिसाब से तो कोई भी पुरस्कार चाहे वो छोटा हो या बड़ा हो...उसके मिलने से या हमारे काम की तारीफ़ होने से हम में और अच्छा करने के लिए हौंसला और हिम्मत दोनों बढती हैं...इसलिए पुरस्कार दिए और लिए जाते रहने चाहिए...
हाँ!...लेकिन पुरस्कार पाने वालों को चुनने और उन्हें देने वालों की नीयत में पारदर्शिता ज़रूर होनी चाहिए

१५ फरवरी २०१० ११:१० PM

HARI SHARMA ने कहा…

भाई अजय जी ब्लोग जगत इतना बहु आयामी है कि इस तरीके से जो भी पुरुस्कार क्वे लायक चुना जायेगा विवादित होने की पूरी सम्भावना है और ऐसा हर प्रयास नयी गुटवाजी को जन्म देगा. अच्छा तो ये है कि जो लोग यहा इनाम देना ही चाह्ते है वो तथ्य परक लेखन के लिये बिषय दे अपनी पसन्द के और फिर उसमे जो भी उन्हे अच्छा लगे उसे इनाम दे, वोटिन्ग या निर्णायक मन्डल वाली बात चलेगी नही.
जोधपुर मे हुए ब्लोगर मिलन की सिलसिलेवार रिपोर्ट हाजिर है --------
http://hariprasadsharma.blogspot.com/2010/02/blog-post_14.html

१५ फरवरी २०१० ११:३० PM

Udan Tashtari ने कहा…

पुरुस्कार, सम्मान, प्रोत्साहन का ही स्वरुप हैं और उसके लेने देन पर आपत्ति नहीं होना चाहिये और जहाँ तक समय का प्रश्न है तो हिन्दी ब्लॉगिंग अभी भी शैशव अवस्था में ही है, अतः अभी ही इसकी दरकार ज्यादा है.
थोड़ी पारदर्शिता, चयन प्रक्रिया की आम सूचना, एवं स्पष्ट मापदण्ड होना जरुरी है किन्तु विवादों का तो होना रोका नहीं जा सकता और उनसे मात्र सीख लेने की आवश्यक्ता है, विचलित होने की नहीं.
पहले भी सम्मान हुए हैं, विवाद भी हुए. क्या फरक पड़ता है. क्या इस वजह से प्रोत्साहन देना बन्द कर दिया जाना चाहिये.
मेरे मत में, इसे जारी रखना चाहिये और तनिक सजगता के साथ चयन करें.
शायद जाकिर जी पूरी ही लिस्ट एक साथ घोषित कर देते तो जो कुछ होना जाना था, एक ही बार में धाँय धाँय होकर रोज रोज का टंटा न रहता और कहीं कमी, कही की बेहतरी से बराबर होने की गुंजाईश भी बढ़ जाती.

१५ फरवरी २०१० ११:५२ PM

'अदा' ने कहा…

इस विशेष 'पुरस्कार वितरण' के लिए प्रश्न उठाना आवश्यक इसलिए हुआ कि ...(खुशदीप जी निर्विवाद रूप से विजयी हैं) दूसरे प्रतिभागी को विजेता घोषित करना तर्कसंगत नहीं लगा...
'हृदय परिवर्तन' जैसी खोखली दलील ..बेमाने है...यह हिंदी साहित्य का पुरस्कार है...तो हिंदी साहित्य में योगदान की बात होनी चाहिए...वो भी ऐसा साहित्य जो सही मायने में सामजिक समस्याओं को दर्शाता हो...जो ठोस बातेंकरता हो...न कि हवा-हवाई बातें करता हो....इसे पढ़ कर बदल जाने को दिल करता हो...ये मैं सोचती हूँ...ज़रूरी नहीं कि दूसरे भी ऐसा ही सोचें...
दाराल साहब ने सही कहा है...अभी हम उतने परिपक्व नहीं है इस तरह के पुरस्कारों के लिए...सोच समझ कर कदम उठाना चाहिए...वर्ना एक नियम बन जाएगा और तोड़ना कठिन होगा...
अच्छा आलेख...

