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शनिवार, अप्रैल 03, 2010

“खुद पर खुद ही का बोझ…” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक - 108
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक
प्रतिदिन की भाँति आज भी "चर्चा मंच" सजाते हैं-

आज की ब्लॉग जगत की हलचल निम्नवत् हैं-
आज का चर्चा मंच सजाने से पहले मुझे एक कहानी याद आ रही है-

एक नदी में एक बिच्छू बहा जा रहा था! उस नदी में स्नान कर रहे साधू ने जब यह देखा तो विच्छू को बचाने के लिए उसे बाहर निकालने लगे! किन्तु बिच्छू को जैसे ही वह हाथ लगाते तो बिच्छू उनको डंक मार देता! साधू का हाथ हिल जाता और विच्छू फिर से पानी में गिर पड़ता! बार-बार साधू को ऐसा करते देख एक व्यक्ति ने कहा कि महात्मा जी आप बार-बार इसकी जान बचाने की कोशिश करते हैं मगर यह दुष्ट आपको डंक मार देता है!
साधू ने कहा-“जब यह दुष्ट अपनी दुष्टता नही छोड़ता तो मैं अपनी सज्जनता क्यों छोड़ूँ?”

मेरे कई मित्र कहते हैं कि “शास्त्री जी! आप तो उनकी भी चर्चा लगाते रहते हो जो कभी भी इस ब्लॉग पर नही आते!”
मैंने उन्हें उत्तर दिया-“मेरा काम चर्चा लगाना है।

मेरी उपस्थिति लग जाती है!

उनका हाजिरी लगाने का काम वे जानें!

उनकी हाजिरी मैं कैसे लगा सकता हूँ?

फिर यह तो चर्चा मंच है!”
”ना काहू से दोस्ती ना काहू से वैर!”
इसीलिए तो मैं अक्सर किसी की भी पोस्ट पर

नुक्ता-चीनी नहीं करता हूँ! क्योंकि यह काम तो आपका है!
आप लिंक खोलें ! पोस्ट पढें !! टिप्पणी करें !!!

मेरी कोशिश यह है

कि अधिक से अधिक लिंक आप तक पहुँचा सकूँ!
धन्यवाद !

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आज अपने चिर-सखा …

मनोज मनोज कुमार


बूझॊ तो जाने??? जबाब

नमस्कार आप सभी को, इस बार की पहेली मेने सोचा था बहुत आसान होगी.... लेकिन यह बहुत कठिन लगी इस पहेली मै विजेता सिर्फ़ ३ ही है..... जी यह जगह भारत मै ही ओर मणि पुर राज्य मै है, पुरी जानकारी आप को यहां से मिलेगी, ओर इस के साथ साथ ही हमारे विजेताओ ने भी….

मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay.

राज भाटिय़ा



भारतीयों की फांसी पर सरकार चुप क्यों?

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क्या वो ये लापरवाह रवैया
जनदुनिया Jandunia

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'अमेरिकी विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में शामिल होना ज़रूरी नहीं': कानून मंत्री, मुख्य न्यायाधीश ने यात्रा रद्द की

Apr 3, 2010 Author: लोकेश Lokesh Source: अदालत

अमरीका के जार्जिया विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में भारत के उच्च पदस्थ अघिकारियों के भाग लेने को जरूरी नहीं बताने संबंधी विदेश मंत्रालय के तर्क के बाद कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली, प्रधान न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन और अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने वहां नहीं जाने का फैसला

……

इससे अच्छी तो पुरानी कारें होती साब!

Apr 3, 2010 Author: Anil Pusadkar Source: अमीर धरती गरीब लोग

कौन सी गाड़ी है?सफ़ारी! अरे वो तो हाथी है साब क्यों पाल लिया?गुस्सा तो भरपुर आया मगर उसे अपने साथ ले जाना था इसलिए मन मार कर कहा अरे नही बहुत बढिया गाड़ी है।होगी साब मगर उससे अच्छी तो पुरानी कारें होती साब!मेरे पड़ोस के इलाके मे गैरेज चलाने वाले मैकेनिक ने कहा।

मैने उससे कहा

यार तुमसे काम हो रहा है तो बताओ,उपदेश मत ..

