फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, फ़रवरी 16, 2011

"होते सारे काम सड़क पर." (चर्चा मंच-429)


आज बुधवार है!
चर्चा तैयार है! 


 
मतदान ही लोकतत्र के प्राण हैं!

 होता नहीं अच्छा 
उसकी बद्दुआ लेना 
उसकी हर आह 
तुम्हारा चैन ले जाएगी 
दिल दहला जाएगी ...

 तेरी जुदाई के डर से 
काँप जाता है दिल मेरा 
तेरे बिन जीने के खयाल से 
सहर जाता है बदन मेरा 
तेरे दिल की धड़कन से ही 
धडकता है दिल मेरा...

उसकी चाह में आँसू अपने बहाता रहा। 
पर वो नहीं मिले उसे नहीं मिलना था 
बस उसको याद कर के पगलाता रहा। ....

 भूख लगी है, कब तक कब तक? 
खाना-पानी, दें ना नानी 
जब तक जब तक, तब तक तब तक। 
टीचर से डर, कब तक कब तक? ...

 नामी या बेनाम सड़क पर 
होते सारे काम सड़क पर....  
 मैं चिंटू के साथ बाहर आया तो देखा कि लॉन के एक कोने में 
एक बड़े से टोड के सामने तीन छोटे टोड बैठे थे। 
नन्हें बच्चे की कल्पनाशीलता से होठों पर मुस्कान आ गयी...



IMG_0545_thumb[1]

मनोज कुमार 

 
बीते वर्षों का अवलोकन करें 
पहला वर्ष आँधियों की गर्द 
दूसरा वर्ष एक संघर्ष 
तीसरा वर्ष सुनहरा ख्वाब 
चौथे पांचवें हवा हो गए..

बाबूजी उन प्रतीकों में से एक हैं जो अपनी उर्जा को 
ज़िंदगी के उस मोड़ पर भी तरोताजा रखते है 
जहां जाकर सामान्य लोग क्षुब्ध दिखाई देते हैं
हाल ही बात है  अरविन्द भाई को बेवज़ह 
फोटोग्राफी के लिए बुलवाया बेवज़ह 
बेवज़ह इस लिए क्योंकि न तो कोई जन्म दिन 
न कोई विशेष आयोजन 
न ब्लागर्स मीट यानी शुद्ध रूप से  मेरी इच्छा  की पूर्ती ! ..................
बस थोड़ा सा हम खुद को बदल लें तो  लगेगा कि :-भारत में वृद्धाश्रम की ज़रुरत से ज़्यादा ज़रुरत है पीढ़ी की सोच बदलने की.

शादी तो एक बार ही होनी है...रोज़ रोज़ कोई ये दिन आना है...और फिर कमाते किस लिए हैं...सब इन बच्चों के लिए ही न...और फिर शादी-ब्याह तो वैसे भी बिरादरी में नाक का सवाल होता है...
फिर क्या ये कहीं शास्त्रों में लिखा है कि रात में ही शादी का आयोजन होना चाहिए...क्या दिन में समारोह कर बिजली के खर्च को बचाया नहीं जा सकता...
क्या ये ज़रूरी नहीं कि शादी के वक्त सारा ध्यान पवित्र रिश्ते की सभी रस्मों को विधि-विधान से संपन्न कराने पर होना चाहिए...ये तभी संभव है जब आप मेहमानों की आवभगत की चिंता से दूर होकर पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का पालन करें...

* * *नब्ज कुछ देर से थमी सी है...* इन दिनों आसपास ढेर सारे ख्याल घूमते रहते हैं. अजीबो-गरीब से. यूं कुछ न कुछ ख्याल तो हमेशा ही साथ होते हैं 
लेकिन इन दिन...


 ग़मों की आग में जलते हैं मगर हँसते हैं ; 
किसी आफत की आंच भी नहीं आने देते ; 
..उनके साये में हम चैन से सो लेते हैं.... .

