फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, जुलाई 28, 2010

गांधी तेरे देश में …..उफ़ यह ट्रैफिक …………चर्चा मंच - २२८

आज के चर्चा मंच से संगीता स्वरुप का नमस्कार …… 


आज शास्त्री जी ने अपनी अनुपस्थिति  में इस यज्ञ ( चर्चा मंच ) का कार्य भार मुझे सौंपा है…तो लीजिए मैं यज्ञ प्रारंभ करती हूँ …आप सब भी समिधा ( टिप्पणियाँ ) हवन कुंड ( लिंक्स पर ) में समर्पित कीजियेगा


आज भारतीय नारियों ने हर क्षेत्र में अपनी धाक जमा ली है …और यह मान लिया गया है कि नारियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं …लेकिन क्या आप यह नहीं पढ़ना चाहेंगे ?
 

अफ़सोस भी है........गुस्सा भी और हैरानी भी...….


बात जब हद से गुज़र जाए तो बुरी होती है…… आप भी पढ़ें
  - 

बुरे फंसे अमित शाह..अब क्या होगा


बात बुरी हो तो इंसान माफ़ी मांग ही लेता है …पर सबसे ज्यादा किससे माफ़ी मांगता है ..जानिए यहाँ पर



इंसान सबसे ज्यादा माफ़ी किससे मांगता है?

माफ़ी मांग कर दूसरों के लिए भी सही मार्ग प्रशस्त करता है और बन जाता है

पथ –प्रदर्शक

पथ प्रदर्शन का काम धार्मिक आधार पर बखूबी किया जाता है….आप भी पढ़िए धार्मिक आधार ..

इस्लाम में चार शादियाँ..

जीवन में धर्म हो या   ज्ञान …गुरु का महत्त्व हमेशा से रहा है…भले ही कोई इसे माने या ना माने …पर मैं यह मानती हूँ कि जो भी आपको थोड़ा सा  भी ज्ञान देता है वो गुरु ही होता है….गुरु की महत्ता से आप भी रू -ब-रू  होइए .

आज गुरु पुर्णिमा है    ( रविवार को थी )

ज्ञानवान को कुछ भी  सिखाना कठिन होता है….जैसे लिखे हुए कागज पर नहीं लिखा जाता… कागज कोरा हो तो उस पर कुछ भी लिख सकते हैं…ऐसे ही कुछ यूँ प्रार्थना की गयी है

आ कर छू लो कोरा है मन

 

लीजिए कोरे मन की बात चली तो यहाँ तो सन्नाटा ही छा  गया …..चलिए इसे भी पढ़ ही लें .
.

नीरवता

इस नीरवता में भी एक शोर है..कहीं सूखा है तो कहीं बाढ़ …..आप भी देखें ऐसे दृश्य

पानी ही पानी-देखिए बरसात के कुछ दृश्य


प्रकृति के दृश्य तो हम आँखों से देख सकते हैं ….पर हम स्वयं किस प्रवृति के हैं …यह जानना चाहते हैं  तो मन के चक्षु खोलिए और थोड़ा अंतर्मंथन कीजिये ..

क्या आप जानना चाहेंगे आप किस प्रवृत्ति के मनुष्य हैं ?


खुद को जान समझ लिया है तो आपको ले चलते हैं एक यात्रा पर

‘महाकाल’ .......... जहाँ जलती थी रोज एक चिता


अब यात्रा के साथ ही तो जीवन की यात्रा भी जुडी हुई है….और यह यात्रा निरंतर चलती रहती है…पल -पल आगे बढती हुई …..फिर भी हम एक पल के बारे में सोचते रह जाते हैं …

एक पल


लोग पल - पल का हिसाब रखते हैं पर जब फंस जाएँ ट्रैफिक में तब?  ज़रा आप भी जानिए की क्या होता है तब …

व्यंग्य: उफ्फ! यह ट्रैफिक!

