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मंगलवार, दिसंबर 14, 2010

शहीदों को सलाम - इक शहीद की कविता हम सबके नाम ..साप्ताहिक काव्य मंच – 29 … चर्चा मंच – 368

नमस्कार ,  हाज़िर हूँ आज मंगलवार की साप्ताहिक काव्य चर्चा लेकर … कल संसद पर हमले की नौवीं बरसी थी …बस हम यूँ ही बरसी मनाते रहेंगे और आतंकवादी अपनी योजना पूर्ण कर लेंगे ..सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती …न आतंकवाद के खिलाफ न भ्रष्टाचार के खिलाफ …जनता की आवाज़ नक्कार खाने में तूती  की तरह रह जाती है … और पक्ष और विपक्ष के नेता इक दूसरे पर आरोप -प्रत्यारोप लगाते रहते हैं ….खैर मैं ले चलती हूँ आज की चर्चा पर… जहाँ ले कर आई हूँ लोगों के मन में धधकती भावनाओं को ….आज की चर्चा में हर रंग की रचनाएँ शामिल हैं ….आशा है यह इन्द्रधनुष पसंद आएगा …लिंक पर जाने के लिए चित्र पर भी क्लिक कर सकते हैं …तो चर्चा शुरू करते हैं प्रवीण जी की कोमल भावनाओं से -----
My Photoविवाह निश्चित होने के कुछ दिनों बाद ही यह कविता फूटी थी और अभी भी अधरों पर आ जाती है, गुनगुनाती हुयी, स्मृतियाँ लिये हुये। हाँ, आज विवाह को 12 वर्ष भी हो गये। ….प्रवीण पांडे

बहुत खूबसूरत और कोमल भावों से भरी रचना ….
करूँ प्रतीक्षा, आँखें प्यासी
मेरा परिचय यहाँ भी है!डा० रूपचन्द्र शास्त्री जी सबको बताना चाहते हैं कि गहन अन्धकार को दूर करने के लिए दीपकों की  कतार से रोशनी करनी होगी …दिन और साल तो गुज़रते जायेंगे …लेकिन हमारी भी कुछ ज़िम्मेदारी है …ज्ञान के प्रकाश से अज्ञान के अन्धकार को दूर करें …पढ़िए उनकी रचना ---
हमारी  ज़िम्मेदारी
मेरा फोटो
वंदना गुप्ता जी  कह रही हैं कि लोंग मिलते हैं अपनी अपनी कहते हैं और सपने दिखा कर चलते बनते हैं ..आखिर वो क्या कह रही हैं पढ़िए उनकी रचना …
क्या यही मुहब्बत  होती है ?

मनोज ब्लॉग पर अनिल प्रसाद श्रीवास्तव जी सुख और दुःख की विवेचना कर रहे हैं ..दुखी व्यक्ति को सांत्वना स्वरुप कहा जाता है दुःख के बाद सुख आएगा ….और सुख दुःख किसका बड़ा है और किसका कम …जानना है तो पढ़िए उनकी
कविता - दुःख
वटवृक्ष पर रश्मि प्रभा जी ने एक बहुत खूबसूरत कविता लगायी है ….मुझे उम्मीद है की आप भी पढ़ना चाहेंगे …

लडकियाँ आखिर,
लडकियाँ होती हैं!
शिव में ’इ’ होती है,
लडकियाँ,
वो न होतीं तो,
’शिव’ शव होते!  _By 'Ktheleo'
मेरा फोटोशरद कोकास जी  प्रेम पर गहन अभिव्यक्ति लाये हैं “" झील ने मनाही दी है अपने पास बैठने की  " से लेकर " झील ने मनाही दी है अपने बारे में सोचने की " तक बहुत कुछ घटित हो चुका है । प्रेम में सोचने पर भी प्रतिबन्ध..? ऐसा तो कभी देखा न था ..और उस पर संस्कारों की दुहाई ..। और उसका साथ देती हुई पुरानी विचारधारा ..कि प्रेम करो तो अपने वर्ग के भीतर करो..? ठीक है , प्यार के बारे में सोचने पर प्रतिबन्ध है, विद्रोह के बारे में सोचने पर तो नहीं”
विस्तृत रूप से पढ़ें ..
दोस्त ! प्रेम के लिये वर्ग दृष्टि ज़रूरी है
मेरा फोटोरश्मि प्रभा जी  रूह से रूह के रिश्ते की व्याख्या
करते हुए कह रही हैं कि तुम विचार हो और मैं एक शब्द …और शब्द ही विचार को अभिव्यक्त कर सकता है …इस रिश्ते को समझने का निर्णय हमारा है …कोई संकीर्ण सोच से नहीं समझ सकता …

