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बुधवार, फ़रवरी 17, 2010

“….क्या आपके पास मेरे इन सवालों का जवाब है?” (चर्चा मंच)

“अपना  ब्लॉग शामिल करें!”

नया एग्रीगेटर "पल पल-हलचल"

http://palpalhalchal.feedcluster.com/

तैयार है!

“क्या पी.सी.गोदियाल जी को टिप्पणी नहीं चाहिएँ??..

(श्रीमन्! टिप्पणी का विकल्प नही है।)”

"चर्चा मंच" अंक-67


चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"


लीजिए आज का "चर्चा मंच" लेकर हाजिर हूँ-

स्वप्न का रहस्य खोला बाबा ताऊआनंद महाराज ने.

बाबा ताऊआनंद प्रवचनमाला भाग - 5

बाबा समीरानंद जी महाराज और बाबा ताऊआनंद महाराज प्रवचन स्थल की और प्रस्थान करते हुये!
प्रिय आत्मन,
हमने पिछले सत्रों में आपके काफ़ी प्रश्नों के उत्तार दिये हैं. जैसा कि आपको मालूम है हम व्यक्तिगत प्रश्नों के जवाब नही दिया करते. सिर्फ़ लोक हित कारी ऐसे प्रश्नों को ही शामिल करते हैं जो अधिकतम लोगों के लिये हितकारी हों.

प्रश्न :-
एक प्रश्न पुन: परम भक्त श्री ललित शर्मा, का आया है. वो पूछते हैं बाबाश्री आजकल सपनों के बारे मे काफ़ी बातचीत हो रही है. आपके इस विषय में क्या विचार हैं?

उड़न तश्तरी जी..ललित शर्मा जी…दिनेश राय द्विवेदी जी ….क्या आपके पास मेरे इन सवालों का जवाब है?
   क्या आप सब के साथ भी वही सब हो रहा है जो मेरे साथ हो रहा है?… क्या आपके….मेरे और तमाम ब्लोग्गरों के ख्याल मिलते-जुलते हैं?…. किसी प्रिय ब्लॉगर को देखने के बाद क्या आपके दिल में भी वैसी ही हुक उठती है जैसी मेरे दिल में उठती है?   "तू ही……..
हँसते रहो Hanste Raho
ताऊ डॉट इन

विशेष ब्लागर सम्मान पुरस्कार - 2010 की घोषणा. - बडे हर्ष का विषय है कि अबकी बार होली के परम पुनीत अवसर पर हम कुछ विशेष पुरस्कार देने जारहे हैं. जिनमे निम्न श्रेणी के पुरस्कार होंगे. सर्वोच्च पुरस्कार श्र...
गाल आगे बड़ा दीजिये, थप्पड़ आने वाला है
प्रस्तुतकर्ता Rahul kundra
: समाज व राजनीती
स्वर में पावक यदि नहीं, वृथा वंदन है
वीरता नहीं तो सभी विनय क्रंदन है
सर पर जिसके असिघात, रक्त चन्दन है
भ्रामरी उसी का करती अभिनन्दन है
दानवी रक्त से सभी पाप धुलते है
ऊँची मनुष्यता के पथ भी खुलते है
श्री रामधारी सिंह "दिनकर" जी की ये कविता अगूठा छाप नेताओ ने तो शायद पड़ी नहीं होगी लेकिन जिन नेताओ ने पड़ी है……
जुगाड़ से जब देश की सरकार चल सकती है, तो फिर धरती माँ का आँचल भी झुलसने से बचाया जा सकता है।
-मनोज बिजनौरी, ग्लोबल वार्मिंग
एक पुराना चुटकुला है।
जब मा0 अटल बिहारी जी भारत के प्रधानमंत्री थे,
तो बिल क्लिंटन जी ने उनको फोन किया और पूछा-
'ये 'जुगाड़' कौन सी टेक्नालॉजी है?
 सुना है ये बड़ी गजब की चीज है।
जहरा हमको भी तो इसके बारे में बताइए।'
 इसपर अटल बिहारी जी बोले- '
नहीं भई, हम इसके बारे में नहीं बता सकते।
इस पर क्लिंटन महोदय ने पूछा-
'अरे भई, इसमें छुपाने वाली कौन सी बात है?'
तब अटल बिहारी जी ने शरमाते हुए कहा-
'अरे भई, इसी बहाने हमारी सरकार चल रही है
और आप चाहते हैं कि मैं इसका राज़ आपको…
खुद को खूबसूरत मानने वाले महफूज भाई को किशोर आज्वानी से मुआफी मांगनी चाहिए !

