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मंगलवार, अप्रैल 06, 2010

“साथ बैठ गपियाओ तो जाने।” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक - 111
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक
आज सुबह-सुबह ही "चर्चा मंच" सजाते हैं-
ये लिंक भी देख लीजिए-
डॉ.टी.एस.दराल की बात में तो दम है मगर लोग तो पलक-पाँवड़े बिछाए बैठे रहते हैं! मगर ये बतियाने को आते ही नही हैं-

अंतर्मंथन

… ..ब्लॉग तो रोज़ लिखते हो यार
कभी साथ बैठ गपियाओ , तो जाने।..

आज वैशाखनन्दन समारोह में संगीता स्वरूप जी को पढ़ना मत भूल जाइएगा-

लेखिका परिचय ---
नाम ----- संगीता स्वरुप
जन्म .... ७ मई १९५३
जन्म स्थान .. रुड़की ( उत्तर प्रदेश )
शिक्षा ... स्नातकोत्तर ( अर्थशास्त्र )
व्यवसाय ... गृहणी ( पूर्व में केन्द्रीय विद्यालय में शिक्षिका रह चुकी हूँ )
शौक . हिंदी साहित्य पढ़ने का , कुछ टूटा फूटा अभिव्यक्त भी कर लेती हूँ
निवास स्थान ... दिल्ली
ब्लोग्स ------- गीत.............. और
बिखरे मोती

ताऊजी डॉट कॉम

वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में : सुश्री संगीता स्वरूप - प्रिय ब्लागर मित्रगणों, हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई है...

आज सुश्री स्वप्न मंजूषा शैल “अदा” जी ने समीर लाल जी को ठण्डी हवा का झोंका बताते हुए अपने ब्लॉग पर एक संस्मरण लिखा है-

काव्य मंजूषा -

समीर लाल...सचमुच .... ठंडी हवा का झोंका....हाँ नहीं तो...!!!

समीर जी, साधना जी, आशू (छोटा बेटा)

टोरोंटो का सफ़र....४ घंटे का रहा...
पहुंचना था हमें समीर जी के घर १ से २ के बीच लेकिन पहुंचे हम लगभग ४ बजे...और जैसी उम्मीद थी कहाँ रुक पाए हमारे लिए ..खा-पीकर डकार मार कर बैठे थे...साइज़-वाइज़ नहीं देखा है...:)
खैर हमारा क्या हम पहुँच गए...वो तो भला हो "अन्नपूर्णा" साधना जी का, बाकायदा उन्होंने हमें भोजन कराया ....बात-बात में पता

चला कि मुर्गी हलाल तो कहीं और हुई थी लेकिन देगची में जलवा नशीन समीर जी ने ही किया है उसे...इतनी लज़ीज़वो जीते जी भला कहाँ होती....!!
रोटी, चावल, आलू गोभी की सब्जी, बंद गोभी की सूखी सब्जी

, लोबिया की दाल, चिकेन, रायता, अचार, सलाद इत्यादि-इत्यादि ...भूख के मारे वैसे भी दम निकला जा रहा था और खुशबू यूँ भी जान लेने को तुली हुई थी...बस जी हमने तो भोजन पर धावा बोल दिया....

डॉ.सिद्धेश्वर सिंह कर्मनाशा पर “शब्द” के उच्चारण के विषय में अपने विचार प्रकट कर रहे हैं-

कितना कठिन और लम्बा है 'प्रेम' जैसे एक छोटे से शब्द का उच्चारण - *कई दिन हुए कुछ लिखना हो न सका। नियमित लिखा जाय यह जरूरी तो नहीं। और सिर्फ लिखने के लिए लिखना....! आज अभी कुछ देर पहले ही कुछ यूँ - सा बन गया। अगर यह कवित...

देशनामा में खुशियों के दीपक जलाने वाले भाई खुशदीप सिंह लिखते हैं
एक बड़ी सी लव स्टोरी के बारे में-

देशनामा

एक 'बड़ी' सी लव स्टोरी...खुशदीप - दो बुज़ुर्ग, एक विधुर और एक विधवा, एक दूसरे को बरसों से अच्छी तरह जानते थे...लेकिन दोनों शहर के अलग अलग ओल्ड एज होम में रहते थे... एक बार किसी एनजीओ ने व...