 *कहते हैं कि प्यार एक ऐसा अनमोल तोहफा है, 
जो जीवन को खुशियों से भर देता है। 
मगर वैज्ञानिकों का दावा है कि प्यार-व्यार कुछ नहीं होता, 


महिमा मधुर स्वर में कुछ गुनगुनाते हुये रसोई में खाना पका रही थी, 
तभी उसका 7 साल का बेटा शोभित वहाँ आया और बड़े प्यार से उसे बताने लगा, " माँ, माँ, मुझे किसी से प्यार हो गया है...


मुफ्त डोमेन नेम : फरवरी 2011 सबसे पहले तो आप सभी को हैप्पी वेलेंटाइन्स डे अब जैसा कि पहले बताया जा चुका है अब हर महीने एक ब्लॉग के लिए डोमेन नेम दिया जायेगा वो भी मुफ्त में । ......

 घटनाएं, जिन्होंने विश्व प्रसिद्ध उपन्यासों को जन्म दिया कथाकारों को अपनी रचनाओं के लिए अक्सर प्रेरणा समाज से ही मिलती है। आसपास का परिवेश, लोग, घटनाएं कहीं ना कहीं लेखक के लेखन में सहायक होती रही हैं। ...

 गुज़रा हुआ प्रेम बिसार पाना मुश्किल होता है, तक़रीबन नामुमकिन। कोई जगह, कोई लमहा सबकुछ लेकर आ जाता है सामने। यादों की ऐसी ही एक पोटली…एक चिट्ठी, उसके नाम, ...

 ये सब इत्तेफ़ाक़ नहीं.... ******* कई लम्हे जो चुपके से मेरे हवाले किये तुमने और कुछ पल चुरा लिए ज़माने से हमने ! इतना जानती हूँ ये सब इत्तेफ़ाक़ नहीं तकदीर का ...

बहुत दर्द है कमर में ना नींद आती है। 
रात भर खाँसी हमको बहुत सताती है। 
कोई दवा ना दुआ का असर हो रहा है 
आज जब किस्मत फूटती है ऐसी हो जाती है।




 आप के कंप्यूटर में autorun वाईरस को खोज के डिलीट करता है | Autorun Deactivator एक छोटासा सॉफ्टवेर है जो आप के कंप्यूटर में autorun वाईरस  को खोज के डिलीट करता है | इसके आलावा इस सॉफ्टवेर कि सहायेता से आप अपने कंप्यूट...


आओ एक अपना घर बना लें हम भी ! कच्ची मिटटी से जो ख़्वाब कल बनाए थे, चलो आज पका लें उनको आओ एक अपना घर बना लें हम भी ! रिश्तों की उम्र बड़ी छोटी है कोई एक पल के लिए कोई दो पल के लिए वक...


लघु कथा दोहरे मापदंड शुची बहुत दिनो बाद आयी थी। कितने दिन से मन था उसके पास बैठूँगी अपने दिल की बात करूँगी\ मगर आजकल वो बहुत परेशान है, अपनी मकान मालकिन से। शहरो...


महक मेरा मन फूला महक मेरा मन फूला 
मुझे प्यार है फूलों से, ये मुझसे करते प्यार! 
झुलाऊँ इनको झूला! झुलाऊँ इनको झूला! ...



मंदिर की ख़ुशबू : लघुकथा : रावेंद्रकुमार रवि

‘‘तो फिर देर किस बात की है ... ... आ जाओ जल्दी से ... ... थोड़ी-सी ख़ुशबू मुझे भी मिल जाएगी ... ... तुम्हारी ... ... मेरी साँसों को महकाने के लिए !’’....



प्यार क्या है ? यह एक बड़ा अजीब सा प्रश्न है। पिछले दिनों इमरोज जी का एक इण्टरव्यू पढ़ रही थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब वे अमृता प्रीतम के लिए कुछ करते थ.. 