प्यार में नहीं होतीं परिस्थितियाँ
ना अहम्
ना दायरे
प्यार को रूह से
यूँ हीं नहीं जोड़ता भगवान् ...
विस्तार से पढ़िए ..
दो  महारथी
स्वप्न मंजूषा “ अदा “  जी बता रही हैं बढती उम्र का दर्द …. बूढ़े होते लोंग अपनो की ही नज़र में कैसे  निकृष्ट और फ़ालतू हो जाते हैं ? शायद यह नहीं सोच पाते कि एक दिन सबको उस दौर से गुज़रना  है …  इन संवेदनाओं को समझना और पढ़ना है तो पढ़ें ..
अनावश्यक  और  अतिरिक्त
मेरा फोटोवंदना शुक्ला जी जागती आँखों से खूबसूरत दुनिया के सपने देखना चाहती हैं ..जहाँ हर तरफ खुशी हो खुशहाली  हो …और फिर वो बे ख्वाब सो जाना चाहती हैं …..अब यह सपने कैसे हैं ? जानने के लिए पढ़ें उनकी रचना
बे - ख्वाब
My Photoमहेंद्र वर्मा जी के बहुत सारे प्रश्न हैं इस गज़ल में …वो बस यही पूछ रहे हैं कि ऐसा करते क्यों हो ?

नाकामी को ढंकते क्यूं हो,
नए बहाने गढ़ते क्यूं हो ?

बाकी की बातें आप खुद ही गज़ल पढ़ कर जाने

 नया  ज़माना
My Photoपी० सी० गोदियाल जी एक रीमिक्स  नवगीत लाये हैं …. और कह रहे हैं  “ साल २०११ चंद हफ्तों बाद हमारी देहरी पर होगा अत: आप सभी से यह अनुरोध करूंगा कि देश के वर्तमान हालात के अनुरूप इस रिमिक्स को खूब गुनगुनाये नए साल पर; “   तो  इसे आप भी गुनगुनाएं …
नवगीत- हम भारत वाले! (रिमिक्स
मेरा फोटोपूनम श्रीवास्तव वक्त से कह रही हैं कि ज़रा थम जाओ …प्रकृति से सारा श्रृंगार तो ले लूँ और आईना तो देख लूँ ….

बहुत सुन्दर उपमाएं ली हैं …आप भी पढ़ें
वक्त  से --
My Photoकुंवर कुसुमेश जी  गज़ल में कितना तीखा व्यंग कर रहे हैं ….सामने कुछ और पीछे कुछ ….इस स्थिति को बहुत खूबसूरती से कहा है …
आज मीठा हुआ ज़हर देखो
मेरा फोटोदीपक बाबा  लाये हैं ब्रह्म ज्ञान और मन में उठता हुआ तूफ़ान ….मजदूरों को अलाव जला एक साथ बैठा देख कर सुकून पाते  हैं कि कम से कम अपने सुख दुःख एक साथ झोंक तो देते हैं आग में ..तो दूसरी तरफ मरघट में भी देखते हुए सोचते हैं कि एक व्यक्ति तो पा गया अपनी मंजिल … उनके मन में उठने वाले विद्रोह को जानिए ….
विद्रोही का ब्रह्मज्ञान और कविता
मेरा फोटो

अंजना जी  एक बहुत महत्त्व पूर्ण बात बता रही हैं कि यदि मन में कुछ नाराज़गी हो तो उसे जल्दी से जल्दी बता कर निकाल देनी चाहिए … देर तक नाराज़ रहने से क्या नुक्सान होता है पढ़िए उनकी कविता में ..
नाराज़गी जितनी दिल में रखी जाए, उतनी ही भारी हो जाती है
मेरा फोटोआज आपको वीनस की शायरी से मिलवाती हूँ …गज़ब की शायरी करती हैं ..आप खुद ही पढ़िए ..

