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सोमवार, मई 24, 2010

साप्ताहिक काव्य मंच (संगीता स्वरूप) "चर्चा मंच-163"

आज  की चर्चा साप्ताहिक नए और सुरुचिपूर्ण काव्य को ले कर की जा रही है…यह पहली चर्चा है इसलिए इसमें सप्ताह की बंदिश नहीं रखी है…आशा है आपको पसंद आएगी…यह मेरा प्रथम प्रयास है आशा है आप गलतियों को नज़रअंदाज़ कर और अपने बहुमूल्य सुझाव दे कर प्रोत्साहित करेंगे..


संगीता  स्वरुप
मेरा फोटो 

दिल की कलम से. … 
 नव क्रांति कोई तो होने दो, भारत को अब न सोने दो....

दिलीप ने इस कविता में बहुत से बिम्बों का प्रयोग करते हुए आह्वाहन किया है कि…अब नींद को त्यागो…यह एक जोश पैदा करने वाली रचना है..आप भी आनंद उठायें

स्वप्न मेरे….पर दिगंबर नासवा जी लाये हैं ….प्रगति

प्रगति के बावजूद क्या विडंबना है ये जानना है तो ये रचना ज़रूर पढ़ें
 
प्रगति
कुछ नही बदला
टूटा फर्श
छिली दीवारें
चरमराते दरवाजे
सिसकते बिस्तर
जिस्म की गंध में घुली
फ़र्नैल की खुश्बू
चालिस वाट की रोशनी में दमकते
पीले जर्जर शरीर………..

 My Photo

अविनाश उनियाल   ehsaas   में बता रहे हैं एक    आम आदमी   का दर्द …किस तरह संघर्ष करता है आम आदमी दिन प्रति दिन..
मैं
एक आम आदमी
रोज सवेरे
सपनों भरी नींद
का मोह त्यागकर
उठता हूँ ,
आईने में,
कल तक
चेहरे पर उभर आई
पल्लवी त्रिवेदी अपने  कुछ एहसास  के साथ लायीं हैं एक नज़्म..... ज़िन्दगी के सफ़र के अगले पड़ाव की ओर...जाते हुए उनको कैसा लग रहा है जानिये उनकी नज़्म पढ़ कर … 

वो मुझे मिला था
एक आवारा बादल की तरह
जो घर की छत पर कुछ पलों को
सुस्ताने रुक गया हो

ऐसे ही ठहर गया था वो
मेरे दरिया के मुहाने पर
मैंने अपनी रूह के पानी से भिगोया था उसे
बिना जाने ...ये पानी न जाने कहाँ बरसेगा

My Photo   अभिव्यक्ति »  है   उम्मेद गोठवाल की  और आज उनको सब बेगाने लग रहे हैं…..इनकी कविताएँ सोचने पर मजबूर करती हैं…आज के परिवेश और रिश्तों पर इनकी लेखनी खूब चली है…आप भी पढ़ें ……..

पुल टूट रहे है....

AAPKA HARDIK SAWAGAT HAI 

नारदमुनि जी   चंद  पंक्तियों में ही समेट लाये हैं रोशनी |  अँधेरा है,रोशनी नहीं है

मेरा फोटो   रेखा श्रीवास्तव  अपने ब्लॉग  HINDIGEN    पर लिख  रही हैं  कि   पत्थर बना दिया ..जिंदगी के उतार चढ़ाव को बखूबी बयां किया है…
मेरा फोटो

गिरिजेश राव जी के   कविताएँ और कवि भी.पर बहुत सुन्दर कविता अवतरित हुई है…आप ज़रूर पढ़ना चाहेंगे ….इस कविता का आनंद पढ़ कर ही लिया जा सकता है…

कविता नहीं - प्रलय प्रतीति

बरसी थी चाँदनी
जिस दिन तुमने लिया था
मेरा - प्रथम चुम्बन।
बहुत बरसे मेह
टूट गए सारे मेड़
बह गईं फसलें
कोहराम मचा
घर घर गली गली
प्रलय की प्रतीति हुई।………….
मेरा परिचय यहाँ भी है! 

उच्चारण  पर रूप चन्द्र शास्त्री जी बता रहे हैं 

“जीवन जीने की आशा है”



जीवन इक खेल तमाशा है,
जीवन जीने की आशा है।
जिसने जग में जीवन पाया,
आया अदभुत् सा गान लिए।
मुस्कान लिए अरमान लिए,
जग में जीने की शान लिए।

जीवन की परिभाषा जननी हो तो ये कविता ज़रूर पढ़ें

अंतर्मंथन   पर डा० दराल लाये हैं नीरज जी की एक रचना  ..

