फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, नवंबर 22, 2010

बदलता मौसम बदलते रंग…चर्चा मंच-346

सबसे पहले तो प्रकाश पर्व की हार्दिक बधाइयाँ ..................अब सोमवार की चर्चा की तरफ चलते हैं और देखते हैं आज की चर्चा में कौन- कौन से रंग जुड़े हैं ...........कुछ आपकी पसंद के और कुछ मेरी पसंद के .

इक ओमकार

 सबसे पहले तो यहीं नमन करना चाहिए ना 


 SHASHWAT- SHILP शाश्वत.शिल्प

जो नर दुख में दुख नहिं मानै।

!! श्री श्याम जी के निज खाटूधाम के श्री मंदिर का शिलालेख !!

  ये भी जानना बहुत जरूरी है 


चलिए अब अपनी राम कहानी शुरू करते हैं ---------

व्यंग्य - "कवि सम्मलेन का जायजा " और "कविता बनाने की रेसिपी".... 

 चलो ये भी देख लेते हैं 


उस दफा, उसके जन्मदिन पर

 क्या किया जरा हम भी तो जाने 

 

मिन्नी.../ मिन्नी

 कब बड़ी हुई ..........आज भी सपने तो वो ही हैं 

 

memboy.blogspot.com पर विद्यार्थी बोर नहीं होते....

 देखते हैं होते हैं या नहीं 

 

" रिश्तों के नाम.."

 कितने पैगाम भेजेंगे 

 

फत्तू की सलाह

 एक बार मान कर तो देखो ??????

 

स्मृति की एक कविता

 यादों की धरोहर 

 

घाव

 कभी नहीं भरते 


एहसासों को पत्थर की पोशाक क्यूँ है?

 क्यूँकि अहसासों को रेशमी दुपट्टे कब भाते हैं ?

 

मौत के जश्‍न और रोने

 बहुत मज़ेदार होते हैं 

 

तुम्हारे बिन मैं प्यासा

 जब तक प्यास है तभी तक प्यार है 

 

पत्नी को आदेश मस्तिष्क का यह भाग देता है

 अच्छा ......ज़रा हम भी जाने कौन सा भाग है वो 


मैं पेड़ सब पत्ते मेरे हैं बालक

 बिल्कुल

 

जीवन है

 तभी तक  हर रंग है 


दुनिया और प्रेमी

 क्या कहने इस बारे में 


एक सरल सा गीत

 जीवन एक बहता संगीत 

 

मनुज प्रकृति से शाकाहारी 
माँस उसे अनुकूल नहीं है !
पशु भी मानव जैसे प्राणी
वे मेवा फल फूल नहीं हैं !!

 

गर्दन दर्द से मुक्ति के लिए.........

 थक गए होंगे ना इतनी देर से पढ़ते पढ़ते ...........चलिए ये उपाय अपनाइए और दर्द से मुक्ति पाइए 

   

"नही अवकाश अब"

 ऐसा ना कहिये 


और अब आखिर में लाइव कवरेज़ पढ़िए ................

 तिलयार चिल यार...रोहतक लाइव रिपोर्टिंग कंटीन्यू...खुशदीप

हम भी साथ साथ हैं


दोस्तों,

लीजिये हो गयी आज की चर्चा .........अब आपकी बारी है अपने विचारों से अवगत कराने की ...............तब तक प्रतीक्षारत 

35 टिप्‍पणियां:

  1. नए कलेवर और नए अन्दाज की चर्चा.

    समेटने की ख्वाहिश है शायद सब कुछ
    जो सिमट गया उसे समेट ही लिया है.

    जवाब देंहटाएं
  2. वन्दना जी!
    आपकी आज की चर्चा बहुत बढ़िया रही!
    --
    डॉ नूतन गैरोला जी शुक्रवार को बाहर जी रही हैं! इसलिए शुक्रवार की चर्चा बहन संगीत स्वरूप जी के नाम है! बस एक शुक्रवार की ही तो बात है!