छन्द विधा के चतुर चितेरे आचार्य संजीव “सलिल” ने अपने ब्लॉग पर सजाए हैं कुछ दिल के दोहे-

कबीरा खडा़ बाज़ार में

दिल के दोहे: संजीव वर्मा 'सलिल' - दिल ने दिल में झाँककर, दिल का कर दीदार. दिलवर से हँसकर कहा- 'मैं कुरबां सरकार'. दिल ने दिल को दिल दिया, दिल में दिल को देख. दिल ही दिल में दिल करे, दिल दिलव...

उच्चारण पर हमने भी तो आँसू और पसीने के बारे में कुछ लिखा है-

उच्चारण

“आँसू और पसीना” - *आँसू और पसीने में होती है बहुत रवानी। दोंनो में ही बहता रहता खारा-खारा पानी।। दुख आता है तो रोने लगते हैं नयन सलोने, सुख में भी गीले हो जाते हैं आँखों के...

गत्यात्मक ज्योतिष में “संगीता पुरी” जी “बुध” की खास चाल बारे में कुछ उपयोगी जानकारियाँ दे रहीं हैं-

गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष

आसमान में बुध ग्रह की एक खास चाल .. क्‍या आप भी इससे प्रभावित हो रहे हैं ?? - 29 मार्च से ही आसमान में मेष राशि में बुध ग्रह का काफी समय तक रहना पृथ्‍वी के जड चेतन पर बहुत प्रभाव डालने में समर्थ है। चूंकि ज्‍योतिष में बुध ग्रह बुद्धि...

ये लिंक भी मुझे काफी अच्छे लगे हैं-

पुलिस अधिकारी-हुए सरकारी

Apr 6, 2010 | Author: सूर्य गोयल | Source: समाचार:- एक पहलु यह भी

हिसार के पुलिस अधिकारी भी आजकल सरकारी हो गए है. लगता है आप असमंजस में पड़ गए. शायद यह भी सोच रहे हो की गोयल तो पगला लिया है. भला पुलिस भी कभी निजी हुई है. वो तो होती ही सरकारी है. अजी ऐसी-वैसी कोई बात नहीं है. कहने का फर्क मात्र इतना है की अब से पहले हिसार का पुलिस विभाग जहा सरकारी कंपनी की मोबाईल सेवा (बी एस एन एल ) की बजाये जंहा निजी कंपनी की मोबाईल सेवा उपयोग कर रहा था वही अब उसने भी बी एस एन एल की मोबाईल सेवा उपयोग करने का मन बना लिया है. हिसार के एक-दो विभागों को छोड़ सभी सरकारी विभाग ज ..

Old art, New followers

Apr 6, 2010 | Author: Uttama | Source: Kala Jagat

आज-कल के यंगस्टर्स का भी जवाब नहीं. अगर कोई आर्ट फील्ड का यंगस्टर है तो बात कुछ और ही हो जाती है. पुराने काम में नए स्कोप तलाशना और उसे आकार देना, खूब शानदार ढंग से कर रहे हैं नई जनरेशन के यह आर्टिस्ट. खास तो यह भी है कि यह लोग किसी रिलीजन के हों, इससे फर्क नहीं पड़ता. देखिए जिस राजा रवि वर्मा से पुराने आर्टिस्ट यह कहकर परहेज करते रहे कि यह कैलेंडर आर्ट के ही स्पेशलिस्ट हैं, उन्हीं को यह जनरेशन फॉलो करने से नहीं हिचक रही. काम तो ही रहा है, दाम मिल रहे हैं और वह भी खूब सारे. बिगेनर्स भी पीछे ...

है शिकार इन्सान

Apr 6, 2010 | Author: श्यामल सुमन | Source: मनोरमा

दूर हुआ कर्तव्य से अधिकारों का ज्ञान। बना शिकारी आदमी है शिकार इन्सान।।

मोर

Apr 6, 2010 | Author: Manju Gupta | Source: नन्हा मन

मोर काले काले बादल छाए , धडाधड शोर हैं मचाएँ , घनघोर घटाएँ हैं गाएँ , मौसम सुहाना है लाए

आज के दिन गांधी जी ने नमक कानून तोड़ा था

Apr 6, 2010 | Author: मनोज कुमार | Source: मनोज

आज के दिन गांधी जी ने नमक कानून तोड़ा था -- मनोज कुमा

आज रज़िया "राज़" तथा सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) का जनमदिन है

Apr 5, 2010 | Author: बी एस पाबला | Source: हिंदी ब्लॉगरों के जनमदिन

आज, 6 अप्रैल को रज़िया मिर्ज़ा वालीं रज़िया "राज़" तथा कार्टून धमाका वाले सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) का जनमदिन है।

