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गुरुवार, अक्तूबर 21, 2010

"आओ भाई...शब्दों की जुगाली करें ..." (चर्चा मंच-314)

शास्त्री जी,
नमस्कार!
एक निवेदन है कि आज सुबह से ही स्वास्थय कुछ ठीक नहीं है. तीव्र ज्वर से पीडित हूँ. हालाँकि अभी कोशिश करके नैट पर आया और चर्चा करनी आरम्भ की भी लेकिन बैठना मुश्किल लग रहा है. इसलिए आज की चर्चा के लिए आपको ही थोडा कष्ट करना पडेगा.  
आभारी
पंडित डी..के.शर्मा "वत्स"  ११:४८ अपराह्न (6 घंटों पहले)
कोई बात नही पण्डित जी! आप आराम से स्वास्थ्य लाभ करें और पोस्ट-वोस्ट लिखने के चक्कर में न पड़ें!.....................................वो नहीं दिखता जो बाहर है. नजर बस टिकी है लेकिन दिख वो रहा है जो मन में है. यही तो है--नजरों का यकीं...!  
समाजवादी, राष्ट्रवादी, प्रगतिवादी, नारीवादी, गाँधीवादी, भौतिकवादी, तर्कवादी, संशयवादी, ईश्वरवादी, अनीश्वरवादी, विज्ञानवादी, अज्ञानवादी, बकवादी आओ भाई...शब्दों की जुगाली करें समस्त कार्यक्रम आशानुरुप होने की खुशी में ताऊ महाराज ... गधा सम्मेलन 2010 समाप्त! विवेक जी, युनूस जी, घुघूती जी सूची में थे। 11 जुलाई को मुम्बई की सड़कों पर 145 किलोमीटर घूमने के बाद अब बारी थी यथासंभव कुछ ब्लॉगरों से मिलने की। सड़क मार्ग से महाराष्ट्र: घुघूती बासूती जी से मुलाकातदुनिया में ऐसा कौन है जिसे कभी किसी के *साथ *की इच्छा न हो, जिसे किसी *साथी * की तलाश न हो। साथी यानी सहयोगी, सहकारी, मित्र। साथियों में फ़र्क़ करना सीखो साथी! गोबर हूँ मैं कहा जाता रहा है बचपन के दिनों से जवानी के दिनों तक  अरुण राय की कविता ‘गोबर’.......! आज भी जब कभी फांस की सी चुभन हो मन में या पनप उठा हो कष्ट कोई तन में बात कोई दिल की बताना किसी को चाहूँ या दिल करे जी भर कर किसी को आज मैं सताऊं माई ----------------
आज़ शिवानी ने कड़ी मेहनत करके राष्ट्र मण्डल खेलों के पक्ष में सदन की राय खारिज कराने का मन बना ही लिया मुझे जाना है पोष्ट शिड्यूल्ड कर प्रस्थान कर रहा हूं. ...बिटिया शिवानी रखेगी अपने विचार वाद-विवाद प्रतियोगिता में - ! सुना न कवि अब करुणा गान ! वितरित करता है कण-कण में अमर सत्य, वेदना महान् कवि यह तेरा करुणा गानब्‍लॉग जगत में सबसे अधिक बहस वाला मुद्दा हमारे धर्मग्रंथ बने हुए हैं।  विचार मीमांसा    इनके पक्ष और विपक्ष में हमेशा तर्कों का खेल चलता रहता है।...... किन्तु धर्म का असली लक्ष्‍य मानव धर्म की रक्षा होनी चाहिए !!
किशोर-वयसंधि की आयु के लोग शराब की ओर रुख कर रहे हैं. एक टीवी चैनल और दैनिक समाचार पत्र मैं यह खबर देखने और पढने को मिली. बात कोई नयी नहीं है.....: हो हल्ला न मचाएं, समाधान सुझाएँ ... तुम बार-बार मुझे, ऐसे ही सताते हो, पहले क़रीब लाते हो, फिर दूर हटाते हो, जानती हूँ , ...रिश्तों की एलास्टिक ... ! ........... एक अपसगुन हो गया. सच्ची...! बड़ी मुश्किल है ...20.10.2010 को आई नैक्‍स्‍ट में प्रकाशित व्‍यंग्‍य ! आज जिले के व्यापारी बदमाशो द्वारा आये दिन मांगी जाने वाली फिरौती से परेशान है.....नई दिवाली : आगाज तो अच्छा है!! क्योंकि...मुद्दतों हमने किया, पागलपन...यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है .....मेला कर्फ्यू का --आसमान की परी पतंग - : सृजन की ग़ज़ल....खड़ी हो अगर दीवार आँगन में बस किसी तरह मै बर्दाश्त करता हूँ...मुझे अच्छा नहीं लगता ! संसार एक मुट्ठी में .यही भाव आता है आज का लन्दन देख कर ....ऐसा भी है लन्दन..माँ ने सिखाया समय ने तराशा खुद को तुमने तेज दिया ईश्वर ने यूँ कहो अपना प्रतिनिधि बनाया ... इसलिए ....फिर उलझन कैसी ?  सत्यम , शिवम् सुन्दरम ....तस्वीरें : इस जमीं से आसमान तक...सुख दुख के पलड़े में कलुषित विचारों का गुरुत्व देख रही हूँ मैं. क्या किया रे मन तूने ...यही तो है....परिणतिसड़क पर एक दुखद दृश्य देखा ..इक्कीसवीं सदी में भी मनुष्य का रूप ऐसा भी हो सकता है ! 
राष्ट्रमंडल खेलों में ....मौसेरे भाई हैं ...भ्रष्टाचार के मामले में.......! सिरेमिक इनसर्ट : नी रिप्लेसमेंट में नया दौर -........देखिए.......... ब्लॉगर भी आ रहे हैं डेंगू की चपेट में! इसीलिए तो हर किसीसे इश्क़ नहीं किया जा सकता........नादान मानव यह क्यो भूल गया था................!बहुत खूब!  आहा ..... अब आएगा ऊंट पहाड़ के नीचे ? ...चेतना के शब्द लिखने के लिए अचेत होना पड़ता है..यही तो है मुक्ताकाश....पर तीन क्षणिकाएं...सहसा ही कुछ भाव मन में जागे अपने गाँधी के बारे में ......गांधी और मेरे पिता ..हे राम! .ब्लॉगर मित्रों से एक अपील----वक्त इनसान पे ऐसा भी कभी आता है,  अपने पे भरोसा है तो..राह में छोड़कर साया भी चला जाता है!...आपकी नाराजगी जो रह गयी है । इसीलिए तो कह रहा हूँ-पुस्तकें अच्छीं उपयोगी मित्र भी होती हैं ..! आज के लिए इतना ही बहुत है! दिल से मिटती नहीं चुभन उसकी....आँच देती रही तपन उसकी! बस यूँ ही तेरी ..हर एक बात महके...ये चाँद महके ये चांदनी रात महके आसमां में तारों कि बरात महके यादों ने छेड़ दिए तार धडकनों के दिल के आज सारे जज्बात महके ! कल की चर्चा श्रीमती वन्दना गुप्ता करेंगी! नाम और अनाम, चर्चित और अचर्चित सभी ब्लॉगरों को राम-राम। !

