फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, फ़रवरी 13, 2010

“वेलेंटाइन डे में भर दो भारतीय संस्कृति के रंग” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-63
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"


आइए आज का "चर्चा “मंच" को सजाते हैं।


खुशखबरीः वैलेंटाइन डे रविवार को !
छुट्टी का दिन यानि मिलने में फुरसत ही फुरसत……..!
स्वचेतना
वेलेंटाइन डे में भर दो भारतीय संस्कृति के रंग .....

वेलेंटाइन डे या यूँ कहे प्यार कर पर्व

14 फ़रवरी

वैसे तो वेलेंटाइन डे एक विदेशी पर्व है मगर भारत के प्रेम-स्नेह के कारण इस पर्व ने भारत में भी अपना स्थान बना लिया है ! भारत के युवाओं ने भी इसे बड़े प्रेम के साथ अपनाया है ! प्रेम से भरे इस पर्व को अपनाना भी कोई पाप नहीं है अगर उसमे सादगी के रंग को घोल दिया जाये ! भारतीय संस्कृति प्रेम का बहुत बड़ा स्तम्भ है जिसे पूरा विश्व बड़े ही सम्मान के साथ देखता है ! पूरे विश्व में सबसे मीठी भाषा यानी प्यार की भाषा सिर्फ और सिर्फ भारत ही बोल सकता है ! पूरे दुनिया को प्यार करना भी सिर्फ और सिर्फ भारत ही सिखा सकता है ! जब प्यार का उदगम इस भारत की मिट्टी से हो सकता है तो लाज़मी है कि प्यार का पर्व भी भारत में मनाया जाना चाहिए ! हाँ मैं जानता हूँ कि वेलेंटाइन डे भारत की मिट्टी से नहीं जन्मा है वरन एक पराये देश कि मिट्टी से जन्मा है जहाँ उन लोगों ने प्यार की परिभाषा का अर्थ ही बदल दिया और बहुत ही असभ्य ढंग से सारी दुनिया के सामने पेश किया, ये उनकी मुर्खता थी ! लेकिन आज भारत के युवाओं ने इसे अपना लिया है तो जरूरी है कि इसका आनंद भी भारतीय संस्कृति के अनुरूप ही लिया जाये है और भारत सहित पूरी  दुनिया में बदल रही इस प्यार की भाषा को एक सभ्य तरीके परिभाषित क्या जाये !

………….
धान के देश में!

तो अब हम भी चलें

जी.के. अवधिया | »

मजबूरी है। जाना तो पड़ेगा ही। जिस प्रकार से संसार असार है उसी प्रकार से यह ब्लोगजगत भी असार है। कब तक बने रहेंगे यहाँ? कब तक सींग कटा कर बछड़ों में शामिल होते रहेंगे? कब तक नये लोगों को पुरानी बातें बता बता कर बोर करते रहेंगे? आखिर कब तक? हमारे कई साथी तो इस नश्वर संसार को ही छोड़ कर चले गये हैं अब तक और एक हम हैं कि साठ साल की उम्र होने के बावजूद भी लटके हुए हैं। ठीक वैसे ही जैसे कि शिरीष के फल सूख जाने पर भी पेड़ से लटके ही रहते हैं। फूल-पत्तियाँ झड़ जाती हैं पर ये सूखे और हवा में डोलते फल हैं कि लटके ही रहते हैं। वाह रे शिरीष के फल!…………

दर्पण

एक खत वेलेंटाइन के नाम

तुम्हारा फिर से स्वागत है।
तुम भी क्या खूब चीज हो। जब तुम्हारे आने की तारीख नजदीक आती है, तब ही हमारे दिलों में अपने-अपने प्रेम और तुम्हारे प्रति अपनत्व की भावना जागृत होती है। यह कहने में कोई शर्म नहीं कि हम तुम्हें साल में सिर्फ एक बार यानी 14 फरवरी को ही याद करते हैं। जहां 14 फरवरी बीती नहीं कि संत वेलेंटाइन भी सूखे और मुरझाए फूलों की मानिंद हमारे दिलों-जज्बातों से उतर जाते हैं। हां, यह बात सही है कि हम तुम्हें याद तो करते हैं परंतु अपनी-अपनी तमन्नाओं की खातिर। तुम हमारी तमन्ना का जरिया इसलिए हो क्योंकि हमें तुम्हारे रास्ते अपनी-अपनी तमन्नाओं का इजहार करना पड़ता है। हम प्रेम तो प्रेमिका से करते हैं मगर माध्यम तुम्हें बनाते हैं।

……

देख कबीरा

कैसा वेलेंटाइन हो आपका, तय करें


प्रेम प्रदर्शन का नहीं दर्शन का विषय है...

