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मंगलवार, जुलाई 06, 2010

साप्ताहिक काव्य मंच – ७ ( संगीता स्वरुप ) चर्चा मंच - 206

आप सभी को मेरा नमस्कार , फिर सजा कर लायी हूँ काव्य की थाली…कुछ अक्षत हैं तो कोई रोली , कुछ चन्दन है तो कोई आरती का दिया…कुछ राई के दाने हैं तो थोड़ी मिश्री भी है….और आपके आगमन से पहले स्वागत हेतु सजा दी है काव्यमयी रंगोली ….आपसे विनम्र निवेदन है कि छक कर करें कविताओं का रसास्वादन……आज की चर्चा प्रारम्भ करते हैं डा० रूप चन्द्र शास्त्री जी की इस वंदना से …………
 मेरा फोटो
उच्चारण »  पर  डा० रूपचन्द्र शास्त्री जी की खूबसूरत रचना पढ़िए 
“पाँव वन्दना”….. किन पावों की वंदना कर रहे हैं कवि….जानिये कविता पढ़ कर -

पूजनीय पाँव हैं, धरा जिन्हें निहारती।
सराहनीय शूद्र हैं, पुकारती है भारती।।

चरण-कमल वो धन्य हैं, 
जो जिन्दगी को दें दिशा,
वे चाँद-तारे धन्य हैं,
हरें जो कालिमा निशा,
प्रसून ये महान हैं, प्रकृति है सँवारती।
सराहनीय शूद्र हैं, पुकारती है भारती।।
 My Photo
शिखा वार्ष्णेय  की जीवन के प्रति एक सकारात्मक सोच लिए कविता का आनन्द उठाइए  स्पंदन  पर

आज इन बाहों में

रक्तिम लाली आज सूर्य की
यूं तन मेरा आरक्त किये है.
तिमिर निशा का हौले हौले
मन से ज्यूँ निकास लिए है.
उजास सुबह का फैला ऐसा
जैसे उमंग कोई जीवन की
आज समर्पित मेरे मन ने
सारे निरर्थक भाव किये हैं
My Photoशानू शुक्ला राष्ट्र सर्वोपरि »  पर  अपने क्रोध से ही कुछ पूछ रहे हैं.. कि 

ऐ मेरे क्रोध    तुम कब आये ?

ऐ मेरे क्रोध
तुम कब आये
और आकर चले भी गए
पर छोड़ गए पीछे निशान
अपने आने के,
My Photoनवनीत पांडे जी बहुत सुन्दर शब्दों में प्रेम की हर बात बता रहे हैं..

एक और प्रेम कविता

प्रेम
तुम केवल प्रेम क्यूं नहीं हो
क्यूं है तुम्हारे साथ
तुम्हारी चाह
तुम्हारी आह
क्यूं बेकल है हर कोई
जानने के लिए
तुम्हारी थाह

शोभना चौरे जी पिछडेपन की अहमियत बताते हुए क्या कहना चाहती हैं..आइये ज़रा जाने..उनकी
अभिव्यक्ति » पर    पिछड़ापन


उनमे कोई न कोई
कहानी जीवित है ,
इसीलिए
खंडहर सदा आकर्षित
करते रहे
मुझे
My Photo राज़ी शहाब   
Awaz Do Hum Ko  से कह रहे हैं कि 

तुमसा कुछ पाना चाहता हूं..

पाने को तो बहुत कुछ है
पर तुमसा कुछ पाना चाहता हूं
मुस्कुराते हुए लब
मस्ती में डूबी निगाहें
और गालों पर फैली थोड़ी सी लाली
पाने को तो बहुत कुछ है...
क्रांतिदूत  अपने ब्लॉग  क्रांतिदूत »  पर अपना पक्ष रख रहे हैं कि  

चश्मदीद मैं भी हूं.

