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शुक्रवार, मार्च 19, 2010

“मायावती की माला…” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-93
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं-

कृष्ण मुरारी प्रसादMy Photo

सिंगरौली, मध्य प्रदेश, से लिखते हैं दो पुरानी कथाएँ। जिनका सम्बन्ध जोड़ा है इन्होंने नोटो की माला से-

मायावती की माला, अन्धों का हाथी और सुराही में कद्दू ...(व्यंग्य)

Mar 19, 2010 | Author: कृष्ण मुरारी प्रसाद | Source: लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से.....

मायावती को पहनाए गए माला पर मचे घमासान को देखकर मुझे बचपन में पढ़ी दो कहानियां याद आ गयी. पहली कहानी.. अन्धों का हाथी. दूसरी कहानी..... सुराही में कद्दू.

वरमाला कोई भी पहना दे, किन्तु मायामय हो वह वरमाला!...............घुघूती बासूती - एक नवयुवक है। इसी साल पढ़ाई खत्म होगी। कैम्पस साक्षात्कार में उसे बढ़िया नौकरी भी मिल गई है। कई जगह से रिश्ते आने शुरू हो गए हैं। अभी कुछ ही दिन पहले तक केवल..

नोटों का नज़ारा तो यहाँ भी है साहिब!

जब नोट बरसने लगे

Mar 19, 2010 | Author: सूर्य गोयल | Source: समाचार:- एक पहलु यह भी

जादू एक कला है और इस कला को सही तरीके से प्रस्तुत करने के लिए जरुरी है जादूगर के हाथ की सफाई. इस बात से शायद सभी भली-भांति वाकिफ भी है. लेकिन इतनी सफाई की मात्र दो कदम की दूरी पर एक जादूगर बैठा हो और एक ही पल में उसके हाथो से नोटों की बरसात होने लगे. एक पल तो ऐसे लगा की जैसे भले ही नोटों की माला माया के पास है लेकिन नोटों की माया तो इसी के पास है. यही कारण था की एक के बाद एक कभी 1000 के तो कभी 500 के नोट झम-झम कर उसके हाथो से उड़ रहे थे. अभी हम इस नजारे की फोटो खिंच कर अपने कैमरे संभाल ही रहे ..

रत्नों की सार्थकता के बारे में आप पं.डी.के.शर्मा जी का सारगर्भित लेख अवश्य पढ़िए-

रत्न (gemstones) जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूलता में बदल सकता है !!!

Mar 19, 2010 | Author: पं.डी.के.शर्मा"वत्स" | Source: ज्योतिष की सार्थकता

हमारे प्राचीन महर्षियों नें अपने दीर्धकालीन अनुभवों के पश्चात यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया है कि प्रत्येक रत्न एक ग्रह विशेष की किरणें ग्रहण करके धारक व्यक्ति के शरीर में पहुँचाने का कार्य करता है। इसी अनुभव के आधार पर उन्होने यह निश्चय किया कि किस ग्रह की कितनी रश्मि शक्ति किसी मनुष्य के लिए पोषक होती है और दूसरे किस ग्रह की रश्मियों का कैसा समंजन उसके लिए कल्याणकर रहेगा। इसी विवेचना को आधार बनाकर उन्होने विभिन्न ग्रहों के लिए विभिन्न रत्न धारण करने का परामर्श दिया। किसी व्यक्ति की जन्मपत्र ...

सरस पायस पर है आज एक मजेदार बालगीत

मेरी शोभा प्यारी है : रावेंद्रकुमार रवि का नया बालगीत

Mar 19, 2010 | Author: रावेंद्रकुमार रवि | Source: सरस पायस मेरी शोभा प्यारी है!

रवि मन पर देखिए अद्भुत विवाह-

ब्याह रचाने को : रावेंद्रकुमार रवि

Mar 19, 2010 | Author: रावेंद्रकुमार रवि | Source: रवि मन

ब्याह रचाने को-----------------

मुझे
देखकर
जब
करती
है
नृत्य
तुम्हारी
अधर-परी!.. … ..

ताऊ परिचय करवा रहे हैं काव्य की एक नई विधा “भजल” से-

मोरी पोस्टवा प्यासी रे : भजलकार ताऊ एंड पार्टी

| Author: ताऊ रामपुरिया | Source: ताऊ डॉट इन

हां तो आप सबको रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे" का सलाम नमस्ते! पिछले सप्ताह की ताजा खबर यह रही कि वार्षिक होली कवि सम्मेलन में ताऊ का भी कविता पाठ का नंबर आया. और ताऊ इसके लिये आशीर्वाद लेने माता रामप्यारी जी के आश्रम पहुंच गया.