१५ फरवरी २०१० ११:५६ PM

राज भाटिय़ा ने कहा…

हम भी डॉ टी एस दराल जी की बात से सहमत है १००%
nice nice nice

१६ फरवरी २०१० १२:११ AM

मो सम कौन ? ने कहा…

अजय भाई, खुशदीप जी को अवार्ड मिलने पर शायद ही किसी ब्लागर ने आपत्ति दिखाई हो। जिस तरह अवार्ड देने वाली संस्था-समूह को निर्णय लेने का हक है, उसी तरह दूसरों को अपनी राय रखने का भी हक है, और किसी की राय से इत्तफ़ाक रखना या न रखना एक व्यक्तिगत मुद्दा है यह बात हमें समझनी चाहिये। Let us agree to disagree.

१६ फरवरी २०१० १२:४५ AM

खुशदीप सहगल ने कहा…

झा जी,
पहली बात तो मैंने कोई तीर नहीं मारा...और जानते हैं कि मुझे दो बार मुझे पुरस्कार भी मिल चुका है...उससे बड़ा पुरस्कार मैं किसी और चीज़ को नहीं मानता...और उस पुरस्कार के सूत्रधार भी झा जी आप रहे हैं...15 नवंबर 2009 और 7 फरवरी 2010 को सभी ब्लॉगर साथियों के साथ ठहाके लगाते हुए दिन गुज़ारना...एक दूसरे को गले लगाना...झा जी आप खुद ही बताइए कि उस पुरस्कार की बराबरी कुछ और कर सकता है...अगर कर सकता है तो जो कहेंगे मैं वो पुरस्कार लेने के लिए तैयार हूं...
जय हिंद...

१६ फरवरी २०१० १:०३ AM

anjeet Tripathi ने कहा…

ham yaha blog likhne aayen hain ya in sab muddopar ulajhne ke liye, ye mujhe samajh me nahi aata...

१६ फरवरी २०१० १:२५ AM

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

जब तक पेड शैशवास्था मे होता है उसे माली और खाद पानी (प्रोत्साहन) की जरुरत होती है. पेड जब खुद के बूते खडा होजाता है तब वो दूसरो को आश्रय दे सकता है.
पर ब्लागर नाम का पेड...क्या छोटा क्या बडा? सब घोटमघोट...लगाये जावो.
रामराम.

१६ फरवरी २०१० ९:५१ AM

निर्मला कपिला ने कहा…

अजय जी अब तो कहीं टिप्पणी करते हुये भी डर लगता है।किसी चिट्ठा चर्चा पर टिप्पणी कर बैठी तो लोग लठ ले कर ही पीछे पड गये अब हम ने भी नाईस कहना सीख लिया है। बस बखेदा खदा करने से अच्छा है चुप लगा लो। शुभकामनायें

१६ फरवरी २०१० ११:०८ AM

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कहा…

अपनी टिप्पणी में यह कहना चाहता हूँ कि जाकिर अली रजनीश ने पुरस्कार के स्थान पर प्रमाणपत्र देकर अच्छा काम किया है। लेकिन टिप्पणी में जिन्होंने इनसे कुछ जानना चाहा है। उनको उत्तर इन्होंने बहुत ही बेरुखी से दिये हें।
हम तो अपेक्षा कर रहे थे कि कोमल शब्दों से खेलने वाला बालसाहित्यकार कोमलता, विनम्रता और सरलता से पाठकों की शंकाओं का समाधान करेगा!
बाकी हमें क्या?
उन्ही के पुरस्कार हैं और बाँटने वाले भी वे सर्वे लर्वा है। जिसे उनक् मन करे दें या न दें!

१६ फरवरी २०१० ११:१५ AM

संजय बेंगाणी ने कहा…

हमें तो यह देख प्रसन्नता (?) हुई की जो लोग सलीम खान के ब्लॉग को पढ़ना ही सही नहीं समझते थे वे ही वहाँ बधाई दे रहे थे. धन्य है ब्लॉग जगत. इसकी महिमा अपार.

