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बुधवार, जून 23, 2010

"चर्चा मंच-193" (चर्चाकार : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

आइए आपको इस सप्ताह की
कुछ बेहतरीन पोस्टों की ओर ले चलता हूँ!
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आज सबसे पहले आपको ले चलते हैं
संगीता स्वरूप जी की लेखनी में समाए जिद्दी ख्वाब की ओर-
जिद्दी ख्वाब - ख्वाब हैं कि एक जिद्दी बच्चा , जितना मना करो उतने ही आ जाते हैं इन्हें नींद की भी दरकार नहीं खुली आँखों में ही समा जाते हैं.
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पराया देश में भी में भी एक स्वप्न जल्दी ही मूर्तरूप लेने वाला है-
ब्लांग मिटिंग या फ़िर ब्लांग मिलन..... तो हो जाये - आप सभी को इस बात से सुचित करना चाहता हुं कि आज कल मेरे दिल मै एक अजीब सा ख्याल आता है कि क्यो ना मै यहां भी एक ब्लांग मिटिंग करुं, या सीधे शब्दो मै कह ले ए...
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तवायफ की मजबूरी क्या है?
यहाँ पढ़िए-
कौमी एकता और तवायफ - वो तवायफ कई मर्दों को पहचानती है शायद इसीलिये दुनिया को ज्यादा जानती है उसके कमरे में हर म$जहब के भगवान की एक-एक तस्वीर लटकी है ये तस्वीरें लीडरों की तकरीरो...
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विजयकुमार सम्पत्ति जी की कविता का
भी जायजा ले लीजिए ना-
मोहब्बत - 'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती विजय कुमार सपत्तिजी की एक कविता 'मोहब्बत' . आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा... कल तुझे ...
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पर आज बजी है पीड़ा की शहनाई-
“आजादी मुझको खलती है!” *गाँधी बाबा के भारत में , जब - जब मक्कारी फलती है । आजादी मुझको खलती है ॥ * *वोटों की जीवन घुट्टी पी, * *हो गये पुष्ट हैं मतवाले , केंचुली पहिन कर खादी...
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ब्लॉगवाणी बन्द क्यों है?
इसका उत्तर आपको यहाँ
समीरलाल जी की टिप्पणियों में मिल जायेगा!
ब्लागवाणी ने हमारी मेल का जवाब नहीं दिया--जरुरत है नए एग्रीग्रेटर की - ब्लागवाणी को बंद हुए आज 5वां दिन है। हमने एक पोस्ट भी लगाई थी इस पर एवं ब्लागवाणी के संचालकों को एक ई मेल भी किया था। पहले तो इनका जवाब मिल जाता था लेकिन ...
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राजस्थानी भाषा की शानदार कविता
पेश की है भाई रतनसिंह शेखावत जी ने-
इंकलाब री आंधी(राजस्थानी कवि रेवतदान की एक शानदार रचना) - आज किताबें पलटते हुए मनीष सिंघवी की लिखी पुस्तक "धरती धोरां री"हाथ लगी पन्ने पलटने पर इस पुस्तक मे एक से बढकर एक राजस्थानी कविताएं पढने को मिली | इन्ही कवि...
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भाई..अलबेला खत्री जी
सन्तों की वाणी को लगातार आप तक पहुँचाने में लगे हैं-
उनका ज़िक्र करना गाली देनेसमान है - उदार बन, खुशमिज़ाज़ बन, क्षमावान बन, जिस तरह कि कुदरती मेहरबानियाँ तुझ पर बरसती हैं, तू औरों पर बरसा । -शेख सादी किसी आदमी को उसके प्रति की गई ...

तो मैं हूँ ही किसलिए ? - अगर मैंअपने लिए नहीं हूँ, तो मेरे लिए कौनहोगा ? और अगर मैं सिर्फ़ अपनेलिए हूँ, तो मैं हूँ ही किसलिए ? - अज्ञात महापुरुष मैं कौन हूँ ? ईश्वर का ..
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अर्चना चावजी के मधुर स्वर में सुनिए बहुत ही प्यारा गीत-
आपकी पसंद ..........................................भी हो सकती है ...... - आदरणीय उन्मुक्तजी की पसंद का गीतकभी उनके कहने परगाकर मेल किया था उन्हेंआज वही ............... ....................आप सबको भी सुना देती हूँ ....
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डॉ.टी. एस. दराल भाग्यशाली क्यों हैं?
वो बड़े खुशनसीब होते हैं , जिनके आप जैसे दोस्त होते हैं --- - सन १९७७ का जून महीना । दिल्ली के सात भावी डॉक्टर शिमला घूमने गए । अपना तो यह पहला अवसर था जब हमने दिल्ली से बाहर कदम रखा था । यहीं पैदा हुए , पले बढे , पढ़े...
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देव झा जी को शादी की मुबारकवाद भी तो दे दीजिए साहिब!
मेरी आवाज
देव बाबा की शादी है आज -
मेरे बहुत ही पसन्दीदा हिन्दी ब्लोग्गर देव झा की शादी है आज ! बडा ही दिलदार लडका है, गजब का लिखता भी है !
और तो और शादी कि लायिव रेपोर्टिग भी उसके ब्...
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भी आपके ब्लाग्स की चर्चा में सतत्-रूप से संलग्न है-

