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शुक्रवार, फ़रवरी 05, 2010

“टिप्पणी पाना भी अपराध हो गया रे !” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-54
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आज के
"चर्चा मंच" को सजाते हैं।


सबसे पहले कुछ कार्टून और उसके बाद


कुछ चिट्ठों की चर्चा करता हूँ-

कार्टून : इस फिल्म के प्रायोजक हैं "शिवसेना"


बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून
कार्टून :- टिप्पणी पाना भी अपराध हो गया रे !


कार्टून : हुजूर के लिए दिमाग भी लड़ाते हैं हम !

हरिओम तिवारी

हरिओम तिवारी
बचपन से मास्सबों के कार्टून बना-बनाकर कर कक्षा में अव्वल आता रहा। जवानी में नौकरशाही में घुसने के दंद-फंद में उलझकर औंधे मुंह गिरा, उठा तो कार्टून जैसे चिरपिरी शक्ल निकल आई थी। गांव का एक चित्रकार दूसरे के घरों की दीवार खराब करता था। सो उससे प्रेरणा लेकर अपने घर की दीवारों पर कला के ख्वाब बुने, पिताजी की डांट से खुमारी टूटी। पीटे जाने के एकाध अवसरों से बच निकलने के कौशल से कला में निखार आ गया। घर की दीवारें बचाने के लिए बाद में पिता जी ने शहर भेज दिया। सॉयल साइंस से एमएससी कर धरती से जुड़ गया। मित्रों ने पुराना बैर निकाला, कार्टून बनाने की एक प्रतियोगिता में ढकेला, तीसरा स्थान मिला तो सबको गलतफहमी हुई कि एक जबरदस्त कार्टूनिस्ट धरा पर प्रकट होने वाला है, जिस बीच अपन उस दोस्त को ढूंढने में जुटे रहे जिसने इस प्रतियोगिता में धक्का दिया था। इस धक्के से गाड़ी चल निकली। जहां रुकी, वहां स्वदेश का दफ्तर सामने था। बस यहां से कार्टूनगिरी शुरू हो गई। ग्वालियर के बीहड़ से शुरु हुआ कार्टून का सफर कुछ हिचकोले खाते हुए नवाबी शहर भोपाल पहुंचा। बस तब से काल के कपाल पर कार्टून बनाता चला आ रहा हूं।

मेरा एक और कार्टून 'कूड़ेदान' पर !!

by IRFAN
IRFAN KHAN

SADA

यादें सिमटती गईं .... - सूनी अंधेरी रात में यादों की गठरी गिर गई सारी यादें धरती पर थीं पड़ी, मैने उन्‍हें समेट कर वापस गठरी में रखना चाहा पर वे आपस में म..

प्रतिभा की दुनिया ...!!!

एक टुकड़ा याद - एक याद सपने की मानिंद उतरती है रोज पलकों में, नींद की चाप सुनते ही पंखुड़ी सी खुलने लगती है आंखों में रात भर गुनगुनाती है मिलन के गीत, दिखाती है सुंदर सपन..

हास्यफुहार

डिनर - * * *डिनर*** *एक दिन श्रीमान जी सुबह-सुबह **डायनिंग टेबुल पर बैठे **खा रहे थे। तभी बाहर से आवाज लगाते हुए फाटक बा**बू** घुसे, **“**सर जी कहां हैं? क्या.

समाचार:- एक पहलु यह भी

शर्म आनी चाहिए नेता जी को - रैली के लिए मंच सजा हुआ और जनता धुप हो या सर्दी या फिर भारी बरसात हो रही हो, पलके बिछाये अपने नेता का इंतजार करती नजर आती है. उनका एक ही मकसद होता है की बस..


Albelakhatri.com

जिन्हें मेरे होंठ अभी तक तुमसे कह नहीं सके - सबसे आकर्षक समुद्र वह है जिसे हममें से किसी ने नहीं देखा । सबसे सुन्दर दिन वे हैं जो अभी हमने गुज़ारे नहीं । सबसे प्यारी बातें वे हैं जिन्हें मेरे हो...

saMVAdGhar संवादघर

हैंइ - *देवियो और सज्जनो, मैं भगवान बच्चन इस ब्लाॅग पर भी आपका स्वागत करता हूं। आप तो जानते ही हैं मैं अत्यंत सभ्य और भद्र एक्टर हूं। इंसान भी हूं।* *‘कौन बनेगा ख...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen

किसानों की आर्थिक हालत सुधारने और मंहगाई कम करने के नाम पर जीएम बीजों को बाजार में उतारना उचित है? - कृषि मंत्रालय ने कहा है कि जेनेटिकेली मोडीफाईड बैंगन अर्थात बीटी बैंगन को स्वीकृति दी जा चुकी है.हालांकि अलग-अलग मंत्रालयों से भी अलग-अलग बयान आ रहे हैं. द.

गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष

हाथ कंगल को आरसी क्‍या .. फिर 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' के मौसम के सिद्धांत की सत्‍यता की बारी आएगी !! - 3 और 4 फरवरी को मौसम से संबंधित मेरे द्वारा की गयी भविष्‍यवाणी सही हुई या गलत , इसका फैसला करना आसान तो नहीं । मध्‍य प्रदेश , छत्‍तीसगढ और राजस्‍थान में जैसा...

वीर बहुटी

- भूख *लघु कथा* मनूर जैसा काला, तमतमाया चेहरा,धूँयाँ सी मटमैली आँखें,पीडे हुये गन्ने जैसा सूखा शरीर ,साथ मे पतले से बीमार बच्चे का हाथ पकडे वो सरकारी अस्पताल...


गीतकार की कलम

आपका फिर व्यर्थ है कहना लिखूँ मैं गीत कोई

शब्द से होता नहीं है अब समन्वय भावना का
रागिनी फिर गुनगुनाये, है न संभव गीत कोई
खो चुकी है मुस्कुराहट, पथ अधर की वीथिका का
नैन नभ से सावनी बादल विदा लेते नहीं हैं
कंठ से डाले हुए हैं सात फ़ेरे सिसकियों ने
पल दिवस के एक क्षण विश्रांति का देते नहीं है…..

पर तुमको क्यों बताएँ, ??

हर दिन तुमने न जाने हमें कितने मारे पत्थर

सम्हाल के रक्खा है देखो अब कितने सारे पत्थर

ठोकर तुमको लगती है हम जान नहीं पाए थे

पलकें मेरी चुनती थीं वो कितने सारे पत्थर….

बइयाँ ना मरोड़ो बलमा..............घुघूती बासूती
अवैधानिक चेतावनी: ज्ञान पिपासु फिर कभी आएँ जब ज्ञान वार्ता हो रही हो। खेद है कि आज ज्ञान की दुकान बन्द है। आज अगम्भीर चिन्तन दिवस है।प्लास्टर उतर गया, जमकर रगड़ा लग गयाऔर हम खड़े खड़े, हॉस्पिटल में पड़े पड़ेहाथ खूब मुड़वाते औ तुड़वाते रहे।हाय रे मानव! तू सदा….

घुघूती बासूती

मुझे कुछ कहना है

आंटी ! प्लीज मुझसे बात कीजिए। - आंटी प्लीज मुझसे बात कीजिए। मेरा मन कह रहा था कि आंटी में झकझोर कर कहूं। रजाई में से थका सा चेहरा निकलकर आंटी ने हमारे साथ गए कारीगर को कहा, इन लोगों को घ...


मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay.

राज भाटीया जी आज दिल्ली में हैं -

आप सब को श्री राज भाटिया जी और मेरी नमस्ते श्री अरविन्द मिश्रा जी ने पूछा है कि - *"भारत में हैं या जर्मनी में"* मैं आप सबको बता देता हूं कि श्री राज भाटिया...

गीत-ग़ज़ल

धुआँ धुआँ हो करके उठा – **

*दिल तपता है , किसने देखा अँगारों को वो जो धुआँ धुआँ हो करके उठा , उसे उम्र लगी परवानों की * *ढलती है शमा , पिघली जो है ये अश्कों में छा जाती है अफसानो..

कबाड़खाना

काफ़्का का ’द कासल’ - छ्ठा हिस्सा - (पिछली किस्त से जारी) दूसरा प्रतिविम्ब बार्नाबास का है, जो के. को "महल की लड़की के राफाएल सरीखे सौन्दर्य और बर्फ़ीली आभा की याद दिलाता है. उसका चेहरा चमकीला और..

DIL KI BAT

पिछली तारीख के आइनों का डीप फ्रीजर -

चिरकुट" दरअसल हमारे देश की एक नेशनल गाली का शिष्ट अनुवाद है ...हम इसके अविष्कारक को रोज मन ही मन सैल्यूट ठोक देते है ..कितना आसान है न गला फाड़ कर चिल्लाकर ..