सीख मुझसे आतिश- फिशां में गुल- फिशां होना
युहीं नही रुखसार पे तजल्ली ओ जलाल आता है
बस इक 'हाँ' भर का फैसला था जो लिया ना गया
उमरों का फासला हुआ रह रह के मलाल आता है
पर क्या करे 'ज़ोया', माज़ी बनके मिसाल आता है
आखर कलश पर पढ़िए नन्द किशोर आचार्य की पाँच कविताएँ ..

१-फिर भी यात्रा में हूँ
२-पानी कहता हूँ
३-लहरा रही है बस
४-क्या पा लिया तुमने
५-हो नहीं पाती है
My Photoनवनीत पांडे जी अपनी कविता के माध्यम से कह रहे हैं कि आज की स्त्री बेजुबान रह कर मात्र रिश्तों को ढोना नहीं चाहती और पुरुष की तरह भी नहीं बनना चाहती …क्या चाहती है यह उनकी कविता में पढ़ें .
स्त्री ! स्त्री होना चाहती है 
My Photo

डा० जे० पी० तिवारी जी आग्रह कर रहे हैं कि हो सके तो दर्पण में तुम अपना अर्पण और मेरा समर्पण देखो …पढ़िए उनकी रचना --
दर्पण देखो
My Photoशिखा वार्ष्णेय ने ज़िंदगी को अलग अलग नज़र से देखा है …”जिन्दगी कब किस मोड़ से गुजरेगी ,या किस राह पर छोड़ेगी काश देख पाते हम. जिन्दगी को बहुत सी उपमाएं दी जाती हैं”   लेकिन शिखा के देखने का अंदाज़ भिन्न है …कहीं ज़िंदगी बुर्का है तो कहीं खाली चुसनी …या फिर ज़रूरत के मुताबिक़ किये गए प्रयास … कैसे ? यह जानिए पढ़ कर --
इक  नज़र ज़िंदगी
My Photoअनु सिंह लायी हैं अखबार की  सुर्खियाँ ….आज के अखबार की अलग अलग घटनाएँ ..लेकिन एक जैसी खबर …अखबार पढ़ कर जानकारी नहीं बेचैनियाँ बढती हैं ….पढ़िए
आज का  अखबार

मेरा फोटोसाधना वैद जी संघर्षों से मुकाबला करने का हौसला रखते हुए बता रही हैं  कि विषम परिस्थितियों  से लड़ना उनको आता है ….एक सकारात्मक सोच  को ले कर लिखी रचना पढ़ें ----
मुझे  आता  है..
My Photoकविता जी विरह को भी सकारात्मक रूप दे कर लिख रही हैं ….भले ही रोते हुए सिराहना भीग गया हो …हर आहट जैसे गुम हो गयी हो फिर भी उसके कहने पर कि खुश रहना ….मुस्कराहट खिलखिलाहट में बदल तो ली है पर यह गम हंसी में भी छुपता तो नहीं …..पढ़िए
उसके जाने के बाद
My Photoधर्मेन्द्र कुमार जी लाये हैं एक गज़ल ..बीच के कुछ अशआर दे रही हूँ …बाकी आप ब्लॉग पर पढ़ें ..
न ही मंदिर न ही मस्जिद न गुरुद्वारे न गिरिजा में
दिलों में झाँकता है जो ख़ुदा को देख पाता है।

दिवारें गिर रही हैं और छत की है बुरी हालत
शहीदों का ये मंदिर है यहाँ अब कौन आता है।

हराया है तूफानों को
My Photoएक और नया नाम लायी हूँ …मीनू भागिया ..जिनका ब्लॉग है आबशार  बहुत खूबसूरत गज़लें हैं इनके खजाने में …..एक झलक देखिये ..

