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शुक्रवार, अगस्त 05, 2011

कैसे भूल जाऊं ? चर्चा-मंच-597


 (1)

नई क़लम - उभरते हस्ताक्षर

रुंधे हुए गले का जवाब

वो पाक माहे रमज़ानसुबह सादिक का वक़्त
खुद के वक़्त की परवाह किये बगैर
सहरी के लिए मुझको जगाना
दिन भर के इंतज़ार के बाद
वो मुबारक वक्ते अफ्तारी
हर रोज मिरे लिए कुछ मीठा भेजना
कैसे भूल जाऊं-

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी"
(2)
" 21वीं सदी का इंद्रधनुष "

babanpandey

राह में हैं कटीले कंकड़ ,तो क्या चलना बंद कर दूँ
ख़बरें छपी है फरेब की ,तो क्या पढना बंद कर दूँ ....//

मैं झूठ का तड़का नहीं लगाता, सच की दाल में
उन्हें बुरा लगता है ,तो क्या लिखना बंद कर दूँ ...//
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 विषयाधिप = शासक   विषा = कडुवी-तरोई   विषयांत= देश की सीमा

(3)
"यादें"
अगर ख़ुशी कम लगे जहाँ में
ग़मों की पढ़कर किताब देखो
गिला जो तुमको हो गर किसी से
लूटे दिलों का हिसाब देखो
My Photo
New Delhi, Delhi, India
कुछ तो ऐसा करें ज़माने में वक़्त लग जाए हमें भुलाने में
विष-विस्फोट करता घूमे,
दर्दनाक  मंजर  पर  झूमे |
आयातित-विष का भंडारी
मौत भरी है इसके फू-में  ||
वारदात पर हाथ मींजिये,
नाग-देवता माफ़ कीजिये ||
 विष्कलन = आहार
(5)
'विचार प्रवाह'
शब्द भावनाओं की अभिव्यक्ति है...जिनसे उलझना मेरे जीवन का हिस्सा है...कुछ साहित्य से जुडाव लिखने को प्रेरित करता है , कुछ भागती हुई जिन्दगी.....इसी अहसास के साथ अपनी जीवन यात्रा के विचार प्रवाह को आप सब के सामने रख रही हूँ..

काश !

काश !
तुम भी वही होते
जो मै हूँ ....
माफिया मर्फ़िया सा घातक
पुश्तों का  बड़-पापी पातक |
अपना हित साधे ये  प्राणी 
जन-संसाधन का है बाधक ||
इनको सारी जगह दीजिये,
नाग-देवता माफ़ कीजिये ||
जैसे जैसे पेट बढ़ रहा 
वैसे-वैसे रेट बढ़ रहा |
उन्नत विष का दंड मंगाया,
बेकसूर बे-मौत मर रहा ||
 छटे-छ्टों की छटा देखिये ,
नाग-देवता माफ़ कीजिये ||
  Arvind Mishra  सर्प संसार (World of Snakes)
 

 (7)

मौत की उम्मीद

 

Khuda Khair kare

 




दलितों का संस्कृत


 (11)
एक गीत अनोखा लायी हूँ... - Open Books Online





(14)

चैतन्य का कोना

मेरा फोटो
चैतन्य शर्मा
Jaipur, India, Calgary ,Canada
मैं चैतन्य एक बहुत समझदार बच्चा हूँ | माँ को कभी परेशान नहीं करता | मुझे पोलर बीयर बहुत अच्छे लगते हैं | मुझे डांस करना और माँ को मनाना बेहद पसंद है | स्कूल में भी मुझे सब बहुत पसंद करते हैं | बस! मुझे माँ की एक बात बिल्कुल समझ नहीं आती | मस्ती करो तो परेशान होकर कहती है की चुपचाप बैठो| चुप बैठता हूँ तो परेशान होकर कहती है क्या हुआ ?

डिज़नीलैंड..... एक मैजीकल वर्ल्ड !