दोस्तों,
''माई नेम इज खान एक बेजोड़ फिल्म है ''
महज इतना ही किशोर आज्वानी ने उचारा था की हमारे ब्लॉग जगत के स्वनाम धन्य शाहरूख खान याने महफूज भाई आपे से बाहर हो गए और रूपक मडोक के तिजारती फितरत की आड़ में मीडिया वालो में खासुलखास स्टार न्यूज को अच्छी-खासी झाड पिला दी, बला की हुनर दिखाते हुए मीडिया वालो को जूठन चाटने वाला भिखारी भी बताने से गुरेज नहीं किया / खुद को चहेता ब्लोगर बताने वाले महफूज जी ने लखनऊ जो तमिज की तहजीब के लिए समूचे दुनिया में जाना जाता है अपनी जुबान से लगाम खूब खुल्ली छोड़ दी और जुबान-दराजी की इन्तहा करते हुए शाहरूख खान को कुत्ता तलक बयान किया , साथ ही शाहरूख खान ने देश के लिए क्या किया जैसा अहम् सवाल भी उठाया जो वो भूल रहे है की भले ही खान इस्लाम की नुमाईंदगी नहीं करते हो या कोइ उसे खारिज करता हो मगर शाहरूख को कंही भी दुनिया में जाकर ये जाहिर करने की जरूरत नहीं कि वो कान्हा के सभ्य समाज की नुमाईंदगी करते है क्यों की वो भारत के समरस और प्रोमिसिंग समाज का आईना है , लिहाजा शाहरूख को कुत्ता बताने बाले को खुद से पहले यह पूछना चाहिए की वो  बेहूदगी भरी बाते ब्लॉग इन कर किस किस्म की हिस्सेदारी भरपाई कर रहे है / उनका अपने देश को छोड़े अपने मशहूर शहर लखनऊ को क्या योगदान दे रहे है , बांकी बाते तो बढ़ चढ़कर बाद में तै कर लेंगे , पहले तो ये ही तै कर ले की वो सारे नहीं महज चंद ब्लोगरो में ही मशगूल या मशहूर है ना की सारे ब्लॉग जगत के ,…….
अमीर धरती गरीब लोग
राहुल बाबा आप एक बार फ़िर आईये और देखिये आपके दौरे के बाद भी विदर्भ का क्या हाल है!पानी अभी से खत्म हो रहा है और बिजली उसका भी भगवान ही मालिक है!
सप्ताह भर विदर्भ घूम कर कल वापस छत्तीसगढ लौटा हूं।विदर्भ मे अलग राज्य की मांग फ़िर से ज़ोर मार रही है लेकिन अभी कंही तोड़-फ़ोड़ नही हुई,रेल नही रूकी और कंही आगजनी नही हुई इसलिये शायद खबर नही बन पा रही है।वैसे भी इस देश मे खबर तो बनती है धमाकों से,ठाकरे बन्धुओं से,सोनिया जी से,खान से,हिंदू-मुसलमान से और राहुल बाबा से ये राहुल बाबा भी विदर्भ मे किसानों की आत्मह्त्या से द्रवित होकर वंहा का दौरा कर चुके हैं,द्रवित हो चुके हैं।उसके बाद उन्हे शायद याद ही नही रहा है कि इस देश मे विदर्भ नाम की कोई जगह है।मैं ये सब राहुल बाबा से इसलिये कह रहा हूं कि महाराष्ट्र की सरकार तो कठपुतली है और उसके मंत्री तो राहुल बाबा की चप्पलें तक़ उठाते हैं,तो चप्पले उठाने वालों से कहने की बजाय मैने सीधे राहुल बाबा से ही कहना उचित समझा।और रहा सवाल मराठियों के ठेकेदारों का तो उनके लिये मराठी माने मुम्बईकर बस्।विदर्भ के नाम से तो वैसे ही चिढ है,वे अलग होने की बात कर रहे है इसलिये उनके बारे मे सोचना ही उनके लिये पाप है।फ़िर वेसे भी उनके पास फ़िल्म का प्रदर्शन रोकना,खिलाड़ियों को रोकना,एक दूसरे को टोकना और आमना-सामना खेलेने से फ़ुरसत नही है।…….
बात चीत रहेगी जारी……………
बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी
चाहे हम हों कितने तगड़े , मुंह वो हमारा धूल में रगड़े,
पटक पटक के हमको मारे , फाड़ दिए हैं कपड़े सारे ,
माना की वो नीच बहुत है , माना वो है अत्याचारी ,
लेकिन - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .
जब भी उसके मन में आये , जबरन वो घर में घुस जाए ,
बहू बेटियों की इज्ज़त लूटे, बच्चों को भी मार के जाए ,
कोई न मौका उसने छोड़ा , चांस मिला तब लाज उतारी ,
लेकिन - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी …
……….
उल्लू के पट्ठों बी.टी. बैगन खाते हो या नहीं ?
व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट

मास्टर जी बेहद गुस्से में थे। देश भर में घूम-घूमकर सबको डाँटते फिर रहे थे- तुम्हारे बाप ने कभी खाया है बैगन! खाया हो तो जानो कि बी.टी. बैगन का स्वाद क्या होता है। पागल हो तुम सब के सब, दिमाग का इलाज कराओ अपने। मेरी! मेरी नीयत पर शक कर रहे हो! मैं दूध का धुला जनता का सच्चा हितैशी, मुझे मोनसांटो का ऐजेंट समझते हो! समझते हो मैंने मल्टी नेशनल कम्पनी से पैसे खा लिए। समझते हो तो समझो, क्या उखाड़ लोगे! बिना बात एक अच्छी पौष्टिक गुणकारी सब्ज़ी का विरोध कर रहे हो, लगे हुए हो पटर-पटर करने में। दो कौड़ी के पब्लिक फोरम को संसद समझ रहे हो, सिर पर ही चढ़ते जा रहे हो। मगर मैं किसी के दबाव में आने वाला नहीं हूँ ?…………..
अरे ज़ाकिर भाई, आपको स्वाईन फ्लू हो गया है क्या?
प्रस्तुतकर्ता : ज़ाकिर अली ‘रजनीश’

मैं सुबह-सुबह अपने नन्हे फरिश्ते के लिए घर से थोड़ी दूरी पर रहने वाले ग्वाले के घर गाय का दूध लेने जा रहा था। रास्ते में लल्लू मिल गया। वह मुझे देखते ही तपाक से बोला- अरे, जाकिर भाई, ये मुँह में रूमाल क्यों बाँधे हैं, स्वाइन फ्लू हो गया है क्या?
जब ठंड तड़पा-तड़पा कर विदा ले चुकी हो, गर्मी लगभग शुरू ही हो चुकी हो, ऐसे में मुँह में रूमाल बांधे देखकर कोई भी इसके लिए टोक सकता था। हाँ, समझदार आदमी ऐसा तो नहीं कहता। लेकिन कहाँ लल्लू और कहाँ समझदार आदमी। अगर वह समझदार आदमी होता, तो फिर उसका नाम लल्लू काहे को होता?
खैर, असली बात पर आते हैं। दरअसल दो दिन पहले अचानक अपना रंग दिखाने के बाद जब ठंड फिर विदा हो गयी, तो मैंने लापरवाही में स्वेटर को विदा कर दिया। दोपहर में खाने के बाद टहलने के लिए जब आफिस के बाहर निकला, तो जुकाम ने मुझे अपनी चपेट में ले लिया।
……
अपना मल खाने और अपना मूत्र पीने की इच्छा
भगवान न करे ऐसी इच्छा कभी किसी को हो पर जिस पर यह गुजरती है उसकी हालत क्या होती होगी, यह आप सोच भी नहीं सकते है| कुछ वर्षों पहले एक बालक को लेकर उसके माता-पिता मुझसे मिले| बालक की इस बुरी आदत से वे परेशान थे और इस नाम पर उसकी जबरदस्त धुनाई भी की जाती थी| मुझे तो सबसे पहले होम्योपैथी की याद आयी पर उन्होंने दो टूक कह दिया कि हमने सभी उपलब्ध इलाज कराये है| विशेषज्ञ तो इसे मानसिक रोगी घोषित कर चुके है| उन्हें मुझसे बड़ी उम्मीद थी पर मै तो ठहरा कृषि वैज्ञानिक| यह अलग बात है कि मैंने पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान का दस्तावेजीकरण किया है|
…………
Uncensored News
आर्य समाज की चुनौती से घबराया ज़ाकिर नाईक…
जैसा कि सभी जानते हैं डॉ ज़ाकिर नाईक एक इस्लामी प्रचारक हैं जो हमेशा वेदों और पुराणों की कुरान से तुलना करके उसे या तो नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं या फ़िर ऊटपटांग तर्कों और मनमाने उद्धरणों से हिन्दुओं तथा मुसलमानों दोनों को ही भ्रमित करने की कोशिश करते हैं। इनकी इसी बकवास को खत्म करने के लिये आर्य समाज की परोपकारिणी सभा ने कुछ समय पूर्व इन्हें एक खुली बहस हे 40;ु आमंत्रित किया है, जिसका उत्तर उन्होंने अभी तक नहीं दिया है…
ज़ाकिर नाईक को निम्न चार विषयों पर अपने विचार रखने और उसे हिन्दू ग्रन्थों, वेदों और पुराणों के अनुरूप (कुरान सहित) बहस करने हेतु आमंत्रित किया है -
1) कुरान और वेदों के बीच तुलना
2) पैगम्बर मोहम्मद और गौवध
3) कुरान में विज्ञान और मानवाधिकार,
4) कुरान के अनुसार स्वर्ग और नर्क की अवधारणा…