हरे पत्तों और दरख्तों में गुम हुआ चेहरा
था सब्ज़ अहसास वर्ना कहाँ गया चेहरा
जिस्म में उतर आया था वो धीरे धीरे
वो तो इक महताब था मैंने समझा चेहरा
My Photoरचना दीक्षित जी लायी हैं प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण रचना …भोर होने का सुन्दर वर्णन किया है …अन्धकार छंटने लगता है और धरा से तमस का बंधन छूटने लगता है ..बहुत सुन्दर शब्दों से सजी कविता पढ़िए -----------भोर ........
मेरा फोटोडा० अशोक कुमार “ अनजान “ आज की दुनियाँ के बारे में लिख रहे हैं …आज कल कोई किसी की न परवाह करता है और न ही किसी पर ऐतबार करता है …पढ़िए
कितनी  बेज़ार है ये दुनिया
My Photoआशीष राय  जी ने अपने सबसे प्रिय लोगों के खो देने के दुःख को शब्दों में समेटने का प्रयास किया है ---- “अपने प्रिय को खोने का दारुण दुःख . भरे ह्रदय से श्रधांजलि .ये कविता पुष्प  उन्हें समर्पित.”
निज  मन की व्यथा
संजय दानी जी की  गज़लें पढ़िए  रचनाकार  पर



अब बेवफ़ाई, इश्क़ का दस्तूर है
राहे-मुहब्बत दर्द से भरपूर है।

बारिश का मौसम रुख़ पे आया इस तरह
ज़ुल्फ़ों का तेरा दरिया भी मग़रूर है।
सोच के दीप जला कर देखो,
मज़हबी आग बुझा  कर देखो।

दिल के दर पे फ़िसलन है गर,
हिर्स की काई हटा कर देखो।
ग़म की कहानी से मुझे भी प्यार है ,
दिल आंसुओं के मन्च का फ़नकार है।

ऐ दिल भरोसा उस सितमगर पे न कर,
उसको शहादत ही सदा स्वीकार है।
मैं ऐसा दिखता हूं...निखिल आनंद गिरी …इंतज़ार कर रहे हैं कि सब्र का बाँध टूटे तब रोयेंगे ..अभी तो बहुत और काम हैं करने को ….कुछ पंक्तियाँ ..
उम्र का क्या है, बढ़नी है,
चेहरे पे झुर्रियां चढ़नी हैं...
घर में मां अकेली पड़नी है,
बाबूजी का क़द घटना है,
सोचूं तो कलेजा फटना है,
My Photoउदयवीर सिंह की  कविताओं में सामाजिक , राजनैतिक सजगता दिखती है …मन जैसे किसी आक्रोश के तहत छटपटाता रहता है …लेकिन आज की रचना ज़िंदगी को प्रवाह देने का नाम है …

पथ गमन कर चले ,तज सजे दो फलक ;
स्मृतियों में बसे वेदना बन  चले  -----------
प्रवाह
मेरा फोटोपवन कुमार मिश्रा जी  देश की हवा ही बदलने की बात कर रहे हैं ..वैसे सच तो है कि  वाकई फिजाएं बदल तो रही हैं …सज़ाएँ भी बदल रही हैं …सियासतदां  भी बदल रहे हैं ….इनकी गज़ल पर इक नज़र ज़रूर डालियेगा ….सटीक और सार्थक लेखन है ….
और अफ्ज़लों की सजा बदल रही है
Sn Mishra
राजभाषा  ब्लॉग पर श्री श्याम नारायण मिश्र की कविता प्रस्तुत की गयी है जो अगहन मास के प्राकृतिक सौंदर्य को बखूबी बता रही है …पढ़िए उनकी रचना ..
अगहन  में
My Photo
साहिल जी अपनी गज़ल में  अपने मन की कशमकश ले कर आये हैं …क्या मालूम जहाँ जिस पत्थर के आगे इंसान सिर झुकाता  है वो भगवान है यह किसे पता ? कब दोस्त दोस्ती छोड़ खंजर निकाल ले  किसे पता ? पूरी गज़ल ही पढ़िए न ….
क्या  पता ....
 दिगंबर नासवा जी ने सजाएं है खूबसूरत ख्वाब …..कच्ची धूप की किरण और तकिये के नीचे से ख़्वाबों का सरक आना ...बहुत कोमल सी नज़्म ...गज़ब लिखा है ...बिम्ब योजना तो कमाल की ..
पढ़िए
---- गुलाबी  ख्वाब
चलते चलते -----
My Photoअक्सर शहीदों को नमन करते हुए रचनाकार रचना लिखता है …पर उपेन्द्र “ उपेन‘ जी ने इक शहीद की कविता लिखी है हम सबके नाम …शहीद अपनी माँ से , पत्नि से  बेटे से और देशवासियों से क्या कहना चाहता है ? ज़रूर पढ़ें … हम  सबके नाम इक शहीद की कविता