राजस्थान विधान सभा में मार-पीट की खबर
यहाँ है---

आखिर ये कैसे लोग हैं जिन्हें हमने सत्ता में बिठाया है

Mar 19, 2010 | Author: neelima sukhija arora | Source: मुझे कुछ कहना है

दो दिन से लगातार राजस्थान विधानसभा में चल रहा ड्रामा शुक्रवार को चरम पर पहुंच गया, जब विधायकों और मार्शलों में हाथापाई हो गई। चार विधायक घायल हैं जिनमें एक पूर्व मंत्री भी हैं। विपक्ष में बैठी भाजपा के सचेतक के निलंबन पर ये सारा ड्रामा गुरुवार से ही विधानसभा में चल रहा है। मार्शल सदन से नेताओं को जबरन बाहर निकालते हैं और वे लड़ते है झगड़ते हैं , शायद ऐसे तो बच्चे भी नहीं झगड़ते। गांव से विधानसभा की कार्रवाई देखने के लिए आने वाले एक सज्जन कहते हैं ये हमारे नेता हैं, पर ये तो ऐसे झगड़ते हैं जै ...

आँसुओं की हठधर्मी पर पढ़िए
यह कविता-

अश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत

Mar 19, 2010 | Author: singhanita | Source: संवेदना

तुम ही थे मेरे इश्क से अनजान बहुत वरना इस दिल में थे अरमान बहुत ज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे अश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत फिर से बह निकली मुहब्बत की हवा पर वहाँ जज़्ब हैं तूफ़ान बहुत जी तो लेती ‘अनु’तेरे बगैर मगर जिंदगी होती नहीं है आसान बहुत

….
लो जी!
कर लो हिन्दुस्तान में हिन्दी की तलाश-

हिन्दी की तलाश जारी है...

Mar 19, 2010 | Author: Akanksha~आकांक्षा | Source: शब्द-शिखर

एक तरफ हिंदी को बढ़ावा देने की लम्बी-लम्बी बातें, उस पर से भारत सरकार के बजट में हिंदी के मद में जबरदस्त कटौती. केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2010-11 के बजट में हिन्दी के लिए आवंटित राशि में पिछले वर्ष की तुलना में दो करोड़ रुपये की कटौती कर दी है। वित्त वर्ष 2010-11 के आम बजट में राजभाषा के मद में 34.17 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जबकि चालू वित्त वर्ष 2009-10 के बजट में इस खंड में 36.22 करोड़ रुपये दिये गये थे।

हिंदी का उद्धार या हिंदी का मजाक ??

Mar 19, 2010 | Author: Amit Kumar | Source: ताक-झाँक

आजकल हिन्दी अकादमी,दिल्ली चर्चा में है. हिन्दी अकादमी, दिल्ली के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब केदारनाथ सिंह सहित कुल सात साहित्यकारों ने पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया। हिन्दी अकादमी की ओर से कृष्ण बलदेव वैद को शलाका सम्मान से वंचित रखने के मामले को लेकर हिन्दी साहित्य जगत में बवाल पैदा हो गया है। इसके विरोध में जाने माने साहित्यकार केदारनाथ सिंह ने तो ये सम्मान लेने से ही इंकार कर कर दिया है। साहित्यकार राजेन्द्र यादव ने भी केदारनाथ सिंह के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि शलाका सम्म ...

नन्हें सुमन पर है तितली का बालगीत-

‘‘रंग-बिरंगी तितली आई’’

Mar 19, 2010 | Author: डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक | Source: नन्हें सुमन

तितली आई! तितली आई!!

एक बाल गीत यहाँ भी है-
[SHIYAMPAT[3].jpg]

“श्यामपट (BLACK-BOARD”

Mar 19, 2010 | Author: डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक | Source: उच्चारण

तीन टाँग के ब्लैकबोर्ड की

अक्ल के लिए बादाम नहीं ठोकरें खाइए -

Hasyakavi Albela Khatri

अक्ल बादाम खाने से नहीं,

ठोकर खाने से आती है - रंगलाल का बेटा नंगलाल शादी करने को उतावला है लेकिन नंगलाल उसे उपदेश दे रहा है कि शादी कोई अच्छी चीज़ नहीं है । इससे आदमी बर्बाद हो जाता है वगैरह वगैरह ...