मेरे बारे में

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शिशुपाल प्रजापति
निवास: भारत का एक छोटा गाँव जंहा की युवा साक्षरता लगभग १०० प्रतिशत शिक्षा: एम.ए.(हिन्दी साहित्य)एवं अडवांस डिप्लोमा इन कंप्यूटर ऍप्लिकेशन कार्यरत: डेवलपमेंट सेक्टर में आईटी और प्रशासनिक सहयोग..
मैंने बीबी को बोला प्रिय हैप्पी वेलिन टाइन डे,
मैंने बीबी को बोला प्रिय हैप्पी वेलिन टाइन डे,   बीबी हंसकर बोली मुझसे क्या बेलन स्टाइल डे? क्या बेलन स्टाइल डे? अजी यह क्या कहते हो बोल रहे ऐसे प्रिय तुम जैसे हर दिन ही सहते हो 'शिशु' कहें श्रीमती बोली प्रिय माँ से मत कहना 'बेलन स्टाइल डे' मना आज से तुम झाडू सहना

तुमने चुपके से मुझे बुलाया ..
Photo Source : Googleतुमने चुपके से मुझे बुलाया ।पूजा की थाली लेकरसाँझ सकारेहाथों में, तुम चलीबिखर गयी अरुणाभा दीपक मेंचली हवासाड़ी सरकी’सर’ से  सर सेदीपक भकुआयाकँपती लौ ने संदेश पठायातुमने चुपके से मुझे बुलाया ।कंगन खनका हाथों मेंखन खन खन् न् न्स्वर……
सच्चा शरणम्
साजन शराबी हो तो बोतल के बदले में ....
भाई जो शराबी हो तोबोतल के बदले मेंगैरों बीच घर की कहानी बिक जाती हैसाजन शराबी हो तोबोतल के बदले मेंसजनी के गले की निशानी बिक जाती हैबाप जो पीया करे है मदिरा तो उस घरफूल जैसी बेटी की जवानी बिक जाती हैमदिरा के नशे मेंईमान बिके देखे बन्धु बिना किसी दाम ….

जय
हिन्दी जय हिन्द !

'जाता कहाँ है दीवाने'
Film: सीआईडी :[ १९५६] Music: O.P.Nayyar Lyrics: Majrooh Sultanpuri Original Singer-: गीता दत्त Starring: Dev Anand, Shakeela, Waheeda RehmanDownload Or PlayCover by AlpanaLyrics-:'जाता कहाँ है दीवाने,सब कुछ यहाँ है सनमबाकी के सारे फ़साने,झूठे हैं तेरी….
गुनगुनाती धूप..