वैसे इससे छुटकारा पाने का एक बहुत आसान तरीका है….जानना चाहेंगे आप ?

गर मैं चिड़िया होता

लीजिए यह तो  परिंदा बन उड़ लिए….और यहाँ नीव के पत्थर ही कम पड़ रहे हैं ..सपनों का घर  बनाने  के लिए किये जा रहे हैं

शिल्प –जतन


और जब  जतन सम्पूर्ण मन से किया जाये तो एक खूबसूरत घरौंदा  बन ही जाता है फिर उम्र कितनी ही क्यों ना हो….
 
 जब तुम होगे साठ साल के.


कभी कभी ऐसा भी होता है की उम्र खत्म हो जाती है….इस संसार से मुक्ति भी मिल जाती है ..पर फिर भी आप बहुत याद आते हैं …किसी न किसी बहाने से ….

कील पर टँगी बाबूजी की शर्ट


याद आने की बात चली है तो यहाँ भी ज़रा पढ़िए कि हम राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी को कैसे याद और क्यों याद कर रहे हैं


गांधी तेरे देश में

अब बापू से तो हो गए शिकवे शिकायत….ज़रा यह भी देख लें कि यहाँ गाँधी जी के बंदरों की परिभाषा ही बदल गयी है

गाँधी जी के तीन बंदरो की बदली हुई परिभाषा

बंदरों की बात करते करते ना जाने क्यों बच्चे याद आ गए….असल में बच्चे कोई बन्दर से कम थोड़े ही होते हैं …आज कल बहुत धूम है बच्चों की ….

हम बच्चों की बड़ी धूम है..

बच्चों को शांत कराने के लिए पहले ज़माने में कह दिया जाता था कि चुप बैठो नहीं तो बाबा आ जायेगा …पर आज कल के बच्चे ….खैर आप यहाँ देखिये

बाबा का चक्कर

चलिए बाबा का चक्कर छोडिये और यहाँ पर तीखा तीखा पढ़िए

अपने बच्चे, बच्चे और दूसरो के मुसीबत

 

सच में यह बात तो बहुत गलत है …बच्चों को मुसीबत कहना ….यह तो अपराध हुआ ना…आप यहाँ पढ़ें

बड़ा अपराध ?

अब बड़ा अपराध क्या , और छोटा क्या…हमारे तो सारे मंत्री इसी श्रेणी में आते हैं …मानसून सत्र प्रारंभ हो चुका है वहाँ क्या होने वाला है ज़रा आप भी एक दृष्टि डालें -

महंगाई जैसे कई मुद्दों पर गरजेगा मानसून सत्र


अब जो गरजेगा वो बरसेगा भी ….आंधी पानी सब आ सकता है …हमको तो चिन्ता है कि एक दीप भी नहीं जल पायेगा क्या ?

दीपक एक नहीं जल पाया

चलो कोई बात नहीं दीप जले या ना जले ….मान्यता है कि गंगा में डुबकी लगा लो सारे पाप धुल जाते हैं …तो भैया कर लेते हैं हर - हर गंगे

एक डुबकी गंग धार में

अकेले अकेले गंगा नहाने का कोई आनंद नहीं…..तभी तो आप यहाँ पढ़िए

जब तुम साथ थे


साथ हो किसी का तो रंगत कुछ और ही होती है…अब रंग की बात चली है तो यह भी जान लीजिए

रंग है आपके व्यक्तित्व की परछाईं..

अब परछाईं पकड़ने से तो कुछ होने वाला है नहीं…कहीं कोई किनारा भी ना छूट जाये ..

छूटे किनारों के बीच.

किनारे छूटें या ना छूटें पर बीच में स्वार्थ ज़रूर आ जाता है …

राजनीतिक स्वार्थ ..


