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मंगलवार, जून 15, 2010

साप्ताहिक काव्य मंच – ४ ( संगीता स्वरुप ) चर्चा मंच - 185


नमस्कार , आज  मंगलवार का दिन और हाज़िर है कविताओं से भरी ये पोटली….एक एक कर निकालते जाइये .. और पढ़ कर आनंद उठाते जाइये…. मेरा प्रयास रहता है कि सप्ताह की बेहतरीन  कविताएँ  आप तक पहुंचा सकूँ…और साथ ही कुछ नए लोगों से परिचय भी….लेकिन सफल कहाँ तक होती हूँ इसके लिए आपकी प्रतिक्रिया आवश्यक है……  अपने इस प्रयास से  प्रारम्भ  करती हूँ आज का  चर्चा मंच ……..अपनी काव्य पोटली से नायाब हीरा निकाल रही हूँ सबसे पहले ………………..
आर्जव   पर अभिषेक कुशवाहा की  फिर उथले किनारों से ही लौट आये हैं
 हिंदी भाषा का सौंदर्य ,विचार , मंथन सबसे ही अभिभूत हो उठेंगें आप…
सोचा था
चलेगें सिन्धु की थाह लेने
नीली अतल गहराइयों की
स्वयं पर एक छाप लेने ।
था स्वप्न चलेंगे एक बार
निरखने विशद अनुभूतियॊं के
गहन कानन लता कुंज गह्वर ,
चुनेगें कुछ पुष्प
मेरा फोटो

कुछ लम्हे दिल के . पर अर्चना तिवारी लिख रही हैं …

बस आँखों में दिखता पानी
सूखे खेत, सरोवर,झरने,बस आँखों में दिखता पानी
हाहाकार मचा है जग में,छाए मेघ न बरसा पानी।
मेरा फोटो

prayaas   पर पवन धीमान कितनी खूबसूरती से कह रहे हैं कि

आदमी भला सा लगता है
                   
जिसके चारों तरफ एक जलजला सा लगता है/
वक़्त बुरा है मगर आदमी भला सा लगता है/
Hamzabaan हमज़बान »  पर   शहरोज़  लाये हैं  लखनऊ का सृजन  रंजन डीन  की  कलम से

तुम्हारी और मेरी व्यस्तताओं के बीच
तुम्हारी और मेरी व्यस्तताओं के बीच
न जाने कितने ऐसे पल आये
जब भीड़ में होते हुए भी
                          दिखे सिर्फ तुम ही
                          सुना सिर्फ तुमको
गिरिजेश राव  जी अद्भुत अभिव्यक्ति

कविताएँ और कवि भी..  पर पढ़ें

आओ प्रिये !
अब जब कि मैं लिखना चाहता हूँ
ढेर सारा
अनुभूतियाँ हैं ढेर सारी
और शब्द स्रोत सूख गए हैं  -
तुम्हारी प्रतीक्षा है।

ओम आर्य

ओम आर्य  मौन के खाली घर में..  बता रहे हैं कि आसमां गुमसुम सा है ..  

शहर के जिस हिस्से में आज बारिश थी


शहर के जिस हिस्से में आज बारिश थी
वहां आसमान
कई दिनों से गुमसुम था
चुपचाप,
जिंदगी से बाहर देखता हुआ एकटक
    छतीसगढ़  के जाने माने साहित्यकार  रामेश्वर  शर्मा जी का एक गीत       आया यौवन का ज्वार-    प्रस्तुत  है    शिल्पकार के मुख से  पर  

वर्षा आगमन से  उल्लास और उमंग  छा  जाती है  ….
पूर्वा के आंचल से झर-झर झर-झर झर-झर झरे फ़ूहार
नदी,नहर तालाब तलैया में, आया यौवन का ज्वार ।
My Photo
सोनल रस्तोगी जी  कुछ खफा खफा सी हैं , मौसम रूमानी है पर कुछ है जो यह कहने पर विवश कर रहा है..