क्या फिर भी पाकिस्तान से बात की जाये
"कश्मीर की आजादी ही हमारा संघर्ष है। भारत की फौज ने कश्मीरियों को बंदूक और बूटों तले रौंद रखा है। वहां लोग गुलाम हैं। हम अपना संघर्ष कश्मीर की आजादी के लिये जारी रखेंगे।" यह ऐलान जेहादी काउंसिल का है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी…..
पुण्य प्रसून बाजपेयी

रिटायरी कालोनी {अपनी बात}
रिटायरी कालोनी शायद अपना घर सब का ही सपना होता है। फिर जब आदमी अपने जीवन का सुनहरी समय सरकारी मकान मे रह कर गुज़ार दे तो उसके लिए तो अपना घर और भी अहम बात हो जाती है। फिर जब आदमी रिटायर होने के करीब आता है तो लोग अक्सर ये सवाल करने लगते हैं * अपना घर बना…..
Veer Bahuti

गोलों की झड़ी-मिली जीत बड़ी
नेताजी स्टेडियम के मैदान में यंग तूफान क्लब के तूफानी खिलाड़ी बॉल पर कब्जा करके लगातार विमल क्लब नागपुर के गोलपोस्ट पर हमले कर रहे हैं और दे दना-दन गोलों की बारिश किए जा रहे हैं। एक तरफ जहां नागपुर की रक्षापंक्ति असहाय लग रही है, वहीं गोलकीपर के पास भी….
खेलगढ़

आखिरकार पुलिस ने मुझे ढूंढ ही लिया .. खैरियत थी हथकडी नहीं लगी !!
अपने जीवन की सब सुख सुविधा छोडकर अपने चिंतन के प्रति समर्पित होकर ही कोई लेखक लेखन की निरंतरता बना पाता है। उसका लक्ष्‍य अपने अनुभवों और विचारों का समाज में बेहतर प्रचार प्रसार ही होता है , क्‍यूंकि एक प्रतिशत से भी कम मामलों में ही आर्थिक आवश्‍यकताओं की…….
गत्‍यात्‍मक चिंतन

सा….ब को दो प्लेट मिस्सल और दो चाय मार….
    शीर्षक देखकर चौंक गये क्या, अरे यह आम भाषा है हमारे यहाँ मालवा में। किसी भी छोटे होटल में जहाँ सुबह सुबह पोहे, उसल पोहे और चाय मिलती है, वहाँ पहुँच जाईये, और अंदर बैठ जाईये। आप अपना ऑर्डर काऊँटर वाले को …….
कल्पतरु

लार्ड कॉर्नवलिस को 1790 के दाण्डिक न्याय प्रशासन में बदलाव : भारत में विधि का इतिहास-45
लॉर्ड कॉर्नवलिस के गवर्नर बनने के समय अपराधिक न्याय प्रशासन में पूरी अराजकता थी। दंड न्यायालयों में शोषण, दमन और भ्रष्टाचार व्याप्त था। जेलें अपराधियों से भरी पड़ी थीं। दोषी व्यक्ति बच जाते थे और निर्दोष व्यक्तियों को सजा हो जाती थी। दांडिक व्यवस्था आम……..
तीसरा खंबा

एक और इम्तिहान है-गज़ल
है जान तो जहान है फ़िर काहे का गुमान हैक्या कर्बला के बाद भी एक और इम्तिहान हैइतरा रहे हैं आप यूं क्या वक्त मेहरबान हैहैं लूट राहबर रहे जनता क्यों बेजुबान हैहै श्याम बेवफ़ा नहींइतना तो इत्मिनान है
हिन्द-युग्म

ब्लॉगर चिंतन इति..............
ब्लॉगर हौं तो बस एही बतावन बसौं कोई गुट के छाँव मझारन नाहीं तो पसु बनिके फिरोगे आउर खाओगे नित रोज लताड़न  पाहन बनौ कि गिरी बनौ नहीं धरोगे धर्य कठिन है ई धारण फिन खग बनी इक पोस्ट लिखोगे औ करोगे अभासी जगत से…..
काव्य मंजूषा

मत दीजिये मेडल , बधाई तो दे ही दीजिये .......
कल मिथिलेश से बातचीत में जब उसे अपनी उम्र बताई (हालाँकि मैंने कभी कोशिश नहीं कि है अपनी वास्तविक उम्र छिपाने की ...मेरे ऑरकुट और फेसबुक अकाउंट में बाकायदा जन्मतिथि अंकित है ) तब से ही मस्तिष्क लगातार चिंतन मनन कर रहा है ...वास्तव में उम्र तो काफी हो गयी…….
Gyanvani