काव्य मंजूषा

टाँग अड़ाने की अदा...

कल से एक एक कहावत है या मुहावरा मेरे दिमाग में उमड़ घुमड़ रहा है....'टाँग अड़ाना' ..सुनने  में कितना आसान लगता है...सोचो तो एक दृश्य सामने आता है ...किसी ने अपनी टाँग आड़ी कर के लगा दी...अब ऐसा है कि किसी की टाँग अगर हमारे सामने आ जाए तो ज़ाहिर सी बात है ..हमारी गति रुक जायेगी.....अब आप कल्पना करके देखिये ज़रा ...आपने अपनी टाँग किसी के  सामने कर तो उसकी तो  ऐसी की तैसी हो जायेगी ना....!!……..

ताऊ पहेली - 61

ताऊ रामपुरिया       

प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम.

अब नीचे के चित्र को देखकर बताईये कि यह कौन सी जगह है?

यह कौन सी जगह है?

“यहाँ गौमाता शिव को दूध से नहलाती थी”

“शिवरात्रि को सात रंग बदलती शिव की पिण्डी”

बरेली-पिथौरागढ़ राष़्टीय राजमार्ग पर खटीमा से 7 किमी दूर श्री वनखण्डी महादेव के नाम से विख्यात एक प्राचीन शिव मन्दिर है!

………….


मन्दिर के भीतर का दृश्य देखकर तो आपको आश्चर्य होगा कि यहाँ कोई शिवलिंग नही है अपितु कलश के ठीक नीचे एक साधारण सा दिखाई देने वाला पत्थर है।
अवधारणा है कि शिवरात्रि को यह पत्थर सात बार रंग बदलता है।………………………………

02112009072

नारी ब्लॉग को एक साल हो गया हैं

हिन्दी ब्लोगिंग का पहला बाइलिन्गुअल कम्युनिटी ब्लॉग जिस पर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं ।


कुछ नये धारावाहिकों में आधुनिक-नारी के रूप

अगर आप टी.वी. धारावाहिकों में औरतों का रोना-धोना, उनकी पारिवारिक समस्याओं, उनके शोषण आदि को देख-देखकर ऊब चुके हों तो कुछ नये धारावाहिक शुरू हुए हैं, जो नारी को एक नए रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं. ये धारावाहिक हैं यशराज बैनर के, जो कि करण जौहर का फ़िल्म-निर्माण का बैनर है और गुडी-गुडी फ़िल्में बनाने के लिये जाना जाता है. जब इनका प्रचार सोनी चैनल पर आना शुरू हुआ था, तो मैंने सोचा था कि उन्होंने अपनी फ़िल्मों की तरह ही धारावाहिक भी बनाये होंगे. फिर कुछ दिन धारावाहिक देखकर प्रतीक्षा की कि ऐसा न हो कि एक-आध एपिसोड के बाद कहानी वहीं आ जाये. वही रोना-धोना, पतियों को पाने, सहेजने या छीनने के लिये लड़ती औरतें. ऐसा लगता है कि औरतों के जीवन में एक ही काम है-

“महर्षि दयानन्द सरस्वती को शत्-शत् नमन!”

आज स्वामी दयानन्द बोधरात्रि है!

250px-Dayanand-Saraswati


शिवरात्रि को ही बालक मूलशंकर को बोध हुआ था!

परम शैव भक्त कर्षन जी तिवारी के घर टंकारा गुजरात में

बालक मूल शंकर का जन्म हुआ था!

शिव भक्त होने के कारण इस बालक ने भी शिवरात्रि का व्रत रखा था!

रात्रि में शिव मन्दिर में बालक मूलशंकर आखों पर पानी के छींटे डाल-डाल कर जगता रहा कि ……….