आडियो कांफ्रेंस:

सुनिये पंडित रूप चन्द्र शास्त्री मयंक [खटीमा,उत्तरांचल ],स्वप्न--मंजूषा[कनाडा],कार्तिक-अग्निहोत्री[सहारा-समय,जबलपुर],और गिरीश

Mar 18, 2010 | Author: गिरीश बिल्लोरे ''पॉडकास्टर'' | Source: मिसफिट:सीधीबात ……………………

नही जानता कैसे बन जाते हैं,

मुझसे गीत-गजल।

जाने कब मन के नभ पर,

छा जाते हैं गहरे बादल।।……

इत्ते भर से गा लूँगा

Mar 18, 2010 | Author: AlbelaKhatri.com | Source: साहित्य-सहवास

मैं तुझे गाना चाहता हूँ

ना --- री

Mar 18, 2010 | Author: M VERMA | Source: जज़्बात

जब भी उसने

आज नवगीत की पाठशाला में पढ़िए-

३१- लो वसंत आ गया : अरविंद राज

Mar 18, 2010 | Author: नवगीत की पाठशाला में हम सीखेंगे | Source: नवगीत की पाठशाला

मौसम के नाम लिखे, तरुओं ने जब अपने नवपत्र खोले, कजरारी कोयलिया उनको पढ़ बोले - लो वसंत आ गया!

फाइनेंशल प्लानिंग में 5 का पंच

Mar 19, 2010 | Author: Incredible Inspirations Finvest Pvt. Ltd. | Source: Incredible Inspirations

सही फाइनेंशल प्लानिंग वही है, जिसमें फाइनेंशल पोर्टफोलियो के सभी एलिमेंट्स हों और सही क्रम में हों। मसलन सेविंग इनवेस्टमेंट से पहले हो और उससे भी पहले हो इंश्योरेंस और मेडिक्लेम

परीक्ष के दिनों की याद और वो भी इस मौसम में-

सीज़न परीक्षा का,गैस पेपर और खूबसूरत यादें-2

Mar 18, 2010 | Author: Anil Pusadkar | Source: अमीर धरती गरीब लोग

दूसरे दिन तो दोपहर शायद कुछ और ज्यादा अलाली दिखा रही थी और शाम कुछ ज्यादा ही शर्मा रही थी।नही शर्मा रहे थे बस हम सभी भाई(दोस्त)जो समय से पहले अपने अड्डे पे हाज़िर हो गये थे।लग रहा था कि आज कुछ खास बात है।मैं,चून्नू और दिलीप दढियल थे और बाकी सब खुरदुरे लेकिन उस शाम तो सभी गज़ब के चिकने थे मेरे और चुन्नू को छोड़।दिलीप जिसकी दाढी सुबह काटो शाम को उग जाती थी ऐसे चिकना होकर आया था कि ॠषीकपूर फ़ेल था।कपड़े भी उस दिन सबके ठीक-ठाक यानी रंगबिरंगी,चितकबरी टीशर्ट और मैली-कुचली जीन्स की बजाय छक सफ़ेद ...

कहानी कला में सिद्धहस्त श्रीमती निर्मला कपिला की कहानी यहाँ है-

सुखदा ----कहानी---अन्तिम किश्त्

Mar 19, 2010 | Author: निर्मला कपिला | Source: वीर बहुटी

सुखदा-----कहानी भाग --4 बेशक माँ के कपडों से बू आ रही थी मगर आज सुखदा को वह भी भली लग रही थी। आखिर खून अपनी महक दे रहा था। उसे अभी भी याद है जिस दिन वो शारदा देवी के साथ जा रही थी माँ कितना रोई थी,तडपी थी उसे किस तरह जोर से सीने से लगाया था मगर पिता ने एक झटके से छुडा कर उसे अलग कर दिया था। आज भी माँ के सीने मे उसे वही तडप महसूस हुयी थी। *मईया तुम्हें बुखार है?* उसने माँ के आँसू पोँछ करुसे बिस्तर पर लिटा दिया।उमेश और शारदा पास पडी टूटी सी धूल से भरी कुर्सियों पर बैठ गये।शारदा सोच रही थी कि ..

कनाडा से अदा जी के मन के भाव कुछ इस प्रकार हैं-

काव्य मंजूषा

और मैं..... ..


छन छन्न छन

मेरी पायल बोलती जाती
और

तुम मुदित हुए जाते हो

आँगन में अंगना

बनी मैं

डोल रही हूँ

पायल की झंकार

रस घोल रही है
हक़ है मेरी पायल
को बोलने का
पर मुझे नहीं !!…

भारत-ब्रिगेड

भारतीय संस्कृति के स्नेहियों के लिए


अनिल पुसदकर जी के नाम पाती
किन्तु इससे उनका कोई लेना देना नहीं जो........
व्यक्तिगत विचारों को सर्वोपरि मानते हैं......?