16 टिप्‍पणियां:

  1. कोई बात नही पण्डित डी.के. शर्मा वत्स जी! आप आराम से स्वास्थ्य लाभ करें और पोस्ट-वोस्ट लिखने के चक्कर में न पड़ें!.....................................वो नहीं दिखता जो बाहर है. नजर बस टिकी है लेकिन दिख वो रहा है जो मन में है. यही तो है--नजरों का यकीं...!
    समाजवादी, राष्ट्रवादी, प्रगतिवादी, नारीवादी, गाँधीवादी, भौतिकवादी, तर्कवादी, संशयवादी, ईश्वरवादी, अनीश्वरवादी, विज्ञानवादी, अज्ञानवादी, बकवादी आओ भाई...शब्दों की जुगाली करें !

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  2. बहुत सुन्दर विस्तृत चर्चा ....काफ़ी लिंक्स मिल गए
    आभार

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  3. शास्री जी
    बातों ही बातों में बहुत कुछ कह गए आप. चर्चा की यह अदा भी बहुत पसंद आयी. लगता है यह भी लेखन की एक विधा है, जिसे हम सब प्रायः अवकाश के अभाव में प्रकट करते हैं. अरे भाई शार्ट कट ! . लेकिन यह शार्टकट तो बड़ा लाभकारी निकला . दे दनादन कई गोल ठोक डाले शास्त्री जी ने, जैसे शार्ट कार्नर विशेषज्ञ हो हाकी के. चर्चा बहुत अच्छी लगी. साधुवाद

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  4. जिस तरह से कहानी/ कथा रूप में ही लिंक बीच बीच में मिलते रहे .. बहुत ही रुचिकर लगे .... शास्त्री जी धन्यवाद इन लिंक के लिए ...

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  5. बात ही बात में ढेर सारे लिंक्स ...
    आभार ..!

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  6. बहुत बढिया। पंडित जी स्वास्थ्य लाभ हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  7. आपका ये अन्दाज़ भी पसन्द आया और चर्चा देखने मे ही अच्छी लग रही है लिंक्स बाद मे देखूंगी…………बहुत बहुत आभार्।

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  8. अरे ये तो आप पर अतिरिक्त कार्यभार आन पड़ा. प्रभु वत्स जी को शीघ्र स्वास्थ्यलाभ दे. आपके प्रयासों में कोई कोताही नहीं हो सकती... सुंदर चर्चा.

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  9. बहुत बढ़िया चर्चा है ... आभारी हूँ पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए ...

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  10. बहुत बढ़िया चर्चा ... मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

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  11. आपका अन्दाज़े-बयां की तारी्फ़ न करूं तो ये ना-इंसाफ़ी होगी, लिंक्स ढूंढने में भी आपकी मेहनत नज़र आ रही है।

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  12. पंडित जी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ..


    अच्छी चर्चा.

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