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शनिवार, मई 01, 2010

जड़ से विच्छिन्न लेखन की आयु बहुत छोटी होती है..(चर्चा मंच)

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panditastro सर्वप्रथम चर्चा मंच के सभी पाठकों को पं. डी.के.शर्मा “वत्स” की ओर से राम-राम!!अब बात ये है कि एक अनुभवहीन व्यक्ति को यदि कोई महत्वपूर्ण कार्य सौंप दिया जाए तो फिर उस कार्य का क्या हश्र होता है…ये आप सब लोग भली भान्ती जानते हैं और जो लोग नहीं जानते वो भी इस चर्चा को बाँचने के बाद जान ही जाएंगें .आज ये चर्चा लिखते हुए हमें ऎसा लग रहा है कि मानो बिना तैयारी के परीक्षा देने जा रहे हों…अब अन्जाम तो मालूम ही है कि फेल ही होंगें लेकिन मन में कहीं हल्की सी एक उम्मीद की किरण अभी शेष बची है…..क्या मालूम जाँचकर्ता(पाठकों)को ही कुछ दया आ जाए और वो मेरी त्रुटियों को अनदेखा कर उतीर्ण कर दे :-)
देश में मध्यम वर्ग की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं
सरकार जिस तरह से गरीबों और अमीरों को विभिन्न सब्सिडियां और प्रोत्साहन पैकेज दे रही हैं,वैसे ही मध्य वर्ग को भी विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए उपयुक्त सरकारी राहत और सहयोग प्रदान करेगी। ऐसा होने पर मध्य वर्ग हताशा और बेचैनी को दूर कर देश के आथिर्क विकास का और अधिक सहयोगी व सहभागी बनता हुआ दिखाई देगा।
अब डेटिंग से पहले ब्लड-ग्रुप करवाने का क्या नया लफड़ा है ?
इधर देखिए डाग्टर साहब कैसी प्रगतिशील खबर लेकर आए हैं. उनका कहना है कि जापान में डेटिंग से पहले भी ब्लड-ग्रुप का पता लगवाना वहां के लोगों की "ज़रूरत" सी बन गई है. लेख में बताया गया है कि किस तरह से डेटिंग से पहले लड़के-लड़कियां ब्लड-ग्रुप पूछना नहीं भूलते। अगर वे किसी एक ब्लड-ग्रुप के लड़के या लड़की को डेटिंग के लिये चुनना चाहते हैं तो इस के लिये उन की अपनी च्वाइस है,अपने प्रेफरैंस हैं,......या यूं कहूं कि भ्रांतियां हैं। और हम लोग यही सोच कर अकसर घुलते रहते हैं कि हम लोग ही नाना प्रकार की भ्रांतियों से ग्रस्त हैं। यह रिपोर्ट देख कर लगता है जैसे कि जापान तो हम से भी बाजी मार गया।
शायद कुछ लोग डाग्टर साहब से इत्तेफाक रखते हुए इसे जापानियों की भ्रान्ती मान लें, लेकिन सच कहें हमें तो ये प्रगतिशीलता की सीढी का एक ओर पायदान लगता है, जहाँ आज नहीं तो कल देर सवेर हम भी चढ ही जाएंगें :-)
खतरनाक डॉक्टर
अपने देश में डॉक्टर को भगवान का दूसरा अवतार माना जाता है, क्योंकि भगवान इंसान को जन्म देता है और डॉक्टर उसकी सेहत की रक्षा। लेकिन आज हालात ये हो चुके हैं कि एक आम इन्सान को डाग्टर के रूप में भगवान नहीं बल्कि साक्षात यमराज दिखाई पडते हैं….कारण ? वो तो आप सब लोगों को मालूम ही है…..जानकारी में इजाफा चाहते हैं तो उसके लिए सुश्री प्रतिभा वाजपेयी जी की ये आपबीती पढ लीजिए…….
जड़ से विच्छिन्न लेखन की आयु बहुत छोटी होती है : श्री कृष्ण बिहारी मिश्र
ब्लागोत्सव 2010 पर श्री रविन्द्र प्रभात जी नें देश के जाने माने साहित्यकार श्री कृष्ण बिहारी मिश्र जी का साक्षात्कार प्रकाशित किया है…हिन्दी भाषा,लेखन एवं हिन्दी ब्लागिंग के भविष्य पर उनके विचारों से आप अवश्य परिचित होना चाहेंगें…… 
मासूम परिंदों की प्यासी पुकार सुनिए, एक बर्तन पानी का भरकर रखिये ----
देखिए इतनी भीषण गर्मी पड रही है….अब आप और हम लोग तो इन्सान ठहरे..प्यास लगी तो मटके का नहीं तो फ्रिज का सही….फ्रिज का नहीं तो किसी नल या ओर नहीं तो बोतलबन्द पानी खरीदकर प्यास बुझा ही लेंगें…आदमी का क्या है, उसके पास तो सौ तरह के साधन मौजूद हैं, लेकिन उन  बेचारे  निरीह पक्षियों पर क्या बीतती होगी जिन्हे इन शहरी जंगलों नें पानी से भी वंचित कर डाला है……इसलिए ओर न सही कम से कम प्राकृ्तिक सन्तुलन की दृ्ष्टि से ही हमारा ये दायित्व बनता है कि हम इनके बारे में कुछ सोचे…( यूँ तो हिन्दुस्तान में सिर्फ दो तरह के लोग पाए जाते हैं…एक वो जो सोचते कुछ नहीं बल्कि सोचते हुए दिखाई पडते हैं, और दूसरे वो जो सोचते तो हैं लेकिन करते कुछ नहीं…..उम्मीद करता हूँ आप सब  अपने  आपको तीसरी कैटेगरी में फिट करना पसन्द रहेंगें, जो सोचनें और करने दोनों में यकीं करते हैं)
फांसी के दिन भी भगत सिंह ने की थी कसरत....यकीं नहीं होता