स्वर्ग-नर्क का फ़र्क, लिजलिजी व्यवस्था,यह कैसी गुस्ताखी ...? ब्लाग4वार्ता----ललित शर्मा - ब्लॉग4वार्ता ने एक शतक पूर्ण कर लिया, यह ब्लाग वार्ता की समर्पित टीम से संभव हुआ है। मै भी अकेला इन झंझावातों से कहां तक जुझता? लेकिन ब्लाग वार्ता टीम ने स..
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स्वप्न मञ्जूषा शैल "अदा" चाहे भले ही कनाडा में जा बसी हों
परन्तु उनका दिल तो आज भी हिन्दुस्तानी है!

गर्व है हमें हम हिन्दुस्तानी हैं..... - ख़्वाब मेरे उठे थे, तूने क्यूँ सुला दिया नाम के ताने बाने में क्यूँ उलझा दिया रुक्न की हद तक हम पहुंच ही गए थे क्यूँ बे-वक्त का ये मक्ता रचा दिया दिल है...
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एक बहुत सुन्दर रचना यहाँ पर भी है-
दीप शिखा तुम मुझे बताना कहां हैं परबत किधर है समतल...........? - सुर सरिता की सहज धार सुन तुम तो अविरल हम भी अविचल !! ॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑ अश्व बने सुर-सातों जिसके तुम सूरज का तेज़ संजोकर ! चिन्तन पथ से जब जब निकले गये सदा ही म...
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नापसन्द का चटका लगाने वालों के लिए
बुरी खबर लेकर आये हैं, खुशदीप सहगल जी!