कल रुत तुमको तरसाए
नभ में उमड़े घन बड़े
बिजली भी बिन बात लड़े
तुम भी रूठे-रूठे से
बोलो कैसे बात बढे
   नीरव
नीरव »  पर डा०  राजेश नीरव  चिर मिलन  की उत्कंठा रखे हुए हैं

चिरमिलन हो चिरंतन

अधरों से अधर
धड़कता वक्ष सीने से
कपोल कपोलों से
मिले,.....।
My Photoचंद्रभान जी की  एक ग़ज़ल देखिये  जिसमें इन्होने आज की ना जाने कितनी समस्याओं पर रोशनी डाली है..    बलुआ धरती पानी सी लगती
मृग तृष्णा में बलुआ धरती  पानी सी लगती
छलना अक्सर सच की एक कहानी सी लगती
कोख किराये पर मिलती है अब बाजारों में
मूल्यों की हर बात यहाँ बेमानी सी लगती
राकेश जाज्वल्य की

मेरी अभिव्यक्ति.....

पर पढ़ें   पुकार....
चलो उन पर्वतों के ऊपर...
सबसे ऊपर जहाँ सिर्फ आसमान है,
और या फिर खुदा है,
आसमानों के भी ऊपर.
अब पुकारों उन्हें,
उम्मीद है....
यहीं हो पायेगी उनसे बातें,

इश्क-प्रीत-लव  पर गिरीश  बिल्लोरे जी की कविता का आनंद लीजिए  

हां..! ये शाम उस शाम से जारी
हां..! ये  शाम
उस शाम से  जारी
हर शाम पर भारी
जब हुई थी
मुलाक़ात
खनकती आवाज़
से.... !

Prabhakar

                 पर पुपाध्याय  ..शायद यही नाम है…पूछ रहे हैं कि 

मेरी क्या खता है ?

उठते है कदम, बढ़ते हैं कदम,
एक रास्ता है जिंदगी।
इस रास्ते में कुछ पड़ाव,
नाम है.. गम और ख़ुशी।
मैं चल रहा हूँ रास्ते में,
काफिले मिल जाते हैं।
मेरी तरह कुछ और
मुसाफिर वहाँ मिल जाते हैं
My Photoडा०   अज़मल खान की     *मेरी नज़र* »  पर एक बेहतरीन  ग़ज़ल पढ़िए जो    आज के वक्त पर लिखी गयी है…. आप भी जानिए की कैसे रंग हैं दुनिया के…….    गज़ल- रंग- ए – दुनिया

देख  बाग़-ए- बहार   है दुनिया
चमचमाता निखार है दुनिया ।
कौन जाने किसे मिले क्या क्या
एक खुला सा बज़ार है दुनिया ।
My Photoइस बार तो शिखा जी ना जाने कौन से ख्वाब बुन रही हैं…उनकी ख्वाहिश है कि 
एक बुत मैडम तुसाद में  बन जाये….
बैठ कुनकुनी धूप में 
निहार गुलाब की पंखुड़ी 
बुनती हूँ धागे ख्वाब के 
अरमानो की  सलाई पर.
एक फंदा चाँद की चांदनी 
दूजा बूँद बरसात की

कडुवा सच 

पर  उदय की दुनिया में एक सुन्दर अभिव्यक्ति     जीवन पथ 

जीवन के छोटे से पथ पर
कदमों के छोटे से रथ पर

My Photoअंधड़ !   पर गोदियाल जी की  भोपाल त्रासदी पर एक मार्मिक ग़ज़ल पढ़िए…  भोपाल !
वो अशुभ काली रात उनकी, राह में मौत पसर गई,
लाशों के कफ़न बेच कुछ की जिन्दगी बसर गई!

मेरा फोटो

JHAROKHA   से  पूनम जी कह रही हैं कि काश …  

कुछ तो ऐसा हो जाता---
कुछ तो हो जाता ऐसा
जो मन की आंखों को भाता
जिसे देख के रोम रोम
मेरा पुलकित हो जाता
 मेरा फोटोvikram7    ब्लॉग है… और ये अपने कल को भी देख रहे हैं ..कह रहे हैं कि   मैनें अपने कल को देखा...
मैनें अपने कल को देखा
उन्मादित सपनों के छल से
आहत था झुठलाये सच से
तृष्णा की परछाई से,उसको मैने लड़ते देखा
मेरा फोटो
रेखा श्रीवास्तव जी अपने ब्लॉग    HINDIGEN   पर बता रही हैं कि एक अच्छे पल का इंतज़ार बहुत मुश्किल होता है….  एक अंतहीन इन्तजार.......
इन्तजार
किसी अच्छे पल का
कितना मुश्किल होता है?

