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गुरुवार, अप्रैल 08, 2010

“कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी....” (अदा)

"चर्चा मंच" अंक - 115
चर्चाकारा :  “अदा”
हाँ तो बात ई है कि हम आज पहिली बार चर्चा करने बैठे हैं....और कह रहे हैं कि ज़िन्दगी में पहली बार ...इस ख़ातिर अगर कोई
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भूल-चूक हो जाए तो माफ़ी का तलबगार हैं हम.....इसके पहिले कि आपलोग आगे पढ़ें और
बिन बात के लोटा-पानी लेके हमरे पीछे दौड़ जावें....सुन लीजिएगा हमरी बात....
पहली बात, ब्लॉग संसार अगाध सागर है....ईहाँ जितना डुबकी लगावेंगे ओतना मोती पावेंगे...और सब एक से ए
क नायाब ...लेकिन का करे समय कम और मोती ज्यादा....आप सबसे अनुरोध  है कि अगर कहीं कोई ऐसा पोस्ट नज़र आ जावे जो आप सबको लगे कि ये चर्चा में होना ही चाही तो कृपा करके लिंक भेज देवें हमको....बहुत मेहरबानी  होवेगी....
दूसरी बात, हम ई सोचते हैं कि पोस्ट नई हो कि पुरानी इससे कोई मतलब नहीं होना चाही, मतलब तो है पोस्ट की सार्थकता से, इस ख़ातिर हम पुरानी पोस्ट भी अगर काम की है तो चर्चा में लावेंगे....आप सब नाराज़ नाही होवेंगे....कसम खाइए...
तीसरी सबसे अहम् बात, नई प्रतिभा को पूरा स्थान दिया जावेगा....आज पहिला दिन था और हमको ज्यादा समय नहीं मिला इस खातिर कम ही नए लोगन को ला पाए हैं...आगे की चर्चा की ख़ातिर नए लोग आकर अपना-अपना ब्लॉग का एड्रेस ज़रूर बतावेंगे...हमको जब-जब जो-जो ठीक लगेगा उनकी चर्चा हर हाल में की जावेगी....इसलिए हम नए लोगों से अनुरोध करते हैं कि हमको अपनी पोस्ट्स का लिंक कमेन्ट में दी देवें .....हमरी  चर्चा में उनका विशेष स्वागत  है.....
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अरविंद मिश्रा जी हाईप तो सानिया मिर्ज़ा को किया गया है न कि महफ़ूज़ को


मित्रो आज़ अगर महफ़ूज़ अली की उपलब्धि के समाचार को मैने पोस्ट किया अरविंद मिश्रा जी ने ओर उसके पहले ”गुमनाम ब्लाग समाचार नामक व्यक्ति” अज़ीबो गरीब टिप्पणियां कीं हैं मित्रो सच तो ये है कि हम आकाश की ओर मुंह करके थूकने की अभद्र कोशिश में लगे रहतें हैं
कुछ बात है कि हस्ती मिटनी नहीं हमारी……जियो सरदार जी
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पिछले कुछ दिन बहुत व्यस्त बीते। घर में ४-५ दिन का आवश्यक काम होने के कारण ओफिस से अवकाश लेकर बीबी-बच्चों के साथ अपनी होमटाऊन दिल्ली जाना था। एक घंटा लुधियाना तक और लगभग पांच घंटे दिल्ली तक। कुल मिलाकर होम टू होम सात घंटे। ओफ़िस में स्टाफ़ की कमी होने के कारण छुट्टी मिल पाना भी एक तोहफ़ा सा लगता है। कोई भी चीज जो कठिनाई से प्राप्त होती है, अच्छी ही लगती है। ऐसा भी कह सकते हैं कि जो भी सहज और सुलभ है, उसका हम लोग महत्व नहीं समझते। अब यही छुट्टी की ही बात करें तो पहले राशनिंग नहीं थी तो कोई बात ही नहीं थी, अब कुछ पाबंदी हैं तो हमें भी ध्यान रखना होता है कि प्रोग्राम ऐसा बनायें कि किसी को खटके न। तो छुट्टियां मंजूर हुईं शुक्रवार से लेकर बुधवार तक की यानि रविवार का दिन पेनल्टी में जायेगा। खैर, तदानुसार रिजर्वेशन भी करा लिया।