राक्षस बाप के हाथों
लक्ष्मी बिटिया के गर्दन कटने का,
राखी पहनानेवाली हाथों को
भरोसे की अंगुली पकङाकर
कोठे तक पहुंचाने का
चश्मदीद मैं भी हूं.
याद रहेंगे हम भी जवां थे कभी।। चलो, इक तस्वीर जड़ कर लगा दें अभी।।
अमिताभ »  ब्लॉग अमिताभ जी का है जिस पर वो   ईसा वाक्य  की  महिमा बता रहे हैं --




-मैं भूल गया
उन मानसिक दबावों,
जानबूझ कर
दिये गये अप्रत्यक्ष तनावों को,
भूल गया तमाम कडवे अनुभव.......
My Photo
अरुणा कपूर जी अपनी  मेरी माला,मेरे मोती... पर बाढ़ से भी राहत मिलती है..पर ये कैसी बाढ़ है आइये जाने इस कविता से …

जहाँ बाढ़ है आशीर्वाद!


और साहित्य के आकाश का....
रंग गहराता चला गया......
लाल, पीला , नीला , नारंगी...
इन्द्रधनुष  के सात रंग....
एक रंग में रंग गए....
My Photoमोनाली जौहरी  मन के झरोखे से... 

पाप और पुण्य

               की बात कितनी संवेदनशीलता से कर रही हैं..
कमरे की खामोशी में उनकी आंखों से दर्द बहा करता है
और मैं उसे चुप्चाप पी लिया करती हूं
करते हैं जब सब उनसे अपनेपन की बातें...
झूठे दिखावे के कडवे किस्से और एह्सान के तौर पर जागती रातें.
My PhotoTajurba   पर मुहम्मद शाहिद मंसूरी “ अजनबी"  परेशान हैं कि सारी
शाम जाया कर दी

इक शाम और जाया कर दी
हमेशा की तरह
देखकर यूँ ही चंद तमाशे
और झूठी तालियों के दरमियाँ
तमाम बनावटी चेहरे
भागती हुई ज़िन्दगी की रेस से
चंद ठिठके हुए क़दम !!!
मेरा फोटो
साधना वैद जी  कितनी मासूमियत से कह रही हैं  कि  बस इतना ही तो तुमसे माँगा था….पढ़िए उनके   Sudhinama   पर   छोटी सी आशा  ….



मुट्ठी भर आसमान
टुकड़ा भर धूप
दामन भर खुशियाँ
दर्पण भर रूप
इतना ही बस मैंने तुमसे माँगा है !
My Photo
अभिषेक  कुशवाहा की एक नयी कविता पढ़िए     आर्जव   पर     वैजयंती

कहॊ !
राग की यह वैजयन्ती
तुम कहां से लहा लाये ?
सजाये पलाश-पल्लव , गूंथ माला, फेर दी
नेह विजड़ित मन मेरा , बन मुर्तिका , सज गया !

स्वार्थ 

पर पढ़िए कृष्ण बिहारी की रचना 

ख़तरनाक डगर

बहुत आसान है …
बहुत आसान है किसी से प्यार कर लेना
चाहने लगना
झूमते हुये बांस के पेड़ों की तरह
हवा को।

मानवीय सरोकार

पर डा० सुरेश उजाला जी की कविता 
मज़बूरी   पढ़ें --

लाचार-मज़बूर-अशक्त
असहाय -विवश-कमजोर
दीन-हीन-बेबस आदि
नाम हैं-मज़बूरी के |

Apne-apne Raste..पर

दिव्या पांडे ढूँढ रहीं हैं अपनी

एक कविता

पढ़ा था कहीं...
कि मन के भावों को बस लिख भर देने से
बन जाती है कविता ...
तो फिर कहाँ हैं मेरी तमाम कवितायेँ
जो मैंने कभी लिखनी चाही थी
पर लिख नहीं पायी थी
 मेरा फोटो
वंदना गुप्ता  संवरिया को ढूँढने का असफल सा  एक प्रयास »  कर रही हैं …उनकी विरह वेदना को इस कविता   काहे भूल गए सांवरिया...  में महसूस कीजिये ..