कस्‍बा   पर     रवीश जी गंडक नदी को समर्पित कविता कह रहे हैं…  

उधार के रंगों से सपने हसीन नहीं होते

गंडक
मेरे होने की साक्षी
सिर्फ तुम्हीं हो
तुम्हारी ही लहरों से बच कर आया था
जब उसने दुपट्टे से खींच लिया था
एक मन्नत भी मांगी तुमसे
 My Photoज्योत्स्ना मैं... »   पर ज्योत्सना जी  इरोम शर्मीला जी को जो कि मणिपुर की कवयित्री हैं उनके लिए अपनी रचना प्रस्तुत  कर रही हैं..  इरोम शर्मीला
बेक़सूर लहू धरती का
आँचल रंग जाता है,
और औरतों की अस्मत
का खिलौना बन जाता है......


मेरा फोटोदिलीप  अपनी   दिल की कलम से.  माँ की महिमा का गुणगान करते हुए कह रहे हैं कि

तू तो यशोदा है मगर मैं कृष्ण न बना..


जब भी मैं गिरा आँख से आँसू तेरे गिरा...
मुझको जो सदा थामता आँचल का वो सिरा...
शीत मे छाती से वो चिपका हुआ बचपन...
वो गोद मे तेरी कहीं दुबका हुआ बचपन...
मैं चल रहा समेटते यादें यूँ अनमना...
तू तो यशोदा है मगर मैं कृष्ण न बना..
मेरा फोटोविपिन  चौधरी  की कुछ रचनाएँ  मैंने पढ़ीं  और लगा कि  आप सबके साथ इनकी रचनाओं को बांटूं .. . पढ़िए कि विपिन जी कैसे खामोशी और शब्दों का तालमेल बैठा रही हैं ..

खामोशी और शब्द
न जाने बेजान स्मृतियों में इतनी
ताकत कहां से आ गई कि वे
यकायक उठ कर वर्तमान में अपनी
जडें तलाशने लगी थी ।
My Photo

रूपम के  प्रेम धुन  ब्लॉग पर जानिये 

के प्याला जिंदगी का...

मत तौल के ये जिंदगी  बोझ नहीं है.
मत सोच के ये जिंदगी सोच नहीं है.
जी गया है ,जिसने खुद को पा लिया है
के  प्याला जिंदगी का मजे से पिया है....

मेरा फोटोडा० रूपचन्द्र शास्त्री जी ने बहुत सी अंग्रेजी कविताओं का हिंदी में अनुवाद किया है |  आज एक प्रस्तुति यहाँ भी उच्चारण »  पर पढ़िए   “पिता और बच्चा-William Butler Yeats” (अनुवाद-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”
जब-जब भी प्रतिबन्धों का
रहस्य खोला है
नारी बँधी हुई है इनसे 
बालक ने यह बोला है
lovenlight »   पर कवयित्री  रूह्शाइन (मुदिता ) कह रही हैं कि ना वो शायरा हैं ना लेखिका.. बस जो एहसास  होते हैं अंतर्मन में लिख देती हैं ..एक प्रेरणादायक रचना पढ़िए   छद्म प्रभुता ..
प्रभुता स्वयं की
सिद्ध करने को
हीन कहा
दूजे को तूने
मेरी कलम से....... पर  अविनाश लाये हैं 
My Photo

कीकर का फूल.…  इन फूलों की भी व्यथा -कथा पढ़िए --

फूल!
तुम पर तो,
रोज ही आया,
करते हैं ना?
कितने भाई बन्धु,
दोस्त-सखा, सजनी-प्रिया,
हैं परिवार में तुम्हारे.

