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रविवार, दिसंबर 12, 2010

रविवासरीय चर्चा (१२.१२.१०)

नमस्कार मित्रो!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर हाज़ित हूं रविवासरीय चर्चा में मेरे द्वारा चुने हुए कुछ लिंक्स और एक लाइना के साथ।
१. Sadhana Vaid प्रस्तुत मां किरण जी की

ॠतु वर्णन – वर्षा ::

चतुर मोर, दादुर बँधा धीर उसको सुनाने लगे प्रेमियों की कहानी!

 

 



२. सत्यम शिवम बता रहें हैं

पिता का दुख ::

कई दिन बीता, कई रात हुई, बादल उमरे, बरसात हुई। कितने मौसम यूँ आये गये, पर बेटे से ना बात हुई।



३. अपर्णा त्रिपाठी "पलाश" का कहना है

वो कहता था ........... ::

मेरा इन्तजार करना

मुझपे ऐतबार करना

मै बसता हूँ तेरे दिल में

मुझे कभी बेघर ना करना!

४. अजय मूड़ौतिया बता रहे हैं

क्लाइमेट चेंज के बीच सूखता आंखों का पानी ! :: इस तथ्य पर सहमत हुए बिना नही रहा जा सकता।

५. dhiru singh {धीरू सिंह} के

शादी का सोलहवा साल- पो पो की झईम झईम :: घर के सामने से निकलती बारात मुझे चीखने को मजबूर कर देती!!

६. शिक्षामित्र की सूचना ::

जाट आरक्षणः संसद में विधेयक पेश :: संवेदनशील मुद्दे पर केंद्र सरकार ने आखिरकार संसद में पेश अपने जवाब में संशोधन कर दिया है।

७. सागर ये क्या कह रहे हैं, हम पी भी गए छलका भी गए... :: सामने गहरी खाई थी और उसके बाद दूसरा पहाड़... नीचे देखने पर दिल धक् से हो आता था!!

८. कुमार राधारमण बता रहे हैं खतरनाक रोगों से ज्यादा दर्द दे रहीं दवाएं :: जिदंगी की हर सांस के लिए जूझता रोगी। दवा से दुआ तक की मांग, लेकिन दवा कंपनियों और डॉक्टरों के नापाक गठजोड़ को चिंता है तो सिर्फ मुनाफे की।

९. विरेन्द्र सिंह चौहान का कहना है जब तक हमारा ज़मीर नहीं जागेगा! :: अपराधी इन बलात्कार, हत्या,  भ्रष्टाचार  की घटनाओं और दूसरे कई अपराधों को अंज़ाम देते होंगे!!

१०. कुँवर कुसुमेश  पिला रहें हैं पी लीजिए क्योंकि
आज मीठा हुआ ज़हर देखो ::

इस सदी का यही तो हासिल है,

क़िस्मतों का लिखा 'कुँवर'देखो.

११. अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी की

लघु कहानी [ १ ] : किचड़ही राह .. :: तंजान कहिन : '' हम बच्ची का पार कराइ के छोड़ि आयेन , अउर तू वहिका अबहीं लेढोए जात अहौ ?? '' 

१२. Vijai Mathur ने बिताए
क्रांतिनगर मेरठ में सात वर्ष (२ ) :: अन्ततः बाबूजी क़े आफिस क़े एक सरदारजी मोगिया सा :ने अपने मकान में दो कमरे किराये पर दे दिए ! !

१३. क्या आपने पढी है सबसे छोटी बहर की ग़ज़ल? अगर नहीं तो पढिए Navin C. Chaturvedi
ठाले बैठे: सब से छोटी बहर की ग़ज़ल  ::

फिकर |
अगन |८|
कुमति |
पतन |९|
सफ़र |
जतन |१०|



१४.
बेचारा ! 

पं.डी.के.शर्मा"वत्स" ::

हाथी की विशालता देख-देख मच्छरों का झुंड हँसे जा रहा है—!!

१५. Sunita Sharma कर रही हैं

Ganga ke Kareeb: गंगा के करीब ........अध्यात्मिकता की तलाश :: कहते है तीर्थो के पवित्र वातावरण में ऋषि-मुनियों के सत्संग से मनुष्य निष्पाप हो जाता है।

१६. mahendra verma
पूछ रहें है क्या होता है नया जमाना में ::

रस्ते तो बिल्कुल सीधे हैं, टेढ़े-मेढ़े चलते क्यूं हो ?



१७. पढिए

व्यंग्य - सतयुग का आगमन अर्थात कलियुग का अन्‍त - अजित गुप्‍ता :: सतयुग का आगमन होने लगा है। अब तो तपस्या के लिए जंगल में जाने की आवश्यकता नहीं, बस दूरदर्शन खोलकर बैठिए और तपस्या कर लीजिए।

१८. Kusum Thakur की प्रस्तुति

विद्यापति गीत (अभिनव पल्लव) :: कवि कंठहार कहते हैं कि इसका रस शिव अवतार राजा शिव सिंह समझते हैं. 