कुछ सवाल जवाब- शोभना image
आजकल बिना घी की सुखी रोटी से ही काम चलाना पड़ता है
अरे गाडी को रोज मंहगा पेट्रोल जो पिलाना पड़ता है
आजकल बच्चे के जनम लेते ही माँ बाप को पढना चालू करना पड़ता है 
अरे बच्चे के दाखिले के लिए माँ बाप को भी interview से जो गुजरना पड़ता है
image शोएब के बहाने सानिया का जीना हराम
करने की तैयारी
टेनिस सनसनी सानिया मिर्ज़ा से ख़फ़ा
'मज़हब के ठेकेदार' अब शोएब के
बहाने उस पर अपनी भड़ास
निकाल रहे हैं...
ख़बर है कि भोपाल में ऑल इंडिया
मुस्लिम त्योहार कमेटी ने इस्लाम और शरीयत के ख़िलाफ़ काम करने के
इल्ज़ाम में सानिया मिर्ज़ा को जाति से बाहर कर दिया है...
imageखुजली का सुख
मानव शरीर में होने वाले व्याधियों में ऐसी कोई व्याधि नहीं जो कष्टकर न हो...परन्तु " खुजली " एक ऐसी व्याधि है जो त्वचा को भले लाख घात पहुंचाए पर खुजाने का स्वर्गिक सुख आनंद और तृप्ति का वह भली प्रकार कह सकता है जो कभी भी इस व्याधि के चपेट में आ चुका हो और खुजाने का सुख पा चुका हो....सोचिये न, कहीं किसी ऐसे स्थान और स्थिति में जहाँ चहुँ ओर से हम वरिष्ठ जनों से घिरे हुए हों और उसी पल शरीर के नितांत वर्ज्य प्रदेश में जोर की खजुआहट मचे.... शिष्टाचार का तकाजा ऐसा कि हम खजुआ ही नहीं सकते...कैसी कष्टप्रद स्थिति बनती है कितनी कसमसाहट होती है...घोर खुजलीकारक उस क्षण में यदि मन भर खुजलाने का सुअवसर मिल जाए तो वह सुख किसी भारी भरकम लाटरी जीतने से कमतर होगा क्या ?? हमारे इसी अवस्था को भुनाने के लिए देखिये न कैसे कैसे उत्पाद बाज़ार में बिक रहे हैं..." दाद खाज खुलजी का दुश्मन - बी टेक्स लोशन बीटेक्स मलहम " इत्यादि इत्यादि...
और अब ......

इक दौर वो भी था
हर घर के किसी एक ही कमरे में पड़ा
एक ही टी.वी.
सबका सांझा हुआ करता था
शाम ढलते ही उमड़ पड़ता
देखने वालों का जमावड़ा
सब के सब एक ही जगह ...
सब... इक साथ...पास-पास
सबकी सांझी ख़ुशी, सांझी सोच, सांझी मर्ज़ी
तब ......
घर में सब जन एक थे... इकट्ठे...
इक दूजे के पास-पास, इक दूजे के साथ-साथ
“क्षणिकाएँ” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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(1)
एक क्लिक में शुरू
एक क्लिक में खत्म
नेट की दोस्ती
(2)
बसन्त में बहार
झाड़ियों पर निखार
चार दिन की चाँदनी
फिर है अंधियार