 तीरथराम साईकिल रिक्शा चलाता और पत्नी किशोरी घर सम्भालती. 
दोनो दिन-रात काम करते. घोर ईश्वर भक्त. 
ईश्वर भी उसकी निरन्तर भक्ति से प्रसन्न हो एक के बाद एक ...

 धनु लग्‍नवालों के विभिन्‍न संदर्भों का आपस में सहसंबंध ... आसमान के 240 डिग्री से 270 डिग्री तक के भाग का नामकरण धनु राशि के रूप में किया गया है। जिस बच्‍चे के जन्‍म के समय यह भाग आसमान के पूर्वी क्षितिज में उदित ...


* * *होगा किसी के लिए आज का दिन विशेष
* *अपने लिए तो है* *बारह मास बसंत* 
*संत सभी फ़रमा गए – प्रेम जगत का सार !* 
*प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !!*..

 क्या हमें बाहर से किसी धक्के की आवश्यकता है..? महबूबा मुफ्ती एक पावर प्वाइंट प्रजेन्टेशन में कश्मीर के कुछ हिस्सों को चीन और पाकिस्तान का मान रही हैं. विजन आन कश्मीर नाम के इस प्रजेन्टेशन में ...


भोपाल में काव्य पाठ

एम.ए.एन.आइ.टी. भोपाल में दस दिवसीय विरासत का आयोजन 19 जनवरी से 29 जनवरी 2011 तक किया गया जिसके अंतर्गत युवाओं को अपने देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से रूबरू करवाते आंदोलन स्पिक मैके द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक आयामों का न केवल सीधा जुड़ाव युवा छात्रों तक पहुंचा वरन् उनकी भागीदारी ही इस विरासत की सफलता का कारण बनी। 



** ** *काले रंग का चतुर-चपल,* *पंछी है सबसे न्यारा।* 
*डाली पर बैठा कौओं का, * *जोड़ा कितना प्यारा।*  


जब बड़ा आदमी बन जाऊँगा तो कैसा लगेगा ---- - पिता सरकारी दफ्तर में चपरासी था । अभावों में जीना सीख लिया था उसने । जब सब बच्चे गली में क्रिकेट खेल रहे होते तो वह खिड़की से झांक कर दूसरों को खेलते देख क...

आज के लिए बस इतना ही!

14 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय मयंकजी ...सतरंगी लिनक्स संजोये बेहतरीन वार्ता..... आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. चुनिन्दा लिंकों का सुन्दर प्रस्तुतिकरण.

    जवाब देंहटाएं
  3. links bahut hi dhyan se chune gaye prateet hote hain charcha manch ka sheershak lajawab hai.bahut sarthak charcha.badhai

    जवाब देंहटाएं
  4. bahut achchhi charcha .meri rachna ''mere maa-baap hai ya ...farishte hain ''ko charcha me sthan dene ke liye hardik dhanywad .

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर इन्द्रधनुषी चर्चा ....लिंक्स भी हर रंग लिए हुए हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  6. शास्त्री जी...नमस्कार..बहुत ही सुंदर सतरंगी चर्चा है आज की।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर चर्चा... लिंक बेहतरीन ..और रंग बसंत के साथ ज्यू बगिया में कई रंग के फूल...

    जवाब देंहटाएं
  8. दो दिन से चर्चामंच खुल नहीं रहा था.शास्त्री जी से और वंदना जी से मदद ली तब खुला.कई दिन बाद इस पर अच्छे लिंक्स पढ़ने को मिले ,बहुत अच्छा लगा.
    शास्त्री जी और वंदना जी ,धन्यवाद मदद के लिए..

    जवाब देंहटाएं
  9. काफी उपयोगी और मनोहारी लिँक प्राप्त हुए ।
    आपको हार्दिक धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  10. सुंदर सतरंगी चर्चा के लिए बधाई।

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।