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शुक्रवार, अगस्त 13, 2010

"चर्चा मंच-244" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")



आज के चर्चा मंच में प्रस्तुत हैं 

कुछ छँटी हुई पोस्ट



उड़न तश्तरी लिख रहे, कुत्तों का इतिहास।
मुझको इनमें हो रहा, नेता का आभास।।

जिनके बँगले में रहें, इतने सुन्दर श्वान।
उनको क्योंकर भायेंगे, निर्धन, श्रमिक, किसान।।


सीधे-सादे जीव का, चारा है बस घास।
नेता जी इनको चरें, गदहे भये उदास।।

ताऊ टीवी के "पति पीटो रियलिटी शो" में मि. .............
ताऊ जी के ब्लॉग पर, आया रमलू स्यार।
इस सुन्दर किरदार को, मत कहना मक्कार।।
मिस टेढ़ी से पूछते, उलटे सीधे प्रश्न।
हमरे संग मनाइए, आजादी का जश्न।।


टिप्‍पणीयानंद की तलाश में हैं हम - हम आपके हैं कौन टिप्‍पणी न मिले तो कैसा लगता है समझ रहे हैं आप बिल्‍कुल ऐसा लगता है। हमने ब्‍लॉग नहीं बनाए हैं टिप्‍पणी न मिलने पर हमारे चेहरे हैं साम...
टिप्पणियों के वास्ते, लिखते हैं जो ब्लॉग।
जिनको ये मिलती नहीं, वो जाते हैं भाग।।

हँसो ठहाका मार के, क्यों बैठे मन मार।
प्रतिदिन लाती हास्य को, लेकर हास्य-फुहार।। 
हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि … रात को हास्य योग का अभ्यास करने से सारी चिंताएं मिट जाती हैं और नींद अच्छी आती है। पैसे वापस एक दिन यूं ही खदेरन मॉल के अंदर ...


पंछी सुनले ध्यान से, कागज मेरा मीत।
मुझको अब याद आ रहे, बचपन के सब गीत।।
ठहर जरा ओ जाते पंछी ..एक बात जरा सुनता जा करती हूँ गुजारिश तुझसे ..फ़रियाद जरा सुनता जा ............................................................. मेरे...

झूठे आँसू आँख में, बहा रहे घड़ियाल।
नेता माला-माल हैं, जनता है बेहाल।।
अपने मोबाइल पर लोन कंपनियों के फोन आने से केवल आम जनता ही परेशान नहीं है बल्कि देश के वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी भी लोन कंपनियों के इस तरह के अनचाहे कॉल स...


पत्रकारिता में भरे, कैसे-कैसे खोट।
बिगुल बजाकर कर रहे, सोनी जी विस्फोट।। 
मैं पिछले कुछ दिनों से लगातार यह सोच रहा था कि 
आज नहीं तो कल माइक पकड़कर चैनलों में एक ही बात को 
पचास बार बोलने वाले मीडियाकर्मियों के बारे में लिखूंगा ल...

कार्टून ने कर दिया, बदहाली का जिक्र। 

आपाधापी में पड़ी, सबको अपनी फिक्र।।

कार्टून:- इफ़ यू कांट बीट दैम, ज्वाइन दैम...

समाचार पढ़कर यह, होना नही निराश।
दस वर्षों का गुम हुआ, इसमें है इतिहास।।
आजाद भारत के आजाद...... -  
पूरा देश आजादी की 53वी वर्षगाठ मनाने के लिए तैयारियों में जुटा हुआ है.
कहीं कलाकार दिन रात एक कर अपनी कला का 
लोहा मनवाने का प्रयास कर रहे है तो कहीं समारोह ...

चर्चा का यह अंक है, अनामिका के नाम
बाकी कल लिख पाऊँगा, भली करेंगे राम।।

18 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. आह ! दुनिया इतनी तेज़ी से भी बदल सकती है !!!... इतनी जल्दी समीक्षा में सम्मिलित हो कर तो आश्चर्य से मेरी आंखें खुली ही रह गईं :-)

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  3. बड़ी छंटी हुई पोस्ट निकली डॊक्टर साहिब :)

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  4. चर्चा को बहुत रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया है आपने. यह आपके ही वश की बात है. पहले अजय झा जी भी इसी तरह दू लाईना लिखा करते थे.

    रामराम.

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  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति आभार!

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  6. अति उत्तम चर्चा....आनन्ददायक!
    आभार्!

    जवाब देंहटाएं

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