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बुधवार, मई 09, 2012

‘जि़न्‍दा लिंग बमो ! सम्‍भलो--नहीं तो डिफ्यूज़ - चर्चा-मंच 874

साहित्य - कला - पत्रकारिता

जि़न्‍दा लिंग-बम


जि़न्‍दा लिंग बमो ! सम्‍भालो अपनी अवैध आग़ को; नहीं तो डिफ्यूज़ कर दिये जाओगे । हम नहीं तो कोई और निधि-राजन पैदा होंगे जो बचाऍंगे मासूम बच्चियों को  महिलाओं को वृद्धाओं को और अब तो मासूम लड़कों को भी;  ऐसे जि़न्‍दा लिंग बमों से ।  

तो क्‍या बेशर्म है हर ऐसा नर, जो लिंग के रूप में निकृष्‍टतम बम लिए ? जो हर वर्ग की नारी- बुज़ुर्ग, जवान, बालिक, नाबालिग यहॉं तक की 2-4 साल तक की मासूम बालशिशु तक को अपना नैसर्गिक शिकार मानता है

बड़ा कबाड़ी है खुदा, कितना जमा कबाड़ |
जिसकी कृपा से यहाँ, कचडा ढेर पहाड़  | 


कचडा ढेर पहाड़,  नहीं निपटाना चाहे |
खाय खेत को बाड़, बाड़ को बड़ा सराहे |


करता सज्जन मुक्त, कबाड़ी बड़ा अनाड़ी |
दुर्जन पुनुरुत्पत्ति, करे हर बार कबाड़ी ||

अज्ञानता और परमानंद

"उल्लूक टाईम्स " -
विज्ञानी सबसे दुखी, कुढ़ता सारी रात । 
हजम नहीं कर पा रहा, वह उल्लू की बात ।

वह उल्लू की बात, असलियत सब बेपर्दा ।
है उल्लू अलमस्त, दिमागी झाडे गर्दा ।
आनंदित अज्ञान, बहे ज्यों निर्मल पानी ।
बुद्धिमान इंसान, ख़ुशी ढूंढे विज्ञानी ।।


S.N SHUKLA 
 MERI KAVITAYEN  
कुत्ते चोरों से मिलें, पहरा देगा कौन ।
कुत्ते कुत्ते ही पले, कुत्तुब ऊंचा भौन ।  
कुत्तुब ऊंचा भौन, बड़े षड्यंत्र रचाते ।
बढ़िया पाचन तंत्र, आज घी शुद्ध पचाते ।
मूतें दिल्ली मगन, उगे खुब कुक्कुर मुत्ते । 
रख सौ दर्पण सदन, भौंक मर जइहैं कुत्ते ।


lokendra singh rajput at अपना पंचू  
खबर खभरना बन्द कर, ना कर खरभर मित्र ।
खरी खरी ख़बरें खुलें, मत कर चित्र-विचित्र ।

मत कर चित्र-विचित्र, समझ ले जिम्मेदारी ।
खम्भें दरकें तीन, बोझ चौथे पर भारी ।

सकारात्मक असर, पड़े दुनिया पर वरना ।
तुझपर सारा दोष,  करे जो खबर खभरना ।।
खबर खभरना  = मिलावटी खबर   

मेरे पापा .. तुम्हारे पापा से भी बढ़कर हैं-a short story

शिखा कौशिक at भारतीय नारी  
उपज घटाता जा रहा, जहर कीट का बीट |
ज्वार खेत को खा रहा, *पापा नामक कीट |
*ज्वार-बाजरा में लगने वाला एक कीड़ा, जो उपज नष्ट कर देता है ।


पापा नामक कीट, कीटनाशक से बचता |
सबसे ज्यादा ढीठ, सदा नंगा ही नचता |

रविकर बड़ा महान, किन्तु मेरा जो पापा |
लेता पुत्र बचाय,  गला बस पुत्री चापा ||

उफ़ यह अकेलापन!

noreply@blogger.com (Arvind Mishra) at क्वचिदन्यतोSपि
चलो एकला मन्त्र है, शक्तिमान भरपूर |
नवल-मनीषी शुभ-धवल, सक्रिय जन मंजूर |


सक्रिय जन मंजूर, लोक-कल्याण ध्येय है |
पर तनहा मजबूर, जगत में निपट हेय है | 


उत्तम किन्तु विचार, बने इक सुघड़ मेखला |
सबका हो परिवार, चलो मत प्रिये  एकला |  

वर्चुअल दोस्ती के ख़तरे...