यहाँ हैल्थ की मजबूरी है , वहां वैल्थ की मजबूरी है -

 

सूखी रोटी 'ये' भी खाते

सूखी रोटी 'वे ' भी खाते ।

डाइटिंग से 'ये' वज़न घटाते

भूखा रह वे दुबला जाते ।

इनको साइज़ जीरो का शौक

उनको बस सर्वाइवल का खौफ……………


“ ये “  और “ वो “  कौन हैं इसको जानने के लिए पढ़िए ………


और  अब कुछ  विशेष कड़ियाँ (  लिंक्स )
  आवारा बादल पर पढ़िए  नीलेश माथुर के    

क्या मर चुके हैं शब्द

My Photo 

स्पंदन   पर  शिखा वार्ष्णेय  बता रही हैं

'एक शून्य तृप्ति..!

का एहसास .

 

राजेय सहा की कविता

आवाज दूं समन्दर को


पढ़िए अजनबी पर
My Photo

सतीश पंचम  सफ़ेद घर पर   कह रहे हैं ..

देख रहे हो लॉर्ड कर्जन......तुम्हारी बात

देख रहे हो लॉर्ड कर्जन
कभी तुमने कहा था
ठीक धरती की तरह
मंथर गति से हौले-हौले
भारत में फाईलें घूमती हैं
इस टेबल से उस टेबल  
उस टेबल से इस टेबल ……
आप भी जानना चाहेंगे कि आखिर कौन सी बात लार्ड कर्जन की बता रहे हैं…
 My Photo

एक गीत लायी हूँ आपके लिए श्रृंगार रस में भीगा हुआ…

पढ़िए रावेंद्र रवि  को…….इस गीत में …

हँसी का टुकड़ा

नथनी की परछाईं पर, सो
रहा हँसी का टुकड़ा!
उसे सुनाकर ख़ुश है लोरी,
गोरी तेरा मुखड़ा……….
 My Photo

जज़्बात, ज़िन्दगी और मै

पर इन्द्रनील सैल बता रहे हैं जिंदगी  का फलसफा..आइये देखिये आईने में ज़रा झाँक कर

ताकि तस्वीर, साफ़ दिखती रहे

My Photo 

घर होती हैं औरते सराय होती हैं

लमहा लमहा पर प्रज्ञा पांडे जी को पढ़िए ….औरतों के विभिन्न रूप
My Photo

अनामिका की सदाये.

अज्ज नू जी लो यारो, कल दा की पता..

यहाँ पंजाबी  में हिंदी के तड़के का आनंद लीजिए .
कल किसने देखा यही बताने का प्रयास है इस रचना में …..
मेरा फोटो

रचना दीक्षित को   रचना रवीन्द्र     पर

शांति पथ


में पढ़िए कि लाख झंझावात आयें फिर भी मन कि नमी उर्जा देती है
My Photo

कवि योगेन्द्र मौदगिल »  जी  की ग़ज़ल

देख कचहरी में चलती हैं.


भ्रष्टाचार का खूब पर्दाफाश कर रही है ..
मेरा फोटो

मेरी भावनायें... »  रश्मि प्रभा जी के ख़्वाबों से रु-ब-रु  होइए इस नज़्म में ..

इस बार नज़र नहीं लगने दूंगी

कितनी छोटी सी लड़ाई थी
पर हमारे चेहरे गुब्बारे हो गए थे
- महीनों के लिए !
जिद उस उम्र की
इगो का प्रश्न था
My Photo

कुछ कहानियाँ,कुछ नज्में

अपनी क्षणिकाओं में आज के जाति वाद से होने वाले अवसाद को बताया है.. इस दर्द को आप भी महसूस करें…

क्षणिकाए (दर्द)


मेरा फोटो

नीरज कुमार झा   मेरा पक्ष 
पर लिखते हैं   ..खामोशी भी चैन नहीं लेने देती .. 

उनींदा
दिन में आवाजों की ख़मोशी
करती हैं बेचैन
रात में ख़मोशी की आवाजें
सोने नहीं देती
श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना \

Unmanaa

      पर साधना वैद्य की माताजी की रचनाएँ पढने को मिलीं…सुन्दर भाषा शैली के साथ खूबसूरत भावनाएं मिलती हैं….आप भी एक बार ज़रूर पढ़ें..
साथी मेरे गीत खो गए
साथी मेरे गीत खो गए !
उस दिन चन्दा अलसाया था,
मेरे अंगना में आया था,
……किरण

My Photo



मेरी कलम से..पर अविनाश लाये हैं कुछ क्षणिकाएं….

