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सोमवार, जून 13, 2011

अब झेलिये इसे भी…………चर्चा मंच

दोस्तों
सोमवार की चर्चा में
आपका स्वागत है
आज दिमाग की बत्ती गुल है
इसलिए पता नहीं 
कैसी चर्चा होगी
झेल लीजियेगा ये भी
   
लीजिये जानिए कैसे आज भ्रष्टाचार ने
इन्सान को उसके ईमान को 
दीमक की तरह खा लिया है
 
 अब जब भ्रष्ठाचार इतने व्यापक स्तर पर होगा
तो बेचारी भोली जनता ही बेवक़ूफ़ बनेगी न 
 
 जब और कोई राह छोड़ी ही नहीं जाएगी
तो अर्जुन को गांडीव उठाना ही पड़ेगा
आखिर कब तक सहेगा   
प्रत्यक्षदर्शी की ज़ुबानी रामलीला मे रावण लीला की कहानी
अगर रामलीला मैदान का सच जानना है तो ये पढिये……
 
 
बाबा जी, शुक्रिया आपने मेरी पोस्ट की लाज रख ली...खुशदीप
क्या करते इसके सिवा 
यहां तो संवेदनायें मर चुकी हैं
सरकार तंगदिल हो चुकी है
कुर्सी के लालच मे फ़ंसी पडी है
 
 
अब चलते हैं अपने रोजमर्रा के काम पर
अरे और कुछ नहीं 
मीठी मीठी रचनायें पढने 
और उन्हें प्रोत्साहित करने 
तो आइये और अपने मन का 
कोई फूल चुनिए 


गज़ब की बदली छाई 
रात गज़ब की आई
 तस्वीर सामने हो तो ग़ज़ल बनती है

 कहा भी न जाए चुप रहा भी न जाए
हाय ये कैसी मुश्किल आई 
चलने वालों की कभी हार  नहीं होती  
 चलो कहने की हिम्मत तो की 

कभी सावन सी बरसती हैं
कभी पानी को तरसती हैं 

ये भी बोलते हैं 
बस एक बार सुनने की कोशिश तो करो  

अपने आप में अलग हैं 
 यही तो बोलता है 
सभी को तोलता है 

क्या करना साज श्रृंगार 
जब जाना हो अंतिम सफ़र पर 

अब पानी कहो या एच टू ओ 
क्या फर्क पड़ता है 
हमारी भी बधाइयाँ और शुभकामनाएं  

 जनता बड़ी बलशाली है
जब अपनी बारी आती है
याद कराती सबको नानी है  

 ऐसा क्यों  कहा 
और बाकी क्या बचा है 
चकित होने के सिवा

एक खिलौना है 
कभी भगवान के हाथ का
कभी इन्सान के हाथ का 

 कब पूरी होती है
सबकी मजबूरी होती है 

 हाय रे वो दिन क्यूँ ना आये
जा जा के ॠतु लौट आये रे
करवा दीजिये
आईना सबको दिखा दीजिये 
दर्द के सिवा और क्या मिलेगा
आखिर यही तो इसकी किस्मत है  
 
 
 शायद हो कोई जहान 
 
 
 कहीं तुम्हें मिल जाऊं 
तो पहचान तो लोगे न 
 
  
बहुत कुछ बोलती है 
समझ लेना
 
 
 स्वयं बोलती है
 
 
तुम्हारे संग ही तो रहती हैं 
 
 
 
"गीत-...छाया नभपर घन होता है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")जब छाया नभ पर घन होता है
ढका अम्बर का मन होता है



दोस्तों
अब दीजिये इजाज़त
अगले सोमवार फिर मिलेंगे
इसी जगह
तब तक अपने अमूल्य विचारों से
अनुगृहित करते  रहें






30 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी सामग्री मिल गयी पढ़ने को .... धन्य्वाद !

    जवाब देंहटाएं
  2. काव्यमयी सुबह खिले गुलशन में इतरा रही है विभिन्न प्रसूनों से अप्रतिम खुशबु आ रही है ...मन-मोहक संकलन जी . साधुवाद /

    जवाब देंहटाएं
  3. वंदना जी नमस्कार ..!!
    कुछ लिंक्स पढ़े हुए हैं इसलिए कह सकती हूँ ...बहुत बढ़िया चर्चा ..!
    मुझे स्थान दिया ...आभार ..!!

    जवाब देंहटाएं
  4. तो इसको कैंडिल लाइट चर्चा कहा जा सकता है.

    सुंदर संकलन बढ़िया चर्चा. उदय वीर जी ने सही कहा है गुलशन में विभिन्न प्रसूनो की खुशबू. आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह वा वाह वा

    सुंदर चर्चा के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. चर्चा को मजे से झेल लिया इसको अगर झेलना कहें तो हम आगे भी झेलने को सहर्ष तैयार हैं

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बढ़िया चर्चा!
    झेलने की तो बात ही नहीं है
    बल्कि आपका आभार कि
    आपने इतना मसाला दे दिया,
    आज पढ़ने के लिए!

    जवाब देंहटाएं
  8. अच्छी चर्चा !

    कृपया ग्राम-चौपाल में यह भी पढ़ें .......
    25 साल की जलसमाधि से बाहर निकला एक शहर


    http://www.ashokbajaj.com/2011/06/ex-villa-turistica-epecuen.html

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर लिंकों से सजी चर्चा .... बहुत बढ़िया ...

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत अच्छा काम कर रही हैं...इतने अच्छे लिंक्स की जानकारी एक ही जगह मिल जाती है...।
    मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार...।

    जवाब देंहटाएं
  11. सामयिक सामग्री पढ़ने को मिली।
    सार्थक सामग्री का सुंदर संकलन।
    चर्चा में मुझे सम्मिलित करने के लिए आपका आभार।

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर लिंक्स से सजी बहुत रोचक चर्चा.प्रस्तुति का अंदाज़ लाज़वाब....आभार

    जवाब देंहटाएं
  13. अच्छी चर्चा.. अच्छे लिनक्स.... अंजू अनु जी की रचना बेमिसाल है ... खुशदीप जी का व्यंग्य अच्छा लगा... जनता को सचमुच कमजोर नहीं समझना चाहिए.... कैलाश जी की कविता अच्छी है...

    जवाब देंहटाएं
  14. गुल बत्ती में भी ऐसी चर्चा...झेली नहीं एन्जॉय कि है हमने तो.
    बढ़िया चर्चा है .

    जवाब देंहटाएं
  15. " aisi charcha ho to ye jelne ke liye hum harwaqt taiyaar hai vandanaji "

    " shandar tarika ,aur behad hi dil chasp link diye hai aapne .."

    " tahe dil se sukriya ki aapne meri post ko is kabil samja "

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत बढ़िया......अच्छे लिक मिले...अगर यह हाल है तो बत्ती गुल ही रहे तो ठीक. :)

    जवाब देंहटाएं
  17. विस्तृत और अच्छे लिंक्स को समायोजित कर उम्दा चर्चा दी है ...आभार

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत ही खुबसूरत लिंक्सों से सजी सुंदर चर्चा...मेरी रचना लेने हेतु आभार।

    जवाब देंहटाएं
  19. वंदना जी !
    सभी लिंक्स दिलचस्प हैं...सचमुच आपने बहुत मेहनत की है.... आपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं .

    मेरे गीत को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए मैं आपकी आभारी हूं !

    जवाब देंहटाएं
  20. चर्चा सार्थक रही. बधाई
    - विजय तिवारी "किसलय"

    जवाब देंहटाएं

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