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बुधवार, दिसंबर 01, 2010

"एक तीर से दो दो शिकार.." (चर्चा मंच-355)


आइए आज की चर्चा प्रारम्भ करता हूँ!
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और अन्त में देखिए 
बाराबंकी से प्रकाशित होने वाली
लोक संघर्ष पत्रिका का दिसम्बर 2010 का अंक
इसके स्वामी, प्रकाशक और मुद्रक हैं
रणधीर सिंह "सुमन"
इनका ई-मेल है-
loksangharsha@gmail.com
और ब्लॉग का पता है-
http://loksangharsha.blogspot.com/
इसमें विवादित ढाँचे के बारे में
बहुत ही महत्वपूर्ण लेख छपे हैं!
इस त्रैमासिक पत्रिका का वार्षिक सदस्यता शुल्क 100रु. है!
प्रख्‍यात हास्‍य-व्‍यंग्‍य कवि ओमप्रकाश आदित्‍य जी की धर्मपत्‍नी श्रीमती बृजलता नहीं रहीं
श्रद्धांजलि!
विधि के विधान को कौन टाल सकता है!
परमपिता परमात्मा श्रीमती बृजलता की 
आत्मा को शान्ति प्रदान करें!

13 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. सुप्रभात मयंक जी !

    बहुत-बहुत धन्यवाद ...

    जो इतने अच्छे लिंक्स आप यहाँ प्रस्तुत किये । माफ़ करिए , पहले वाली टिपण्णी गलती से हट गयी ।
    आभारी ,
    यज्ञ

    मेरे ब्लॉग पर आप सभी का स्वागत है
    http://ygdutt.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर , सुगढ व सुनियोजित चर्चा की है……………काफ़ी सारे लिंक्स पढ लिये……………बहुत बहुत आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छे और बहुत सारे लिंक्स मिले ...सार्थक चर्चा के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सारे लिंक्स मिले ...सार्थक चर्चा ...

    जवाब देंहटाएं
  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर चर्चा हेतु आभार!
    श्रीमती बृजलता जी को श्रद्धांजलि!

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत अच्छे और बहुत सारे लिंक्स मिले ...सार्थक चर्चा के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
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