ब्लॉगिंग का बुखार, दिल पे मत ले यार...खुशदीप - *क्या कहा नापसंद का चटका लगाना है...अरे कहां लगाऊं...ये चिट्ठा जगत, इंडली, ब्लॉग प्रहरी वालों ने ऑप्शन ही नहीं छोड़ रखा...यार ये तो अपुन को कहीं का नहीं छो...
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श्री एम.वर्मा लेकर आये हैं एक बहुत ही मार्मिक रचना-
कल ही दाह संस्कार किया गया उसका ~~ - *तकरीबन हर रोज़ उसे* *धूल में मिलाया गया,* *साजिशन* *उसे जहर पिलाया गया*, *उसके गले में * *फन्दा डाला गया;* *एनकाउंटर उसका हुआ,* *कुचला गया उसको* *ग...
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जंगल का राजा भी शहर की सड़कों पर
रोजगार की तलाश में भटक रहा है क्या?
अगर यही आपके साथ हो तो क्या करेंगे आप ....?? - गुजरात के भुवा गांवके लोग रविवार, 20 जून कोउस वक्त सकते में गए, जब शेर व्यस्त रहने वालीसड़क पर गया। गिर अभयारण्यसे सटे इस गांव के लोगों के लिए यह ...
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छाते की कथा क्या आई?
साथ में वर्षा भी ले आई!
मेरे छाता की यात्रा कथा और सौ जोड़ी घूरती आंखें!! - मेरे छाता की यात्रा कथा और सौ जोड़ी घूरती आंखें!! --- --- मनोज कुमार (भाग-२) पिछले भाग में आपने मेरे छाता की यात्रा कथा के तहत उसके साथ बरसात का एक दिन...
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संगीता पुरी जी की मेहनत रंग ला रही है-
जन जन तक ज्‍योतिष के ज्ञान को पहुंचाने का प्रयास - 7 - पिछले आलेख में हमने जाना कि पृथ्‍वी की घूर्णन गति के फलस्‍वरूप सूर्य 24 घंटों में एक बार आसमान के चारो ओर घूमता नजर आता है।
इस कारण सूर्य की स्थिति को देखत..
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भारतीयता की पहचान
चिट्ठाजगति संस्‍कृतप्रशिक्षणं प्रारभ्यते ।। भवन्‍त: अपि लाभ: स्‍वीकुर्यु: ।। - *।। हिन्‍दी भाषायां पठितुम् अत्र बलाघात: करणीय: ।।* मम सुहृद् मित्राणि गत दिवसेषु अहं संस्‍कृतभाषाया: प्रसाराय संस्‍कृतप्रशिक्षणं दातुं मम अस्‍य नूतन जाल...
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आनन्द वर्धन ओझा जी की लेखनी को प्रणाम-
सारी हदें बढ़ने लगी हैं ... - [ग़ज़लनुमा] गुमशुदा लाशें लहरों से ये कहने लगी हैं -- क्यों हवाएं आज परेशान-सी रहने लगी हैं ! वतन की हर गली में हादसों की क्या कमी थी, सौहार्द्र की इन ...
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जानवर इन्सानों से बेहतर!
क्योकर?
इंसानों से बेहतर है चिम्पैंजियों की याद्दाश्त? - हमें स्कूल-कॉलेज में पढ़ाया गया था कि सारे प्राणियों में सिर्फ इंसान ही सोचते-समझते हैं। पर अब समझ में आ रहा है कि यह दावा कितना मानव केन्द्रित है। इसका खुला...
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हितोपदेश 23 - दो बिल्लियां और बंदर
दो बिल्लियां रहतीं इक साथ चाहे दिन हो चाहे रात साथ में दोनों घूमने जातीं मिलकर अपना समय बितातीं एक बार वो घर से निकलीं थी वो दोनों बहुत ही भूखी दिख गई उनको रोटी एक खोया दोनों ने विवेक मेरी मेरी करके झगडने दोनों लगीं आपस में लडने इतने में इक बंदर आया उन दोनों को पास बुलाया देख के उनके पास में रोटी बंदर की हुई नियत खोटी लगा वो दोनों को समझाने प्रेम-प्यार का पाठ पढाने आपस में तुम कभी न लडना रोटी आधी-आधी करना मानो जो तुम मेरी बात रोटी दे दो मेरे हाथ आधी-आधी करके दूँगा दोनों ...
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साहित्य में फिक्सिंग
साहित्य में फिक्सिंग अभी उस स्तर तक नहीं पहुंची जिस स्तर तक क्रिकेट में पहुंच गयी लगती है। यहां मामला कुछ अलग सा है। किसी नवोत्सुक उदीयमान लेखक को उठने के लिए विधा-विशेष के आलोचकों, वरिष्ठों, दोस्तों आदि को फिक्स करना पड़ता है। अगर वह ऐसा नहीं कर पाता तो उसके उदीयमान लेखक होने की संभावनाएं अत्यंत क्षीण हो जाती हैं। यहां तक कि उसे समाज से कटा हुआ, जड़ों से उखड़ा हुआ, जबरदस्ती साहित्य में घुस आया लेखक करार दिया जा सकता है।..
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....मेरी "गंगा माँ" को बचा लो प्लीज
मेरी ममतामयी माँ की जान संकट में है. वह तिल -तिलकर मर रही है और मैं ऐसा अभागा बेटा हूँ जो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता. दरअसल मेरी माँ की इस हालत के लिए सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि आप सभी ज़िम्मेदार हैं. आप में से कुछ लोगों ने उसे बीमार बनाने में अहम भूमिका निभाई है तो कुछ ने मेरी तरह चुप रहकर इस दुर्दशा तक लाने में मूक सहयोग दिया है.यही कारण है कि आज मुझे आप सभी से माँ को बचने की अपील करनी पड़ रही है. मेरी माँ का नाम गंगा है...
अरे वही जिसे आप सब गंगा नदी(river ganga) या गंगा मैया के नाम से पुकारते ...
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बन्दर ( बाबा ) क्या जाने अदरक ( बीबी ) का स्वाद ?
मैं सतसंग में जब भी योग या भक्ति की बात करता हूँ । तो प्रायः आम लोग अपनी पूर्व और बेहद मजबूत धारणा के चलते यही मानते हैं कि ये सब बातें या तो फ़ुरसतिया लोगों के लिये हैं । या फ़िर उन लोगों के लिये जो जीवन के कार्यों और जिम्मेदारियों से निवृत हो चुके हैं और घर के लोगों द्वारा उठाकर कूङे की तरह बाहर फ़ेंक दिये गयें हैं । अक्सर लोग मुझे अपने ग्यान का उदाहरण भी देते हैं । " नारि मरी गृह सम्पति नासी । मूङ मुङाय भये सन्यासी ।" यदि कुछ लोग इधर चलने का प्रयास भी करना चाहते हैं । तो वे मानते हैं कि ..
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'पेड़ न्यूज' के चंगुल में पत्रकारिता
आजकल ‘पेड-न्यूज’ का मामला सुर्खियों में है। जिस मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, ‘पेड-न्यूज’ ने उसकी विश्वसनीयता को कटघरे में खड़ा कर दिया है। प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया जिस तरह से लोगों की भूमिका को मोड़ देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा है, ऐसे में उसकी स्वयं की भूमिका पर उठते प्रश्नचिन्ह महत्वपूर्ण हो जाते हैं। मीडिया का काम समाज को जागरूक बनाना है, न कि अन्धविश्वासी. फिर चाहे वह धर्म का मामला हो या राजनीति का. पर मीडिया में जिस तरह कूप-मंडूक बातों के साथ-साथ आजकल पैसे ..
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दीया और लौ
दीया आस का विश्वास का प्रेरणा का प्रतीक बन आशाओं का संचार करता मगर टिमटिमाती लौ वक्त की आँधियों से थरथराती टूटे विश्वास की बिना किसी आस की गहन वेदना को समेटे हुए कंपकंपाते पलों को ओढ़कर अपने आगोश में सिमटने को आतुर धूमिल होती आशाओं का प्रतीक बन जीवन के अंतिम कगार पर बिना किसी विद्रोह के समर्पण कर देती है अपने हर रंग का हर रूप का और बता जाती है ज़िन्दगी का सबब त्याग , बलिदान आशा और उजाले का प्रतीक बन जीना सीखा जाती है
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ज्योतिष की सार्थकता