 My Photoकाव्य मंजूषा  पर अदा जी एक प्रेरणादायक रचना ले कर आई हैं  पहुँचेंगे शिखर पर वो जिन्हें विश्वास होता है ..
जब मन उदास होता है
ख़याल के पास होता है
जो दिल में दर्द उठता है
लब पे उच्छ्वास होता है
और अब विदा लेते हुए मेरे घर   गीत.......मेरी अनुभूतियाँ   में भी आप सबका स्वागत है….आशा है आपको मेरी यह कोशिश पसंद आई होगी… आपकी प्रतिक्रिया औए सुझावों का सदैव इंतज़ार है…अगले सप्ताह फिर मुलाक़ात होगी…. इसीके साथ  नमस्कार

33 टिप्‍पणियां:

  1. कविताओं की शानदार खुली पोटली सौंपी आपने हमें.. वाह

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर, आकर्षक, और मनभावन चर्चा!
    --
    बहुत से नये लोगों से परिचय हुआ!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी चर्चा...
    बहुर सारे अच्छे लिंक मिले हैं...
    मेरी प्रविष्ठी को स्थान दिया आपने ..
    आपका आभार..!

    जवाब देंहटाएं
  4. एक सराहनीय कोशिश आपकी।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  5. उम्दा और बेहतरीन काव्य चर्चा वंदना जी !

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  6. अच्छे लिंक्स मिले ...आभार ...!!

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  7. ruchikar aur su-vyavasthit lagi apki charcha.

    GODIYAL ji ye vandana ji nahi....Sangeeta Swaroop ji hain.

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  8. badhiya charcha..meri rachnako shaamil kar sammanit karne ke liye abhaar....

    जवाब देंहटाएं
  9. इस मंच पर स्थान देने का आभार ..

    मुदिता

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  10. संगीता स्वरूप जी को मेरा नमस्कार, आप का काम बहुत ही मुश्क़िल है, मगर सच मे कबिले तारीफ है. आज की चर्चा मे आप ने काव्य के अलग अलग रंगो को शमिल किया.बहुत अच्छा लगा.
    मेरी प्रविष्ठी को स्थान दिया आपने इस के लिये मैं तहे दिल से आप का शुक़्र गुज़ार हूँ.

    http://ajmal-mypenonline.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  11. संगीता ,

    कितने धैर्य से तुमने इतने सारे लोगों को पढ़ कर चुना और उसको स्थान दिया और हमें अपने नए ब्लोग्गेर्स भाई बहनों से परिचय का मौका दिया. इस कार्य के लिए तुम बधाई का पात्र हो.
    मेरी कविता को चर्चा योग्य समझने के लिए धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  12. संगीता जी,
    आपने तो कमाल कर दिया!
    --
    मेरी तरफ से इस चर्चा मंच पर की जानेवाली
    अब तक की सर्वोत्तम चर्चा का ख़िताब आपके नाम!
    --
    बधाई और शुभकामनाएँ!
    --
    इतने होनहार कवियों की रचनाओं से
    साक्षात्कार करवाने के लिए बहुत आभारी हूँ!

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  13. बहुत सुन्दर और आकर्षक चर्चा…………आभार्।

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  14. मजा आ जाता है आपकी चर्चा देख कर बेहतरीन लिंक्स ओर उनके साथ आपके स्पेशल कमेंट्स .

    जवाब देंहटाएं
  15. Sangeeta ji
    Bahut shandaar prabhavi sunder aur marmsparshi rachanaaon ko aapne saptahik kavya manch ke charcha manch men shamil kiya hai. kai naye cheharon se parichaya hua. main to pahali bar is manch par aya hoon wah bhi tab jab ki aapne meri ghazal ki tippadi par mujhe suchit kiya tha. aapne meri ghazal ko is manch par shamil kiya uske liye hardik roop se aabhaari hoon
    aage bhi mere blog par aakar sampark banaye rakhen. aapki tippadi se bahut protsahan milta hai. Dhanyawad.

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  16. खूबसूरत रचनाओं का संकलन .. साध पूरी हो गयी ...

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  17. शानदार काव्य चर्चा...मेरी ग़ज़ल को चर्चा मे स्थान दिया ..आपका आभार..!

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  18. बहुत सुंदर चर्चा के लिए बधाई |
    आशा

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  19. पहली बार ही आया इस ब्लोग पर. कविता चर्चा में गोता लगाया. एक मोती मिला....
    तू तो यशोदा बन गयी .मैं कृष्ण न बना...

    निस्सन्देह,मेरी राय में, यहां प्रस्तुत सारी कविताओं में श्रेष्ठ.
    धन्यवाद्

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  20. अन्य आदरणीय कवियों-कवयत्रियों को एक साथ एक स्थान पर देख आनन्दित होना स्वभाविक है
    आभार

    जवाब देंहटाएं

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