ना जाना उस देस मेरी लाडो........

Apr 3, 2010 Author: ख़बर आज की Source: aidichoti

(उपदेश सक्सेना)

सुरेश उजाला के पाँच मुक्तक

Apr 3, 2010 Author: डॉ० डंडा लखनवी Source: मानवीय सरोकार

पाखी की जनगणना हो गई और आपकी...

Apr 3, 2010 Author: पाखी Source: पाखी की दुनिया

आपकी जनगणना हुई क्या..मेरी तो आज हो गई. मेरे जन्म के बाद पहली बार जनगणना हो रही है, सो पहली बार मैं इसका हिस्सा बनी हूँ. सोचिये मेरे जैसे कितने प्यारे-प्यारे बच्चे/बच्चियाँ इन 10 सालों में आए होंगे और सभी की अब जनगणना होगी. और हाँ, जन्मदिन पर उपहार में मिली मेरी सायकिल को भी जनगणना करने वाली आंटी ने नोट किया. इसके अलावा टी.वी., कंप्यूटर , गाड़ी और भी कई चीजों के बारे में पूछा और नोट किया. अब इंतजार रहेगा कि कब ये गणना पूरी होगी और हमें अपने देश कि वास्तविक जनसँख्या पता चलेगी....एक बात और मैं ...

बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है - डा. कुमार विश्वास

Apr 3, 2010 Author: हरि शर्मा Source: नुक्कड़

तुम अगर नही आई गीत गा न पाऊँगा साँस साथ छोडेगी, सुर सजा न पाऊँगा तान भावना की है शब्द-शब्द दर्पण है…..



सुमन

Apr 2, 2010 Author: Babli Source: KAVITAYEN सुमन



श्रीराम चौरे जी का निधन

Apr 3, 2010 Author: गिरीश बिल्लोरे Source: मिसफिट:सीधीबात

गीत.............

आज की ताज़ा खबर

चिलचिलाती धूप में
चीथड़े पहने हुए
चौराहे पर खड़ा
चौदह बरस का बालक
चिल्ला रहा था --
" आज की ताज़ा खबर…….

अन्त में श्री चन्द्र शेखर हाडा के
दो बहुत 'तीखे' कार्टून्स......

Posted by chandrashekhar HADA

चलते- चलते गीतकार श्री राकेश खण्डेलवाल और कार्टूनिस्ट काजल कुमार को
संवाद सम्मान के लिए हार्दिक बधाई!
जाकिर अली रजनीश जी के अपनी और इन दोनों की ओर से धन्यवाद!

संवाद सम्मान। श्रेणी: गीत और कार्टून एक साथ आ विराजे हैं।

जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, वैसे-वैसे 'संवाद सम्मान' की समापन बेला करीब आती जा रही है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज दो श्रेणियों की घोषणा एक साथ की जा रही है। हमारी यह कोशिश रही है कि प्रत्येक श्रेणी में कम से कम दो लोगों को अवश्य सम्मानित किया….

मेरी दुनिया मेरे सपने

ज़ाकिर अली ‘रजनीश’

19 टिप्‍पणियां:

  1. आज की चर्चा में
    एक नई ऊर्जा झलक रही है!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर चर्चा जी, बहुत मेहनत की है आप ने.
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. aaj to sare links yahin mil gaye aur charcha to hamesha ki tarah kafi vistrit aur sundar hai.

