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सोमवार, अप्रैल 18, 2011

मिली जुली चर्चा…………चर्चा मंच

दोस्तों 
सोमवार की चर्चा में 
आप सबका स्वागत है 

और शायद खुद को भी तोड़ रहा है
शायद तभी जी रहा है  

 कितना गिर गया इन्सान


 इसमें क्या शक है


मेरी ज़िन्दगी बन गए 


एक बार आजमा लिया जाए 


राम भी मिल जाते हैं 


 एक व्यक्तित्व अलग सा


 क्या से क्या हो जाता है 
जब दुआओं में असर होता है


मैं , मैं नही रहती 

 वक्त क्या क्या कर गया

 ये तो सही बात है


बहुत कुछ कह गयी 


 साहस रास्ते फिर बना लेता है

 सब कुछ कह जाते हैं

 बच के रहना रे बाबा 

फिर भी तुम तक न पहुँच पाई 

 वरना ज़िन्दगी दुश्वार हो जाएगी

हमें तो नहीं पता........आप बता दीजिये 

 लो जी बकवास भी शुद्ध होने लगी

ओये -होए क्या बात है 
बधाइयाँ  जी बधाइयाँ 
 
रु-ब-रु होइए  

क्या से क्या हो गया 
एक व्यक्तित्व 
  
हर पल जगता रहता है 
आओ मिलो मुझसे 
हाय ! ये कैसी क़यामत आ गयी 
कैसे हो समाधान 
जाने कब पूरी होगी


माटी का बन्दा है माटी में ही मिलेगा  



मै ओर मेरी हल्दी
 एक कहानी हैं दोनों 
कहाँ मिलावट के ज़माने में पैदा हो गए 
 ज़िन्दगी का सफ़र 


चलते चलते ये भी देख लीजिये  
 
कैसे भी अपना बनाया होता 
आज के लिए बस इतना ही 
फिर मिलेंगे 
तब तक अपने विचारों से
अवगत कराते रहिये  

39 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय वन्दना जी
    नमस्कार !
    सुन्दर चर्चा के लिए धन्यवाद!
    बहुत ही बढ़िया लिंक्स दिये हैं आपने!
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. आपके शुक्रगुज़ार हैं कि आपने हमारी कविता 'वह तोड़ता पत्थर' को सरे फ़ेहरिस्त जगह दी ।

    जवाब देंहटाएं
  3. यह मिली जुली चर्चा भी बहुत सारे नए लिंक्स के साथ परिचय करवा गयी ......आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. sunder sankalan ka sarthak prayas manohari ban pada hai .srijan ,apekshaon ,jigyasa ko sthan deta hua
    prayas sarahniy hai .
    dhanyavad.

    जवाब देंहटाएं
  5. वंदना जी ! कृपया ध्यान दें कि हमारी वाणी के लोगो पर क्लिक करने के बाद ही पोस्ट हमारी वाणी ग्रहण करती है । मैंने पोस्ट वहाँ न पाई तो आपके ब्लॉग पर लगे लोगो पर क्लिक किया तो अब यह पोस्ट हमारी वाणी पर भी नज़र आ रही है ।

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय वन्दना जी नमस्कार !
    सुन्दर चर्चा के लिए धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सी पोस्ट पढ़ीं..बहुत सी छूट गईं। ..फिर फुर्सत में। इससे एक लाभ यह होता है कि अच्छी पोस्ट ढूंढने की मसक्कत नहीं उठानी पड़ती।
    ..आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  8. अच्छे लिंक दिए हैं... बढ़िया रही यह चर्चा....

    जवाब देंहटाएं
  9. अच्छी रही चर्चा...बधाई व धन्यवाद....

    जवाब देंहटाएं
  10. उत्तम व पठनीय लिंक चयन के साथ ही मेरी पोस्ट को भी शामिल करने पर आभार आपका...

    जवाब देंहटाएं
  11. संयमित टिप्पणियों के साथ,
    बेहतरीन चर्चा करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  12. वंदना जी ,
    बहुत बहुत आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए ...आपके दिए लिंक्स पर जाने की पूरी कोशिश करुँगी..सुन्दर चर्चा के लिए बधाई

    जवाब देंहटाएं
  13. वन्दना जी नमस्कार....बहुत ही सार्थक चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरणीय वन्दना जी
    नमस्कार !

    सुन्दर चर्चा के लिए धन्यवाद
    बहुत ही बढ़िया लिंक्स दिये हैं आपने!

    जवाब देंहटाएं
  15. एक सार्थक पर्यास का सुखद एहसास. आपको बधाई.
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

    जवाब देंहटाएं
  16. सुंदर प्रस्तुति ! आभार एवं धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  17. अच्छे लिंक्स से सुसज्जित उम्दा चर्चा ...

    जवाब देंहटाएं
  18. वंदना जी ....आज फिर कुछ नए लोगों से मिलना हुआ आज फिर ...कुछ नया पढने को मिला....आज फिर मेरे घर कुछ मेहमान आयेंगे ...
    ज्यादा कुछ न कह कर ....चर्चा मंच मेरा है अपना है......यहाँ कि प्रस्तुतियां हमेशा स्तरीय होती हैं..

