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रविवार, मई 06, 2012

"आज मैं क्या लिखूं ? 'बाबा' मुझे 'निर्मल' कर दो" (चर्चा मंच-871)

मित्रों!
आज की रविवासरीय चर्चा में प्रस्तुत है अनेक लिंकों से बनी एक कथा!
हाँ बहुत दिन होगए है,* *ख्यालों के बादल भी कम हो गए है,* *साफ़ साफ़ सा है विचारों का आसमां* *इसी सोच में हूँ कि
आज मैं क्या लिखूं ? लेकिन कुछ तो लिखना ही पड़ेगा! बहाने के ऊपर जब बहाने को चढ़ाते हैं बहाने का समुंदर कब वो लबालब भर ले जाते हैं पता कुछ कहाँ कोई कर पाते हैं अंदाज उस समय ही आ पाता है जब "चोर ना ना कामचोर" की श्रेणी में हमारा नाम आ जाता है! लेकिन सफ़र हैं सुहाना और वो भी मनाली→हिमाचल प्रदेश का खूबसूरत पर्वतीय नगर का सफर हो तो सफर और भी सुहाना हो जाता है! भारत के जन-मानस में व्याप्त दर्शन कहता है - *' **पहला सुख निरोगी काया ! तभी तो राम-राम भाई भी कह पायेंगे। अरे मित्रों! तुम कहो मैं सुनूँ** जैसा चाहो वैसा करूँ नहीं मानूं तो तुम रूठ जाओ फिर मैं तुम्हें मनाऊँ सब्र के कपडे पहन लें ,मन में सहनशीलता ओढ़ लें..मैं कहूं तुम सुनो जो चाहूँ वो करो नहीं करो तो मैं रूठ जाऊं...! आज एक परिचित कन्या के लिए स्क्रिप्ट लिखते समय मैं भी भावुक हो गया...आज तो मैं भी रो पड़ा ...! हो रहा है मुझको संदेह आप क्यों करते मुझसे नेह आपका नित आना-जाना देखता है ऊपर से मेह. आप पीते थे अमृत पेय नेह था सदा आपको देय....! सियानी गोठ 15.फूट होही सब झन के भला , रहो सबो झिन एक झगड़ा – झाँसा छोड़ के , बनो सबो झिन नेक बनो सबो झिन नेक....,! क्यों हो जाती है आवाज़ ख़राब? - वॉइस बॉक्स या लैरिंक्स में मौजूद वोकल कॉर्ड्स पर अत्यधिक तनाव पड़ने के कारण इनमें गांठ या नॉड्यूल्स बन जाती है। देश के जाने माने प्रतिष्ठित संस्थान आई आई टी में यदि प्रवेश परीक्षा के प्रश्नपत्र में गलतियाँ होंगी तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा ? अंदाज ए मेरा: ‘यार, ये एलेक्स तो बड़ा मतलबी निकला...!इलेक्स रिलेक्सिंग बंगले में अब, नक्सल बैठे घात लगाए..जान बची तो लाख उपाया, लौट कलेक्टर घर को आये...!
मेरी फैमिली अधूरी है .....तुम्हारे रूप में मैं एक बार फिर खुद को पाना चाहती थी बचपन एक बार फिर तुम्हारे साथ दोहराना चाहती थी मैंने जो पाई थी ममता वो विरासत में तुम्हें देना चाहती...! माँ का दिल - एक बहुत ही मशहूर कहानी है शायद आपने इसे कई बार देखा और पढ़ा होगा.कहते हैं की एक माँ थी और एक उसका बेटा था.माँ ने मेहनत मजदूरी करके अपने बेटे की परवरिश की....! फ़ुरसत में ... 101 : कीड़े, कविता और कृपा...से मेरी झोली भर दो! 'बाबा' मुझे 'निर्मल' कर दो ..! *मैं** **स्वछन्द** ,**नीर** **की** **बदरी** **हूँ** इसीलिए तो आज की नारी कहलाती हूँ! २०१० में जब ब्लौगिंग में पदार्पण किया तो एक अहम् मुद्दे पर विवाद चल रहा था- " ब्लॉगिंग बनाम साहित्य" । आज एक नया विवाद छिड़ा है - अनवरत झगडे -- " ब्लॉगिंग बनाम फेसबुक"...! एक अरसा हुआ है उस चमन से गुज़रे हुए, रात अरसे से हर एक शाम के बाद आती है, जिस जगह हमने गुज़ारा था वो बचपन अपना, आज भी हमको उसी शहर की याद आती है, वो है...शान-ए-अवध...! यात्रा की धूप-छाँव, "मेरे चित्र! मेरे भाव!!"
ह्म्म्मम्म्म्म.... रुंध गयीं आँखें, याद आयीं बातें, तेरी मेरी बातें, ये हालातें... ये हालातें, तेरी भी होंगी शायद.....! कहते हैं कि उत्तर प्रश्न से उत्पन्न होते हैं, यदि प्रश्न न हों तो उत्तर किसके? किन्तु जब उत्तर ही प्रश्न उत्पन्न करने लगें तो मान लीजिये...बिग बैंग के प्रश्न...! अंधेरा अब कहीं नजर नहीं आता जैसे धरती के हर कोने से सचमुच उसे मिटा ही दिया गया हो। और तो और, क्रूर सिंह जब कहता है यक्कू...अंधेरा कायम रहे तो यह बात सिर्फ रात का राही ही जानता है! विगत दिनों से एक अजीब से असमंजस और उहापोह की स्थिति में रहा -एक तकनीकी समस्या ने दुखी कर दिया .हुआ यह कि मैंने *वक्ष सुदर्शनाओं *वाली विगत पोस्ट के बाद...मुए 'फीड' ने बड़ा दुःख दीना...! हे मानवश्रेष्ठों, यहां पर मनोविज्ञान पर कुछ सामग्री लगातार एक श्रृंखला के रूप में प्रस्तुत की जा रही है...योग्यता का गठन और शिक्षण...! देहरादून के गडवाल विकास निगम का वह कांफ्रेंस हॉल तालियों की गडगडाहट से गूँज रहा था मंच पर राज्य के सांस्कृतिक विकास मंत्री श्री परमार जी ने अपना उद्बोधन दे डाला...अंतस तक प्यासी हैं धरती...! जनतंत्र है तो वाक स्वातंत्र्य भी। *सब को अपनी बात कहने का अधिकार भी है। अब सरकार अभिनेत्री रेखा और क्रिकेटर सचिन को राज्यसभा के लिए मनोनीत....बोलने की हदें...! भारत एक कृषि प्रधान देश है , अप्रैल आते ही भारतीय मौसम विभाग द्वारा की जाने वाली मौसम की भविष्‍यवाणी का हर किसी की इंतजार रहता है। लेकिन 15 जुलाई से 15 सितंबर तक के अशुभ ग्रहों की स्थिति भारतीय मौसम के अनुकूल नहीं ....! अब देखिए- पुलिया से ब्लागिंग तक...में --रिश्ते निभाना सीखते...! देखते हैं , कुछ देसी विदेशी मोर , विभिन्न रंग रूपों में ... मन मोर मचाये शोर...! प्रिया तुम चली आना.....!
 इसके बाद एक कार्टून और....!
नमस्ते जी!