१६ फरवरी २०१० ११:३४ AM

ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा…

जब बच्चा उंगली पकड़ कर चलना सीखता है, तभी उसे प्रोत्साहन की जरूरत होती है। मेरी समझ से हिन्दी ब्लॉगिंग भी अभी उसी अवस्था में है। पता नहीं किन क्षणों में यह विचार मन में आया। साथियों से बात की और बढता चला गया। कारण, सभी ने इसे प्रोत्साहित किया। प्रारम्भ में सिर्फ ई-प्रमाण पत्र का विचार था, फिर सम्मान राशि का भी प्राविधान हो गया और प्रायोजक भी मिल गये। सच कहूं, सब कुछ अपने आप होता चला गया।
चूंकि यह विचार मेरे मन में जन्मा था, इसलिए मैंने हर सम्भव कोशिश करके, इसे यथासम्भव और यथाशक्ति पारदर्शी बनाने की कोशिश की है। पिछले दो महीनों से इसके लिए कितना श्रम किया गया है, यह बताया नहीं जा सकता। दिन का चैन और रातों की नींद भी इसमें लगी है। यहां तक कि मेरी पी0एच0डी0, जोकि चौथे साल में चल रही है और आगे समय बढ़ना भी मुकिश्ल है, को भी मैंने पीछे छोड़ दिया है। लेकिन इसके बावजूद लोग आते हैं और 'धिक्कार' कर निकल जाते हैं। ऐसे में खीझ का उठना स्वाभाविक है। (अगर शास्त्री जी या अन्य किसी को ऐसे में कोई बात बुरी लगी हो, तो उसके लिए माफी चहूंगा)
एक बार तो मुझे भी लगा कि अलबेला जी की तरह इसे भी भाड़ में झोंक दिया जाए, लेकिन फिर मन में ख्याल आया कि नहीं, जब शुरू हुआ है, तो इसे समापन तक भी ले जाना है। लोगों का क्या है, वे तो कुछ न कुछ कहेंगें। क्योंकि दुनिया में सभी को संतुष्ट नहीं किया जा सकता। और जहाँ तक पूर्वाग्रहों की बात है, वह कौन छोड़ पाया है? इसके चक्कर में लोग पत्नि, पति, बच्चे, माँ-बाप तक को छोड देते हैं, फिर ये तो ब्लॉग जगत है। ऐसे में विवाद के छींटे तो उठते ही रहेंगे।
और हाँ, कुछ करने की तुलना में किसी चीज में कमियां निकालना बेहद आसान होता है।

कुछ कड़वाहटें ...ख़ामोशी ...और रब्ब से इक सवाल .........

तू हादसों की तफ़सील सुनाती रही ज़िन्दगी मैं रफ्ता-रफ्ता तुझे तलाक देती रही ..... कुछ कड़वाहटें ....ख़ामोशी ....और रब्ब से इक सवाल ......... (१) ख़ामोशी की गलियों में ...... कुछ दिन गुजारे हैं फिर ख़ामोशी की गलियों में वहाँ पेड़ों की छाया नहीं थी सांसों का भी

कहिए आपको कैसी लगी ये दोनों पोस्ट?
किसी ब्लॉग को तो सम्मान बिना किसी नामांकन के मिल रहा है और किसी को वोटों की वरीयता रखने पर भी नही मिला!
खैर हमें क्या मतलब! को नृप होय, हमें का हानि! जिनको मिला है उन्हें बधाई!
अरे वाह ….! अपना ताऊ तो शायर हो गया……
मेहरबां फ़रमाईये किस पर लिखूं?

