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मंगलवार, जनवरी 03, 2012

"बिडम्बना प्रजातंत्र की" (चर्चा मंच-747)

मित्रों!
       दस दिनों तक नेट से बाहर रहा! केवल साइबर कैफे में जाकर मेल चेक किये और एक-दो पुरानी रचनाओं को पोस्ट कर दिया। लेकिन आज से मैं पूरी तरह से अपने काम पर लौट आया हूँ!
      अब मंगलवार के लिए चर्चा का क्रम शुरू करता हूँ!
     सबसे पहले "आया जीवन में नया साल" और पृथ्वी की परिधि के परिणाम आये Earth Experiment Results देखिए- Science Bloggers' Association of India में। अब उतर जाए सफीने से में पढ़िए ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे में शामिल दिलबाग विर्क की ग़ज़ल सभी रचनाओं के साथ। कोई नहीं ... सही सही और गलत गलत होता है। तीन पैरों वाला फ़ुटबाल का खिलाड़ी वह अपने तीनों पैरों से दौडने, कूदने, सायकिल चलाने, स्केटिंग करने के साथ-साथ बाल पर बेहतरीन ‘किक’ लगाने में पारंगत हो गया था, सचमुच यह आश्चर्य की ही तो बात है! साम्राज्यवादी शक्तियों का निशाना बने गद्दाफी -  पश्चिमी देशों द्वारा लिखी गई एक और स्क्रिप्ट के अनुसार लीबिया को स्वतंत्र लोकतांत्रिक राष्ट्र घोषित किया जा चुका है। भारतीय टीम इंग्लैण्ड में मिली हार के सिलसिले को आस्ट्रेलिया में भी नहीं तोड़ पाई. लेकिन क्या सिडनी में टूटेगा हार का सिलसिला ? विदा करते हुए पुराना कैलेण्डर कुछ नहीं बदला बस कुछ हिसाब नोट कर लिए नए कैलेण्डर पर कुछ जरुरी तिथियाँ नए कैलेण्डर पर आ गईं जो यादों में नहीं रह सकती...! कविता-एक कोशिश में पढ़िए- उसके पतंग की डोर टूट गयी है बहुत नौसिखिया पतंगबाज था वो ... आज दूर किसी मोहल्ले में फिर किलकारियां गूंजेगी...!  तिथि बदली... वर्ष बदल गया... पर मेरे यहाँ तो मौसम वैसा ही है... कोई बदलाव नहीं... कल भी बरस रहे थे आंसू, आज भी नमी है...! शाश्वत यही तराना है! एक और वर्ष भूतकाल की गर्त में चला गया । रह गई तो बस यादें , कुछ खट्टी , कुछ मीठी । अब आशा भरी नज़र से देखते हैं वर्ष २०१२ की ओर... खाली शुभकामनाओं से काम नहीं चलेगा, शुभ काम भी करने पड़ेंगेअब जश्न मनाने का वक़्त आ गया मौसम खुशगवार हो गया, नए साल से पहले,नया साल आ गया जब आप किसी जगह बहुत दिनों तक रहते हैं तो आपको उस जगह की आदत सी पड़ जाती है और जब वहां से दूर रहना पड़ता है या उस जगह को छोड़ना पड़ता है तो ऐसा लगता है- हर बदलाव ज़रूरी होता हैहर वर्ष की भाँती इस वर्ष भी नया साल नए आगाज के साथ हमारे सामने है. लेकिन * गुफ्तगू* का विषय यह है की बीता वर्ष सभी के लिए कैसा रहा. नया वर्ष - नए सपने - नई दुआए! कामना है कि नए साल में, नए गुल खिलें, नई खुशबुएँ, नए रंग हों. आप सब को नए वर्ष की शुभकामनाये. नए साल की शुरुआत, एक ग़ज़ल से करना बेहतर है. बीते साल का लेखा-जोखा बंद करके, नए साल में कुछ करने की कसमें खाई जाएँ! लेकिन आखिर ये पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज कब आयेगाप्यारे बाबा जब से आप रामलीला मैदान में, मंच से कूद सलवार पहन कर जान बचा कर भागे हो। तब से आपके इंतजार में मेरी रातो की नींद खो गयी है...बाबा रामदेव को सत्ता सुंदरी का विरह वेदना पत्रआजभी मोहब्बतको दुल्हनबनाते हो क्या? आजभी चाहतकी माँग सज़ाते हो क्या ? नेहके सिंदूरी रंग से मेरीतस्वीर सजाते हो क्या... बता सकते हो क्याअजीब बिडम्बना है * *इस प्रजातंत्र की, * *हर कायदा क़ानून तो इसका* *सड़क पर नहीं, * *संसद में बनता है,* *मगर जो इसकी जनता है, * *आजादी के पैंसठ साल बाद...बिडम्बना प्रजातंत्र की! फिर भी रौनकें नई लाया है त्यौहार-ए-नया साल यों तो ईश्वर ने किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया है, सभी को एक ही सांचे ढाल कर जन्म दिया है परन्तु स्वभावतः कुछ लोग बड़े ही प्यारे, लोकार्षक, होते हैं अलबेला खत्री की तरह...तभी तो...हरियाणवी लालाजी ने इन्दुपुरी गोस्वामी को कवयित्री के बजाय कबूतरी कहा तो क्या गलत कहा? वसुंधरा अपनी चिर परिचित गति से घूम रही है, * *निशानाथ परदेश भ्रमण की तैयारी में है, * *सखी निशा भी धीरे- धीरे सितारों को अपने आँचल में भर रही है....नव वर्ष में मासूम का संकल्प! तभी तो..ये क्या कम है मेरी शाखों पे फिर भी कुछ परिंदे हैंक्या नए साल में डीजल-पेट्रोल ,आटे-दाल का बाज़ार भाव कुछ कम होगा? क्या उसके आने का कोई अर्थ है ? ज़मीं पे माना है खाना ख़राब का पहलू, मगर है अर्श पे रौशन शराब का पहलू । ज़मीं पे माना है खाना ख़राब का पहलू!  ज़रा सा गौर से देखो मेरी बगावत को, छिपा हुआ है किसी इंक़लाब का पहलू। श्यामनारायण मिश्र जी का गीत पढ़िए यहां पड़ा है सूना आंगन!  डॉ. जेन्नी शबनम जी कर रही हैं- एक नई शुरुआत... माना कि बहुत कुछ छूट गया एक और सपना टूट गया, पार कर लिया तो कर लिया उस रास्ते पर दोबारा क्यों जाना जहाँ पाँव में छाले पड़े सीने में ...!  गत वर्ष की  प्रतिज्ञा  में, क्यों न फिर बघार दूं , ग्यारह की  प्रतिज्ञा  को , बारह में विस्तार दूं , पुष्प सारे विश्व के , मैं इन चरण पे वार दूं...! मेरे अरमान.. मेरे सपने..ब्लॉग की पहली सालगिरह है! बधाई देना मत भूलिए ज़नाब! शपथ लें सही तरीके से ही मनेगा अब ये साल, किसी भी कोने में भारत के.... हो न कोई बवालशब्दों का दंगल आस पास अस्थिर करता मन कई बार दंगल का कैसे ध्यान धरें आकलन शब्दों का कौन करे | मेरे रीतापन... को लेकर एकाकी जीवन है मेरा जैसे बिना कुहक चिड़ियों की निस्तब्ध वन है...!  तनाव व कार्य के अत्यधिक भार की वजह से कई लोग हरदम थकान व बोझिल महसूस करते हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी इसके चिकित्सकीय महत्व को स्वीकार किया है कि मालिश से दूर करें तनाव और थकान
अन्त में देखिए यह कार्टून!
common man, common man cartoon, poverty cartoon, poorman, upa government, new year