स्ट्रीट चिल्ड्रेन
’पगली’ की याद अभी मनस-पटल से उतरी नहीं थी, कि एक समाजिक संस्था द्वारा आयोजित वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जाना हुआ। यह संस्था ’स्ट्रीट चिल्ड्रेन’ के ऊपर कार्य कर रही है और रेलवे स्टेशन में सक्रिय रूप से कार्यरत होने के कारण सतत…..
ज्ञानदत्त पाण्डेय की मानसिक हलचल

हिन्दी ब्लागिंग नि:स्वार्थ होनी चाहिए :रानी विशाल न्यूयार्क
विदेश में बसी भारतीय बेटियाँ अपने संस्कार आचार विचार सब कुछ साथ ले जातीं हैं .... रोप देतीं हैं इन्हीं संस्कारों को जहाँ भी वे जातीं हैं रानी विशाल का ब्लॉग है काव्य तरंग रानी जी एवं विशाल जी बिटिया अनुष्का के साथ रानी विशाल जी के पिता श्री श्री ओम…..
खज़ाना

दुनिया पर छा जाना है, इसे पढ़िए...खुशदीप
एक जर्मन नागरिक ऐसे मंदिर में गया जहां निर्माण कार्य अभी चल रहा था...वहां उसने देखा कि एक मूर्तिकार बड़ी तन्मयता से भगवान की मूर्ति को अंतिम रूप देने में लगा है...वहीं साथ में ही उसी भगवान की हू-ब-हू एक मूर्ति और रखी थी...जर्मन थोड़ा हैरान हुआ...आखिर……..
देशनामा
रकीब हो जाते हैं!
कुछ पल तक साथ निभा के कभी,
फासले ही हैं जो करीब हो जाते हैं,
बस थोड़ी देर मुआज्ज़िज़ रहते हैं,
वो रिश्ते इक पल में अजीब हो जाते हैं,
कसमें खाते थे जिनकी वफ़ा-ए-मुहब्बत की,
लम्हा नहीं लगता और बदनसीब हो जाते हैं,……

15 साल के विद्यार्थी के सामने निर्वस्त्र होने वाली शिक्षिका को अदालत ने दोषी ठहराया
ब्रिटेन में 15 साल के विद्यार्थी के सामने निर्वस्त्र होने के मामले में एक शिक्षिका को अदालत ने दोषी ठहराया है। ब्रिटेन के मध्यभाग में आने वाले लंकाशायर में यह विचित्र घटना घटी जहां पर पढ़ने वाले लड़के को 47 वर्षीय शिक्षिका एन्ने पोली पेजे ने कई बार
अदालत

कैसे सरेआम कर दूं तेरे कांधे के बोसे को
हैं 
कई इल्जाम 
मुझ पर 
यूँ तो चुप रहने को कैसे सरे
आम कर दूं तेरे कांधे के बोसे को
कुछ तो बरकत 
मिली होगी
  भूखे
 पेट रहने
 सेवैसे तो
 मोमिन कहता&a
जीवन के पदचिन्ह
DHAROHAR

अरुणाचल : तो बजरंग बली यहाँ तपस्यारत हैं ! - Breaking News for India TV मान्यता है कि बजरंग बली भगवान श्री राम से आशीर्वाद प्राप्त कर अजर-अमर हो गए और हिमालय की ही किसी कन्दरा में तपस्यालीन हैं. इस...
pankaj vyas

व्यंग्य / जय रतलाम कि हाय रतलाम.... - *पंकज व्यास,रतलाम* आजकल मैं बड़ी खुशफहमी में जी रहा है। बड़ा खुश हूं, अचानक मुझे लगने लगा है कि रतलाम का विकास होने लगा है। रतलाम विकास कर रहा है। ऐसा लगता...
Dr. Smt. ajit gupta
बाराती चलाते हैं एक दिन चमड़े के सिक्‍के - आज कई शादियों में जाना था लेकिन एक शादी पारिवारिक मित्र के यहाँ थी तो सोचा कि आज बस उन्‍हीं की शादी में रहेंगे बाकि सभी में जाना केंसिल। कार्ड में बारात आन...
ज्योतिष की सार्थकता
फलित ज्योतिष संकेत सूत्र के माध्यम से गजकेसरी योग का विवेचन - पिछली पोस्ट में हम फलित ज्योतिष में पाराशरी राजयोगों पर बात कर रहे थे तो उसी विषय पर आगे बढते हुए सबसे पहले तो हमें ग्रहों के कारकत्व को समझना होगा। कारकत्...
today's CARTOON
कार्टून- मौजूदा और पिछले गृहमंत्री में फर्क...