imageनिगाहें मिलाने को जी नहीं चाहता
पिछले दिनों उत्तराखंड के एक सुदूर गांव में बने पर्यटन स्थल पर
एक जर्मन छात्रा से  मुलाकात हुई। वह हिंदुस्तान के बारे में
पढ़ाई कर रही है और इंटर्नशिप के लिए हर साल तीन-चार महीने के लिए
यहां आती है। यहां आना उसके पाठ्यक्रम का जरूरी हिस्सा है।
उससे बातचीत के दौरान गोवा में किशोरी स्कारलेट के साथ बलात्कार और
उसकी हत्या की घटना पर भी चर्चा हुई। बातचीत खूब देर तक चली।
उस दौरान यहां और जर्मनी में स्त्री-पुरुष समानता से लेकर
उनके आपसी व्यवहार और उसकी सांस्कृतिक व्याख्या तक के
विषयों पर बात हुई। बातचीत के दौरान उसने बताया कि वह इस देश में
कोशिश करती है कि सूरज ढलने के बाद बाहर न रहे।
रात आठ या ज्यादा से ज्यादा नौ बजे तक बाहर रहती है, उसके बाद नहीं।
जबकि जर्मनी में दिन-रात कभी भी घर से निकले, कोई दिक्कत नहीं होती।
….
यू.के. से महेंद्र दवेसर “दीपक” की लघुकथा – ‘त्रिशूल’image

महेन्द्र दवेसर “दीपक
जन्म: नई देहली¸14 दिसम्बर 1929
शिक्षा तथा संक्षिप्त जीवन चित्रण:
1947 में विभाजन के समय डी. ए. वी. कॉलेज, लाहौर में F.Sc (Final) के विद्यार्थी। प्रभाकर (पंजाब विश्वविद्यालय, 1950)।
पंजाब युनीवर्सिटी कैम्प कॉलेज, नई देहली में
एम. ए. – अर्थशास्त्र (Final) के विद्यार्थी – 1952,
परीक्षा पूर्व भारतीय विदेश मंत्रालय की विदेश सेवा में चयन पश्चात
जाकार्ता, इंडोनेशिया में भारतीय दूतावास में नियुक्ति।
बात की शुरुआत ....... दिल या दिमाग की कमजोरी है ..??
image वाणी गीत कि पोस्ट
आभासी दुनिया में संवाद कितना ज़रूरी है ??

अरूंधति आओ,देखो 76 जवानों को मौत के घाट उतार दिया गया है?अच्छा लग रहा है ना सुनकर?पड़ गई ना कलेजे में ठंडक?हो गया ना तुम्हारा बस्तर आना सफ़ल?
imageअच्छा लग रहा है ना सुनकर?पड़ गई ना कलेजे में ठंडक?
हो गया ना तुम्हारा बस्तर आना सफ़ल?
तुम तो सात दिन रहीं थी नक्सलियों के साथ,है ना?
उनकी दलाली मे एक बड़ा सा लेख भी लिख मारा था,है ना?
बड़ी तारीफ़ हुई होगी,है ना?
खैर रोकड़ा तो मिला ही होगा,इस बार नही पूछुंगा,है ना,
क्योंकि इसका तो सवाल ही नही उठता।    
पुनर्जन्म सिर्फ़ भारतीयों का होता है, क्यों...खुशदीपimage
भगवान के दरबार में एक देवदूत आकर शिकायत करता है...
स्वर्ग में कुछ भारतीय हैं और समस्याएं खड़ी कर रहे हैं..स्वर्ग के गेट को
झूला बना कर झूल रहे हैं...सफेद लिबास की जगह एक से बढ़कर एक
डिजाइनर कपड़े पहन रहे हैं...रथों पर घूमने की जगह मर्सिडीज़
और बीएमडब्लू को दनदनाते चला रहे हैं...
अपनी चीज़ों को डिस्काउंट ऑफर कर बेच रहे हैं...
जब देखो स्वर्ग की सीढ़ियों को ब्लॉक कर देते हैं...
वहीं सीढ़ियों पर बैठकर चाय के साथ समोसे उड़ाना शुरू कर देते हैं...
उड़न तश्तरी ....

