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सोमवार, जनवरी 31, 2011

करिए एक विश्लेषण.......(चर्चा मंच-415)

हाजिर है २०११ के पहले महीने की आखिरी चर्चा ..........देखें क्या है इसमें ............क्या आपके ख्याल हैं? क्या आपकी सोच परिलक्षित होती है ? क्या कुछ सार्थकता नज़र आती है ? करिए एक विश्लेषण और बताइए ..........चर्चा मंच की सार्थकता .



खुद बोलती है
क्या फर्क पड़ता है ?





अब कहाँ वो लोग रहे इस देश में





फिर तो क़यामत आकर रहेगी





और कोण कोई कभी मिलता नहीं





मंजिलें अपनी अपनी 
रास्ते अपने अपने



अच्छा तो ये बात है





करनी ही पड़ेगी .......इससे कब कौन बचा है





शाश्वत सत्य है .......जितना जल्दी समझ आ जाये अच्छा है





दोनों के अपने अपने रंग





फिर कैसे जवाब आएगा ?





अब किसी और की क्या है जरूरत 





हो सकता है ..............शायद





इसमें क्या शक है





कब पीछा छोड़ता है 



बाँट लो आधा आधा एक होने के लिए





अलग होते हैं





बस सभी की अपनी अपनी मजबूरियां हैं ........कोई कैसे गिनाये





एक नया जहाँ आबाद हुआ





सत्य वचन





पहचान खुद की





क्यों?

 

 

मैंने यह ब्लॉग 

‘ओपन यूनिवर्सिटी फ़ॉर हिंदी ब्लागर्स‘ 

के तौर पर शुरू किया है Open university for blogging

स्वागत है 





 वक्त का कोई माप नहीं होता 

 

 

नई ग़ज़ल / पाप इतना कमाने से क्या फायदा....

बात तो सही है मगर सुनता कौन है ?

 

 

जहाँ निष्ठूरता आवश्यक है…………… 

 सब वक्त वक्त की बात है 

 

 

 तुम 

कौन हो ? 


एक नज़र इधर भी 


सच कहा 



ध्यान दिया जाए 




अरे भाई फिर तो जल्दी करें

वाह वाह 

ये भी सही है

देखिये किसकी

ये तो पढ़कर ही पता लगेगा 

अच्छा ये भी खोज लिया !


कब बीत जाते हैं पता ही नहीं चलता 

तो उपाय भी बताइए क्या किया जाये 

सितारों वाली चादर
एक बार ओढ़कर तो देखिये 
 
 
 
 



 चलिए दोस्तों करिए विश्लेषण और बताइए 

क्या खोया और क्या पाया 

आपके विचारों की प्रतीक्षा में!  

36 टिप्‍पणियां:

  1. गांधी जी की पुण्‍यतिथि पर पुण्‍यलाभ लेना रह गया, पर हम रहने दें तब न, जेब में सबकी, मौजूद हैं बापू

    शब्‍दों की ताली

    जवाब देंहटाएं
  2. बापू जी की पुण्य तिथि पर भी आपने चर्चा में सुन्दर लिंक समेट लिए!
    बापू जी को मेरा भी प्रणाम!

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीया वंदना जी
    सस्नेहाभिवादन !

    आपकी लगन और मेहनत काबिले-ता'रीफ़ है । हमें आसानी से अच्छे पठनीय लिंक उपलब्ध कराने के लिए जितना शुक्रिया अदा करूं , कम है ।
    …और, शस्वरं को भी सम्मिलित करने के लिए कृतज्ञ हूं ।
    आपके स्नेह और सद्भाव से अभिभूत हूं …

    चर्चामंच की पूरी टीम को नमन !
    और सब को
    हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत उम्दा चर्चा!
    वंदना जी आपने आज की चर्चा बहुत मन से समय लगा कर की है!
    काफी कुछ समेट लिया आज तो!

    जवाब देंहटाएं
  5. bahut achchhi charcha-bahut achchhe links diye hai vandna ji .aabhar .

    जवाब देंहटाएं
  6. vah vandna ji ,
    mahine ke ant me bhi aisee prastuti dee ki aane wala mahina bhi apna kar liya.
    charcha manch aaj naveen unnati ke shikhar ki aur badhta ja raha hai .aaj blogging ki shuruat karne walon ke liye ye blog jagat se judne ke liye achchhe links le kar aa raha hai aur unki aage badhne me bharpoor madad kar raha hai.aapko achchhi prastuti ki aur charcha manch ko naveen unnati path par badhne ki bahut-bahut badhai.

