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सोमवार, जून 20, 2011

कहीं हवाओं का रुख बदला है.........चर्चा मंच

दोस्तों 
सोमवार की चर्चा में स्वागत है 
लीजिये हाजिर हैं 
आपकी  मनपसंद सौगात
सुबह का नाश्ता 
इत्मिनान से कीजिये 
और पोस्टों को पढ़िए
जहाँ कहीं पिता को नमन है
चाहे एक दिन ही सही
हम सब याद तो कर लेते हैं
उनकी अहमियत समझ लेते हैं
तो कहीं दिलों के ज़ख्म हैं 
कहीं मोहब्बत की बरखा है 
तो कहीं हवाओं का रुख बदला है
तो आइये आनंद लीजिये

 इसमें क्या शक है 
 वो तो देनी पड़ेगी 
खुद बोलती हैं  
 कौन बदल पाया है 
 हद है 

 कैसे ?

 तो क्या होता ?

बस एक बार हो जाये  

ये भी जानना जरूरी है  

जरूर पढेंगे  

बताइए क्या है  

 किस किस को सम्हालिए  

रोज बदलता है 

बिलकुल होना चाहिए 
 
क्या हुआ उनका ? 

आज के ज़माने में मुफ्त? 
अब तो शुरू हो ही गयी है  

एक नायाब तोहफा  

 कौन से आईने में ?

जरूर  

आमीन  
 जो खुद बोलती हैं 
 कौन सा?
एक ही सुनी है हमने तो  
 इसका तो कम ही यही है 
ये भाव आ जाए तो और क्या चाहिए 


 गर्व की बात है
 
 नमन करो 
 
कभी ख्वाब कभी हकीकत कभी मोहब्बत 
 
 सही कह रहे हैं 
 
 जीनी इतनी आसान कहाँ होती है
 
 कौन?
 
 तो फिर क्या कहते हैं 
 
 बुन गयी एक कहानी 
 
 

हो भी नहीं सकते 
 
 बहुत कुछ कहती है 
 
जितना कहो उतना कम है 
 दोस्तों आज की चर्चा के लिए कल बहुत मुश्किल से 
वक्त मिला यहाँ तक की १५ मिनट दिन में मिले तो कुछ 
तब लगा दी और कुछ शाम को
कल सारा दिन बिजी रही 
तो कभी कभी
ऐसा भी होता है
लेकिन फिर भी काफी लिंक्स 
लेने की कोशिश की है
उम्मीद है आपको पसंद आएगी 
अब दीजिये इजाज़त
अगले सोमवार फिर मिलेंगे
तब तक अपने बहुमूल्य विचारों से
अवगत कराते रहिये  

38 टिप्‍पणियां:

  1. हर रंग शामिल किया है आजकी चर्चा में ...
    बहुत आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. कम समय में व्यस्त होने पर भी इतने सारे बढ़िया लिंक्स. मान गए वंदना जी. बहुत आभार इस सुंदर चर्चा के लिए और मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए.

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरे ब्लॉग को शामिल करने के लिये आभार..

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभप्रभात वंदना जी ...
    कीमती समय का बहतरीन उपयोग ....!!
    बढ़िया लिंक्स ...सुंदर चर्चा ...
    आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. apke prashasniya sankalan v sampadan ko samman ,badhayi . sarahniya prayas ...
    sukriya ../

    जवाब देंहटाएं
  6. बेमिशाल भावों को शब्द देकर पितृत्व को बांचने का ममस्पर्शी कार्य सुंदर है .मनोहारी सृजन .......सर .
    बहुत -२ आभार /

    जवाब देंहटाएं
  7. मंच पर अच्छे अच्छे लिंक्स देने के लिए साथ ही मेरे पोस्ट शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  8. I am very -2 sorry madam ,one of my other comment was replaced to you by mistake .It is regretful . Thanks .

    जवाब देंहटाएं
  9. विविध वर्णी साहित्यिक चर्चाओं का गुलदस्ता है ये चर्चा मंच.
    बारिश , लघुकथाएँ, पितृ दिवस, गद्य, पद्य से समाहित सार्थक अंक
    के लिए बधाई.
    - विजय तिवारी 'किसलय'

    जवाब देंहटाएं
  10. वन्दना जी ,अगर कम समय में भी इतने अच्छे रंग भर दिये हैं ,तब तो वाकई मान गये...... आभार !

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत अच्छी चर्चा ...सभी लिंक्स देख लिए हैं ..आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. उम्दा लिंक्स से सजी चर्चा ... आभार !

    जवाब देंहटाएं
  13. धन्यवाद वंदना जी , मेरी कविता को प्रस्तुत करने के लिए , इसी तरह साथ मिल कर हम हिंदी भाषा को आगे कर सकते है || मेरी कविता पर समय गुजरने के लिए आप सब का धन्यवाद ||
    For "Raat Diwani"

    जवाब देंहटाएं
  14. आजकल तो हर तरफ आईने ही आईने हैं । जो ज़्यादा समझदार हैं उन्होंने तो अपने बेड में भी आईने जड़वा रखे हैं लेकिन बदन आईने में नज़र आता है रौशनी में और
    पाताल लोक में रौशनी का काम क्या ?

    जवाब देंहटाएं
  15. सुन्दर लिंक्स..बहुत अच्छी चर्चा..मेरी रचना को स्थान देने के लिये शुक्रिया..आभार

    जवाब देंहटाएं
  16. बढ़िया लिंक्स....
    आज की चर्चा का हिस्सा बनाने पर आभार....

    जवाब देंहटाएं
  17. हमेशा की तरह बेहतरीन लिंक्स .

    जवाब देंहटाएं
  18. वन्दना जी, आज की इस मन भावनी चर्चा में मुझे स्थान देने के लिये आभार! बहुत से नए लिंक्स भी मिले.

    जवाब देंहटाएं
  19. देर से आने की माफ़ी चाहती हूँ दोस्त आजकल अपने मायके आई हूँ तो अभी देखा बहुत - बहुत शुक्रिया दोस्त इतना प्यार और सम्मान देते रहने का मैं बहुत आभारी हूँ और भी बहुत से लिंक्स हैं समय मिलने पर जरुर पढूंगी | बहुत - बहुत शुक्रिया |

    जवाब देंहटाएं
  20. देर से आने की माफ़ी चाहती हूँ दोस्त आजकल अपने मायके आई हूँ तो अभी देखा बहुत - बहुत शुक्रिया दोस्त इतना प्यार और सम्मान देते रहने का मैं बहुत आभारी हूँ और भी बहुत से लिंक्स हैं समय मिलने पर जरुर पढूंगी | बहुत - बहुत शुक्रिया |

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत बढ़िया चर्चा । मेरे कविता सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद । शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  22. सार्थक एवं सुन्दर चर्चा.....

    बढ़िया लिंक्स..........

    जवाब देंहटाएं
  23. bahut achhi charcha hamesha ki tarah ....meree rachna ko sthan dene ke liye bahut bahut shukriya...

    जवाब देंहटाएं
  24. कम समय में व्यस्त होने पर भी इतने सारे बढ़िया लिंक्स. मान गए वंदना जी. मंच पर अच्छे अच्छे लिंक्स देने के लिए साथ ही मेरे पोस्ट शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं

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