POSTED BY आरडीएक्स
तो क्या अमर सिंह को इस बात क डर भी होना चाहिए ?

Posted by IRFAN

Antrang - The InnerSoul !

"अन्तरंग" याने मेरे दिल का कोना. वो कोना जो अब तक अ:जन्मा – अनकहा कही जी रहा था. मेरे एहसासों को शब्द मिले … और इन् शब्दों से मुझे एक् पहचान मिली …!



चरैवेति - चरैवेति ( निरंतर चलना )
मैं जलधिमरुस्थल का खारेपन के साथ मुझमे रेत भी शामिल है उड़ चलूँ मैं आँधियों के साथ ये फन मुझे हासिल है .मुट्ठी में बंद कर बांधने की करो कोशिश तो रेत की तरह ही मुट्ठी से फिसल जाती हूँ अतृप्त सी हैं इच्छाएं और है गरल कंठ में तृप्त होने के भाव का स्वांग सा…
गीत...............




किस अधर का गीत हूँ मैं
-- करण समस्तीपुरी किस अधर का गीत हूँ मैं ?जान पाया मैं नहीं,किस साज का संगीत हूँ मैं??किस अधर का गीत हूँ मैं ??***किस भाव की अभिव्यक्ति हूँ,किस भाव में अनुरक्ति हूँ,किसी तप्त उर का उच्छवास,या तृषित मन की प्यास हूँ मैं!जान पाया मैं नहीं,किस हृदय का प्रीत…

मनोज

आलम-ए-इश्क (ग़ज़ल)    रानीविशाल

तुमसे मिली है नज़रे जब से, मैं तो दिवानी हो गई
बस इक तुम हो अब अपनों में,सारी दुनिया बेगानी हो गई
इश्क में जो आहें भरते है, हम अक्सर उन पर हसते थे
तेरे इश्क में अपनी भी, उनके ही जैसी कहानी हो गई
बिन तेरे हर इक मंज़र मुझको, सूना सूना लगता है
तनहाई और बेचैनी ही, मेरी निशानी हो गई………

आज के चर्चा मंच को यहीं पर विराम देता हूँ!
अब आज्ञा दीजिए.....

13 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी व बहुत कुछ समेंटे बढिया चर्चा ।

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  2. सुन्दर चर्चा शास्त्री जी ,
    आदरणीय शास्त्री जी,
    क्या आप लोगो का यह प्यार और स्नेह किसी टिपण्णी से कम है क्या ? पिछले तकरीबन डेड-दो साल से ब्लॉग पर हूँ और इस ब्लॉग जगत में जब भी समय मिलता है खींचा चला आता हूँ, आपके लेखो और रचनाओ पर , क्या यह लगाव किसी टिपण्णी से कम है क्या ?

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय,
    बहुत अच्छी और विस्तृत चर्चा के लिये आपको ...धन्यवाद!
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. waah.. yeh to bahut hi accha laga.., atlest jis log ke baare main nahi pata ho wo bhi yaha aakar padh sakte hai... badhai iske liye...

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्छी व सच्ची चर्चा शास्त्री जी!!!
    आभार्!

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह बहुत ही सुंदर चर्चा, आभार.

    रामाराम.

    जवाब देंहटाएं
  7. हमेशा कि तरह विस्तृत और अच्छी चर्चा....कई नए ब्लोग्स पढ़ने को मिले...आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. अत्यन्त विस्तृत और सुन्दर चर्चा । आभार ।

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  9. सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढ़िया भाई, आप तो पूरे ब्लोग्स पर बड़े निराले अंदाज़ में चर्चा-परिचर्चा कर रहे हैं...साधुवाद स्वीकारें !!

    जवाब देंहटाएं
  11. सुन्दर व सारगर्भित चर्चा !!


    ...................
    "शब्द-शिखर" पर इस बार अंडमान के आमों का आनंद लें.

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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