प्रियतम 
प्राण प्यारे 
नैना जोहते
बाट तिहारी 
तुझ बिन तडपत
रैन हमारी 
पी -पी पुकारत
सांझ सकारे
 My Photoइन्द्रनील भट्टाचार्य      जज़्बात, ज़िन्दगी और मै   पर  लाये हैं     पगडण्डी   

उसे बारिश में भींगना,
पसंद है बहुत !
मुझे नहीं ।
बस इसी बात पे,
हमारे बीच
चमकती है बिजलियाँ
My Photoमिताली पुनिथा   mere sapno ki duniya...
पर बता रही हैं  मन और इच्छाऐँ..  आखिर क्या हैं ..
तन के किसी कोने मेँ बसा
एक छोटा सा संसार।
मन रूपी संसार,
एक प्यारा सा संसार...
ये संसार ही तो है
 --डीहवारा 
ब्लॉग पर रजनीकांत जी एक ऐसे खत की बात कर  रहे हैं जो लिखा ही नहीं है…

एक अनलिखा खत
चाहता हूँ मैं कि तुमको ख़ूबसूरत ख़त लिखूं
ख़त कि जिसमें मौन भी हो बात भी हो  
ख़त कि जिसमें चाँद भी हो रात भी हो
ख़त कि जिसमें शबनमी सौगात भी हो
ख़त कि जिसमें स्नेह की बरसात भी हो
 मेरा फोटो
स्वप्निल कुमार “ आतिश “ को पढ़िए       कोना एक रुबाई का  पर ..   तन्हाई को टा टा कर   …कुछ भी कहने से बेहतर है की नज़्म पढ़ी जाये ..


तन्हाई को टा टा कर
कुछ तो सैर सपाटा कर
फटे पुराने चाँद को सी
अपनी रातें काटा कर
आवाज़ों में से चेहरे
अच्छे सुर के छाँटा कर
 
ज्योत्स्ना मैं... »  पर ज्योत्सना पाण्डेय जी कर रही हैं     चिर-प्रतीक्षा   ….शब्दों का चयन और भाव बहुत सुन्दर हैं….आप भी पढ़ें…



कब तक अवगुंठित रहूँ
जीवन या जीवन-क्षरण में?
मैंने तो न देर की प्रिय!
आपके शुभ संवरण में......
प्रेम वर्षा से प्रिय तुम
आज अंतस सिक्त कर दो,
संग रहना तुम सदा ही
प्रेम के इस आचरण में....
यथार्थ »  पर  पढ़िए राहुल रंजन की    व्यथा

न थकन, न चुभन
न शोक, न आह्लाद,
बस चिंतन-मनन कर रहा हूँ.
न विघटन, न विखंडन,
न प्रतिकार,न चीत्कार
बस भावनाओं का दमन कर रहा हूँ.
Dr. Ajay की "अभिव्यक्ति"  पर पढ़िए 
 जीना तो पड़ेगा ही !
जीना तो पड़ेगा ही !
उदासी और ख़ुशी की -
एक ही है सबा
दोनों को दिल के बात कहने की मिलती है सजा ।
मगर जीना तो पड़ेगा ही .......
प्रतिभा सक्सेना जी के ब्लॉग तक पहुंचाने के लिए  सतीश  सक्सेना जी को  धन्यवाद ..उत्कृष्ट हिंदी भाषा का नमूना देखना है तो इनके ब्लॉग पर अवश्य जाईएगा..इनके दो ब्लोग्स से परिचय करा रही हूँ..

शिप्रा की लहरें   पर पढ़िए बंधु रे !

बंधु रे ,
लौट चलो अब !
इतनी देर मत कर देना
कि तुम्हारी ही धरती तुम्हें पहचान न सके ,
:भूल जाये तुम्हारा नाम और पहचान ।

यात्रा - एक मन की  पर  पढिये    प्रथम छंद

वह प्रथम छंद,
बह चला उमड़ कर अनायास सब तोड़ बंध,
ऋषि के स्वर में वह वह लोक-जगत का आदि छंद !
My Photo

अनामिका की सदायें

       पर पढ़िए जीवन दर्शन…
दे दो मुझको माटी रूप
मुझको दे दो माटी रूप.
मंद मंद मुस्काते नारद
तथास्तु कह, कर गए गमन.
स्वप्न सच हो गया मेरा
अंत मिलन है माटी रूप

मेरा फोटोअपूर्ण »  पर निपुण पाण्डेय कर रहे हैं एक 

सवाल....