फ़िरदौस ख़ान   नुक्कड़  

दद्दा दहलाओ नहीं, दादुर दिल कमजोर |
इक छोटे से कुँवें में, होता रहता बोर |


होता रहता बोर, ताकता बाहर थोड़ा |
सर्प ब्लॉग पर देख, भाग कर छुपे निगोड़ा |


चंचल मन का चोर, कनखियाँ तनिक मारता |

करता किन्तु 'विनाश', खेल तू चला भाड़ता || 

मस्त माल-मधु चाभ, वकालत प्रवचन भाषण -

मदारी बुद्धि -सतीश सक्सेना

सतीश सक्सेना at मेरे गीत !  
वाणी के व्यवसाय में, सदा लाभ ही लाभ ।
न हर्रे न फिटकरी, मस्त माल-मधु चाभ ।

मस्त माल-मधु चाभ, वकालत प्रवचन भाषण ।
कोई नहीं *प्रमाथ, धनिक खुद करे समर्पण ।

गुंडे गंडा बाँध, *सांध पर मारे धावा । 
पाले पोषे फ़ौज, चढ़े नित चारु चढ़ावा ।

*बलपूर्वक हरण ।
*लक्ष्य

चाँद का दाग...

डॉ. जेन्नी शबनम at लम्हों का सफ़र
बैठ खेलती रही गिट्टियां, संध्या पक्के फर्श पर |
खेल खेल में बढ़ा अँधेरा,  खेल परम उत्कर्ष पर |

चंदा मामा पीपल पीछे, छुपे चांदनी को लेकर -
मैं नन्हीं नादान बालिका, फेंकी गिट्टी अर्श पर ||  



सजीव कविता ...

  (दिगम्बर नासवा) at स्वप्न मेरे. 

अपने पर कविता लिखे, जाँय तनिक सा दूर |
इससे अच्छा है जियें, वर्तमान भरपूर ||

चित्कित्सा में विकल्प : प्रतिवेदन - ( १ )

SHEKHAR GEMINI
ram ram bhai  
चित्कित्सा में विकल्प... कुछ स्पष्टीकरण एवं विज्ञ जनों द्वारा की गयी टिप्पड़ियों पर सधन्यवाद प्रतिवेदन : ( १ )** सर्व प्रथम डॉ. टी. एस. दाराल साहेब को नमन...!   उन्ही के वक्तव्य से बात शुरू करते हैं | " सरकार को दोष देना सही नहीं । सरकार ने आयुष के नाम से जो योजना चलाई है उसके अंतर्गत सभी बड़े अस्पतालों में आयुर्वेदिक , यूनानी और होमिओपेथिक क्लिनिक्स खोली जा रही हैं । " 


उजबक गोठ

नेता स्तुति

सफ़ेद पोशं रक्त पिपासं, निचम निचम खद्दरम.
 
भीख मांगे चुनाव मध्ये, दारू बाटल  बाटनम
कुर्सी बंदे कुर्सी पकडे कुर्सी मध्य चिपकुलनम
बाढ़ं बाढ़े, बाढ़ मध्ये, हेलीकाप्टरे त्वंम वाहनं
राजषी ठाटे, जनता काले, जनता जाने मर्दनं
जेबं,झोली,रिक्तम भवे,तब,तब, सुखा पढ़िश्यनं 
केन्द्र बांटे, बांटे धनं, त्वं बंदर, बाटं, बाटनं
कुत्ता भोखे,तुम अपिभोखं, मंत्री भोखे,भौखनम 

औद्योगिक उत्पादन में कमी गंभीर आर्थिक बीमारी का संकेत

मनोज कुमार
राजभाषा हिंदी  
*औद्योगिक उत्पादन में कमी गंभीर आर्थिक बीमारी का संकेत** * *अरुण चंद्र रॉय*** वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट के दौड़ से गुजर रही है. विकसित देशों में विकास का डर लगातार नकारात्मक हो रहा है. दुनिया भर की निगाहें उन विकासशील और गरीब देशों पर टिकी हैं जहाँ दोहन संभव हो सके. कुछ वर्ष पूर्व भारत भी उन्हीं देशों में से एक था. विकसित देशों की अर्थव्यवस्था के बिगड़ने का सबसे बड़ा कारण होता है खपत में कमी. मांग में संत्रिप्तता. ऐसे में उनकी कंपनियों को नए बाज़ार की तलाश होती है. कभी नई प्रोद्योगिकी के नाम पर, तो कभी विकास के नए सोपान को दिखा कर विकसित देश पहले उन देशों की अर्थव्यवस्था को बाज़ार


सीधी खरी बात..