क्षणिकाएँ... (भूख

कितनी तरह की भूख है ज़रा आप भी पढ़िए.
मेरा फोटो

कोना एक रुबाई का

का में स्वप्निल (आतिश ) ने नायब नए बिम्ब लिए हैं …..
तेरे वादों के चूहों ने, मेरी हर शाम कुतरी है
My Photo

काव्य मंजूषा »  में पढ़िए नयी ग़ज़ल..

पर बैठा रहा सिरहाने पर ....


तू प्यार मुझे तन्हाई कर
बस शाने पर अब रख दे सर
तू साथ है तो सब है गौहर
वर्ना है सब कंकर पत्थर
मेरा फोटो

ज़िन्दगी »   में  वंदना गुप्ता मन के मंदिर कि बात खूबसूरत अंदाज़ में बयां कर रही हैं

तेरे मन का मंदिर




और अब चर्चा के अंत में  मैं आपको वो कविता दे रही हूँ जो शब्दों के दरिया से निकल कर आई है……बहुत से लोग इसे पढ़ चुके होंगे….पर यह ऐसी कविता है जिसे बार बार पढने का मन होगा…

आप भी आनंद उठायें     

उड़न तश्तरी ….. पर    बहता दरिया है शब्दों का!

   
आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ…….अगली चर्चा के लिए फिर हाज़िर होऊँगी……आपके विचारों का स्वागत है और इंतज़ार भी …..शुक्रिया

33 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी चर्चा ...बेहतर लिंक मिले ...आभार ...!!

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  2. संगीता स्वरूप जी!
    चर्चा मंच में आपका स्वागत करता हूँ!
    --
    पहली ही चर्चा में
    आपने यह साबित कर दिया कि
    आपमें एक कुशल चर्चाकारा के
    सभी गुण विद्यमान है!
    --
    बहुत-बहुत बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत से मित्रों ने मुझे व्यक्तिगत रूप से कहा था कि http://uchcharan.blogspot.com/उच्चारण ब्लॉग खुलने में बहुत टाइम लेता है!
    --
    चर्चा मंच के माध्यम से अपने सभी ब्लॉगर मित्रों को सूचना दे रहा हूँ कि मैंने http://uchcharan.blogspot.com/उच्चारण का टेम्प्लेट बदल दिया है!

    जवाब देंहटाएं
  4. संगीता जी, धन्यवाद, मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए भी और एक सुन्दर चर्चा के लिए भी ...
    आज शाम को बैठ सारे लिंक देखूंगा ...

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  5. बहुत सजब की चर्चा..आनन्द आ गया!

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  6. bahut see sunder rachanaon ko aapne ek khoobsoorat manch diya hai .. bahut achchha laga .. hamari kavita ko charcha manch par laane ke liye aapko hridaya se dhanyvaad .

    जवाब देंहटाएं
  7. इतनी सारी अर्थवान और सशक्त रचनाओं की सभी लिंक्स एक बारगी ही एक स्थान पर मिल गयीं इसके लिए आपकी आभारी हूं ! मेरी माँ की कविता 'साथी मेरे गीत खो गए' को इसमें सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  8. एक से एक लिनक्स मिले ...
    मेरी रचना को शमिल करने के लिए आभार

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  9. क्रमवार जो लिंक मिले , उसका चयन आपने जितनी सजगता से किया, वह प्रशंसनीय है

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  10. चर्चा मंच के माध्यम से एक नया मंच प्रदान करने हेतु आदरणीया संगीता स्वरूप जी का हृद्य से आभार.........सबसे अधिक प्रसन्नता की बात यह है कि आप ने कवियों के एक समूह को एक मंच पर ला दिया है....साथ ही परिचय के रूप में दी गई आपकी टिप्पणियां बहुत ही सार्थक व सटीक है.........एक बार पुन: बधाई व शुभकामनाएं।

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  11. Shukriya Sangeeta ji bahut abhaar mujhe is charcha me shaamil karne ke liye...aapka yunhi protsahan raha to kalam se zarur koi na koi badlaav laane ka aur unhe karm me parinat karne ka prayaas karta rahunga...

    जवाब देंहटाएं
  12. साधुवाद, अपनी कविता चर्चामंच पर देखकर बहुत अच्छा लगा. व्यक्तिगत रूप से लिखना एक बात है और उसको पहचान देना कहीं बड़ी बात है. आपके सद्प्रयास की जितनी सराहना की जाए, कम है.

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  13. ye to khub zabardast charcha hui...bahut se naye post padhne ko mile ..kuch ko pahle padh chuka tha... itni sundar charcha ke liye badhai mumma..