"अन्तर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

एक पादप साल का,
जिसका अस्तित्व नही मिटा पाई,
कभी भी,समय की आंधी ।
ऐसा था,
हमारा राष्ट्र-पिता,महात्मा गान्धी ।।
कितना है कमजोर,
सेमल के पेड़ सा-
आज का नेता ।
जो किसी को,कुछ नही देता ।।
दिया सलाई का-
मजबूत बक्सा,
सेंमल द्वारा निर्मित,एक भवन ।
माचिस दिखाओ,और कर लो हवन ।
आग ही तो लगानी है,
चाहे-तन, मन, धन हो या वतन।।
यह बहुत मोटा, ताजा है,
परन्तु,
सूखे साल रूपी,गांधी की तरह बलिष्ट नही,
इसे तो गांधी की सन्तान कहते हुए भी......-
(15)
जज़्बात جذبات Jazbaat

निभा लेता हूं

हज़रात, आदाब
एक शेर देखिए
 चलो तकदीर दोनों आज़माकर देख लेते हैं
मिलाता है हमें किसका मुक़द्दर देख लेते हैं
[2.JPG]


(17)
हम सब एक हैं ….डॉ नूतन गैरोला
मने कभी इंसान की हड्डी को देखा है
कही भी जा दिखेगी हड्डी होती सिर्फ सफ़ेद है
क्या बोलती है वो
मैं हिंदू हूँ, मै मुस्लिम हूँ या कि ईसाई और सिख?
कभी पानी ना मिलेगा तो जानोगे प्यास होती है क्या? 
[niti.bmp]


यहाँ ऐसा होता है तो क्यों होता है मेरे देश में ,विदेश में ख़ास कर अमरीका में यह सवाल नहीं उठता है .वहां एम् एससी फिजिक्स के बाद बेशक आप एम् बी बी एस कर लो ,कुछ और कर लो -पढो जो दिल करे , करो रचनात्मक जो दिल----
[CRW_6198.jpg]
 

 

भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त होने वाली ध्वनियाँ - एक परिचर्चा

आँच-79
भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त होने वाली ध्वनियाँ - एक परिचर्चा
आचार्य परशुराम राय


मेरा फोटो(21)

Bullah main ki jana main kaun

लघुकथा - 4

सरकारी नौकरी  

'' घर नहीं चलना , टाइम हो चुका है .'' - मेरे साथी ने मुझसे कहा . मैंने इस कार्यालय में आज ही ज्वाइन किया था .शायद इसीलिए उसने मुझे याद दिलाना चाहा था .
'' मेरी घड़ी पर तो अभी दस मिनट बाकी हैं .'' - मैंने घड़ी दिखाते हुए कहा .
'' वो तो मेरी घड़ी पर भी हैं ."
'' फिर ? ''


अगले शुक्रवार प्रवास पर हूँ , झाँसी, लखनऊ, फ़ैजाबाद और १८ को वापस धनबाद ||  - रविकर   

शुभ - विदा

25 टिप्‍पणियां:

  1. bahut umda charcha...isme meri post ko shamil karne ke liye bahut bahut dhanybad....aabhar

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छी चर्चा और लिंक्स बधाई |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  3. मनभावन और संतुलित सतरंगी चर्चा करने के लिए आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. prabhav chhodate srijan &prastota ko
    samman tatha badhayi.ruchikar links .

    जवाब देंहटाएं
  5. prabhav chhodate srijan &prastota ko
    samman tatha badhayi.ruchikar links .

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छी और प्रभावशाली तरीके से पेश की गई चर्चा...जज़्बात को शामिल करने के लिए शुक्रिया रविकर जी.

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन लिनक्स का संकलन किया आपने ....चैतन्य को जगह दी आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. काफी रोचक है यह अंदाज भी ......आपका प्रयास सराहनीय है .....आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. अच्छी रचनाओं से जुड़े लिंक्स... बबन भाई की रचनाओं को मैंने पहले भी पढ़ा है... 21वीं सदी का इंद्रधनुष वाले... बहुत बढ़िया लिखते हैं... बाकी रचनाएं भी बेहतरीन... शुक्रिया....

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बहुत धन्यवाद मेरे ब्लॉग को यहाँ स्थान देने के लिए।

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  11. सुन्दर लिंक्स और सार्थक चर्चा... आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

    जवाब देंहटाएं
  12. sunder charcha :)
    bahut bahut shukriya ravikar zi , meri kavita ko iss sammanit manch pe jagah dene ke liye :)

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुन्दर चर्चा...
    सादर आभार...

    जवाब देंहटाएं
  14. रविकर जी ने सुन्दर चर्चा की ... और अच्छे लिंक्स मिले... मेरी पोस्ट भी यहाँ शामिल की ... आपका आभार ..

    जवाब देंहटाएं

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