जिस दिन भगतसिंह को फांसी होनी थी। उस दिन भी उन्होंने सुबह उठकर कसरत की थी। किसी व्यक्ति का अपने जीवन मूल्यों के प्रति इतना समर्पण। जीवन में ऐसा महान लोगों के साथ होता है। जब उनके मूल्य और वे अलग अलग नहीं होते। एक ही हो जाते हैं।

उत्तराखंड का राज्यपुष्प ब्रह्मकमल
कमल के फूल से तो सभी लोग परिचित हैं लेकिन ब्रह्मकमल एक ऎसा फूल है जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होगी. इस पोस्ट में विनीता यशस्वी जी उतराखंड के राज्यपुष्प ब्रह्मकमल के बारे में जानकारी दे रही हैं कि “हालांकि इसका नाम ब्रह्मकमल है पर यह तालों या पानी के पास नहीं बल्कि ज़मीन में होता है”।
बाकी पोस्ट पढने के लिए तो आपको वहीं जाना पडेगा…..
कार्टून : माधुरी गुप्ता और उसकी पगार

बस ऎंवें ही
आदमी कुछ सीखता नहीं…….भई सीखे तो तब न जब कोई ढंग का सिखाने वाला मिले
सच सच बता, तू हिन्दू है या मुसलमान-----भईया तुम्हारा तो सवाल ही गलत है. तुम्हे तो ये पूछना चाहिए कि “सच सच बता तूं आदमी है कि जिनावर है”
एक सत्य-----50वीं पोस्ट के बाद आज सामने आया
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काको लागूं पायं...फ़िरदौस ख़ान जी जरा एक बार पहले “भाई” लोगों से पूछ लीजिए, ऎसा न हो कि कहीं ये “भाई”लोग आपको “काफिर” घोषित कर दें
आज “शब्दों का दंगल” एक वर्ष का हो गया है!…यानि की मुण्डन भोज के लिए अभी हमें दो साल ओर इन्तजार करना पडेगा :-)
आखिर समझ क्या रखा है अपने दर्शकों को,इन न्यूज़ चैनल वालों ने?..पप्पू
दुश्मनों आप सिर्फ़ हथियार दो , गद्दार तो मिल ही जाएंगे ...

कि
सी ने बहुत पहले कहा था कि भारत के दुश्मन बहुत ही किस्मत वाले हैं इन्हें सिर्फ़ हथियार
ही देना होता है , गद्दार नहीं ढूंढने पडते , जिनके
हाथों  में हथियार देकर देश को तोडने की साजिश रची जाती है । अभी हाल ही में फ़िर से एक बार माधुरी गुप्ता की गद्दारी के खुलासे ने यही बात सिद्ध कर दी ।