पंजाब सरकार ने किन्नरों को पुरुषों के समान दर्जा देने का फैसला किया

पंजाब सरकार के वकील ने 11 फरवरी को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है कि पंजाब सरकार ने किन्नरों को पुरुषों के समान दर्जा देने का फैसला किया है। इस पर चीफ जस्टिस मुकुल मुदगल व जस्टिस जसबीर सिंह की खंडपीठ ने इस फैसले को शपथ पत्र के जरिए रखने का निर्देश दिया। साथ ही केंद्र और हरियाणा सरकारों से भी इस बारे में अपना पक्ष रखने को कहा गया है। यह फैसला ऐसे समय में हुआ है जब इस मामले में केंद्र और हरियाणा सरकारों ने चुप्पी साध रखी है।
चंडीगढ़ के सेक्टर -35 निवासी किन्नर काजल मंगल मुखी ने अपनी याचिका में कहा है कि यदि किन्नर सरकारी नौकरी की योग्यता पूरी करते हैं तो उन्हें अयोग्य क्यों ठहराया जाता है? योग्यता पूरी करने पर किन्नर को अधिकार है कि वह सरकारी नौकरी हासिल कर सके। यह समानता के अधिकार का उल्लंघन है और भेदभाव को बढ़ावा देने वाला है। ऐसे में इस पर रोक लगनी चाहिए। याचिका में कहा गया कि किन्नरों से भेदभाव न हो और उन्हें दया का पात्र न समझा जाए।………..

काव्य तरंग

हिन्दी काव्य संग्रह ......


सार्वजनिक सूचना

ब्लॉग जगत में पदार्पण का मेरा सिर्फ एक ही उद्देश्य है, वो ये की मैं अपना साहित्य आप सभी पाठक गण तकपंहुचा सकू । चूकी मैं बचपन से ही आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी के साहित्य से अत्यधिक प्रभावित हूँइसीलिए मैंने अपने ब्लॉग का नाम उनकी ही एक अत्यधिक लोकप्रियपुस्तक काव्यमंजूषा के ही नाम पर रखा था। हालाकि इस नाम से एकऔर ब्लॉग (अदा दीदी ) का है।किंतु ब्लॉग लिखने के पहले मैं ब्लोगिंग मेंउतना सक्रियनहीं थी, तो मुझे इसका अंदेशा न था । होता भी कैसे आज सेकुछ तीन साल पहले अचानक कही रवी रतलामी जीका हिंदी ब्लॉग देखाऔर मैंने भी अपना ब्लॉग कव्यमंजूषा बना दिया । किंतु समय के अभावके कारण मैं उसेलाइव नहीं कर पाई। पोस्ट लिखने का टाइम ही नहीं होताथा । फिर आचानक से किसी दिन लेखन का जो ज्वारमेरे भीतर से फूटाकी मैंने समय पाते ही ब्लॉग लाइव किया और पोस्ट करना शुरू कर दिया। अब तो मैं अच्छासमय ब्लोगिंग को दे भी पाती हूँ । किंतु अदा दीदी कीयह मंशा है, और मैं भी ठीक समझती हूँ की पाठको को दोनोंब्लॉग मेंगफलत ना हो । इसी लिए मैं आज से अपने ब्लॉग के नाम कोकाव्यमंजूषा से काव्य तरंग कर रही हूँ…..

राजधानी में ६ खेल संघ ही मान्यता प्राप्त

राजकुमार ग्वालानी
लेबल: खेल विभाग 

में खेल विभाग से राज्य के ३८ मान्यता प्राप्त संघ हैं। लेकिन आश्चर्यजनक यह है कि राजधानी रायपुर में महज ६ खेल संघों ने जिला स्तर की मान्यता ली है। खेल विभाग से मान्यता लेने वाले संघों को खेल विभाग से अनुदान के साथ और भी बहुत सारी सुविधाएं मिलती हैं, इतना सब होने के बाद खेल संघों का मान्यता न लेना समङा से परे है। खेल संघों की मांग पर ही खेल विभाग ने मान्यता के नियमों में शीथिलता भी लाई है, लेकिन उसके बाद भी हालत यह है कि संघ मान्यता लेने में रूचि नहीं लेते हैं।
प्रदेश में खेलों संघों को खेल एवं युवा कल्याण विभाग से मान्यता लेने पर जहां सामान्य अनुदान मिलता है, वहीं किसी भी स्पर्धा में खेलने जाने पर आने-जाने का खर्च मिलता है। विभाग ने राज्य संघों के लिए यह नियम बना रखा है कि कम से कम ११ जिलों में जिला संघ होने पर ही राज्य संघों को मान्यता मिलेगी। ऐसे में प्रदेश के ३८ खेल संघों ने राज्य स्तर की मान्यता इस आधार पर ले रखी है कि उनके ११ जिलों में संघ है। ११ जिलों में संघ होने की बात करते हुए मान्यता लेने वाले संघों पर नजरें डालने से एक आश्चर्यजनक बात का खुलासा होता है कि इन संघों ने दूर-दराज के जिलों तो मान्यता ले ली है, पर राजधानी में मान्यता लेने जरूरी नहीं समङा…………..