१९. Rangnath Singh जी से सीखिए कि कैसे छोटी सी चाबी से बड़ा सन्दूक खोला जा सकता है :: जब काफी देर तक दौड़ लो तो दम लेना चाहिए!

२०. रवीन्द्र प्रभात जी लेकर आए हैं वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण-२०१० (भाग-२) :: ब्‍लॉगिंग के इस 'ठंडा ठंडा कूल कूल' को बिल्‍कुल मत भूलें और न किसी को भूलने दें। ब्‍लॉगिंग के झूले में सदा ही झूलें।

२१. नवीन रांगियाल जी कहते हैं अश्वथामा ने कहा था ::

रात के ठहाके जरुरी है .. कांच के गिलासों के साथ!



२२. सुनिए अनुपमा पाठक के

सांत्वना के स्वर! ::

निराशा के भंवर में
डूबना क्या-
यहाँ ऐसे ही
चलता है व्यापार..
विश्वास मात्र भरम है!

२३. Mired Mirage का कहना है

नाम में क्या धरा है? शेक्सपियर से नहीं, मुन्नी व शीला दो बहनों से पूछो। :: भारत जैसे देश जहाँ राजनीति व शासन पिछले ६३ वर्ष से केवल 'परिवार नाम' के इर्द गिर्द घूम रहा है, में यदि हम नाम का महत्व न स्वीकारें तो यह आँखें मूँदने सा होगा।

२४. रश्मि प्रभा लगा रही हैं रहस्यों की बाज़ी ::

हथेली खोलता और बन्द करता

दस उँगलियों के मध्य घूमता



२५. महेन्द्र मिश्र की बात मानें अज्ञानी को ज्ञान देने से ज्ञान का ही अपमान होता है .... :: मैं इतनी दूरी तक अब उड़ कर नहीं जा सकता हूँ और तुम मुझे जहाँ से लेकर आये थे वहीँ वापिस छोड़ दो .

२६. Nirmesh का नया जीवन ::

ख़ुदकुशी की असफल कोशिश के बाद !

२७. वन्दना जी

ऊष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में मौसम नहीं बदला करते ::

कभी देह की
कभी साँसों  की
कभी बातों की
कभी नातों की
कभी भावो की



२८. गिरिजेश राव की प्रस्तुति महाकवि फत्ते के बेढंगे दोहे ::

चलता राही देख के, कउवा रहा हर्षाय
कपड़ों पर बीट की, जोरू पीटे दौड़ाय।

आज बस इतना ही। अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।


हैप्पी ब्लॉगिंग।

26 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी चर्चा लगी मनोज जी, हरेक पोस्ट के साथ परिचय भी भला लगा..
    धन्यवाद..

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही अच्छे लिंक्स से सजायी आपने आज की चर्चा ।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिये आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. आपने रविवासरीय चर्चामंच बहुत ही बढ़िया ढंग से सजाया है।
    --
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. आज के चर्चामंच पर मुझे स्थान दिया ,कृतज्ञ हूँ .

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही उत्‍कृष्‍ट चर्चा .. इतने अच्‍छे अच्‍छे लिंक्सों के लिए आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर तौर से की गई चर्चा , अच्छे लिंक्स , आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. महत्त्वपूर्ण लिंक्स से सजी सुन्दर चर्चा ....

    जवाब देंहटाएं
  8. भाई मनोज जी, मेरे जुनून को इस चर्चा का हिस्सा बनाने के लिए दिल से आभार| पिछली बार सभी लिंक्स को नहीं पढ़ पाया था इवेंट के चलते| आज तो ज़्यादातर को पढ़ने की कोशिश है|

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर लिंक्स के साथ बहुत ही सार्थक चर्चा ! सभी लिंक्स बहुत ही सुघरता के साथ चयनित ! बधाई एवं आभार !

    जवाब देंहटाएं
  10. देखने मे ही लिंक अच्छे लग रहे है पढूँगी बाद मे …………ये अन्दाज़ भी अच्छा लगा चर्चा का……………आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  11. मनोज भाई मज़ा आया| अंत में आपने हंसाने का सुअवसर भी प्रदान कर के इस रविवार को और भी मजेदार बना दिया| बधाई|

    मेरे जुनून "सबसे छोटी बहर की ग़ज़ल" को मंच पर लाने के लिए एक बार फिर से शुक्रिया|

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  12. आज की चर्चा बेहतरीन है ...अच्छे लिंक मिले ... पोस्ट को शामिल करने के लिए आभारी हूँ ....

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  13. Dhanyawad..manoj ji..aaj ki charcha bhut hi achi hai..meri kaavya kalpna "pita ka dukh" ko aaj ki charcha ka ansh bnane hetu bhut bhut dhanyawad...yu hi humesa apna sneh mujhpar banaye rakhe....

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  14. संतुलित व्यवस्थित और सार्थक चर्चा.

    जवाब देंहटाएं
  15. धन्यवाद, मनोज सर....बहुत बहुत आभार....मेरी रचना को प्रोत्साहन देने हेतु। यूँही हमेशा आप मेरा मनोबल बढ़ाये...........

    जवाब देंहटाएं

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