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शुक्रवार, नवंबर 04, 2011

वीर बहुटी स्वस्थ हो - चर्चा-मंच : 688

बचपन में सभी ने साबुन के घोल से बुलबुले उड़ाए हैं|

26 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर सतरंगी चर्चा!
    सभी लिंक पठनीय हैं।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर लिनक्स का संकलन .... चैतन्य को शामिल करने का आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. खुबशुरत सतरंगी चर्चा...
    चर्घा मंच में नए रचनाकारों को शामिल करे लोगो में उत्साह बना रहेगा...
    मेरे नये पोस्ट में आपका स्वागत है...

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह ...बहुत ही बढि़या लिंक्‍स संयोजन ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित रोचक चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रिय रविकर जी ..अभिवादन ..सराहनीय ........

    जैसे काजल कोठरी
    डूबे काजल लगता
    ऐसे "भ्रमर" को घूमते
    दर्द भरा ही दीखता
    आओ मन को हम समझाएं
    कभी कभी कुछ रंग बिरंगा
    झोली अपनी भर के लायें
    जैसे सतरंगी- मित्रों की बगिया से
    हो कर आये
    इन्द्रधनुष ला ला कर हो यूं
    सुन्दर रचना मंच सजाये
    बरसे यूं ही हरियाली
    हो शान्ति निराली
    सदा सदा ही
    हम दौड़े इस मंच पे आएं

    आभार
    भ्रमर ५
    बाल झरोखा सत्यम की दुनिया

    जवाब देंहटाएं
  7. क्या बात है रविकर जी,आप अपनी सुन्दर
    छाप हमेशा ही छोड़ते हैं.

    मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल करने के
    लिए बहुत बहुत आभार.

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर लिंक्स से सजी काव्यमयी चर्चा बहुत अच्छी लगी।

    जवाब देंहटाएं
  9. आपके चर्चा मंच पर आना बड़ा ही सुखद लगता है । मेरे पोस्ट पर आकर मेरा भी मनोबल बढाएं।
    धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  10. आदरणीय रविकर सर,
    बचपन में सभी ने साबुन के घोल से बुलबुले उड़ाए हैं|
    हिन्दी-हाइगा पर प्रकाशित इस रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार किन्तु इसके लिंक खुल नहीं रहे|
    सादर
    ऋता शेखर मधु

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर सतरंगी चर्चा!

    जवाब देंहटाएं
  12. चर्चा मंच की चर्चा पढ़ा बहुत ही प्रसिद्ध और प्रख्यात हस्तियों की रचना से अवगत हुआ| आपका आभार!

    जवाब देंहटाएं

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