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बुधवार, फ़रवरी 03, 2010

“चर्चा मंच” का 51वाँ पुष्प” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

"चर्चा मंच" अंक-51
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आइए आज के "चर्चा मंच" को सजाते हैं।
पेश है कुछ चिट्ठों की श्रंखला-

घूँघट में रहने वाली इतिहास बनाने निकली हैं।

ज़ाकिर अली ‘रजनीश’

Labels: मनीष वैद्य

भले ही आज नारीवाद का युग हो, पर भारत में और विशेषकर भारत के गॉवों में (क्योंकि असली भारत गॉवों में बसता है) रहने वाली महिलाओं का जिक्र छिड़ते ही सबसे पहले उनके घूँघट का ध्यान आता है। लेकिन गाँव भी अब घूँघट की परम्परा को तोड़ रहे हैं। अब गावों की महिलाएँघूँघट के बाहर निकल इतिहास भी रच रही हैं। 'पानपाट' इसका गवाह है।

मनीष वैद्य ने अपनी इस रिपोर्ट में जल संरक्षण की इस ऐतिहासिक पहल की विवेचना की है।

यह पोस्ट 'इंडिया वॉटर पोर्टल' से साभार प्रकाशित की जा रही है।……

ताऊ डॉट इन

पिंजरे से छुटते ही ढोबरे के गंदे पानी से प्यास बुझाते महाराजाधिराज


सिंह लेहडे में ही रहता है ताऊ : रमलू सियार

ताऊ रामपुरिया

आप इस कहानी के पिछले भाग "शेर, ताऊ और न्याय सियार का" में पढ चुके हैं कि किस तरह बावलीबूच ताऊ को उसके मित्र रमलू सियार ने शेर के मुंह से बचाया और शेर महाराज से परमानेंट दुश्मनी मोल लेली. अब आगे की कहानी पढिये!

शेर को ये बात बिल्कुल अच्छी नही लगी कि ताऊ जैसे मोटे ताजे मुंह में आये शिकार को रमलू सियार ने भगवा दिया और रमलू द्वारा फ़िर से पिंजरे में फ़ंसा दिये जाने की बेइज्जती को भूल नही पा रहा था.

ताऊजी डॉट कॉम

दिमागी कसरत 65 विजेता : श्री रवीसिंह - "दिमागी कसरत - 65 के जवाब" प्यारे साथियों, मैं आचार्य हीरामन "अंकशाश्त्री" आपका हार्दिक स्वागत करता हूं और अब मैं आपको दिमागी कसरत - 65 के जवाब बताता हू...

जीवन के पदचिन्ह

अनुभव-बही में हुआ एक वर्ष और अर्जित, - मित्रों, कल अपने जन्मदिन पर कुछ क्षण ऐसे भी आये, जब चहुँ ओर की उल्लास और शोर शराबे के बीच मैं आत्म मनन में जुट गया - जीवन के बारे में सोचने लगा. (शायद बढती..

MERE SAPNE MERE APNE

राहुल लोकप्रिय कम पर उनके दीवाने ज्यादा हैं। - सुना था कि लोग दीवाने होते हैं पर आज देखा कि दीवानगी क्या होती है। पहले तो मैं ये मानता था कि दीवाने सिर्फ और सिर्फ फिल्मी हस्तियों के ही होते हैं। धीरे–..

हास्यफुहार

वजन घटाने का नुस्खा - *पहले अपने सर को डाआयें घुमाएं। * *फिर बाएं घुमाएं। * *फिर दायें घुमाएं।* *फिर बाएं घुमाएं। * *यह क्रिया तब तक दोहराते रहें जब तक कि खाने-पीने का कोई सामान आ..

सरस पायस

रवि मन : स्वरचित रचनाओं से सजा मेरा नया ब्लॉग - "रवि मन" यह है - मेरे नवेले ब्लॉग का सुनहरा नाम! इस पर मैं स्वरचित रचनाओं का प्रकाशन किया करूँगा! मैं "रवि मन" पर स्वागत करता - आप सभी मनमानों का..

Gyan Darpan ज्ञान दर्पण

सुख और स्वातंत्र्य -4 - भाग -१ ,भाग-२ ,भाग-३ का शेष ........... चित्रगुप्त ने चंद्रसेन की ओर देहकर फिर कहना शुरू किया .... एक दिन इसने सोचा -क्यों नहीं रक्षा के आक्रमणात्मक पहलु पर .

समाचार:- एक पहलु यह भी

यह लड़ाई आखिर है किसकी : प्रेम, परिवार, सत्ता की या..... - बहुत समय हो गया या यह कहूँ की अब तो हद ही हो गई, एक ही बात सुनते-सुनते की महाराष्ट्र पर मराठियों का हक़ है. मुंबई मराठियों की है. मांगने वाले और भी बहुत कु..

गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष

आज का दिन शेयर बाजार के लिए सर्वाधिक बुरा रह सकता है !! - अगस्‍त 2007 के बाद शेयर बाजार पर ग्रहों के पडने वाले प्रभाव के विश्‍लेषण के बाद अपने अनुभवों के आधार पर नवम्‍बर 2008 के बाद से ही मैं ग्रहों की सप्‍ताह भर की..

वीर बहुटी

- गज़ल *इस गज़ल को भी ादरणीय प्राण भाई साहिब ने संवारा है । आखिरी 3-4 शेर बाद मे लिखे थे जिन्हें अनुज प्रकाश सिंह अर्श ने संवारा है। धन्यवादी हूँ।* *गज़ल * दर्द..

आरंभ Aarambha

मेहनत कश के लिए रूखी सूखी और आराम करने वालों के लिए हलवा पूरी - 1 - बंधु राजेश्वर राव खरे जी मूलत: व्यंग्यकार है इस कारण उन्होने अपने इस कविता संग्रह का नाम भी व्यंग्यात्मक रखा है, हम यहॉं इस संग्रह में से कुछ कविताओ का हिन..

युवा दखल

किताबों के बीच से कौन कमबख्त आना चाहता था... - * पंकज बिष्ट, महेश कटारे, शिल्पायन वाले ललित जी और अपन शिल्पायन के स्टाल पर* चार दिन ऐसे बीते कि जैसे चार घण्टे रहे हों। चारों तरफ़ किताबें, किताबों के शौक़..

अंधड़ !

दरिन्दे - इंसानियत के असली दुश्मन ! - एक तरफ इन्सान ( बुद्धिजीवी, वैज्ञानिक, डॉक्टर , इंजीनियर इत्यादि ) दूसरे इंसानों के जीवन को सरल और सुखमय बनाने के लिए दिन रात मेहनत कर, अपने जीवन की भोग वि..

Dr. Smt. ajit gupta

नायक/लायक/नालायक – अमिताभ/राखी सावंत/राहुल महाजन - एनडीटीवी के रवीश जी ने कल अमिताभ को महानालायक कहा। इसके विपरीत यही चैनल राखी सावंत और राहुल महाजन को नायक बनाने में तुले हैं। मैं कांच के टुकड़े को भी हीरा ..

Albelakhatri.com

आदमी को चाहिए ... - क़रम हो मालिक का गर तो राई भी परबत बने आदमी को चाहिए .......कमज़ोर की ताक़त बने दिल्लगी अच्छी नहीं मज़लूम और लाचार से बन पड़े ईसा बने.......

लहरें

कार चलाने का पहला दिन - वैसे कायदे से कहें तो ये पहला दिन नहीं होगा, पहला दिन तो वो था जब अपनी कार में निकली थी और कमबख्त नामुराद बिल्ली ने रास्ता काटा था और वापस आ गयी थी. मारुती ड..

अमीर धरती गरीब लोग

पंकज अवधिया को लगता है कि ब्लागर मीट का कोई गुप्त उद्देश्य था और इसलिये एक बड़ा वर्ग उससे दूर रहा!पाब्ला जी,राजकुमार और ललित बाबू आप लोगो को बताना चाहि - कल संजीव तिवारी की पोस्ट पढ कर लगा कि इन सब फ़ालतू विवादों मे समय नष्ट नही करना चाहिये और मैने इस पर एक शब्द भी नही लिखने का फ़ैसला ले लिया।और आज पंकज के रोच..

क्वचिदन्यतोअपि..........!

टिप्पणी क्या कोई कर्मकांड है? -


इन दिनों बहुत व्यस्तता है -राज काज नाना जंजाला! सिद्धार्थशंकर त्रिपाठी जी से कल बात हुई उन्होंने भी अपनी इसी पीड़ा का इजहार किया . ..

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(पिछली किस्त से जारी)संसार पर देवताओं का शासन अब भी चलता है, कम से कम उसके सबसे निचले हिस्से गांव पर जिस पर अब भी उनका अधिकार है. और लीब्नित्ज़ और वॉल्टेयर के.

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कुछ त्रिवेनियाँ ..........

कुछ त्रिवेनियाँ ......(१)जलते रहे अश्क आंखों में जो चलीं साथ-साथ रुसवाइयां चीखतीं रहीं देख नज्में भी अपने ज़िस्म की परछाइयाँकितना जहरीला था वह धूवाँ जो तुम उगलते रहे ....(२)ढहती गई देखते ही देखते हंसी की दीवारेंख़ामोशी ईंट दर ईंट बनाती रही अपना मकांफासलों

Harkirat Heer



राम-राम जी!


कल फिर मिलेंगे!

11 टिप्‍पणियां:

  1. एक और विस्तृत और सुन्दर चर्चा के लिए आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  2. एक और विस्तृत चर्चा ....... आभार शास्त्री जी ......

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत वृहद चर्चा, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत उम्दा चर्चा. बधाई. जारी रहें.

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन चर्चा । इक्यावनवें अंक की बधाई ! आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. शास्त्री जी आपकी चर्चा करने की उर्जा को-प्रणाम
    चर्चा के अर्धशतक के लिए शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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