ताऊ रामपुरिया

ताऊ को तो आप सब जानते है घुमक्कड़ी का शौक है. जाने कहाँ कहाँ देशाटन किया है और तस्वीरें खींच खींच कर ले आया है और फिर वो ही दिखा दिखा कर पहेलियाँ पूछकर सबको हलकान करता रहता है.
आज याद करने लगा अपने घूमने के दिन तो याद आया कि पहाड़ियों में घूमने जाओ या मैदानों में, हर जगह बोर्ड लगे मिलते थे कि ’सुरक्षा हटी और दुर्घटना घटी’.
झारखण्ड की कोयले की खदानें भी याद आईं, जिसमें सारे मजदूर से लेकर मेनेजमेन्ट तक, याने कोई वरिष्ट हो या गरिष्ट हो या कनिष्ट, सबको बराबरी से हेलमेट लगा कर घुसना होता था………

इस बार लग गया शमीम भाई का छक्का। उनका गिला-शिकवा दूर हो गया, पर सीमा जी चकरा गयीं।

पहले तो मैं सोच रहा था कि इतनी आसान पहेली (चित्र पहेली-64) अरविंद जी ने क्यों पूछी, जिसे कोई भी बता देगा। लेकिन नहीं, पहेली के उत्तर देख कर मेरी गलतफहमी दूर हो गयी। यह बिलकुल आसान पहेली नहीं थी, क्योंकि इसे देखकर सचमुच सीमा जी चकरा गयीं और 'लाइट हाउस'

अंधड़ !

गलत निर्णय का खामियाजा ! - *लोकतंत्र में सरकार का चुनाव किसी स्कूल की उस माध्यमिक बोर्ड की परिक्षा के समान है, जिसमे उत्तीर्ण होने वाला विद्यार्थी आगे चलकर अपने और देश के उज्जवल भविष...

' हया '

पस्ती -ऐ -इंसां -

शर्मिंदा हूँ ,ग़मज़दा भी हूँ ,अफ़सोस और पछतावा भी है की इतने लम्बे अरसे के बाद ब्लॉग को छुआ है .कभी कभी इंसान चाहकर भी अपना मन पसंद काम नहीं कर पता .क्या क...

एक प्रयास

ऐसा आखिर कब तक? -

यूँ लगा दहकता अंगारा सीने पर रख दिया हो किसी ने ---------जैसे ही दीप्ति ने आकाश को देखा । ये क्या हाल हो गया था आकाश का ? वो तो ऐसा ना था । ...

नवगीत की पाठशाला

साँसों की डोली में - आ झूलें बाहों में तेरी, या साँसों की डोली मे बीत न जाए पल, ये मौसम, यों ही आँख मिचोली में। गीत लिखें मनमीत तुम्हारे, होठों पे बंसी बन के, तेरे मेरे रिश्ते...

आदित्य (Aaditya)

इतनी मस्ती पहले कभी नहीं..... - होटल के स्वीमिंग पूल पर पापा पता नहीं इतने दिन क्यों नहीं ले गए.. और मुझे तो पता ही नहीं था की होटल में छत पर एक पूल भी है.. शायद पापा छुट्टी का इंतज़ार कर..

Gyan Darpan ज्ञान दर्पण

इनफ्लो इन्वेन्ट्री सोफ्टवेयर आपके व्यापार के लिए - छोटे व्यापारियों व दुकानदारों के लिए बिल बनाने से लेकर स्टॉक तक हिसाब किताब रखने के लिए इनफ्लो इन्वेंट्री सोफ्टवेयर बहुत बढ़िया है | इन्टरनेट पर मुफ्त मिलन...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

नक्सलियों ने फिर बीस जवानों को शहीद कर दिया. - नक्सलियों ने फिर बीस जवानों को शहीद कर दिया. रोज की घटना बन गयी. हथियार कहां से आते हैं. सीमा पार से. सीमा पर तैनात कौन. हमारे जवान. अन्दर से सप्लाई होता ..

An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय

नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे [2] - नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे [1] आगे बढ़ने से पहले, बीस-तीस साल पहले "मधु मुस्कान" में पढी एक कहानी आपसे साझा करना चाहता हूँ. मेरी आधी-अधूरी याद के अनुसार उसमे...

उच्चारण

“दिन आ गये हैं प्यार के” - *[image: नाइस]* *मान्यवर !* *आज से मेरा नया ब्लॉग “नाइस”* *बच्चों अर्थात् नन्हीं कलियों और सुमनों को समर्पित है ! * *खिल उठा सारा चमन, दिन आ गये हैं प्या...

