फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

रविवार, नवंबर 06, 2011

"फुरसत में…विचार कीजिए" (चर्चा मंच-690)

       मित्रों! रविवार की चर्चा के लिए भ्रमण पर निकला हूँ। देखता हूँ किसके यहाँ क्या पोस्ट लगी हैं? जब तक तन में प्राण रहेगा, हार नहीं मानूँगा।* *कर्तव्यों के बदले में, अधिकार नहीं मागूँगा। 
        बेबसी चारो तरफ फैली रही ,जरूरी तो नहीं.........मत बहाओ,  व्यर्थ तुम अपने यह आंसू ....... | सफलता क्या है ?कैसे मिलती है ?
ना ही कोई दया का सागर उमडेगा और ना ही कोई , आएगा भावनाओं का सैलाब | इसलिए आगे बढ़ जाना ही बेहतर होगा। मेरा क्या है ...सब आपका है .......आपके लिए है पांच करोड़ जीतने के साथ मुसीबतें मुफ्त खैर! मदद करेंगी- भगवती शांता-परम! लेकिन याद रखिए कि पैसे पेड़ पर नहीं उगते !  फिर भी मैं तो कहता हूँ कि "एक अद्भुत संसार - 'नन्हें सुमन'" कुसुम की यात्रा ही ऐसी होती है -  मैं न उसमे बही सही - मैंने तुमसे बात कही जो सोचा वह नही सही भूली बिसरी यादें फिर भी आज कहूँ न रही सही कितना भी दिल को समझाऊँ आँख हुआ नम यही सही! मौसम और मन ..... के क्या कहने ज़नाब- माना आइए....मेहरबां ,बैठिए जाने-जां...., क्योंकि ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र है मगर दोस्ती , प्रेम और सैक्स यदि न हो तो सफर सुहाना नही हो सकता क्योंकि इक आग का दरिया है और डूब के जाना है..*कुछ लम्हों के लिए तेरा आना ,* *मेरे पास ठिठक कर रुक जाना * *और मुस्कुरा कर चले जाना * *भला लगा था !* *तुम्हारा पुनः आना * *और मेरे पास चुपचाप बैठ जाना! यही तो होता है मिलन का इन्द्रधनुष ! क्या आप भी मिलना चाहेंगे क्योंकि लखनऊ में मिलेगें स्वामी ललितानंद एवं स्वामी महफ़ूजानंद --- ! देखिए तो सही-जब से हुवा हूँ बे गरज़, शिकवा गिला किया नहीं यही तो है- "कविता के सुख का सूरज" करके तेरी उज्वल, ज्योति का उपहास भी मैं ,अँधेरे में हूँ ... अपशब्दों का विन्यास विकृतियों की उपमा, दे सास्तियों के खंभ मैं अँधेरे, में हूँ ...प्रबोध ...! फुरसत में…विचार कीजिए- एम्बुलेंस कॉर्प्स बनाने की इज़ाज़त मिलीघटती बढती चाँद की दुनिया ! जीवन कच्ची मिट्टी का ही तो है! कुछ कदम साथ चल लो यही बस काफी है! वह मशक्कत कर रहा..था जी तोड़..सिर्फ़ दो जून की रोटी..के लिए..बदले में पाता था..वह कम पैसे और...ज्यादा मांगने पर*** *गालियाँ...व्‍यंग्‍य की चलायेंगे कार कई व्‍यंग्‍यकार : आप वेंकटेश्‍वर कॉलेज, दिल्‍ली में लुत्‍फ लेने आ रहे हैं! अन्त में सबके लिए प्यार और एक कार्टून और देख लीजिए- दोस्तों!

फेमस होने के लिए लोग क्या - क्या नहीं करते ? 

24 टिप्‍पणियां:

  1. कई नए लिंकों की जानकारी के लिए धन्यवाद. कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए विनम्र आभार.

    जवाब देंहटाएं
  2. हर नहीं मानूंगा ...... सलाम करते हैं सर आपके जज्जबातों को निष्ठा को , .........साहित्य सृजकों को, उपकार आपका मानना होगा /

    जवाब देंहटाएं
  3. इस उत्कृष्ट चर्चा के लिए साथ ही मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुआयामी चर्चा .धन्यवाद .आज की चर्चा में मेरे आलेख "सफलता क्या है ?कैसे मिलती है?" को चर्चा मंच पर देख कृतज्ञ हूँ ,मेरे जैसे नए लेखक को स्थान
    देकर आपने नव आगंतुको की हौसला अफजाई की है .एक बार फिर धन्यवाद .

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं।

    जवाब देंहटाएं
  7. लंबे समय के बाद ग़ज़ल पोस्ट की और उसे चर्चा मंच में जगह मिली. किन लफ़्ज़ों में शुक्रिया अदा करूं. लिंक्स की चर्चा का यह अंदाज़ अच्छा लगा.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बहुत धन्यवाद सर मेरी पोस्ट को यहाँ जगह देने के लिए।

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  9. .शुक्रिया .बेहतरीन संयोजन और चयन .बधाई खूबसूरत प्रस्तुति के लिए .

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर चर्चा... बेशकीमती लिंक्स...
    सादर आभार....

    जवाब देंहटाएं
  11. चर्चा मंच (रविवार) का छ:सौ नब्बेवाँ अंक
    प्रस्तुतकर्ता डॉक्टर रुपचन्द्र शास्त्री मयंक.
    रुपचन्द्र शास्त्री मयंक लगाए लिनक्स हैं उत्तम
    मुश्किल है कहना इनमें है कौन सर्वोत्तम .
    हर कोई चौबीस कैरेट , सोलह आने टंच
    फुरसत से दिन-भर पढ़ो पूरा चर्चा-मंच.

    जवाब देंहटाएं
  12. पठनीय लिंक्स की उम्दा प्रस्तुति हेतु आभार...

    जवाब देंहटाएं
  13. आपके चर्चा करने का स्टाइल बहुत अच्छा लगा। लिंक्स भी अच्छे थे।

    जवाब देंहटाएं
  14. अच्छे लिंक्स मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत अच्छी चर्चा और पठनीय लिंक्स देने के लिए शुक्रिया शास्त्री जी...
    जज़्बात की रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए दिल से आभार.

    जवाब देंहटाएं
  16. इतने सारे लिंक उपलब्‍ध कराने का आभार।

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत सुन्दर चर्चा शास्त्री जी,आभार !

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।