ये लिजिये विडियो और गिलहरी - रोज सुबह जागकर जब खिड़की के पास आकर बैठता हूँ तो छम्म से एक गिलहरी आकर खिड़की के पास बैठ जाती है. आंगन में खेलती है और थकती है तो फिर खिड़की के पास आकर सुस्...
ताऊजी डॉट कॉम

वैशाख्नंदन सम्मान प्रतियोगिता मे : प. श्री डी.के. शर्मा "वत्स" - प्रिय ब्लागर मित्रगणों, हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई है...
अब आज की मुलाक़ात बस इतनी...अगले हफ्ते इसी समय इसी जगह फिर मुलाक़ात होवेगी....तब तक के लिए ....हाँ नहीं तो..!!!

28 टिप्‍पणियां:

  1. वाह जी, पहली चर्चा ही धमाकेदार...अब मंच जमाये रहिये!! बहुत खूब!!

    जवाब देंहटाएं
  2. चर्चा बढ़िया है। लेकिन पोस्टों के साथ आपकी कमेंट्री चलती रहे तो पोस्ट पर टिप्पणी मतलब सोने पर सुहागा।

    जवाब देंहटाएं
  3. पहली इनिंग में ही सेंचुरी...

    अदा जी, अनूप जी का सुझाव बहुत अच्छा है, इस पर गौर करिए...

    शास्त्री जी, टीम में अदा जी को सदस्य के तौर पर जोड़ने के लिए आभार...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  4. अदाजी पहली बार चिटठा चर्चा कर रही है ..ऐसा बिलकुल भी नहीं लग रहा ...मगर ये एक तस्वीर ही इतने सारे ब्लॉग्स पर देख ली है ...तस्वीर तो दूसरी लगा देती ...
    बहुत अच्छे लिंक दिए ...
    बहुत बढ़िया चिटठा चर्चा ..

    बधाई और शुभकामनायें ....!!

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  5. Anil Pusadkar has left a new comment on your post "कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी....":

    तेंदुलकर टाईप शुरूआत है।बहुत से रिकार्ड टूटेंगे और कुछ कभी नही टूट पाने के लिये बनेंगे।शानदार शुरुआत की बधाई और लम्बी इनिंग के लिये शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  6. Dhiraj Shah has left a new comment on your post "कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी....":

    हर दिन के तरह आज भी बेहतरीन चर्चा।
    बधाई हो।
    सारे एक से एक धुरन्धर है।

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  7. हरि शर्मा has left a new comment on your post "कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी....":

    शानदार और दमदार शुरूआत.

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  8. मित्रों!
    चर्चा दो बार प्रकाशित हो गई थी!
    कुछ कमेंट दूसरी पर भी आ गये थे!
    मेल में से उठाकर
    केवल उन्हीं को इसमें लगाया गया है!

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  9. आपने सारे उपयोगी लिन्क भेज दिये शुक्रिया जी
    पाड्कास्ट को शामिल करने का आभार

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  10. यह जान कर और खुशि हुई की चर्चा अदा जी ने लगाई तय था बडी अदा से लगेगी ही
    सम्मान के साथ शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं

  11. वाह, क्या बात है ?
    हम अपना कमँडल खड़ाऊँ वड़ाऊँ छोड़ छाड़ दौड़े चले आये,
    कि कौन हमारी ’ अदा ’ को मिटाने की कोसिस कर रहा है ?

    हियाँ आयें हैं, त मज़रा कुछ अऊर ही पाते हैं ।
    मर्डरेशन नहीं होने से टिपियाने का लालच भी हो रिया है ।

    त एतना कहेंगे के पोस्टवा सब चर्चियाने लायक हईये है,
    मुला चर्चियाने की अदा पर निखार का निसार काहे नहीं है, जी ?