नाइस
बच्चों अर्थात्

नन्हीं कलियों और सुमनों को समर्पित हैः यह “नाइस” ब्लॉग!

‘‘चिड़िया रानी’’

चिड़िया रानी फुदक-फुदक कर,

मीठा राग सुनाती हो।

आनन-फानन में उड़ करके,

आसमान तक जाती हो।।

कार्टून- पैसा ये पैसा....

Posted by chandrashekhar HADA

फ़ोकट में बनाइए अपना ब्लॉग एग्रीगेटर ब्लॉगवाणी, चिट्ठाजगत जैसे एग्रीगेटर्स या चिट्ठा संकलकों का काम है इनसे जुड़े चिट्ठों पर नई पोस्ट के प्रकाशित होते ही उन्हें अपने व्यापक मंच पर दिखाना। ऐसे में यह जिज्ञासा स्वाभाविक है कि आखिर आपके ब्लॉग की जानकारी व सामग्री इन एग्रीगेटर्स तक कैसे पहुंच... हिन्दी ब्लॉग टिप्स

आज की चर्चा को देता हूँ विराम!

सबको राम-राम!

10 टिप्‍पणियां:

  1. Shashtri ji, Samwaad samman ki BACHCHON KA BLOG shreni men aap shaayad isliye naraj hain ki aapne SARAS PAAYAS ko namankit kiya tha aur use samman nahi mila. Aap jaise varishth rachnakar ko itni chhoti si baat ko badhana uchit nahi lagta. SARAS PAYAS aur BAAL UDYAN ki barabri nahi ki ja sakti, ye blog jagat ka har padha likha vyakti janta hai.

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  2. "बाल उद्यान" वास्तव में बच्चों का अच्छा ब्लॉग है!
    भला में नाराज क्यों हूँगा!
    सम्मान की गूँज पूरे जालजगत पर हो यही सोचकर तो चर्चा में शामिल किया है!

    "बाल उद्यान" और "आदित्य" को
    बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  3. जो भी है ... जितनी भी धमा-चोक्डी मचे ... पर आकी चर्चा लॉर दार है आज शास्त्री जी ..... बधाई ...

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  4. जरा सामने तो आ ओ.....!
    जज्बात की दुनिया मे तो एक भी पोस्ट नही लगी है!
    क्या मात्र कीचड़ उछालने के लिए ही ब्लॉग और मेल-आईडी बना रखी है!
    मैं खूब समझता हूँ कि किसने यह टिप्पणी की है!
    आई.पी. मेरे पास आ जाती है!

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  5. शास्त्री जी, हमें तो सिर्फ आपकी चर्चा से मतलब है..जिसे पढने यहाँ आ जाते हैं...इन पुरूस्कार/वुरूस्कार के चक्करों से हम कोई मतलब नहीं रखते..देने वाले जाने या लेने वाला...जब पद्म श्री, पद्म विभूषण जैसे राष्ट्रीय पुरूस्कार तक आँख बन्द करके अपनों में बाँटे जा रहे हैं तो ये तो फिर भी एक मामूली सा ब्लागर सम्मान है.....
    बढिया चर्चा!!

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  6. आदरणीय,
    आपका विचार मंथन व्यर्थ नहीं है ...किन्तु यही कहना चाहूंगी की इतने पाठक हमें पड़ते है दिल से सराहते है और तो और अपनी प्रतिक्रिया भी जताते है यह आपने आपमें बहुत ही बड़ा पुरस्कार है !! जिसे कोई भी नकार नहीं सकता ...अच्छे विचारों का कोई मोल नहीं होता वे अनमोल है ये बात हर कोई नहीं समझ सकता !!

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  7. आज तो बह्त विशद चर्चा है शाश्त्री जी. आप का वरद हस्त सब पर बना रहे यही कामना है. आप तो खुद हमारे लिये एक पुरस्कार की मानिंद हैं. आपका आशिर्वाद बनाये रखिये. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  8. मुझे तो लगता है जाकिर को अपनी निजी प्रतिष्ठा बचानी चाहिए संवाद सम्मानों को भाड में झोक कर !

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"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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