स्वार्थ से ऊपर उठता ही नहीं कोई ….और आँखों में उदासी उतर आती है….उम्र के निशाँ चेहरे पर दिखने लगते हैं ….यह दुनिया ही मतलब की है…चलिए आप यहाँ पढ़िए

उदास आँखों में छुपी झुर्रियों की दास्तान (भाग -12)

चलिए अब इस दास्ताँ को पढते हुए आगे बढते हैं ….जहाँ कोई बहुत ओजपूर्ण गीत गा रहा है ..

मिहिरपुत्र के गीत


गीत के अलावा भी बहुत सी विधाएं हैं , एक है उसमें नाटक….नाटक तो हर इंसान ज़िंदगी में करता है…..लेकिन कुछ ऐसी व्यवस्थाएं हैं जहाँ नाटक नहीं होना चाहिए…

मीडिया का काम नाटकबाज़ी नहीं

संसद में भी खूब नाटक चलता है….लेकिन उस नाटक से कम से कम कोई खुश तो है…आप भी जाने कि  किसको सबसे ज्यादा खुशी है

चप्‍पलें खूब खुश हैं

चलिए इनको खुश रहने दीजिए…..हम सैर कर आते हैं मुंबई की …..जहाँ के वासियों में जिजीविषा है…हर हादसे से उबरने की हिम्मत है …तभी तो वहाँ के लोग कहते हैं आमची मुंबई …

ये मुंबई आमा हल्दी..


जहाँ ऐसा माहौल हो तो रिश्ते अपने आप पनपते हैं ….. यदि कहीं कोई कमी भी रहती है तो मन में यह भावना भी आती है…

रिश्तों की भूख जगने दो


गहन रिश्तों में कभी कभी रूह का ऐसा स्वर भी झंकृत हो उठता है ….

बस वो ना बनाया

 

चलिए नहीं बनाया तो न सही….हम तो एक आवाहन कर ही सकते हैं  कि अभी देर नहीं हुई है….

अब तो जागो

और  केवल जागने  से ही तो काम नहीं चलता न…हौसला बुलंद होना चाहिए ….एक बानगी आप भी देखें …

फिर भी जीते रहे ज़िंदगी, कभी न टूटे हम.

जी हाँ नहीं टूटे तभी तो आज भी पुरानी यादों को बहुत मन से और सकारात्मक सोच से याद करते हैं ..

याद तेरी आई .....


बस इसी हौसले के साथ इस यज्ञ में पूर्णाहुति  देते हुए अंतिम चरण की ओर अग्रसर हो गयी हूँ …..आप भी साथ दें …

आहुति


चलते चलते एक नज़र यहाँ भी

कार्टून - रे ओ मुसाफिर देख , तेरी गठरी में छेद....सखेद

कार्टून यहाँ दिखा देंगे तो ब्लॉग पर क्या देखेंगे?

   

उम्मीद है आपको यह चर्चा पसंद आई होगी……अपनी प्रतिक्रिया के साथ सुझाव भी दें ..जिससे हम आपके लिए चर्चा को बेहतर बना सकें ….प्रयास रहा है कि आपको अच्छे लिंक्स दे सकें फिर भी त्रुटियाँ अवश्यम्भावी हैं….आपके मार्गदर्शन से सुधार की हमेशा गुन्जायिश  रहेगी…..आभार ….
नमस्कार

38 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर चर्चा |बहुत बहुत बधाई |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  2. bahut hi pransangik charcha..
    badhai swikaren..

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छे लिंक मिले ,उपयोगी चर्चा ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर चर्चा के लिये बधाई संगीताजी ! मुझे इस चर्चा में स्थान देने का बहुत बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी चर्चा की शैली देख कर चमत्कृत और प्रभावित हुआ। कृपया बधाई स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं
  6. @ संगीता आंटी जी,

    बहुत सुन्दर चर्चा है.....आप तो हम बच्चों का कित्ता ख्याल रखती हैं और अपनी चर्चा में हम लोगों की भी चर्चा करती रहती हैं...आपको ढेर सारा प्यार.