संपत्ति की घोषणा करने वाले देश के पहले जज ने हाई कोर्ट में पहली बार की रविवार को सुनवाई

Apr 5, 2010 | Author: लोकेश Lokesh | Source: अदालत

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार रविवार को अदालत में सुनवाई कर जस्टिस केएस कन्नन ने मिसाल कायम की है। जस्टिस कन्नन ने इस दौरान हरियाणा पावर जनरेशन कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीजीसीएल) में सहायक अभियंता की भर्ती के लिए वर्ष 2009 में हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा निकाले गए विज्ञापन के खिलाफ एयर फोर्स के छह सार्जेटों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में उन्होंने कमीशन द्वारा उनके आवेदन को स्वीकार न करने के फैसले को चुनौती दी हुई है।

लघु व्यंग्य - ताकि अब और कोई भैंस पानी में न जाए !

Apr 5, 2010 | Author: पी.सी.गोदियाल | Source: अंधड़ !

बहुत दिनों से ग्वालो और चरवाहों को बस यही बात खाए जा रही थी कि आखिर भैंस के पानी में जाने की वजह क्या थी? भैंस अपने चौबारे से बिदकी क्यों? घर में सब कुछ था, न सिर्फ महाजन बल्कि पूरा गाँव ही उसे रोज हरी-हरी घास खाने को देता था। महाजन ने घर में ही उसके लिए स्वीमिंग पुल की भी व्यवस्था की हुई थी। गाँव का एक शरीफ भैंसा भी कुछ दिनों तक उसके इर्द-गिर्द घूमा फिरा था, फिर आखिर क्या वजह थी कि भैंस ने पानी में उतरने का इतना मजबूत फैसला लिया? जबसे इस बात का खुलासा हुआ है कि इसकी असली वजह उस पार के गाँव ...

बात तो कल हमारी भी महफूज भाई से फोन पर हुई है, मगर इसे लगाया है-

यूरेका

ब्लॉग पर-……!

खबर पक्की है ... @ महफूज अली

Apr 5, 2010 | Author: M VERMA | Source: यूरेका

आज महफूज जी से बात हुई

ओह आज तो यही मूड है जी ......

Apr 5, 2010 | Author: अजय कुमार झा | Source: कुछ भी...कभी भी..

छुट्टी के बाद अक्सर जो पहला दिन होता है कार्यालय में वो बहुत ही थकान देने वाला रहता है खासकर सोमवार तो अवश्य ही । ऐसा लगता है कि शुरूआत में छक्का मारने की नीयत जैसे सप्ताह के पहले दिन ही सप्ताह भर के काम निपटाने की जुगत में लगे हों । और ऐसी स्थिति में यदि ये मन करे तो मेरा क्या कसूर है ।

वो भी जलता है तडपती है प्यास मेरी तरह

Apr 5, 2010 |

Source: धड़कन -

दिल की बातें ...... दिल से ..

फिजां भी लगती है तन्हा उदास मेरी तरह क्या इसे भी है किसी की तलाश मेरी तरह

anurodh

Apr 5, 2010 | Author: knkayastha | Source: हिंदी-हृदय:नीरज

प्रिय मित्रों...

आज की चर्चा में बस इतना ही-
नमस्कार!

13 टिप्‍पणियां:

  1. achi rahi aaj ki charcha


    shekhar kumawat

    http://kavyawani.blogspot.com/

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  2. शास्त्री जी, आपकी चर्चा में शास्त्रीय संगीत जैसा ही दिल पर असर करने वाला आनंद मिलता है...

    आज की पोस्ट मैं आपने मेरे नाम के साथ लगे सहगल को सिंह बनाकर सही में ही आज पाबला जी का छोटा भाई बना दिया...सिंह इज़ किंग...

    जय हिंद...

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  3. बहुत ही बढिया चर्चा रही………॥काफ़ी लिंक्स यहीं मिल गये………॥आभार्।

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  4. सदैव की भान्ती बेहतरीन चर्चा!!
    आभार्!

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  5. बहुत ही बढिया चर्चा ..आभार्।

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. आज के चर्चा मंच के नीचे तो बहुत से लिंक सजे हैं!
    आप सबके श्रम को नमन!
    आपके लिंकों का आदर करता हूँ और चरचा में लगा भी दूँगा!
    अब तो आप सब खुश हो जायेंगे ना!

    जवाब देंहटाएं

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