मेरा फोटोशहीदों पर भी हमारे नेता राजनीति करने से बाज़ नहीं आते …..सुनील कुमार जी बहुत संवेदनशील क्षणिकाएं लाये हैंशहीदों को सलाम


My Photo
सड़क दुर्घटनाओं में लोंग घायल की मदद नहीं करते और इस मदद के बिना घायल मौत की गोद में समा जाता है …इंसानियत दम तोड़ रही है ….यही बात कैलाश सी०  शर्मा जी अपनी कविता में कह रहे हैंइंसानियत की  मौत
चलते – चलते  चर्चा  कुछ विस्तृत हो गयी ….अब आपकी प्रतिक्रियाओं और सुझावों का इंतज़ार है …
आपका दिन मंगलमय हो ….नमस्कार
----संगीता स्वरुप

48 टिप्‍पणियां:

  1. आपके इस सलाम में हम भी अपना स्वर मिला देते हैं!
    --
    परिश्रम से की गई इस चर्चा को भी नमन करते हैं!

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  2. आपकी चर्चा दर्शाती है आपकी लगन और परिश्रम...
    बहुत अच्छी लगी..
    हृदय से आभारी हैं हम सभी...

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  3. @ चलते – चलते चर्चा कुछ विस्तृत हो गयी

    चर्चा विस्तृत नहीं हुई है ... सही है। मंगलवार का इंतज़ार तो हम इसी तरह की चर्चा के लिए करते रहते हैं ताकि सप्ताह भर का खुराक मिल जाए और आपके संकलित न सिर्फ़ बेहतरीन पोस्ट बल्कि उत्तम ब्लोग्स की भी यात्रा हो जाए।
    हमारे ब्लॉग्स को इस मंच पर स्थान देने के लिए आभार।
    निवेदन :: ब्लॉग संचालक और आज के चर्चाकार से -- इतने उत्तम लिंक का चयन कर जैसे मंगलवार को कविता की प्रस्तुति की जाती है वैसे ही संगीता जी यदि रविवार को अन्य विधा (लेख, कहानी आदि) का संकलन प्रस्तुत करें तो हम जैसे पाठकों को एग्रीगेटर की कमी महसूस नहीं होगी और हमें राहत ...!

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  4. sarthak charcha v bahut sare....links .bahut mehnat ke sath prastut charcha .aabhar .

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  5. आपकी चर्चा पर आने के बाद ऐसा लगता है जैसे बिखरे सितारे एकत्रित हो गए है. आपके अथक परिश्रम को प्रणाम . आभार मेरी श्रद्धांजलि को चर्चा में शामिल करके लिए .

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  6. बहुत सुन्दर मंच सजाया है आपने,संगीता जी.
    मुझे भी स्थान दिया , आभारी हूँ.

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  7. आज आपने सबसे ऊपर टाँग दिया है, नज़र में आ गये तो और कवितायें लिखनी पड़ेंगी। कई और अच्छे लिंक मिले।

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  8. बहुत करीने से संजोया हुआ है
    चर्चा मंच
    आभार है गीत जी
    शब्द तो चर्चा मंच पर चले गए
    क्या कहू
    पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी के शब्दों में
    'क्या लिखू'

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  9. बहुत अच्छी चर्चा है संगीता जी विशेषतया "शहीद की कविता..............."
    धन्यवाद

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  10. सभी पाठकों का आभार ...

    @@ मनोज जी ,

    आपने मेरा नाम सुझा कर कृतार्थ किया ...इस बात के लिए आभार ...

    लेकिन आपके निवेदन को मानना संभव नहीं है ...इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ....

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  11. बढ़िया बढ़िया लिंक सुंदर चेहरों के साथ देने के लिए आभार मैम :-)
    फिलहाल दीपक बाबा से शुरू कर रहा हूँ देखता हूँ इनके पिटारें से क्या निकला है !

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  12. पंच परमेश्वर ... कुछ ऐसा ही लगता है इस मंच पर

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  13. इस ख़ूबसूरत संकलन के लिए आभार...