    जवाब देंहटाएं
  3. लगातार व्यस्तता की वजह से,ब्लॉगों पर जाना नहीं हो पाया था। आपने राह आसान की। धन्यवाद। स्वास्थ्य-सबके लिए ब्लॉग की पोस्ट लेने के लिए भी आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रिये वंदना जी ,
    मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने का हार्दिक धन्यवाद...! मेरा सौभाग्य है की मैं आप सभी गुणीजनों के बीच अपना स्थान बना पायी ! हौंसला अफजाई का शुक्रिया...! :)

    जवाब देंहटाएं
  5. आज की चर्चा बहुत अच्छी लगी | आपकी महनत रंग लाती है |बधाई |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  6. वंदना दीदी...


    श्री श्याम देव की कथा को लोगो तक पहुचने के मेरे इस छोटे से प्रयास को चर्चामंच के माध्यम से जन जन तक पहुचाने के लिए आपको धन्यवाद, मैं शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त नहीं कर सकता... आपके इस योगदान को, मैं शत शत नमन करता हूँ... और केवल यह ही कह सकता हूँ...


    जितनी कथा श्याम की होगी, वर्षा उतनी प्रेम की होगी...
    धरम बाँटना बड़ा सरल है, पाप धरम से बड़ा निर्बल है...


    भक्त पढेंगे श्याम कथा को, स्थान न होगा मेरी व्यथा को...
    नहीं कभी कुछ और में चाहूँ, श्री चरणों में शीश नवाऊं...


    !! जय जय मोरवीनंदन, जय जय श्री श्याम !!

    जवाब देंहटाएं
  7. वंदना जी ,
    मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने का हार्दिक धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  8. वंदना जी,

    मेमब्वॉय के ओर से आपका आभार मेमब्वॉय के छात्रों की ओर से। उन्हें भी तो कभी कभार तस्वारें देख कर दिल को सुकून देने का हक है। आपको मेरी टिप्पणि क्या दूँ मैं भी कल छात्रों के रंग में रंग गया था और आपने पकड़ भी लिया।.......

    वैसे तो सठिया गया हूँ 31 अक्टूबर को रिटायर भी कर दिया गया हूँ
    पर शायद चंबल का पानी गरम है या अलसी में इतना दम खम है
    कि यौवन का दीपक बुझने का नाम लेता ही नहीं है
    एस एम एस चेट सर्फिंग कॉलिंग की चलती रहे रिमझिम
    इसलिए ये मोबाइल दिल मांगता है दो दो सिम
    बी. एस. एन. एल. का 3-जी हो एयर वॉइस का ले आये “आसिन”

    धन्यवाद।
    डॉ. ओम

    जवाब देंहटाएं
  9. वंदना जी लिंक्स के लिए धन्यवाद ... कोशिश रहेगी सब तक पहुँचने की ...

    जवाब देंहटाएं
  10. वंदना जी,
    प्रकाश पर्व की शुभकामना की दीप्ति में चर्चामंच का आपका संदेशा मेरे लिए अप्रत्याशित था और सुखद भी था। आपकी टिप्पणी "कहॉं तक" पर मैं भी रूक कर विचार करने लगा किन्तु उहूं कुछ ना मिला, बस यूं प्रतीत हो रहा है कि उड़ते चलो। अनवरत उड़ान की यह कामना जीवन के झंझावातों में एक हरितिमापूर्ण वातायन है। कोशिशों के बाद भी वह कश्मकश में है शायद यथार्थ को समझ रही हो किन्तु मन में कहीं उड़ चलने की ललक भी है। "कहॉं तक" शायद वहॉ तक जहॉं पहुंचकर कामनाएं निजता से निकलकर व्यापकता की ओर चल पड़े। मनुहार में जब हृदय कुलांचे भरने लगता है तब बस और कुछ नहीं दिखता सिवाय उड़ चलने के।
    वंदना जी आपने चर्चामंच से परिचय कराया, हृदय आभारी है।

    जवाब देंहटाएं
  11. बढ़िया लिंक्स संजोये अच्छी चर्चा ...नए लोगों से परिचय हुआ ...