25 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ लिंक्स तो बहुत ही शानदार हैं |
    अच्छी चर्चा |
    आशा

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  2. आज आराम से बैठकर सारे सूत्र पढ़ेगें।

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  3. Umdaa Links..... wid mine also.... :):) thnx for putting my blog here.....:)

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  4. सुंदर चर्चा !
    दिनभर करेंगे आबाद
    लिंक शामिल किया धन्यवाद।

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  5. कार्टून को भी चर्चा में सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए आपका बहुत-बहुत आभार

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  6. अच्छे लिंक्स से सजा है चर्चा मंच
    बहुत बढिया

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  7. बेहतरीन संकलन विविध आयाम भरे ......आभार सर !

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  8. बहुत सुन्दर लिंक संयोजन्………बढिया चर्चा

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  9. अनवरत को चर्चा में स्थान मिला, आभार!

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  10. सुंदर चर्चा के लिये, बहुत बहुत आभार
    बड़ा सार्थक हो गया, है अपना रविवार.

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  11. लिंक्स को आपने जो शब्द दिए हैं वे बेहद रोचक हैं।

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  12. बहुत सुन्दर शब्दों के बीच में लिंकों को सुनियोजित तरीके संकलन किया, बहुत प्रभावकारी संकलन |

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  13. बहुत सुन्दर कथागोई..
    चर्चा का बहुत बढ़िया अंदाज ..
    प्रस्तुति के लिए आभार !

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  14. चर्चा प्रखर मुखर और सुगढ़ होती जा रही है शाष्त्री जी की

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  15. बढ़िया चर्चा लाजबाब अंदाज,.....
    मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत२ आभार .....

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  16. बहुत अच्छे लिंक्स..धन्यवाद..

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  17. वाह एक कहानी और अनेक सूत्र वाह बयान करने का अंदाज अच्छा है मेरी कविता आज की नारी को भी स्थान मिला हर्दय से आभारी हूँ |

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  18. अच्छे लिंक्स से सजा है चर्चा मंच
    बहुत बढिया

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