फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, मई 11, 2010

“मातृत्व : तनी हुई रस्सी पर” (चर्चा मंच-150)

"चर्चा मंच" अंक - 150
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक
आइए आज के "चर्चा मंच" को  सजाते हैं-
आज मैं आपको अपनी पसन्द के 
कुछ ब्लॉग्स की ओर ले चलता हूँ!
देखिए निम्नांकित लिंक और पोस्ट्स का
संक्षिप्त विवरण!
आलेख
उड़न तश्तरी ....
infla
बुक्का फूटा..बुक्क!!! - हमारे पास आँखे हैं तो देखने की सुविधा है. मगर हम बस दूसरों को देख सकते हैं. काश!! अपनी आँखों से हर वक्त खुद को भी देख पाते. दर्पण इज़ाद कर लिया है लेकिन...
मूँह में हवा भरता.....
तमाचा मारता
और
आवाज आती
बुक्क!!
-समीर लाल ’समीर’
कर्मनाशा

मातृत्व : तनी हुई रस्सी पर - **** सुन रहा हूँ। आज सुबह से ही अखबार ,इंटरनेट और टीवी पर देख रहा हूँ कि आज 'मदर्स डे' है। इतने - इतने 'डे' हो गए हैं कि हिसाब रखना कठिन हो गया है और असल...
घुघूतीबासूती
माँ के साथ मदर्स डे। हमारे जमाने में तो एक ही डे होता था!.................................. घुघूती बासूती - आज शाम को मैं माँ के साथ उनके कमरे में बैठ समाचार देख रही थी, या यूँ कहिए देखने की अभिलाषा लिए थी। बहुत सारे विज्ञापनों के बाद जब समाचारों की जग...
कूटनीतिक तौर पर देखा जाए तो सबसे सफल राष्ट्र कहा जा सकता है पाकिस्तान को !
| Author: पी.सी.गोदियाल | Source: अंधड़ !
पाकिस्तान एक नाकाम राष्ट्र है, पाकिस्तान एक अस्थिर और असफल राष्ट्र है...पाकिस्तान एक आतंकवादी राष्ट्र है, पाकिस्तान की नीव ही घृणा की बुनियाद पर पडी है, पाकिस्तान का कोई ईमान नहीं है, इत्यादि, इत्यादि, ऐसी बाते तो हम लोग अक्सर बोल, सुन लिया करते है, मगर यह बात सुनने में बड़ी अटपटी लगेगी, अगर मैं कहूँ कि पाकिस्तान कूटनीतिक तौर पर दुनिया का एक सबसे सफल राष्ट्र है..........
कसाब को सजा सुनाने वाले न्यायाधीश, प्रधान सत्र न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत
| Author: लोकेश Lokesh | Source: अदालत
पाकिस्तानी आतंकवादी आमिर अजमल कसाब को मौत की सजा सुनाने वाले न्यायाधीश एमएल तहिलियानी को मुंबई की दीवानी एवं सत्र अदालत में प्रधान सत्र न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया है। तहिलियानी ने 26/11 के आतंकी हमलों में 166 लोगों की जान लेने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में 22 वर्षीय कसाब को फांसी की सजा सुनाने के एक दिन बाद, दीवानी एवं सत्र न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश की जिम्मेदारी संभाल ली। उन्होंने 26/11 मुकदमे की सुनवाई अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश के रूप में की थी। उन्होंने प्रधान सत ..
भारतीय क्रिकेट का नया चेहरा : उमेश यादव
| Author: Ram Shiv Murti Yadav | Source: यदुकुल