ब्लोग बैठक (सिलसिलेवार रपट -६)


बैठक में जब टिप्पणियों की बात चली तो सबसे पहले आया जिक्र , सुमन जी की सदाबहार और आजकल खूब चर्चा में आई टिप्पणी nice का । उनकी टिप्पणी nice का जिक्र छिडने की देर थी कि पहले सबके होठों पर मुस्कुराहट आई जो जल्दी ठहाके में बदल गई । इसी बीच जिक्र चला कि आखिर टिप्पणी कैसे की क्यों की जाए कहां की जाए । कई मित्र ब्लोग्गर्स ने सीधे सीधे ही कहा कि कुछ पाठक तो बिना पढे ही हर पोस्ट पर लगभग एक जैसी टिप्पणी कर जाते हैं जो कि गलत लगता है । कुछ मित्रों ने बताया कि कई बार वर्ड वेरिफ़िकेशन होने के कारण टिप्पणी करने का मन ही नहीं करता । टिप्पणियों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बात कही भाई खुशदीप सहगल जी ने ।खुशदीप भाई ने बताया कि होना तो ये चाहिए कि टिप्पणी कुछ इस तरह से की जाए कि वो लिखी गई पोस्ट का पूरक बने या कि पोस्ट में कही गई बात को विस्तार दे सके ।

………..

फूलझड़ी
चैट के माध्यम सेआशिकी झाड़ने वालोंबच के रहनाजिस दिन कोईसिरफिरी टकरा जाएगीआशिकी की सारीभूतनियाँ उतार जाएगीजेब के पैसे जबडकार जाएगीतब घरवाली भीहाथ से निकल जाएगी वैलेन्टाइन की मालाजपने वाले एक बार में हीतेरा वैलेन्टाइन मना जाएगी फिर हर औरत में तुम्हेंमाँ ,

PRAKAMYA

आपकी सहेली ~ मेरी पहेली ~ 3 का उत्तर - उत्तर प्रकाशित करने में हुए एक दिन के विलम्ब के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | इस पहेली का सही उत्तर है ~ नेहा और स्नेहा की मम्मी ने अखबार के एक पन्ने ( टुकड़े ) ...

नन्हा मन

मनु का उड़न खटोला - चित्र देखो, कहानी लिखो उदाहरण के लिए :- एक रविवार, भोजन के बाद जब मम्मी और पापा सो गए मैंने एक उड़न खटोला बनाया और डोडो को लिए उड़ चला, सूरज की ओर बादलों ..

हिन्दी साहित्य मंच

आओ चलो हम भी गाँधी बन जाए-----------[कविता]----------अजय ऐरन - आओ चलो हम भी गाँधी बन जाए .... क्यों न हम भी संत कहलाये ........ एक धोती धारण करके हम भी ……… दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढाये …… आओ चलो ..

मसि-कागद

लघु कथा------>>>दीपक 'मशाल' - ------दोहरी मानसिकता------ दीपक 'मशाल' बिलियर्ड्स की लाल गेंद की माफिक आफताब भी अस्ताचल में अपने होल में समाया जा रहा था.बड़ी देर से उस डूबते सुर्ख लाल गोल..

आदित्य (Aaditya)

मस्ती भरे दस दिन... - कन्याकुमारी घूम कर वापस दिल्ली आये बहुत दिन हो गए. . लेकिन अभी तक उसकी खबर आप तक नहीं पहुंची... किसी पर निर्भर होना... अब 4-5 पोस्ट में पुरे दस दिन का हा...

GULDASTE - E - SHAYARI

- शिव की शक्ति से, शिव की भक्ति से, नूर मिलता है शिव की ज्योति से, जो भी जाता है भोले के द्वार, खुशियाँ मिलती हैं उन्हें अपार !