नियम और मनमानी

अभी तक यह दवा सभी कम्पनियों द्वारा १ रूपये तक उपलब्ध करायी जा रही थी पर इतने कम दामों पर ये दवा बेचने में किसी भी दवा कम्पनी को कोई रूचि नहीं थी इसलिए डाक्सीसाइक्लीन बनाने वाली सभी कंपनियों ने एक रणनीति के तहत इसमें लक्टोबसिलस मिलाकर इसका मूल्य ५ रूपये से अधिक कर दिया है जबकि लक्टोबसिलस भी बाज़ार में बहुत कम दामों पर उपलब्ध है. यदि बाज़ार के दामों पर इनकी तुलना की जाये तो इनका संयुक्त उत्पाद भी २.५० रूपये से अधिक का नहीं होना चाहिए पर दवा कम्पनियों के मनमाने रवैये के कारण आम रोगी इस दवा के लिए अब ५ गुनी कीमत देने के लिए मज़बूर है. 

आपका-अख्तर खान "अकेला"

IAS इंटरव्यू में फटकार- 'तुम हर बार सलेक्ट होते हो, सीटें खराब करते हो'

.एक ओर आईएएस में एक बार भी सलेक्ट होना नई पीढ़ी को लोहे के चने चबाने जैसा लगता है। लेकिन जैसलमेर में डीएफओ हरिकेश मीणा के साथ इसका उल्टा है। वे तीसरी बार आईएएस में सलेक्ट हुए हैं।

आप ब्लॉगर हैं , लेखनी का इतना अपमान मत कीजिये.

  ZEAL  
बूढा शेर, शेरखोर लोमड़ी, असुर लोमड़ी, मृत शेरनी की खाल में लोमड़ी, जंगली कुत्ते, दीवाने लकड़बग्घे , बोटी पर लपकने वाला चम्चौड़ कुत्ता, बहादुर बाघ। खच्चर-प्रेस गर्दभ खिसियानी लोमड़ी। ऊदबिलाव आदि आदि... ------------------------------ जी हाँ ये है भाषा आजकल के प्रबुद्ध लेखकों की। जब कोई स्त्री अपने दम पर आगे बढती है, सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयों पर लिखती है और अनायास किसी की जी- हुजूरी नहीं करती तो कुछ लोगों की आँख की किरकिरी बन जाती है। वे उस स्त्री को शेरनी की खाल में लोमड़ी कहते हैं। और जो उस स्त्री का साथ देगा उसे "चम्चौड़ कुत्ता" कहा जाएगा। गालियाँ देने के लिए सदियों से मूक और निर्...

संभलकर विषय ज़रा ओल्ड है | मैं तो इस ब्लॉगजगत को अपना एक परिवार ही मानता हूँ | पांच महीने इस ब्लॉगजगत से दूर रहा | व्यस्तता के बावजूद याद आ ही जाती...


गोकर्ण और मुरुडेश्वर में लंकापति रावण के आत्मलिंग की कहानी
About ॐ (Omkaar) by Vishal Rathodगोकर्ण की कथा:-  बात त्रेतायुग की है जब रावण की माता कैकया, मानस पुत्र ब्रह्मा पुलस्ति की पत्नी, प्रतिदिन लंका में समुद्र किनारे शिवजी की पूजा करती थी। हर दिन वह मिटटी का शिवलिंग बनाती थी, उसमे प्राण प्रतिष्ठा करती थी। फिर उसका पूजा व अभिषेक करती थी। फिर वह लिंग समुद्र के उतार चढ़ाव वाले प्रवाह में बह जाता।

ओहि दिन सभा सँ अबैत काल.......[मैथिली में]

mridula pradhan at mridula's blog -
ओहि दिन 
सभा सँ अबैत काल
ओझा भेटैलाह..
कहय लगलाह-
'मैथिल बजैत छी त 
मैथिली में किये नईं 
लिखैत छी ?


कविवर भवानी प्रसाद मिश्र जन्मशती समारोह का आयोजन

Abnish Singh Chauhan at पूर्वाभास  
------------------------------ *नई दिल्‍ली:* 4 मई, 2012 को आकाशवाणी दिल्‍ली केन्‍द्र द्वारा कविवर भवानी प्रसाद मिश्र जन्‍मशती समारोह का आयोजन शुक्रवार सायं 7 बजे गुलमोहर सभागार, इंडिया हेबीटेट सेंटर, लोधी रोड, नई दिल्‍ली में किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि वरिष्‍ठ कवि एवं आलोचक श्री अशोक वाजपेयी थे एवं अध्‍यक्षता वरिष्‍ठ कवि श्री केदारनाथ सिंह ने की। मुख्‍य वक्‍ता के रूप में विजय बहादुर सिंह, भोपाल से आमंत्रित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री भवानी प्रसाद मिश्र की कुछ प्रतिनिधि और लोकप्रिय कविताओं के वाचन से हुआ। कार्यक्रम में उपस्थित श्री भवानी प्रसाद मिश्र के सुपुत्र सुप्रसि...