क्रिकेट की शोहरत किसे नहीं भाती। दुनिया की छोड़िये खुद भारत में इसके इतने दीवाने हैं कि उनकी गिनती मुश्किल है. प्रतिभाशाली यदुवंशी हर क्षेत्र में अपना जौहर दिखा रहे हैं, पर क्रिकेट में इसकी कमी अक्सर खलती है. अभी तक क्रिकेट के क्षेत्र में शिवलाल यादव, ज्योति यादव और जे0 पी0 यादव के ही नाम उभरकर सामने आते है, पर शिवलाल यादव के अलावा अन्य किसी को बहुत आगे जाने का मौका नहीं मिला. पूर्व टेस्ट खिलाड़ी शिव लाल यादव के पुत्र अर्जुन यादव का चयन आई.पी.एल. थर्ड सीजन में डेक्कन चार्जस (हैदराबाद) में किय ...
अब तो हद हो गयी है
| Author: नवीन प्रकाश | Source: Hindi Tech Blog
सच में अब तो हद ही हो गयी है आपके पास जरा भी समय नहीं है की एक टिप्पणी या एक सुझाव दे सकें ? अगर कोई लिंक नहीं खुल रही या आपको लगता है की ब्लॉग अपनी दिशा से भटक रहा है तो क्या आपका फ़र्ज़ नहीं बनता की एक सूचना मुझे भी दें । ये ब्लॉग आपके ही लिए है तो आपको भी सहयोग करना ही चाहिए । माना की आप सभी पाठक बहुत व्यस्त है पर कुछ मिनट तो इस ब्लॉग को दे ही सकते हैं ।......
एक लघु कथा - रिंगटोन
| Author: शिवम् मिश्रा | Source: बुरा भला
बेटा बहू गुस्से से पागल हो मां को धिक्कार रहे थे क्योंकि उनका छ: माह का बेटा रोते-रोते पलंग से गिर पड़ा था और मां उसका रोना नहीं सुन पाई थी॥ ग्लानि से भरी मेरी मां सब बर्दाश्त कर रही थी, क्योंकि उसे लगा था कि यह बहू का मोबाइल बज रहा है। अभी कल ही बहू ने उसके हड़बड़ाकर दौड़ने पर खिलखिलाते हुये कहा था मांजी मुन्ना नहीं ये रो रहा है.. उसके हाथ में उसका मोबाइल था। बच्चों के गुस्से पर मां बाजार को कोस रही थी कि आखिर और क्या-क्या बिकेगा इस बाजार में..?
10 मई 1857 की याद में
| Author: KK Yadava | Source: शब्द-सृजन की ओर...
आज 10 मई है। इस दिन का भारतीय इतिहास में एक विशिष्ट स्थान है। 1857 में भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम इसी दिन आरंभ हुआ था. 1857 वह वर्ष है, जब भारतीय वीरों ने अपने शौर्य की कलम को रक्त में डुबो कर काल की शिला पर अंकित किया था और ब्रिटिश साम्राज्य को कड़ी चुनौती देकर उसकी जडे़ं हिला दी थीं। 1857 का वर्ष वैसे भी उथल-पुथल वाला रहा है। इसी वर्ष कैलिफोर्निया के तेजोन नामक स्थान पर 7.9 स्केल का भूकम्प आया था तो टोकियो में आये भूकम्प में लगभग एक लाख लोग और इटली के नेपल्स में आये 6.9 स्केल के भूकम् ..
शीला दीक्षित को करारा जवाब दिया कवि केदारनाथ सिंह ने : संदर्भ हिन्‍दी अकादमी पुरस्‍कार प्रकरण
| Author: अविनाश वाचस्पति | Source: नुक्कड़
करारे होने पर से पापड़ों का अधिकार विलुप्‍त होने के कगार पर है। वैसे तो करारी और भी बहुत सारी वस्‍तुएं समाज में मौजूद हैं परन्‍तु पापड़ जब तक करारा न हो, पापड़ का पापड़पन ही कायम नहीं रहता है। पापड़ का पापड़ होना मतलब करारा होना ही है। पर इस करारा में से सिर्फ रार हिन्‍दी अकादमी के हिस्‍से में आई है। आज दैनिक जनसत्‍ता में मुख्‍य पेज पर हिन्‍दी के लब्‍ध प्रतिष्ठित कवि केदारनाथ सिंह ने दिल्‍ली की मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित को जो जवाब दिया है, उसे करारा बतलाते हुए एक विस्‍तृत समाचार प्रकाशित हु ...
कबीरा खडा़ बाज़ार में