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  14. अच्छी चर्चा सभी लिंक देखे और पढ़े मैंने , अच्छा लगा

    http://madhavrai.blogspot.com/

    http://qsba.blogspot.com/

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  15. संगीता जी, प्रणाम,
    पहली चर्चा में ही आपने एक कुशल चर्चाकार का परिचय दे दिया है, जिस तरह से आपने मुझ जैसे और भी कई कम प्रतिष्ठित लेखको की रचनाओं को स्थान दिया वो काबिले तारीफ़ है, आपकी चर्चा से लगा की आप ने व्यक्ति को नहीं रचनाओं को महत्व दिया है, बहुत बहुत धन्यवाद्!

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  16. संगीता स्वरूप जी ... चर्चा मंच में आपको चर्चा के साथ मिलना बहुत सुखद लगा ... बहुत ही अच्छी पोस्ट सॅंजो कर चर्चा सजाई है ... मुझे भी शामिल करने का धन्यवाद ...

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  17. बढ़िया रही यह चर्चा...साधुवाद !!

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  18. बहुत बढ़िया, संगीता जी!
    --
    आपकी पहली चर्चा ने ही मन मोह लिया!
    --
    चर्चा मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है!
    --
    आशा ही नहीं विश्वास है कि
    हर सप्ताह आप हमें एक से बढ़कर एक
    बढ़िया रचनाएँ पढ़वाएँगी!

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  19. संगीता जी
    मेरी कविता चर्चामंच पर शामिल करने के लिए बहुत आभार.
    आपके सराहनीय प्रयोग के लिए बधाई
    उत्साहवर्धन के लिए फिर से धन्यबाद.
    रचना

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  20. बेहतरीन चर्चा ....सिलसिलेवार ..बेहद अच्छे ढंग से की आपने...बहुत बहुत बहुत बहुत अच्छी चर्चा दी

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  21. बेहद उम्दा चर्चा ........ बधाइयाँ !!

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  22. वाह इन्द्रधनुषी रंगों से सजा चर्चा मंच आज तो अनुपम सौन्दर्य लिए हुए है. आज आपकी चर्चा की कुछ बाते खास लगी जैसे नए नए ब्लोग्गर्स को इस चर्चा में शामिल करना दूसरा मेन ब्लोग्गर्स को चर्चा स्टापर्स की तरह अंत में लाना और आपके अपने कमेंट्स . और सब से बड़ी बात तो ये की नए लोगो को यहाँ लाना और कविताओ की विशेष चर्चा .बधाई.

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  23. बहुत ही अच्छी चर्चा...बड़ी सजगता और कुशलता से लिंक का चयन किया है...शुक्रिया

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  24. बहुत सुन्दर और शानदार चर्चा किया है आपने! बढ़िया प्रस्तुती!

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  25. सभी का आभार व्यक्त करती हूँ...

    @@ अनामिका जी,

    आपने सही फरमाया है ,

    (दूसरा मेन ब्लोग्गर्स को चर्चा स्टापर्स की तरह अंत में लाना)

    आपने देखा होगा अक्सर कवि सम्मलेन या गोष्ठी में मुख्य कवि अपनी कविताएँ सुनाने मंच पर अंत में ही आते हैं....तो चर्चा का समापन भी मैंने उसी रूप में करना चाहा था...
    इतने ध्यान से चर्चा को पढ़ा और सराहा इसके लिए आभार

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  26. बहुत ही सुरूचीपुर्ण चर्चा, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  27. बहुत ही बढिया रही चर्चा....एक से एक उम्दा रचनाएं पढने को मिली....
    आभार्!

    जवाब देंहटाएं
  28. Waah, ye achchhi raahi.....itna kuchh ek jagah dekha, achchha laga.

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  29. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया संगीता जी ! ये चर्चा देख और पढ़ कर मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि आपने सिर्फ रचनाओ का आंकलन कर उन्हें अपनी चर्चा में शामिल किया है.. ना कि रचनाकार कौन है इस बात को ध्यान में रख कर.. जो कि सबसे महत्वपूर्ण और निष्पक्ष दृष्टिकोण है आपका..जिसके लिए आप साधुवाद की पात्र हैं. बहुत सी बातें अन्य मित्रों ने कह दी, और सत्य कही. फिर भी एक बात और, जो मुझे महत्वपूर्ण लगी वो ये कि चर्चा के साथ-साथ आपने जिस गुरुता औरसजगता से नए और अच्छे लिखने वालों को महत्त्व दिया है..वो काबिल-ए-तारीफ है. आपके इस प्रयास को एक बार फिर नमन !

    जवाब देंहटाएं

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