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी चर्चा,अच्छे लिंक्स, और इस चर्चा में मुझे शामिल करने के लिए धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत -बहुत आभारी हूँ आप की ,आप का ये स्नेह और आशीष सदा यूँ ही मिलता रहे |
    सुन्दर चर्चा |

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन लेखों का समावेश.... बहुत खूब!
    मेरे व्यंग्य को भी स्थान देने का बहुत-बहुत धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा………आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  11. Sangeetaji, Ayask ki post ko charchamanch mein jagah dene ke liye shukriya.

    जवाब देंहटाएं
  12. संगीता जी बहुत अच्छी चर्चा लगी हमको तो बिना मेहनत के पढने को बहुत कुछ मिल जाता है.सुन्दर चर्चा के लिये बधाई. मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  13. aapki charcha bahut pasand aai.ahut sari upyogi, samvedansheel aur rachnatmak posts ek jagah padne ko mil gai. kuch post dil ko chhoo gai jisme "Kil par tangi babuji ki shirt" bahut marmik. umda callection...

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा………आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  15. क्या बात है ..ये भी खूब रही ..
    रोचक विस्तृत चर्चा.

    जवाब देंहटाएं
  16. बढ़िया रही चर्चा....शुक्रिया अच्छे लिंक्स का...

    जवाब देंहटाएं
  17. Sangeeta Ji,
    aapse judker bahut badhiya laga..
    aur aapki prastuti laajawaab rahi

    जवाब देंहटाएं
  18. कई बार सादगी में भी सुंदरता होती है और ये बात आज की चर्चा सिद्ध कर रही है.

    सुंदर लिंक्स से सुसज्जित बेहतरीन चर्चा .

    आभार.

    जवाब देंहटाएं
  19. अद्भुत !बहुत ही करीने से पिरोया है एक -एक मोती और इस माला मे एक मोती मेरे भी नाम का गूंथ दिया गया ,इस सुन्दर अह्सास को कैसे बयां करूं समझ नही पा रही बस हाथ जोड्कर तहे दिल से धन्यवाद करती हूं आपका ,जो इस सफ़र का साथी बनाया .आपने आरम्भ भी बडी खूबसूरती के साथ किया .इस हवन सामग्री की सभी जडी बूटियां उपयोगी रही .

    जवाब देंहटाएं
  20. संगीता जी, इस चर्चा में मेरे लेख को भी शामिल करने के लिए आभार। बहुत सारी पोस्ट्स के बारे में भी पता चला। अब उन्हें पढ़ आती हूँ।
    घुघूती बासूती

    जवाब देंहटाएं
  21. संगीता जी
    मेरा लेख शामिल करने के लिये धन्यवाद............।आपकी चर्चा से जहाँ नये लोगों को अच्छे लिंक्स मिलते हैं वहीं लेखक को हौसलाअफजाई.................

    जवाब देंहटाएं
  22. संगीता जी
    मेरा लेख शामिल करने के लिये धन्यवाद............।

    जवाब देंहटाएं
  23. charchamanch ke madhyam se rachnao ka prasar badh raha hai.
    laghukatha shamil karne ke liye aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  24. aapki prastuti lajawab hai.

    kshama ke saath kahoonga ki yadi rachana ke shirshak ke saath rachanakar ka nam tatha blog ka nam bhi hota to adhik accha rehta. hamare manas me kuchh parichaya pehle se hote hai unse turat link bane isliye iski jaroorat mehsoos hoti hai

    जवाब देंहटाएं
  25. हरीश जी ,
    आपकी बात सही है....आप उन लोगों से सरलता से लिंक जोड़ लेते हैं जो आपके मानस पर पहले से होते हैं ....कभी कभी हम ऐसी चर्चा इसलिए कर देते हैं जिससे आप नए लोगों से भी जुड सकें ....आपके सुझाव का ध्यान रखा जायेगा ....आभार

    जवाब देंहटाएं
  26. चर्चा को यज्ञ जैसा पवित्र नाम देकर
    आपने चर्चा मंच को धन्य कर दिया है!

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।