लो क सं घ र्ष !: मंदिरों की शिलाओं में खोजो नहीं- राम शवरी के बेरों में मिल जायेंगे - दीन दुखियो के डेरों में मिल जायेंगे। प्रेम के सात फेरो मिल जायेंगे। मंदिरों की शिलाओं में खोजो नहीं- राम शवरी के बेरों में मिल जायेंगे॥ वो धनुष की सिशओं मे...
यशस्वी

हिमालय की यात्रायें - *रामनाथ पसरीचा (1926-2002) पांच से अधिक दशकों तक हिमालय की यात्रायें करते रहे। अपने पिट्ठू पर कागज, रंग और ब्रश लिये उन्होंने 65 शिखरों के...
बुरा भला

एक लघु कथा - रिंगटोन - बेटा बहू गुस्से से पागल हो मां को धिक्कार रहे थे क्योंकि उनका छ: माह का बेटा रोते-रोते पलंग से गिर पड़ा था और मां उसका रोना नहीं सुन पाई थी॥  ...
मुसाफिर हूँ यारों

हनुमानचट्टी से जानकीचट्टी - 20 अप्रैल, 2010। सुबह के साढे नौ बजे मैं उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री मार्ग पर स्थित हनुमानचट्टी गांव में था। यहां से आठ किलोमीटर आगे जानकीचट्टी है और चौदह...
काव्य मंजूषा

ब्लॉग समाचार ......पोस्ट माला - यह एक छोटी सी कोशिश है ब्लोगवाणी में पसंद के हिसाब से आये हुए प्रविष्टियों की बात करने की...हालांकि मैं स्वयं इस तरीके के पक्ष में नहीं हूँ, ..
कविताएँ
गीत...............

स्वयं सिद्धा बन जाओ - * * * * * * *नारी - * * * *तुम कब खुद को जानोगी * * * *कब खुद को पहचानोगी ? * * * * * *कुंठाओं से ग्रसित हमेशा * * * *खुद को शोषित करती हो * * * *अपने ही हा...
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर

दोहा श्रृंखला (दोहा क्रमांक - ८५) - *आपस में मिलकर गले,* *जगा दिलों में प्यार . * *सारे जग में बाँटिये,* *खुशियों के उपहार .. * *- विजय तिवारी " किसलय " *
ताऊजी डॉट कॉम
  वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता मे : श्री तेज प्रताप सिंह - प्रिय ब्लागर मित्रगणों, आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में श्री तेज प्रताप सिंह की रचना पढिये. लेखक परिचय नाम-तेज प्रताप सिंह शिक्षा-एम एस सी (जैवरसायन), प..
कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **

खाली किताब -

पढ़ रही हूँ ज़िन्दगी की किताब आहिस्ता -आहिस्ता वर्क दर वर्क पन्ना दर पन्ना लफ्ज़ बा लफ्ज़ फिर इस के एक -एक हर्फ को उतारूँ अपने जलते हुए सीने में और इस तरह बी...
गीत-ग़ज़ल
    मन के अँगना में फलक तन्हा है - *जिन्दगी तुझको जब भी देखा मैंने इक मुखौटे को तेरे हाथ से छीना मैंने मन के अँगना में फलक तन्हा है चाँद सूरज की तरह उनको उतारा मैंने* * मुड़ के देखा नहीं कभ...
नीरज
  मैं लाकर गुल बिछाता हूं - तुझे दिल याद करता है तो नग्‍़मे गुनगुनाता हूँ जुदाई के पलों की मुश्किलों को यूं घटाता हूं जिसे सब ढूंढ़ते फिरते हैं मंदिर और मस्जिद में हवाओं में उसे हरदम...
JHAROKHA
मात-दिवस के अवसर पर सभी मांओ को कोटि-कोटि नमन - *स्त्री जो हर रिश्तों के डोर से बधी हुई है।सबसे पहले किसी की बेटी*** *बन कर,फ़िर बहन ,ननद,भाभी ,किसी कि सखा फ़िर किसी कि पत्नि ..
naturica
    तेरा चूल्हा चाँद पका कर रखता मेरी थाली पर । - सिर रख के तुम्हारी गोद में आज अगर रो पाते माँ। तुम हाथ फेरती बालों पर तो शायद सो पाते माँ॥ तेरा चूल्हा चाँद पका कर रखता मेरी थाली पर । रात तवे सी अब काली ...
नवगीत की पाठशाला

