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रविवार, जून 10, 2012

"चर्चा मंच का दूसरा पुष्प और कुछ अद्यतन लिंक" (चर्चा मंच-905)


मित्रों!
रविवार के लिए लिए कुछ अद्यदन लिंक निम्नवत् हैं!
  1. "चर्चा मंच का प्रवेशांक और कुछ अद्यतन लिंक" (चर्चा मंच-904)

    चर्चा की चर्चा चली, प्रस्तुत पोस्ट पुरान |
    मई माह से छप रही, समझें नहीं सयान |
    समझे नहीं सयान, बेस्ट चर्चाएँ शामिल |
    आये कई बयान, असहमत पाठक बेदिल |
    मगर पुरानी पोस्ट, पढो रविकर बिन खर्चा |
    पाय पुराने ब्लॉग, करो उनकी भी चर्चा ||
  2. गुरु नानक का धाम, बसे रविकर के गुरुवर

    साइबर कैफे से -
    रूप चन्द्र सा है सरस, शीतल मंद समीर ।
    ज्ञान ध्यान विज्ञान मिथ, धीर वीर गंभीर ।
    धीर वीर गंभीर, सकल शास्त्रों के ज्ञाता ।
    बसे शारदा तीर, खटीमा जग विख्याता ।
    गुरु नानक का धाम, बसे रविकर के गुरुवर ।
    बारम्बार प्रणाम, मिला दर्शन का अवसर ।।
    बाकी धनबाद पहुंचकर -
  3. पगड़ी पर जो दाग लगाते, बे-गैरत सरदार हो गये।।
    असरदार हो गये किनारे, फिरते दर-दर, मारे-मारे,
    खुद्दारी की माला जपते, माली अब गद्दार हो गये।।
  4.  आकाश आईने में उभरा सागरों का प्रतिबिम्ब है. चिड़िया अपने छोटे- छोटे पंखों में आकाश-गंगाएं छुपाए सागर के प्रतिबिम्ब पर तैरती रहती हैं.....सागरों का प्रतिबिम्ब है आकाश....
  5. आप जिस ब्लॉग को चाहे फ़ॉलो कर सकते हैं और फ़ॉलो करने के बाद भी अन फ़ॉलो कर सकते हैं.कभी कभी ऐसी कुछ कड़वाहटें आ जाती हैं जिसकी वजह से हम किसी ब्लॉग का अनुसरण रद्द करना चाहते हैं.आइये आज इसका भी तरीका सीख ... अब किसी भी ब्लॉग को अन फ़ॉलो करें....
  6. हजार पे सिर्फ आठ सौ छियासठ लडकियां... ये आंकड़े है हमारे देश की राजधानी के... वैसे इसके कई कारण हो सकते है... पर सबसे बड़ा कारण है भ्रूण हत्या.... आप क्या कर रहे है...
  7. तृतीय अध्याय (कर्म-योग - ३.१-७) * * *अर्जुन * कर्म मार्ग की यदि तुलना में, बुद्धि मानते श्रेष्ठ हो माधव. क्यों मुझको करते हो उद्यत हिंसक युद्ध धर्म को केशव. कहीं कर्म की करें प्रशंसा,... श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद...
  8. माधव की छुट्टियाँ का आनंद तीन गुना हो गया है . पिछले एक महीने से समर वैकेसन चल रहा था था पर माधव अकेले होने के कारण छुट्टियों का लुत्फ़ पूरी तरह नहीं ले पा रहे थे , पर ये समस्या अब दूर हो चुकी है....माधव और बुचिया....
  9. रात को साढे ग्यारह बजे ………सरप्राइज़... सरप्राइज नहीं है जी हमें पता है, इसीलिए तो आपको जन्मदिन की शुभकामनाएँ दे रहे हैं... ……आप सबके लिये पेश है रात को साढे ग्यारह बजे मिली खुशी सरगम मेरी भानजी जो ना सोचा वो हो गया...
  10. खुद की तलाश में जाने कितनी सीढ़ियाँ चढ़ गईं साँसें फूलने लगी तो लगा बहुत दूर निकल आई .... नीचे देखा तो खाई थी ऊपर और उंचाई जो पानी लेकर चली थी वह खत्म हो चली थी.... फिर से खुद को खोजा जायेगा ....
  11. मैं प्रतिभा सक्सेना जी के ब्लॉग लालित्यम् की नियमित पाठक हूँ. प्रतिभा जी के इस ब्लॉग पर आजकल पांचाली कथा की श्रृंखला प्रस्तुत की जा रही है. इसी श्रंखला के तथ्यों और घटनाओं से प्रेरित होकर....अनामिका द्वारा अनामिका की सदायें ...पर पोस्ट किया गया...देव व्रत....