अनिल पुसदकरजी के ब्लॉग '

अमीर-धरती ........' पर प्रकाशित आलेख

'लड़कियां मोबाईल का प्लान नही है

टाटा सेठ जो चाहे रोज़ बदल लो! '

पर टिप्पणी कर मेरे अभिन्न मित्र

राज़-भाटिया जी ने टिप्पणी कर के

आफत मोल ले ली है आपके ब्लॉग पर.

दर असल भाटिया जी क्या

हर कोई तिलमिलाया है

गलीच विज्ञापनों की बाढ से.

मुझे 1992-93 का पुराना वाकया याद आ रहा है....

शिखा दीपक

शुक्रिया ......ऐ दोस्त !!!!!! - करीब दस महीनों के बाद आज अपने ब्लॉग पर कुछ लिख रही हूँ। इतने दिनों न लिखने के बहुत ढेर सारे कारण हैं, उनको फिर कभी बताउंगी पर अभी बताती हूँ कि मैं क्यों फ...

ज़ख्म

ॐ जय ब्लोग्वानी - ॐ जय ब्लोग्वानी प्रभु जय ब्लोग्वानी जो कोई तुमको ध्याता हॉट में स्थान पाता ॐ जय ब्लोग्वानी ......... घर , परिवार , नौकरी सब दॉव पर लगा देता खाना, पीना ..

स्वप्न(dream)

इस दुनिया में अपना कोई घर ना बने तो अच्छा है - इस दुनिया में अपना कोई घर ना बने तो अच्छा है ( आत्म - चिंतन) इस दुनिया में अपना कोई, घर ना बने तो अच्छा हैजो फक्कड़ बन घूम रहा है , वो ही साधू सच्चा है ये ...

Gyanvani

काँधे मेरे तेरी बन्दूक के लिए नहीं है ..... - ऐसे ही कुछ अटपटे शब्द .... मैं नादान नाजुक कमजोर हताश मायूस तुम्हे लगती रहू मगर याद रख कांधे मेरे तेरी बन्दूक के लिए नहीं है .... छोटे हाथ मेरे नाजुक अ...

Kajal Kumar's Cartoons
काजल कुमार के कार्टून

कार्टून:- मच्छर की बात !

मस्तमौला

कमजोर दिल वाले यह पोस्ट ना देखें..




नुक्कड़

शहीद - ए - आजम भगत सिंह - 9 last part - शहीद - ए - आजम भगत सिंह - 9 मोल नही कुछ मान मुकुट का, मोल नही कुछ सिंहासन का . जीवन अर्पित करने आया, माटी कर्ज़ चुकाने आया . याचक बन कर मांग रहा हूँ, तेरा द...-



आज की चर्चा में बस इतना ही-



राम-राम!

13 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया चर्चा रही।
    माला पर एक लेख मेरा भी है।
    घुघूती बासूती

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  2. शास्त्री जी,
    बहुत ही सुन्दर चर्चा...
    घुघूती बासूती जी ने बहुत सुन्दर व्यंग लिखा है ..कल ज़रूर शामिल कर लीजियेगा, उनका यह व्यंग...
    आप इतनी मेहनत करते हैं...सचमें हर बार नमन करने की इच्छा होती हैं..

    जवाब देंहटाएं
  3. अरे वाह ..
    आपका जवाब नहीं शास्त्री जी ...
    घुघूती बासूती जी का लिंक लगा भी दिया..
    आपका ह्रदय से धन्यवाद..

    जवाब देंहटाएं
  4. महत्‍वपूर्ण सारे लिंक एक जगह मिल गए .. बहुत बढिया चर्चा !!

    जवाब देंहटाएं
  5. भई शास्त्री जी, आप तो चर्चा करने में सिद्धता प्राप्त कर चुके हैं...चाहे जिस भी तरीके से करें, हमेशा लाजवाब ही होती है.....

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी यही तो विशेषता है साहेब !

    कि चर्चा मंच को बहुत ही खूब सजाते हैं आप ।

    अच्छे अच्छे लिंक की महफ़िल

    बड़े ही करीने से विस्तार पूर्वक लगाते हैं आप ।

    इसीलिए तो

    रोज़ हमारी बधाइयां और चटके पाते हैं आप ।

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी चर्चा। लिंक्स पर जाते हैं!

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर और विस्तृत चर्चा.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बढ़िया चर्चा. आनन्द आया.

    जवाब देंहटाएं

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