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  14. आपके परिश्रम और लगन से संजोयी गई चर्चा बहुत ही सार्थक एवं सराहनीय है ...शुभकामनाओं के साथ बधाई ....।

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  15. बहुत ही करीने से सजाया गये गज़लों के गुलदस्ते से
    चर्चा मच का यह कमरा बरसो बरस यूं ही गुलज़ार रहे , संगीता स्वरूप ( गीत ) जी मुबारक बाद के मुस्तहक़ हैं । साथ ही मेरी ग़ज़लों को शामिल करने के लिये तहे-दिल आभार।

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  16. ऊपर जो इस टिप्पणीकार द्वारा बात कही गई है वह चर्चाकार के चयन और मेहनत के प्रति उद्गार और ब्लोग संचालक से इस मंच की सार्थकता और भी बढाने की एक पाठक की हैसियत से की गई अपील है, कि रविवार की जो चर्चा होती है उसकी जगह यदि ऐसी ही चर्चा हो तो सप्ताह भर की अच्छी खुराक मिल जाए।

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  17. इतने खूबसूरत इन्द्रधनुषी चर्चामंच की जितनी प्रशंसा की जाए शब्द बौने ही साबित होंगे ! आभारी हूँ आपने मेरी रचना को इसमें स्थान दिया ! बहुत सुन्दर इस चर्चा के लिये आपको अनेकानेक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

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  18. बेहद विस्तृत और सुन्दर चर्चा आपके परिश्रम को दर्शाती है…………जो लिंक्स रह गये थे काफ़ी पढ लिये………आभार्।

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  19. आज की चर्चा ने बहुत से नए लिंक दिए हैं ... मुझे शामिल करने का भी बहुत बहुत धन्यवाद ..

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  20. बहुत ही सारगर्वित बढ़िया चर्चा ... काफी बढ़िया लिंक मिले ...आभार

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  21. अच्छा लगता है चर्चा मंच पर आकर ....इस बार कुछ बदला-बदला सा लग रहा है कलेवर ........कुछ नया....कुछ आकर्षक ......कई लोगों की रचनाओं से रू-ब रू होने का अवसर मिलता है ...और यह सब चर्चा मंच के कारण ....आभारी हूँ ......वीनस की नज्में वाकई रोम-रोम को झंकृत कर देने वाली होती हैं.

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  22. सुन्दर चर्चा .. लुभावनी भी और सुन्दर रचनाओं के लिंक्स दिए संगीता जी ने .. संगीता जी आपका हार्दिक अभिनन्दन

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  23. संगीता जी,
    आभार । चर्चा मंच को जिस तरह को से आप ने सजाया है वो काबिले तारीफ है। हर तरह के लिंक मिलेँ है। सुन्दर चर्चा।

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  24. सुंदर लिंकों से सुज्जजित ये चर्चा मंच ........ और उपर से बाबा को भी शामिल किया......

    ह्रदय से आभार.

    जवाब देंहटाएं
  25. सम्मानीय संगीता जी , को ह्रदय से ध्न्यवाद मेरी रचना ’वटवृक्ष’ के माध्यम से इस मंच पर प्रस्तुत करने के लिये। आदरनीय,रश्मिप्रभा जी का भी अभार, मेरी रचना को अपने सुन्दर ब्लौग पर स्थान देने के लिये!

    आप सब का सम्मान व प्रेम अमूल्य है!

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  26. इतनी सुन्दर लिंक्स का संकलन और विवेचन आपके अथक परिश्रम को दर्शाता है..मेरी रचना को चर्चा में सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद..आभार

    जवाब देंहटाएं
  27. आदरणीय संगीता जी, एक और दिलकश पेशकश आपकी तरफ से हम जैसे साहित्य पिपासुओं के लिए|
    परंतु भाई कुँवर कुसुमेश जी का लिंक नहीं खुल पा रहा|

    जवाब देंहटाएं
  28. सभी पाठकों का आभार ,

    नवीन जी ,

    यदि लिंक से नहीं खुल रहा है तो चित्र पर भी आप क्लिक करके खोल सकते हैं ...वैसे यहाँ लिंक खुल रहा है ...

    सहयोग के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  29. सबसे पहले तो मनोज जी के स्वर में एक बड़ा सा स्वर मेरा भी मिला लीजिए.
    अब चर्चा
    चर्चा ऐसी ही होनी चाहिए..लिंक्स भी और कुछ जानकारी भी, जिससे पाठक को अपनी पसंद की पोस्ट पर जाने में आसानी हो.सच में मंगवार की चर्चा का इंतज़ार पूरे सप्ताह रहता है..