30 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ी सुन्दरता से सारे लिनक्स पिरोये हैं!
    सादर!

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  2. अच्छी चर्चा |आभार मेरी रचना शामिल करने के लिए

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  3. अच्छी चर्चा में कई नए लिंक्स मिले ...
    आभार एवं शुभकामनायें !

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  4. vaapas aane par bahut bahut swagat.naye utsaah nai urja se likhi charcha bahut pasand aai.meri rachna masoom ka sankalp ko sthan dene ke liye bahut bahut aabhar.kai sundar link praapt hue.

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  5. Nice .

    "ब्लॉगर्स मीट वीकली
    (24) Happy New Year 2012":
    में आयें .
    आपको यहाँ कुछ नया और हट कर मिलेगा .

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  6. अच्छी चर्चा के लिए आभार,और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए, शास्त्री जी !

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  7. शाष्त्री जी लौट आए ,अच्छी चर्चा लाए .नव वर्ष शुभ हो .

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  8. डम डम डिगा डिगा
    मौसम भिगा भिगा
    यह पोस्ट हमारे ज़िक्र से ख़ाली क्यों है साहेब ?
    पिछली पोस्ट पर हम उवाचे हैं
    भई मिश्रा जी , एक बस आप ही आदमी काम के निकले।
    आपने हमारी लियाक़त को पहचाना और उसे यहां सबके लिए परोस भी दिया।
    वाह वाह,
    आपका माउस कहां है ?
    क्यों न आज उसे चूम लिया जाए ?

    हमारी रचना का चयन करने के लिए चंद्र भूषण जी, आपको थैंक यू !
    किसी को तो हम याद आए और किसी को तो लगा कि हमारी रचना भी चर्चा के लायक़ है।

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  9. बहुत सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित चर्चा…………नव वर्ष की हार्दिक बधाई।

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  10. Charcha ke madhyam se hindi blogjaagat ko protsahit karne ke liye dhanyawaad.

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  11. अच्छी चर्चा में कई नए लिंक्स मिले ...
    आभार एवं शुभकामनायें !

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  12. बढिया चर्चा।
    बेहतर तरीके से सजाया मंच।

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  13. गुरु जी सबसे पहले तो नववर्ष व् उसके बाद वापिस आने पर गुफ्तगू की ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बधाई. उसके बाद बेहतरीन तरीके से सुन्दर चर्चा सजाने के लिए ढेर सारी बधाई. सबसे अंत में मेरी गुफ्तगू को अपनी चर्चा में स्थान देने पर कोटि-कोटि धन्यवाद.

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  14. चर्चा में मुझे शामिल करने के लिए धन्यवाद रूपचंद्र जी. चर्चाओं की रोचक पेशकश.

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