    जवाब देंहटाएं
  7. वंदना जी,
    नमस्कार
    आज के चर्चामंच में काव्य रस के आस्पादन के साथ-साथ कुद ज्ञानवर्द्धक लेख भी पढ़ने को मिले। इस मंच से पर्याप्त संख्या में पठनीय सामग्री मिल जाती है।
    मेरी रचना को भी आपने सम्मिलित किया है, इस हेतु मैं आभारी हूं।

    जवाब देंहटाएं
  8. ग्यानवर्धक आलेखों, क्रितियों व समाचारों को पढवाने का शुक्रिया ....

    जवाब देंहटाएं
  9. अच्छे लिंक्स अच्छी चर्चा , आभार व बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुन्‍दरता से सजा यह चर्चा मंच ..बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  11. vandanaji, sundar links mile. posts k sath aapki tippaniyaan aakarshit karati hai.

    जवाब देंहटाएं
  12. वंदना साहिबा, चर्चा मंच बहुत ही सार्थक मंच है आपके द्वारा सुंदर प्रस्तुतियों से ज़हन की वेचारिक भूख तृप्त हुई.बहुत धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही सुंदर चर्चा वंदना जी...कई लिंक्स मिले.............धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुन्दर चर्चा..सुन्दर लिंक्स ...

    जवाब देंहटाएं
  15. चर्चामंच स्तरीय, सराहनीय और सुसंगत है। रचनाओं का चयन एक श्रमपूर्ण कार्य है। इसमें सतत निखार आ रहा है जिससे एक बार जो यहॉ आ जाता है वह आते ही रहता है। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  16. वंदना जी, कविता का लिंक देने के लिए धन्यवाद्
    आपकी चर्चा में आया, बेहतरीन साहित्य मिला पढने को, कविताये तो सदा से ही मेरी कमजोरी रही है, संगीता स्वरूप जी ने बेहतर पढने को दिया , आपका प्रयास सराहनीय है
    चर्चा टीम को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  17. वंदना जी इतनी पोस्टों को पढना और छांटना ....
    तौबा .....कैसे कर लेतीं हैं ....
    सभी उम्दा पोस्ट है सभी पर जाते तो वक्क लगेगा ....
    जाती हूँ धीरे धीरे ....

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत मेहनत और लगन से सजाया है चर्चा मंच.

    जवाब देंहटाएं
  19. vandana ji,
    meri rachna ko charcha manch par shaamil kar meri rachna ko aapne samman diya, bahut aabhari hun.

    जवाब देंहटाएं
  20. वंदना जी अच्छी विस्तृत ज्ञानवर्धक चर्चा लगी काफी कुछ समेट लिया. मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिया आभार.

    जवाब देंहटाएं
  21. वन्दना जी,
    सादर नमस्कार,
    आप द्वारा आयोजित चर्चा मंच काफी आकर्षक है। रचनाओं पर आपकी टिप्पणियाँ, विशेष रूप से, अधिक रोचक लगीं। भारतीय काव्यशास्त्र को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिये आभार।

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  22. सभी लिंक एक से बढ़कर एक हैं...
    सच में बहुत मेहनत की है...

    जवाब देंहटाएं
  23. बहुत मेहनत से संजोये ये लिंक्स और इनकी विविधता सहज ध्यान आकर्षित करते हैं ...
    वंदना जी , आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  24. वंदना जी, इस बार भी बढ़िया लिंक्स.
    बहुत मेहनत से चुने हुए.
    क्वालिटी भी ,क्वान्टिटी भी .
    चर्चा मंच को शुभ कामनाएं

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  25. Sundar rachanayen pradann karne aur meri kavita ko sthan pradan karne ke liye Dhayvaad Vandan Ji.

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  26. सुरुचिपूर्ण ज्ञानवर्धक लिंक्स और उन पर अपनी भी संक्षिप्त टिप्पणियों से आपने आज के चर्चा मंच को सचमुच सार्थक बना दिया है. मुझे भी कुछ जगह मिली इसके लिए आभार .

    जवाब देंहटाएं
  27. नमस्कार वंदना जी....बहुत सारे उपयोगी लिंक्स मिले मुझे आज,दिन भर फुर्सत न थी,अभी आ पाया हुँ,बारी बारी से सारे को देख रहा हूँ..आभार।

    जवाब देंहटाएं
  28. इस विस्तृत एवं बेहतरीन चर्चा के लिए आभार वंदना जी !

    जवाब देंहटाएं

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