हिन्दुस्तानी एकेडेमी

हिन्दी रंगकर्म के अमृतपुत्र : डॉ० सत्यव्रत सिन्हा -*हिन्दी रंगकर्म के अमृतपुत्र : डॉ० सत्यव्रत सिन्हा* *डॉ० अनुपम आनन्द* *मूल्य १८०.०० सजिल्द* *पृष्ठ ३०७* *प्रकाशन वर्ष २००९* *प्रकाशक एवं वितरक : हिन्दुस्तान..

बना रहे बनारस

है कोई जवाब आपके पास ? -

*अगर महाराष्ट्र को* * अलग राष्ट्र बनाने की माँग उठने लगी* * तो मैं जिम्मेदार नहीं हो...

मेरे मन की

हां भाई हां ...........................मेरी ही है..................... - -------------------विश्वास नहीं हुआ ना तो अब देख भी लिजीये..........

सच में टूटी है.............. --------------------

माँ हो तो ऐसी ......

माँ के साथ----..

क्वचिदन्यतोअपि..........!

वसंत का शंखनाद! -

हिन्दी ब्लागजगत में

वसंत पंचमी से बालक

बसंत की फिफिहरी जो

बजनी शुरू हुई अब वह

शंखनाद बन गयी है .इस

बार की उसकी

चतुरंगिनी

सेना की अगुवाई कर रहे

सेनापतियो..

अनवरत

उन्हें अकेला खाने की आदत नहीं है - पिछले छह दिन यात्रा पर रहा। कोई दिन ऐसा नहीं रहा जिस दिन सफर नहीं किया हो। इस बीच जोधपुर में हरिशर्मा जी से मुलाकात हुई। जिस का उल्लेख पिछली संक्षिप्त पोस्...

देशनामा

खुश है ज़माना, आज पहली तारीख है...खुशदीप -*दिन है सुहाना आज पहली तारीख है,* ** * * *खुश है ज़माना आज पहली तारीख है,* * * *पहली तारीख है जी पहली तारीख है,* * * *बीवी बोली * * * *...

कस्‍बा qasba

ये सब आपके लिए - कुछ दिनों से दिल्ली के मोहल्लों में भटक रहा हूं। कई तस्वीरें ली हैं। धीरे-धीरे आप तक लाने की कोशिश करूंगा। कुछ फेसबुक हैं।

लहरें

अरसा पहले - हाँ वो भी एक दौर था, इश्क कापहला सीनदोस्त के कान में फुसफुसाते हुए, "पता है पता है, आज उसने मुझे मुड़ कर देखा"। उसके चेहरे पर ऐसा भाव आता है जैसे ये राज़ वो ..


my own creation

"कशिश" - कृपया तस्वीर पर क्लिक करें!

ताऊजी डॉट कॉम

खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (190) : आयोजक उडनतश्तरी - बहनों और भाईयों, मैं उडनतश्तरी इस फ़र्रुखाबादी खेल में आप सबका आयोजक के बतौर हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते हैं कि अब से इस खेल के दिन मंगलवार ...

Science Bloggers' Association

ये इन्द्रधनुष होगा नाम तुम्हारे......... .जी0के0 अविधिया - आसमान में इन्द्रधनुष को देखकर बच्चे कितना आनन्दित होते हैं! अजी बच्चे तो क्या आपको भी मजा आ जाता है।पर इन्द्रधनुष हमेशा थोड़े ही दिखता है? यह तो तभी दिखता है ...

आज के लिए इतना ही-…….! राम-राम!

10 टिप्‍पणियां:

  1. वाह, यह सांध्यकालीन सत्र की चर्चा भी बडी रोचक और विस्तृत है. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  2. सच कह रहे हैं ....अब तो टिप्पणी पाना भी अपराध हो गया....

    सुंदर चर्चा...

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  3. शास्त्री जी, चर्चा के लिए आभार्।
    बढिया चर्चा रही।

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  4. बढिया है जी...एकदम बढिया!!
    आभार्!

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  5. Bahut aachi lagi yah charcha bhi...Aabhar!!
    http://kavyamanjusha.blogspot.com/

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  6. आपकी चर्चा का अलग ही है अंदाज
    कभी न खोलना ये दिल लुभाने वाला राज

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  7. वाह जी बहुत सुंदर. कई नई पोस्टों की जानकारी के लिए आभार.

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