विवाह पूर्व जन्मकुंडली मिलान... नाडी दोष क्या महत्व रखता है ? - पिछली पोस्ट (विवाहपूर्व कुंडली मिलान--चन्द आवश्यक बातें) पर एक पाठक नें मेलापक में *नाडी दोष *के सम्बंध में जानना चाहा था, सो, आज की ये पोस्ट उसी विषय पर आ...
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अनामिका की सदाएँ....
तुम्हारी खुशबू ...










जी जान से चाहती हूँ
तुम्हे मैं भुला नहीं सकती.
मन में बसी तुम्हारी बातों की
खुशबू मैं मिटा नहीं सकती......
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सुरेन्द्र "मुल्हिद" जी आपकी इस कविता से
हमारे यहाँ वर्षा का पदार्पण हो गया है!
सावन के झूलों की तरह!जब तुम दूर गए तो पतझड़ था,
बस तेज़ हवा और अंधड़ था,
अब लौट बसंत फिर आया है,
तुम भी आओ फूलों की तरह,...
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*कहते हैं-जिंदगी क्या-क्या रंग दिखाती है हमें...
और गैरी कोलमैन ने तो ये बात ता-जिंदगी महसूस की।
कभी शोहरत की बुलंदी पर पहुंचे तो कभी अपनो से ही जूझते रहे।...
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*हम सबकी आँखों के तारे!*
*ब्लॉग सजे हैं **न्यारे-न्यारे**!
**नन्हे मुन्नों की चर्चा में,*
*बॉक्स बनाए **प्यारे-प्यारे**!!
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आए जब दो पाखी उड़कर
मेरे घर में बना एक घर,
आए जब दो पाखी उड़कर!...

सरस पायस

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अन्त में देखिए यह कार्टून-

16 टिप्‍पणियां:

  1. आपके द्वारा की गयी चर्चा हमेशा बहुत सुन्दर और विस्तृत होती है...बहुत अच्छे लिंक्स मिले....आभार

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  2. बढिया लिंक्स संजोये अति सुन्दर चर्चा शास्त्री जी....
    आभार्!

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. इतना अच्छा और सटीक चर्चा मंच सजाया है आपने |
    कई नई रचनाएँ पढ़ने को मिलीं |बधाई
    आशा

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  5. बहुत विविधता लिए हुए है ये चर्चा

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  6. देव बाबा कि शादी के चर्चे इधर भी ....धन्यवाद !! देव बाबा अब देव बाबू बन गए ..एइसा कहना है दुल्हे का :)

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  7. बहुत ही सुन्दर और विस्तृत चर्चा………………बहुत मेहनत की है………………काफ़ी लिंक्स मिले ……………ऽआभार्।

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  8. मस्त चर्चा है शास्त्री जी आज ....

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  9. विस्तृत और बेहतरीन चर्चा ..ब्लोग्वानी की अनुपस्थिति में आपकी चर्चा में मिले लिंक्स बहुत सहायक होते हैं.

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