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  12. सार्थक शब्दों के साथ अच्छी चर्चा, अभिनंदन।

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  13. vdhiya hai jee pahli hi bar me.
    anoop ji ka sujhav agar maan lein to aur mast

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  14. बहुत लाजवाब चर्चा. इसी तरह ये कारवां जारी रहे. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  15. ब्लॉगिंग के दुनिया में नए लोगों को स्थान देने की जो बात हुई है ... उससे मन को अच्छा लगा ... पुराने उस्ताद और गुरुजन तो हैं ही चर्चा और तारीफ़ के काबिल ... पर नए लोगों को भी मंच मिले ये ख़ुशी की बात है ... मैं यहाँ मेरे ब्लॉग का लिंक दे रहा हु ... यदि उसमें चर्चा में शामिल होने लायक कुछ हो, तो ख़ुशी होगी और खुद को खुशकिस्मत समझूंगा ! और ,हाँ मेरे किसी भी पोस्ट पर कोई टिपण्णी को मैं नतमस्तक होकर स्वागत करता हूँ ! आप सबका सुझाव व टिप्पणी मुझे और उत्साह से भरता है ! आप सबका आभारी ...

    http://indranil-sail.blogspot.com/

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  16. का डाक्टर साहेब,
    अब का कहें ...!!
    लोग-बाग़ खडाऊं कमंडल करताल हाथ में लिए-लिए चारो-चौहद्दी अदा खोज रहे हैं....
    माने...का जबाना आ गया है...
    हाँ नहीं तो...!!!

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  17. सब पढ्वैया लोगन को बहुते सुक्रिया कह रहे हैं ...
    पहिला बार बांचे थे...अब आगे-आगे देखिये होता है क्या...:)
    बाकी आते रहिएगा...

    जवाब देंहटाएं
  18. बस जी,
    चर्चा के इसी अंदाज़ की कमी थी,
    जो आज पूरी है गई!

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत बढ़िया चिटठा चर्चा .बधाई और शुभकामनायें

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  20. बहुत बढ़िया चर्चा ..

    शुभकामनायें

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  21. अदा जी,
    सर्वप्रथम आपका व आपके माध्यम से चर्चामंच का धन्यवाद कि नये व अल्पज्ञात ब्लॉगर्स को इस चर्चा में स्थान दिया गया।
    बैनर लगा रखा है कि ’मो सम कौन कुटिल खल कामी’ तो निंदा स्तुति से निरपेक्ष नहीं हूं, स्वीकार करता हूं। प्रश्रय और वो भी एक नामचीन हस्ती के द्वारा और भी सुखकर है।
    आपको सुनना, पढ़ना और देखना(क्रम अपनी समझ के अनुसार सुधार सकती हैं) हमेशा से ही मुझे अच्छा लगता रहा है। इसी लालसा में आपके द्वारा की जाने वाली पहली चर्चा तक पहुंचा था, पहुंच कर कैसा महसूस कर रहा हूं, शायद नहीं लिख पाऊंगा। अभी बहुत कुछ सीखना है, सीख जायेंगे धीरे धीरे। सबसे बड़ी दिक्कत मेरे साथ लिंक की है(लिंक लगाने की भी और लिंक बनाने की भी) हा हा हा।
    वैसे एक चर्चा में पहले भी मुझ जैसे कई बंधुओं का ब्लॉग के नाम को लेकर ज़िक्र हो चुका है। चर्चाकार महोदय और टिप्पणी करने वालों ने अपनी श्रद्धानुसार विवेचना की थी, हमने भी अपनी श्रद्धा वहां प्रकट कर दी थी। जैसा मिले, वैसा लौटाने की कोशिश ही यहां टिप्पणी करने को प्रेरित कर रही है। वैसे ब्लॉगजगत का अभी तक का अपना अनुभव अच्छा ही रहा है।
    पुन: आपका धन्यवाद।
    आभार स्वीकार करें।

    जवाब देंहटाएं
  22. बेहतरीन लिंक के साथ इतनी खूबसूरत चर्चा पर बधाई

    जवाब देंहटाएं

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