पराया देश

चलिये आप को भारत ले चलाता हू , कुछ दिनो के लिये.... जहां बहुत सी बांहे मेरा इंतजार कर रही है - नमस्कार, चलिये आप सभी को भारत ले चले, आज शाम को यानि ३१/१ को मेरे बेटे मुझे चार बजे के करीब मुनिख ऎयर पोर्ट पर छोडने आये, फ़िर सब ने उदास मन से विदाई ली, ..

गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष 

सत्‍य नारायण भगवान की कथा को अवास्‍तविक लेकिन इस पूजा को प्रामाणिक माना जा सकता है !! - गिरीश बिल्‍लौरे 'मुकुल' जी के द्वारा लिए गए अपने साक्षात्‍कार में मैने बताया था कि ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए अधिक माथापच्‍ची करने की...

शब्दों का सफर 

माई नेमिज खान बहादुर पठान [1] - [image: my_name_is_khan_2] इ न दिनों खान नाम चर्चा में है। *माई नेम इज़ खान* फिल्म विवाद में है। विवाद में लाने के सारे तत्व फिल्म के जन्म से जुड़े हैं। इस..

हास्यफुहार 

जा छुप जा - *जा छुप जा*** खदेरन का पोता खेलावन उस दिन स्‍कूल से भाग आया। खेलावन के दादा खदेरन ने पूछा, “क्‍यों बे इतनी जल्‍दी क्‍यों भाग आया स्‍कूल से ?” खेल..

मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay.

मुझे तो मजबूरी में करना पडता है - एक कहावत है - "अपने बच्चे और पडोसी की घरवाली सबको अच्छे लगते हैं" एक बार फत्तू चौधरी घर आये तो देखा की उनका मित्र रलदू उनकी पत्नी का आलिंगन किये हुए है। फत्..

Dr. Smt. ajit gupta 

अरे आप घर पर ही हैं क्‍या? - हैलो, फोन उठाते ही सामने से आवाज आयी, अरे आप घर पर ही हैं क्‍या? आश्‍चर्य से भरा स्‍वर सुनाई देता है। हाँ, घर पर नहीं होऊँगी तो …… .

KNKAYASTHA INSIDE-OUT

...कैसे??? - टुकडों में जी जाती है जिंदगी कैसे? ज़ख्मों की की जाती है गिनती कैसे? मेरा हर झूठ बन जाता है सच, इस सच पे लिखूं शायरी कैसे? हर तरफ़ अपनों की लगी है भीड़, इस..

मस्तमौला

  एक गीत शाह्र रूख की जीत पर... - झूम झूम कर नाचो आज गाओ आज गाओ खुशी के गीत। ओ.... शिव सैना की हार हुई है और खान की जीत.. गाओ खुशी ..... फिल्म हो गई बहुत जरूरी महँगाई.. ..

नुक्कड़

यज्ञ शर्मा को बधाई : आज उन्‍हें व्‍यंग्‍यश्री सम्‍मान मिल रहा है (अविनाश वाचस्‍पति) - यज्ञ शर्मा मुंबई में रहते हैं वहीं से ही व्‍यंग्‍य कहते हैं हिन्‍दी में लिखते हैं व्‍यंग्‍य इसलिए चलिए हिन्‍दी भवन वे लेंगे और होंगे  ……….

अंधड़ !

 हाई-टेक आशिकी ! - सर्व-प्रथम, वेलेंटाइन-डे की पूर्व संध्या पर सभी आशिको और दिल-जलों को मेरी हार्दिक शुभ-कामनायें ! *मिलन की चाह मे महबूब की, अब और न, किसी आशिक को दिमाग खर...

मेरी शेखावाटी 

WinRAR को Free License करे यानी की registration keys download करे - सभी कम्प्यूटर से जुड़े हुए साथी विशेषकर जो rapidshare फाईल डाऊनलोड करते है ,उन्हें WinRAR की जरूरत पडती है | यह एक इस प्रकार का सॉफ्टवेर है जो फाईल को कम्प...

मोहल्ला 

ख़ान की खालिस नौटंकी - आजकल फिल्मों से ज़्यादा नौटंकियों की सक्रीनिंग में ज़्यादा भीड़ जुटती है और तमाम तरह की ब्यानबाज़ी के साथ साथ खूब लानात मलामत होती है. अपने पिछले लेख "अबू ..

क्वचिदन्यतोअपि..........!

ब्लॉग जगत में वर्तनी सुधारो अभियान -एक अकेला थक जायेगा साथी हाथ बढ़ाना! - अपने गिरिजेश भाई इन दिनों तन मन लगन से एक अभियान में लगे हुए हैं -अपने *वर्तनी सुधारों अभियान* से हर किसी की ऐसी तैसी करने में पिले पड़े हैं .हाय बटोर रहे ह...