हिन्दी साहित्य पहेली 80 परिणाम और विजेता हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी

अशोक कुमार शुक्ला
हिंदी साहित्य पहेली  
*प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,* पहेली संख्या 80 में आपको पद्यांश पंक्तियों के लेखन / अनुवाद से जुडी महान विभूतियों को को पहचानना था इस सहित्य पहेली 80 का विजेता घोषित करने से पहले आपको सही उत्तर बताते हैं जो है श्रीयुत रामधारी सिंह 'दिनकर'। *इस पहेली का परिणाम* *और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर * अंग्रेज़ी भाषा की यह रचना डी० एच० लारेंस आत्मा की आँखें अंग्रेज़ी भाषा से अनुवाद रामधारी सिंह 'दिनकर' इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी विजेता सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी को हार्दिक बधाई

स्वास्थ्य

ऑर्गेनिक फूड से जुड़ी कुछ ज़रूरी जानकारियां

बोलचाल की भाषा में कहें तो ऑर्गेनिक फूड्स वे फूड्स हैं, जिन्हें किसी केमिकल का इस्तेमाल किए बगैर तैयार और पैक किया जाता है। स्वास्थ्य के लिहाज से ये अन्य फूड्स के मुकाबले बेहतर माने जाने हैं। इस कारण ऑर्गेनिक फूड इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। ऑर्गेनिक फूड में न केवल फल, सब्जियां और अनाज आते हैं, बल्कि यह मांसाहारियों के लिए भी उपलब्ध हैं।



मानव दानव बन बैठा है, जग के झंझावातों में।
दिन में डूब गया है सूरज, चन्दा गुम है रातों में।।

होड़ लगी आगे बढ़ने की, मची हुई आपा-धापी,
मुख में राम बगल में चाकू, मनवा है कितना पापी,
दिवस-रैन उलझा रहता है, घातों में प्रतिघातों में।
दिन में डूब गया है सूरज, चन्दा गुम है रातों में।।



21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सी अच्छी लिंक्स दी हैं सार्थक चर्चा |
    आशा

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  2. सुन्दर रचनाओं का सुन्दर संकलन रोचक चर्चा ,सोने पर सुहागा आपके परिचयात्मक दोहे .....शुभकामनाएं

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  3. यहां आकर अच्छा लगा...कई अच्छे लेख पढ़ने को मिल गए...शुक्रिया...

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  4. ़़़़़़़़़़
    काबिले तारीफ है
    वो लगन और मेहनत
    जिस से रविकर
    चर्चामंच सजाता है
    लगता है बनाते बनाते
    उसमें खुद ही डूब जाता है
    लिंक छाँटने में महीन
    छलनी प्रयोग में लाता है
    पर उल्लू के बड़े बड़े अंडे
    किनारे से नीचे को भी
    पता नहीं क्यों सरकाता है
    शायद भूल के भूल जाता है ।

    ़़़़़़़़़़
    आभारी हूँ जनाब
    आज तो दो ले के
    आ गये हैं आप ।
    ़़़़़़़़़़

    जवाब देंहटाएं
  5. रविकर जी ,मैंने मोहब्बत नामा के बाद एक और तकनिकी ब्लॉग का आगाज़ किया है.उस पर भी कोशिशें जारी हैं.आपसे निवेदन है की उसे भी चर्चा मंच में शामिल कर लीजिये.मुझे चर्चा मंच काफी अच्छा लगता है.यहाँ से तरह तरह के ज्ञान के मोती मिल जाते हैं.और कई बार जरुरत की बातें भी मिल जाया करती हैं.

    मास्टर्स टेक टिप्स : http://masters-tach.blogspot.com/

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  6. सुन्दर और सार्थक चर्चा

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  7. अच्छी लिंक्स दी हैं सार्थक चर्चा....आभार..

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  8. चर्चा में शामिल किया बहुत बहुत आभार
    चर्चा मंच सजता रहे इसी तरह हर बार .

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  9. बहुत अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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  10. आज तो भाई साहब पूरा चर्चा मंच कवित्त मय हो उठा .भवानी दा का जन्म शती कार्यक्रम दिखला के आपने दिल्ली के इंडिया हेबितात सेंटर(भारतीय परिवास केंद्र ) की याद दिला दी हमारे शामें यहीं बीततीं थीं .शुक्रिया चयनित रचना के लिंक्स के लिए .

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  11. ravikarji ,,bahut sundar hai ajka charcha manch....har tarah ki jankari mil gayee

    जवाब देंहटाएं
  12. काव्यमय चर्चा ... शुक्रिया मुझे भी शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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