    जवाब देंहटाएं
  30. " वंदना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो "इतना ही कहना चाहूंगी. बहुत दिल काश नज़ारा और प्रतिक्रियाएं हैं. मैं भी सहमत हूँ. मेरी पोस्ट को साप्ताहिक मंच पर सुशोभित करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  31. बहुत ही सारगर्भित चर्चा है। आपका चर्चा प्रस्तुतिकरण बहुत ही शानदार है। मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए तहेदिल से शुक्रियाँ दी।

    जवाब देंहटाएं
  32. सुसज्जित चर्चामच प्रस्तुत करने के लिए आपके प्रति हृदय से आभार।
    आपके परिश्रम के फलस्वरूप हम काव्यप्रेमियों को एक साथ एक से बढ़कर एक रचनाएं पढ़ने को मिल जाती हैं।
    मेरा ग़ज़ल को इस मंच पर स्थान देने के लिए आपको शत-शत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  33. charcha ko aapne jo bhumika di hai vo sarahneeya hai...isse apni abhiruchi tak pahunchna aasan ho jata hai....bahut sunder charcha...shamil karne ke liye dhanyavad...

    जवाब देंहटाएं
  34. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  35. रोज की तरह सुन्दर, विश्लेषित और विस्तृत चर्चा के लिए आभार संगीता जी !

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  36. बहुत विस्‍तृत चर्चा .. बहुत सारे पठनीय लिंक मिले !!

    जवाब देंहटाएं
  37. संगीता दी ..
    आप नही जानती..आज कितना अच्छा लग रहा है मुझे ..एक तो आपकी इस चर्चामंच पे आपने मेरी ग़ज़ल (अधपकी सी ) को स्थान दे के ..मुझे बहुत हौंसला और ख़ुशी दी है....और...बहुत achche achche लिखने वालों तक पहुंची .बहुत achche लिनक्स दिए हैं आपने,...और आपने बहुत ही khoobsurat तरीके से चर्चा की है,......चयन ...presentation ..सब बहुत ही खूबसूरत... . कई...पुराने चेहरे फिर से देखने को मिले .......और बहुतों का प्यार भी....
    आपका तह ए दिल से शुर्किया.......
    इतनी खूबसूरत चर्चा के लिए बधाई
    *************************
    unkavi December 14, 2010 11:21 AM
    venus ke blog tak pahuchaane kaa shukriyaa.


    Kaushalendra December 14, 2010 12:34 PM
    अच्छा लगता है चर्चा मंच पर आकर ....इस बार कुछ बदला-बदला सा लग रहा है कलेवर ........कुछ नया....कुछ आकर्षक ......कई लोगों की रचनाओं से रू-ब रू होने का अवसर मिलता है ...और यह सब चर्चा मंच के कारण ....आभारी हूँ ......वीनस की नज्में वाकई रोम-रोम को झंकृत कर देने वाली होती हैं
    *****************************
    ह्म्म्मम्म ...आप दोनों का शुर्किया कैसे करूं....आप के शब्दों ने दिल को बहुत सकूं और ख़ुशी दी...आप दोनों का तह ए दिल से शुर्किया...[:)]

    जवाब देंहटाएं
  38. आज की चर्चा में जहां मेहनत है वहां संकलन का रंग भी बहुत अलग है. साधुवाद.

    जवाब देंहटाएं
  39. चर्चारुपी इन्द्रधनुष बहुत ही अच्छा लगा... जितने लिनक्स देखे सारे अच्छे लगे! और आपका प्रोत्साहन सबसे अच्छ लगा :-) सादर

    जवाब देंहटाएं
  40. अच्छे सार-संकलन के साथ सुंदर प्रस्तुतिकरण. आभार .

    जवाब देंहटाएं
  41. Apki mehnat ko dil se salaam. sunder rango se susajjit acchhe acchhe links se aalokit shaandaar charcha hai apki.

    aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  42. बेहतरीन कड़ियों के साथ सजी इस सुंदर चर्चा के लिए आभार और मेरे ब्लॉग को भी इसमें स्थान देने के लिए धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  43. इस बार तो काफी लिंक्स के चटखे है. आभार!

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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