११ : कफ़न के बस्ते : डॉ. जय जयराम आनंद - चील गिद्ध कौवे मंडराते लिए कफ़न के बस्ते टिड्डी दल बन फसल चाटते आतंकवादिए दस्ते पलक झपक...
शिखा दीपक
अब के जो.......... -
अब के जो बिखरी तो न सँवरूंगी कभी अपने हाथों से बनी खुद अपनी ही तकदीर हूँ रंग ले के लहू से नमी अश्कों से खुद अपने में रंग भरती आप अपनी ही तस्वीर हूँ जिनके प...
मदर डे: माँ के साथ
कल मदर डे था . कल मैंने मम्मी को परेशान नहीं किया ऐसा झूठ नहीं बोलूंगा, दरअसल कल भी मम्मी को खूब परेशान किया .रविवार का दिन था इसलिए पापा मुझे और मम्मी को ……माधव
सरस पायस
  अपनी माँ का मुखड़ा : रावेंद्रकुमार रवि का एक बालगीत - ** ** * ♥♥ अपनी माँ का मुखड़ा मुझको सबसे अच्छा लगता - अपनी माँ का मुखड़ा! कल-कल करती नदिया अच्छी, पंछी की सुरलहरी अच्छी, हर मंदिर की घंटी अच्छी, ...
और अन्त में ये कार्टून भी देख लीजिए-
Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून

कार्टून:- प्रकाशक की ठसक ठन ठन -
कार्टून : झारखण्ड - गुरूजी की दादी में
बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt

11 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई...आपकी बात निराली है ...हम तो कुछ कहने के लायक भी नहीं रहते हैं ...का कहें अब..
    कितनी सुन्दर चर्चा तो कर दी आपने...
    आपका ह्रदय से आभार...

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह साहब! बहुत उम्दा चर्चा. अब सब लिंक देख लिए.

    जवाब देंहटाएं
  3. आज हिंदी ब्लागिंग का काला दिन है। ज्ञानदत्त पांडे ने आज एक एक पोस्ट लगाई है जिसमे उन्होने राजा भोज और गंगू तेली की तुलना की है यानि लोगों को लडवाओ और नाम कमाओ.

    लगता है ज्ञानदत्त पांडे स्वयम चुक गये हैं इस तरह की ओछी और आपसी वैमनस्य बढाने वाली पोस्ट लगाते हैं. इस चार की पोस्ट की क्या तुक है? क्या खुद का जनाधार खोता जानकर यह प्रसिद्ध होने की कोशीश नही है?

    सभी जानते हैं कि ज्ञानदत्त पांडे के खुद के पास लिखने को कभी कुछ नही रहा. कभी गंगा जी की फ़ोटो तो कभी कुत्ते के पिल्लों की फ़ोटूये लगा कर ब्लागरी करते रहे. अब जब वो भी खत्म होगये तो इन हरकतों पर उतर आये.

    आप स्वयं फ़ैसला करें. आपसे निवेदन है कि ब्लाग जगत मे ऐसी कुत्सित कोशीशो का पुरजोर विरोध करें.

    जानदत्त पांडे की यह ओछी हरकत है. मैं इसका विरोध करता हूं आप भी करें.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुन्दर चर्चा है , कुछ जाने पहचाने लिंक मिले तो कुछ नए लिंक भी मिले . माधव की चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए धन्यवाद ,कितनी सुन्दर चर्चा तो कर दी आपने माधव की ...
    आपका तहे दिल से आभार...

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर चर्चा शास्त्री जी....
    आभार्!

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।