    जवाब देंहटाएं
  4. aap ka bahut bahut shukriya jo aap ne mujhe na chij ko yaha jagah di

    aap ka bahut bahut aabhari hu me


    shekhar kumawat

    http://kavyawani.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत विस्तार से चर्चा की है आपने शास्त्री जी ।
    लीजिये हमारी तरफ से बधाई स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं
  6. सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।

    “मेरा काम चर्चा लगाना है। मेरी उपस्थिति लग जाती है! उनका हाजिरी लगाने का काम वे जानें!”
    इस पर एक शे’र अर्ज़ है --

    ख़ुश्बू के बिखरने में ज़रा देर लगेगी
    मौसम अभी फूलों के बदन बांधे हुये है।

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय शास्त्री जी। मैं आपके बिच्छू और साधु वाली कथा से काफ़ी प्रभावित हुआ और उसके दंश को भी महसूस किया।
    मैंने भी चर्चा शुरु किया था -- काफ़ी उत्साहित होकर। पहले दिन आपने शुभकामनाएं देते हुए कहा था
    चलते-चलते थक मत जाना!
    साथी साथ निभाना!
    ०६/०२/२०१०
    आज तो ऐसा ही (थका-सा) महसूस कर रहा हूँ। इस लिए चर्चा भी छॊटी सी डाली है।
    जिनके लिये आप चर्चा करते हैं मुझे लगता उनमे से कुछ सोचते हैं
    "मैं हूँ इसलिए चर्चा है -- इसका वाइसीवर्सा नहीं है। इसलिए टिप्पणी क्यों दूँ।" इसमें तोप के ब्लॉगर सॉरी टॉप के ब्लॉगर शामिल हैं।
    २. दूसरा प्रकार है जो टॉप के बुद्धिजीवी हैं -- "ओह! ऐसा भी कोई मंच है। मुझे मालूम नहीं था। ठीक है ऐसा मंच होना चाहिए पर दे शुड टेक प्रायर पर्मिशन! हु-म-म्म! चर्चा तो ठीक है पर इसे ऐसे होना चाहिए।"
    ३. तीसरा ग्रुप है ग्रुप वाला। आज मैं चर्चा कर रहा हूँ। बस फ़िर प्रश्न - उत्तर और एक दूसरे को महान या शैतान बनाने-बताने की ज़ोर-आज्माइश। आप कितना भी निष्पक्ष लिखो दिखो वे तो आपमें छुपे पक्ष को देख ही लेंगे / खोज ही लेंगे।
    इसलिए मन करता है अब और बिच्छू को बचाने के प्रयास में डंक न ही झेलूँ। पर मेरे सामने खड़ा है आपका वाक्य "साथी साथ निभाना!"

    जवाब देंहटाएं
  8. विस्तृत और बढ़िया चर्चा....बधाई

    मेरे ब्लॉग को शामिल करने का शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर चर्चा शास्त्री जी!!
    लोग नुक्ताचीनी से डरते हैं ओर हम सोचते हैं कि कोई हमारी पोस्ट पर नुक्ताचीनी क्यों नहीं करता..आखिर अपनी कमियों और लेखन की गुणवत्ता के बारे में तो पता चले...

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  10. बहुत उम्दा चर्चा..करते रहिये..हम इन्तजार करते हैं.

    जवाब देंहटाएं
  11. शास्त्री जी इसमे रत्त्ती भर भी शक़ नही है कि आप निष्पक्षता से चर्चा करते चले आ रहे हैं।दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमे आपकी मेहनत साफ़ झलकती है और आज आपने जो साधू का उदाहरण दिया वो भी सटीक है और शायद सभी के लिये है,अब ये बात अलग है कोई इसे माने,कोई ना माने।भई मैं तो आपकी सलाह ज़रूर मानूंगा।आज की चर्चा भी बढिया रही,हमेशा की तरह्।प्रणाम स्वीकारें।

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  12. बहुत गजब की चर्चा की है शाश्त्री जी. किसी को नही छोडा आज तो. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  13. एक साथ कित्ते ब्लॉगों की चर्चा...ढेर सारी जानकारी..मजा आ गया.

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  14. ...और मेरे ब्लाग "पाखी की दुनिया" की चर्चा के लिए आपको ढेर सारा प्यार व आभार.

    जवाब देंहटाएं

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