    जवाब देंहटाएं
  12. वंदनाजी , चर्चामंच में स्थान देने के लिए आभार. और भी अच्छे लिंक्स पढने को मिले.

    जवाब देंहटाएं
  13. वंदनाजी हमेशा की तरह आपने बढ़िया चर्चा की है ... चर्चा में काफी अच्छे लिंक मिलें ... समयचक्र ब्लॉग को स्थान देने के लिए आभारी हूँ...

    जवाब देंहटाएं
  14. वंदना जी इसबार के गुलदस्ते में सबकुछ है.

    जवाब देंहटाएं
  15. सुन्दर चर्चा वंदना जी... बढ़िया लिंक मिले है..आपका आभार.. इन लिंक के द्वारे ब्लोग्स में पहुचने के लिए..

    जवाब देंहटाएं
  16. वन्दना जी!
    नए कलेवर और नए अन्दाज की चर्चा. कुछ रचनाएं बहुत प्रभावित की जिनमे "मिनी और उसक अग्रेजी अनुवाद... पलकों के सपने ब्लॉग पर कविता "जीवन है ' श्री श्याम देव की कथा .... आदि हैं...

    जवाब देंहटाएं
  17. आज के चर्चा मंच में मेरे ब्लॉग ‘शाश्वत शिल्प‘ को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद।
    यह चर्चामंच परस्पर सद्भावना का सच्चा वाहक है...अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलीं...बहुत सुंदर आयोजन।

    जवाब देंहटाएं
  18. सुन्दर चर्चा , बहुत कुछ समेटे हुए !
    शुभकामनायें!!!

    जवाब देंहटाएं
  19. अच्छा तरीका पोस्ट से मिलवाने का ...!

    जवाब देंहटाएं
  20. आज की चर्चा बहुत अच्छी है. बहुत कुछ समेटे हुए.

    जवाब देंहटाएं
  21. चर्चा मंच के इस मंदिर में सबको बुलाते रहिए। साहित्य का संगीत सुनाते रहिए। जिंदगी और-और प्यारी लगेगी, बस इस सफर में कुछ गुनगुनाते रहिए। समस्त प्रस्तोताओं का हार्दिक धन्यवाद इस बेहद खूबसूरत उपहार के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  22. अच्छी चर्चा रही शुभकामनाये.

    जवाब देंहटाएं
  23. der se pahuchne ke liye kshma chahunga..rachna ko charcha ke yogya samjha..aabhar..sari rachnayen behad umda aur apne aap me mukammal hai..sahejne aur padhwane ka bahut bahut shukriya..
    vineet..

    जवाब देंहटाएं
  24. वंदनाजी,

    पहले तो देर से आने के लिएँ माफी चाहता हूँ | "चर्चा मंच" हमेशा की तरह सराहनीय है | खास तो आभारी हूँ कि आपने "विश्वगाथा" ब्लॉग पर से स्मृति की एक कविता का ज़िक्र किया | धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  25. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  26. .

    वन्दना जी!
    चर्चा बहुत बढ़िया रही!

    .

    जवाब देंहटाएं
  27. बढ़िया लिंक दिए आज आपने ..हार्दिक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत अच्छे लिंक्स. सुंदर एवं सार्थक चर्चा. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

    जवाब देंहटाएं
  29. अच्छे लिंक्स अच्छी प्रस्तुति। बधाई

    जवाब देंहटाएं
  30. चर्चा वास्तव में बहुत अच्छी लगी.....सुन्दर एवं सुरूचिपूर्ण!

    जवाब देंहटाएं
  31. सर मैं आपके ब्लॉग का नियमित पाठक हूँ और मुझे आपकी लिखने की कला काफी अच्छी लगती है। आप मेरी भी लिखी हुई कविता पढ़ सकतें है यहाँ क्लिक कर

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।