कभी किसी अँधेरी गुफा में देखा है
कैसे लटके रहते हैं चमगादड़
और
टोर्च से निकलते ही
एक जरा सी रौशनी
उड़ने लगते हैं अचानक
ना जाने क्यों ?
ना कोई मकसद,
ना कोई मंजिल,
बस उड़ते रहते हैं |
----     Nitin Jalan  पर पढ़िए     कुछ रिश्ते…..

कुछ रिश्ते
न कहे जाये. न बोले जाये,
न सुने जाये, न देखे जाये


*********************************************************
मेरा फोटो
------- काव्यांजलि »  पर     (title unknown) 
शाम से लेकर सुबह का इन्तजार
इन दो पहरों में दूरियाँ हुई हजार
My Photo 

नीरज जी
     नीरज  पर   बता रहे हैं की कैसी थाली 
पूजा की थाली हो गई 



बात सचमुच में निराली हो गईं
अब नसीहत यार गाली हो गई
ये असर हम पर हुआ इस दौर का
भावना दिल की मवाली हो गई
डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

15012010007
और अब पूजा( चर्चा ) के अंत में मनोज जी की मनोज »  पर एक प्रार्थना    
तेरी अनुकंपा से

प्रभु  ! तेरी अनुकम्पा से
जेठ की दोपहरी भी
सावन की भोर भई .
शब्द नए मिलने लगे
गीतों को अर्थ मिला..
आशा है कि  आज की काव्य प्रार्थना -  सभा आप लोगों को रुचिकर लगी होगी….इसी उम्मीद के साथ फिर हाज़िर होऊँगी अगले मंगलवार को साप्ताहिक काव्य मंच सजा कर…तब तक के लिए विदा…..नमस्कार ..

38 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत हा परिश्रम के साथ आपने चर्चा के साप्ताहिक काव्य-मंच को सजाया है!
    --
    संगीता जी!
    आपके श्रम को नमन है!

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर चर्चा,सब से मिल्वाने के लिये आभार...

    जवाब देंहटाएं
  3. आज की प्रार्थना संगीतमय रही और सप्ताह भर की कविताओं के विस्तृत स्वरूप का दर्शन करा गई।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर चर्चा के लिए आभार संगीताजी ! आपने इसे कितनी रूचि के साथ सजाया है उसकी जितनी सराहना की जाये कम ही होगी ! आपको कोटिश: धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  5. संगीता जी ! आपकी चर्चा सुन्दर है ... बहुत सारे लिंक मिले जिनमे बढ़िया रचनायें पढ़ पाया ... आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. रचनाकारों, कवियों/कवयित्रियों लेखकों/लेखिकाओं की सामग्रियों के प्रस्तुतीकरण से उसके स्वरूप मे चार चांद लग जाता है और यह है आदरणीया संगीता स्वरूप के परिश्रम का नतीजा। आज पढ़ने को कुछ और सामग्री बाकी है। कार्यालय जाना है। फिर होगा पठन।

    जवाब देंहटाएं
  7. काव्य की थाली…कुछ अक्षत हैं तो कोई रोली , कुछ चन्दन है तो कोई आरती का दिया…कुछ राई के दाने हैं तो थोड़ी मिश्री भी है….और आपके आगमन से पहले स्वागत हेतु सजा दी है काव्यमयी रंगोली.....wah ji maja aa gaya itni sunder saji thali dekhkar to.

    bahut sunder charcha aur apki itni acchhi mehnat ke liye aabhari hu me aur ye charcha manch.

    जवाब देंहटाएं
  8. कितना कुछ सुंदर...और फिर सब कुछ एक जगह पर!....मानों एक ही पौधे पर विविध रंगों के. खुश्बु की विविधता लिए हुए...सुंदर मनोहारी फूल खिले है!....सुंदर प्रायोजन के लिए धन्यवाद संगीताजी!

    जवाब देंहटाएं
  9. आपकी तो भूमिका पढकर ही मन खुश हो जाता है ..बहुत सुन्दर चर्चा.

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  10. बेहद सुरूचिपूर्ण चर्चा!
    आभार्!