हमने बनाया मैट्रिमॉनी कम कम्युनिटी साइट..अब जरूरत है आप सबके सहयोग कीbandhan1

अब ये अन्तिम पोस्ट उन लोगों के बहुत काम की हो सकती है,जो कि जो लोग अपने या अपने बाल बच्चों की शादी के लिए अच्छे रिश्तों की खोजबीन में लगे हुए हैं. अपने अवधिया जी नें “बन्धन” नाम से एक मैट्रीमोनी कम कम्यूनिटी साईट आरम्भ की है…जहाँ आप पा सकते हैं हर धर्म, हर जाति तथा हर आयु वर्ग के एक से एक बढिया रिश्ते…ओर वो भी बिल्कुल मुफ्त..बिना कोई पैसा खर्च किए. तो जाईये और बिना देर किए जल्दी से तुरन्त रजिस्ट्रेशन करा लीजिए……
वैसे किसी से उडती उडती सी खबर सुनी है कि अवधिया जी खुद के लिए भी ट्राई कर रहे हैं :-)

13 टिप्‍पणियां:

  1. एक उम्दा (पर थोड़ी छोटी) चर्चा के लिए आभार !

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  2. क्षमा याचना सहित कहना है कि
    पं.डी.के.शर्मा "वत्स" जी ने
    यह चर्चा ग़लत समय पर पोस्ट कर दी है
    या
    भूलवश उनसे ग़लत समय पर पोस्ट हो गई है!
    --
    कुछ देर पहले मनोज जी द्वारा
    पोस्ट की गई चर्चा में की गई मेहनत
    क्या इसीलिए की गई है कि
    वह कुछ ही समय बाद दबा दी जाए!

    जवाब देंहटाएं
  3. एक अनुभवहीन व्यक्ति को यदि कोई महत्वपूर्ण कार्य सौंप दिया जाए तो फिर उस कार्य का क्या हश्र होता है…

    --हमें तो आखिर तक ऐसा कोई हश्र नहीं दिखा महाराज!! आपने बहुत बढ़िया चर्चा की है.

    जवाब देंहटाएं
  4. आपने बहुत बढ़िया चर्चा की है.

    जवाब देंहटाएं
  5. अरे ! आज चर्चा मंच पर दो दो चर्चाएँ....मनोज जी की और वत्स जी की....अच्छा है ज्यादा लिंक मिलेंगे....बढ़िया चर्चा है आपकी भी वत्स जी..

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय पंडित जी!
    आपकी चर्चा बहुत सुन्दर रही!
    --
    मेरे यहाँ आपके लिए
    मंगलवार, बुधवार, शुक्रवार का दिन खाली है!
    --
    कृपया इनमें से आप अपना चर्चा का दिन निश्चित करके मुझे मेल कर दें।
    --
    मैं यह चाहता हूँ कि
    प्रत्येक चर्चाकार की पोस्ट
    कम से कम 20 घण्टे तक तो
    पाठकों के सामने रहे ही!

    जवाब देंहटाएं
  7. @रावेंद्रकुमार रवि जी,
    पहली बात तो ये है कि कल जब पहली बार हमारे द्वारा लाईव राईटर का प्रयोग किया गया. ओर वो भी सिर्फ इस चर्चा की वजह से...तो उस समय न तो हमने चर्चा ब्लाग को खोलकर देखा कि किसी के द्वारा कोई चर्चा की गई है अथवा नहीं..ओर न ही हमें ये अंदेशा था कि इतनी रात गए कोई चर्चा पोस्ट की जाएगी....वो तो बस हमने लिखी ओर बिना देखे झट से पोस्ट कर डाली....और पोस्ट करने के बाद भी हमने ब्लाग को खोलकर नहीं देखा...बस नैट बन्द किया और छुट्टी...अज भी समयाभाव की वजह से नैट पर आना न हुआ....अब आए तो आपकी ये टिप्पणी देखी....अगर कहीं कल रात ही हम आपकी ये टिप्पणी पढ लेते तो स्वयं ही बिना किसी देरी के तुरन्त इस पोस्ट को मिटा डालते.....
    आखिरी बात ये कि यूँ भी हमारे पास समय की बहुत अधिक कमी रहती है..ओर दूसरे इन सब चीजों के प्रति कोई विशेष रूचि भी नहीं....वो तो शास्त्री जी के आग्रह को हम अस्वीकार न कर पाए...सो चर्चा लिखने बैठ गए.....अगर नहीं लिखी होती तो आपकी ओर से "किसी के परिश्रम को दबा देने" का आपेक्ष तो न झेलना पडता.....

    जवाब देंहटाएं

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