अमीर धरती गरीब लोग 

साबित हो गया इस देश में खाने पे भारी है खान,खाने से ज्यादा ज़रूरी है खान! - कई दिनों से लगातार ये खान,खान और खान देखते-देखते पक गया।मीडिया ने कल साबित कर दिया कि इस देश में खाने पे भारी है खान,खाने से ज्यादा ज़रूरी है खान!ठाकरे लोगो..

रिजेक्ट माल

संत वेलंटाइन और महाराज मनु का मुकाबला -*(अमर उजाला में ये लेख पढ़ने लिए क्लिक करें) * *नफरत की बुनियाद पर कायम एक पूरी व्यवस्था प्यार के धक्कों के आगे चरमरा रही है। ये बदलते उत्पादन संबंधों**,..

सफ़ेद घर

मोर बाबू पढे अंगरेजी, तिलक काहे थोडा चढाया......विवेकी राय रचित एक विवाह प्रसंग पर हास्य फुहार लिये शानदार लेख.....सतीश पंचम -छछलोल राय गाँव के एकमात्र दिखाउ वर थे। उनके पैर इतने बडे बडे कि दुकानों में उनके नाप के जूते नहीं मिलते। और सिर इतना बडा कि सिली सिलाई टोपी न..

तीसरा खंबा

लॉर्ड कॉर्नवलिस की 1787 की न्यायिक योजना : भारत में विधि का इतिहास-44 - हेस्टिंग्स की वापसी हुई, और लॉर्ड कॉर्नवलिस को 1786 में बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया गया। उस ने 1793 तक इस पद पर बना रहा। उस ने अपने सात वर्षों के कार्यका..

सच्चा शरणम् 

मुझे प्रेम करने दो केवल मुझे प्रेम करने दो .. - *जॉन डन (John Donne) की कविता ’द कैनोनाइजेशन’ (The Canonization) का भावानुवाद* परमेश्वर के लिये मौन अपनी रसना रहने दो मुझे प्रेम करने दो केवल मुझे प्रेम कर..

उन्मुक्त

 पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया - हिमाचल यात्रा के दौरान, हम लोग सबसे पहले पिंजौर रुके। इस चिट्ठी में, कुछ सूचना पिंजौर के बारे में। पिंजौर, चंडीगढ़ से लगभग २० किलोमीटर शिमला ...

देशनामा

मौन...खुशदीप - क्या आप आंख से टपके इस कतरे की ज़ुबान समझते हैं... आप के प्यार ने मुझे हमेशा के लिए खरीद लिया है...

अनलाइन खसखस

 भ्यालेन्टाइन डे र एउटा निर्धो पत्र - *भ्यालेन्टाइन डे *अर्थात ‘प्रणय दिवस’ आजका प्रेमिल युवायुवतिहरुका लागि यो कुनै नौलो कुरा होइन । भ्यालेन्टाइनको पूर्वसन्ध्या अगावै कलेज, पार्क, साइबर क्याफ..

कार्टून :- कोई मेरी फ़िल्म भी तो निकालो...

कार्टून : देश के नागरिक शाहरुख़, काजोल और करण जौहर तो बहुत खुश हैं


बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt

कार्टून- बाल ठाकरे की चिंता में शरीक होइए...

     

chandrashekhar HADA


आज के लिए बस इतना ही…….!
कल प्रेम दिवस है! प्रेम के साथ कल फिर भेंट होगी!

12 टिप्‍पणियां:

  1. waah ...........aaj to kamaal kar diya.........bahut hi vrihad charcha ki hai........aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढिया एवं विस्तृ्त चर्चा....
    आभार्!

    जवाब देंहटाएं
  3. शास्त्री जी,
    वाकई आप चर्चा मंच के लिए जितनी मेहनत करते हैं, उसकी तारीफ़ शब्दों में नहीं की जा सकती...आभार...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  4. चर्चा के लिये आपका परिश्रम काबिलेतारीफ है । आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  5. शास्त्री जी,
    आज 44 चिट्ठों की चर्चा????
    वाकई बहुत मेहनत का काम है.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर और संपुर्ण चर्चा.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर चर्चा!! आपका प्रयास सराहनीय है।आभार।

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।