    जवाब देंहटाएं
  11. वाह वाह्…………………आज की चर्चा तो बेहद सुन्दर है……………एक से बढकर एक कवितायें लगाई हैं…………॥आपकी मेहनत सार्थक हुयी।

    जवाब देंहटाएं
  12. वाह वाह्…………………आज की चर्चा तो बेहद सुन्दर है……………एक से बढकर एक कवितायें लगाई हैं…………॥आपकी मेहनत सार्थक हुयी।

    जवाब देंहटाएं
  13. संगीता जी
    बहुत बहुत धन्यवाद पहली बार चर्चा में शामिल हुई हूँ |आपके श्रम को देखकर नतमस्तक हूँ |
    आभार |एक से एक अच्छी रचनाये पढने को मिली |

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  14. संगीता जी!
    आज के चर्चा मंच पर टिप्पणियाँ तो लगातार आ रही हैं! मगर क्या कारण है कि वो दिखाई नही दे रही हैं!

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  15. दी आपकी तो भूमिका पढकर ही मन प्रसन्न हो जाता है
    बहुत ही सुन्दर चर्चा है.

    जवाब देंहटाएं
  16. Ye to kavitaayo ka khazanaa mil gaya achanak se...thanks a lot...

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  17. Ye to kavitaayo ka khazanaa mil gaya achanak se...thanks a lot...

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत सुंदर चर्चा बन पड़ा है संगीता जी...मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका आभार..!!

    जवाब देंहटाएं
  19. आप लोगों का यह प्रयास काफी सराहनीय है, काफी मेहनत का भी। मेरी अनेकानेक शुभकामनायें हैं, इसी तरह एक मंच पर अनेक ब्लॉग एकत्रित होते रहे../

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  20. चर्चा-मंच पहली बार देख रही हँ,आपका परिश्रम इन चुनी कविताओं द्वारा बहुतों को आनंदित कर रहा है. हाँ आप संभवतः 'सतीश सक्सेना' जी के नाम के बजाय 'अजीत सक्सेना' लिख गई हैं.
    यहाँ की रचनाएं और जानकारियाँ मुझे बार-बार यहाँ खींच लाएँगी.
    आपने मेरी कविताएं मंच के लिए चुनी -आभारी हूँ.

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  21. श्रमसाध्य कार्य है इतने सारे कविताओं के ब्लोग्स का परिचय और लिंक देना ...बधाई व आभार !

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  22. प्रतिभाजी आपने सही कहा...गलती से ही मैंने सतीश जी के नाम कि जगह अजीत लिख दिया था....
    भूल सुधार ली गयी है

    आभार.

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  23. अचरज है कि कल मैंने यहाँ जो टिप्पणी की थी, वो गायब है ...
    खैर, मैं यही कहना चाहूँगा कि चर्चा बहुत बढ़िया है ... आप इतने सारे सुन्दर रचनाओं को सामने लायी हैं ... आभार !

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  24. आज की चर्चा भी काफी महत्वपूर्ण है. काफी अच्छे लिंक्स है.

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  25. बेहतरीन रचनाएँ..... बेहतरीन चर्चा...... बहुत खूब!

    जवाब देंहटाएं
  26. मै भी आश्चर्यचकित हूं, ढूंढ रहा हूं अपनी टिप्पणि। कल जो यहां छोड़ गया था। आज गायब है। ह्रदय से कहता हूं सभी रचनाकारों की रचनाओं के स्वरूप से अवगत कराने का सराहनीय कार्य किया है आपने। शुक्रिया।

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  27. sangeeta ji main tahe dil se aabhari hoon ,jo aapne mujhe is kabil samjha .aur isi bahane anya rachnakaro ki bhi sundar sundar rachnaye padhne ko mili yahan ,shukriya aapka .

    जवाब देंहटाएं
  28. आदरनिये संगीता जी,
    चर्चा मंच पर पहली बार आया , आपने लिंक दिया सो ऐसी महफ़िल में शामिल हों पाया. क्या शमा बाँधा है आपने, यकीनन दिल को भा गया.
    ख़ुशी होती है, सुकून मिलता है, ऐसे मंचों पर आने पे.
    शुक्रिया मेरी नज़्म को यहाँ दर्शाने के लिए.

    शाहिद 'अजनबी"

    जवाब देंहटाएं

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