    जवाब देंहटाएं
  19. vandana ji:
    blog par comment ki shali aap ki humesha sae bhati hai mujhe..
    aap ka chayan aakrshak hai..
    aabhar

    जवाब देंहटाएं
  20. बहुत अच्छे लिंक्स हैं .कुछ तो देखे हुए हैं कुछ पर जाते हैं अभी.
    आभार.

    जवाब देंहटाएं
  21. आदरणीय वन्दना जी नमस्कार !
    सुन्दर चर्चा और राजभाषा हिन्दी को सम्मान देने के लिए धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  22. Kuch bahut achhe links. Kuchh protsahan ke liye. Bahut se link hone par sab dekh pana kathin hota jaa raha hai.

    जवाब देंहटाएं
  23. देश और समाजहित में देशवासियों/पाठकों/ब्लागरों के नाम संदेश:-
    मुझे समझ नहीं आता आखिर क्यों यहाँ ब्लॉग पर एक दूसरे के धर्म को नीचा दिखाना चाहते हैं? पता नहीं कहाँ से इतना वक्त निकाल लेते हैं ऐसे व्यक्ति. एक भी इंसान यह कहीं पर भी या किसी भी धर्म में यह लिखा हुआ दिखा दें कि-हमें आपस में बैर करना चाहिए. फिर क्यों यह धर्मों की लड़ाई में वक्त ख़राब करते हैं. हम में और स्वार्थी राजनीतिकों में क्या फर्क रह जायेगा. धर्मों की लड़ाई लड़ने वालों से सिर्फ एक बात पूछना चाहता हूँ. क्या उन्होंने जितना वक्त यहाँ लड़ाई में खर्च किया है उसका आधा वक्त किसी की निस्वार्थ भावना से मदद करने में खर्च किया है. जैसे-किसी का शिकायती पत्र लिखना, पहचान पत्र का फॉर्म भरना, अंग्रेजी के पत्र का अनुवाद करना आदि . अगर आप में कोई यह कहता है कि-हमारे पास कभी कोई आया ही नहीं. तब आपने आज तक कुछ किया नहीं होगा. इसलिए कोई आता ही नहीं. मेरे पास तो लोगों की लाईन लगी रहती हैं. अगर कोई निस्वार्थ सेवा करना चाहता हैं. तब आप अपना नाम, पता और फ़ोन नं. मुझे ईमेल कर दें और सेवा करने में कौन-सा समय और कितना समय दे सकते हैं लिखकर भेज दें. मैं आपके पास ही के क्षेत्र के लोग मदद प्राप्त करने के लिए भेज देता हूँ. दोस्तों, यह भारत देश हमारा है और साबित कर दो कि-हमने भारत देश की ऐसी धरती पर जन्म लिया है. जहाँ "इंसानियत" से बढ़कर कोई "धर्म" नहीं है और देश की सेवा से बढ़कर कोई बड़ा धर्म नहीं हैं. क्या हम ब्लोगिंग करने के बहाने द्वेष भावना को नहीं बढ़ा रहे हैं? क्यों नहीं आप सभी व्यक्ति अपने किसी ब्लॉगर मित्र की ओर मदद का हाथ बढ़ाते हैं और किसी को आपकी कोई जरूरत (किसी मोड़ पर) तो नहीं है? कहाँ गुम या खोती जा रही हैं हमारी नैतिकता?

    मेरे बारे में एक वेबसाइट को अपनी जन्मतिथि, समय और स्थान भेजने के बाद यह कहना है कि- आप अपने पिछले जन्म में एक थिएटर कलाकार थे. आप कला के लिए जुनून अपने विचारों में स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं. यह पता नहीं कितना सच है, मगर अंजाने में हुई किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ. अब देखते हैं मुझे मेरी गलती का कितने व्यक्ति अहसास करते हैं और मुझे "क्षमादान" देते हैं.
    आपका अपना नाचीज़ दोस्त रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"

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  24. हम तो यहाँ भी है अपनी रेलगाड़ी में
    बेहतरीन चर्चा करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत अच्छी चर्चा अच्छे लिंक्स के साथ ,और साथ रखा इसमें आपने मेरी कविता को भी । आभार एवं हार्दिक शुभकामनायें ।

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  26. बहुत बढ़िया जी..... हमेशा की तरह ....

    जवाब देंहटाएं
  27. वंदना दी, अच्छी चर्चा के आयोजन की बधाई ! इतनी अच्छी चर्चा के बीच मुझ 'stupid' को स्थान दिया ! आभार !

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  28. shukriyaan aaj mere blog ki saalgirah rahi aapne mujhe yahan shamil kar anmol yaade di ,dil se aabhari hoon vandana ji ,kai saathiyon ki rachna padhi yahan link achchhe milte hai .

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  29. राम भी मिल जाते हैं ...:):)
    रोचक चर्चा ...
    आभार !

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  30. वंदना जी ,
    देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ कुछ समयाभाव के चलता देर हो गयी
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार ..

    जवाब देंहटाएं
  31. आदरणीय वन्दना जी
    नमस्कार !
    सुन्दर चर्चा के लिए धन्यवाद!

    मेरी कविता को भी शामिल करने पर आभार!

    जवाब देंहटाएं
  32. मुझे और मेरी वेबसाइट पर जाएँ पढ़ कृपया.

    www.growforward.com.au

    :)

    जवाब देंहटाएं

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