  12. मेरे मुरली मनोहर ! हे पीताम्बर धारी ! हे मधुसुदन ! हे घनश्याम ! तेरी माटी की मूरत से मेने प्रीत काहे जोड़ी सारी दुनिया कहे मोहे तोरी पर तू दूर खडा सुनता रहे निर्मोही और में भी दीवानी... तेरी माटी की मूरत से मेने प्रीत काहे जोड़ी....
  13. मलेरिया ज्वर की जानकारी-- मलेरिया ज्वर संसार का सर्वाधिक व्यापक रोग है। हजारो लाखों लोग हर वर्ष इस रोग की चपेट में आ जाते हैं। आयुर्वेद में इसे विषम ज्वर कहा जाता है... मलेरिया की सरल घरेलू चिकित्सा...
  14. प्रथम गर्जन, बूँदों का है नर्तन, झूमा है मन.... रिमझिम फुहार - हाइगा में
  15. बाती-तेल जरूरी जैसे, दीपक और प्रकाश में...
  16. पहली नई गाड़ी में सूरतगढ़ से जन्म स्थान श्री करणपुर जाते हुए डॉ.जोगा सिंह...
  17. गीत खुशियों के तुम गुनगुनाते रहो...  राह में हर कदम मुस्कुराते रहो, चाँद सूरज से रौशन हो आँगन तुम्हारा,  दीप- सा ही सदा जगमगाते रहो, गम भूल से भी आए न द्वारे कभी, बहार बन के तुम खिलखिलाते रहो....
  18. विशिष्ट होकर भी साधारण रहना विशिष्टता है - महानता है ...... विशिष्ट दिखने का प्रयत्न करना व्यक्ति को साधारण बनाता है|....सामान्य होते हुए भी विशिष्ट का दिखावा अहं का परिचायक है ....  तुच्छ बूँद सा जीवन देदो ...डा श्याम गुप्त .... 
  19. दिल्ली में संतोष जी, मिले मित्र अविनाश साइबर कैफे लखनऊ से - दिल्ली में संतोष जी, मिले मित्र अविनाश । इन दोनों परिवार की, बातें बेहद ख़ास....
  20. पैगाम कभी सलाम लिखते हैं कभी पैगाम लिखते हैं. तुम्हारी याद में खोकर के सुबहो शाम लिखते हैं....
  21. किंकर्तव्यविमूढ़ भगवान ने कोई भी चीज सीधी नहीं बनाई है, मीठे में ढंग से बीमारी तो कड़वे में औषधीय गुण डाल रखे हैं, भोग में दुख तो धैर्य में सुख छिपा रखा है,....
  22. उड़ रहे हृदय में दो विमान उड़ रहे हृदय में दो विमान* सपनों का ईंधन* ले-लेकर. वे जाल फैंकते हैं विशाल बंदी करने पिय-उर बेघर. पिय का उर पर हर बार बचा छोटा था जाल...
  23. परदेश की कमाई ! परदेश में कमा  रहे हैं - हमारे पास में एक ब्राह्मण  परिवार रहता है . उस परिवार का मुखिया जब नहीं रहा तो उसके चार बच्चे थे छोटे छोटे - माँ अनपढ़ आमदनी का कोई सहारा नहीं क्योंकि गाँव में खेती के बल पर बिगड़े नवाब थे . हर दिल दुखी था  कि  इस कच्ची उम्र की महिला का क्या होगा ? वह क्या करेगी ?
  24. तेरी खुशबू फिज़ाओं में बिखर जाए तो अच्छा हो,  कोई झोंका तुझे छू कर गुज़र जाए तो अच्छा हो....
  25. अंदेशा ... अब उनसे दौड़, अपनी कब रही थी 'उदय' जिन्होंने जीत के तमगों में गड्ड-मड्ड कर लिया था ? ... उफ़ ! हुआ वही, जिसका अंदेशा था....
  26. ब्याह रचाने के लिये,,,,, एक लड़की मुझसे कुछ कहना चाहती है, उसकी बातों से लगता है, वो मुझे चाहती है! उसने कहा कि, मैंने तुमसे प्यार किया, मैंने उससे कुछ इस तरह इन्कार किया....
  27. माफ़ करो इन्हें, ये तो इनके पढने-खेलने के दिन हैं... 
  28. लगता है आप नहीं समझे। चलिए मैं पूरी कहानी बताता हूं। अभी तक लोग निर्मल बाबा की करतूतों को सुनते देखते चले आ रहे थे। अब मार्केट मे धमाकेदार एंट्री की है... बाबाओं के बाप की भी मां निकली राधे मां ...
  29. किसी उम्मीद में ...शब् भर रहा, जलता दिया,... भोर की किरणों ने, आकर जो हंगामा किया...तपिश से भर गया एहसास, एक खुशबू लिए सुबह की लालिमा ने, ओ़स को जी भर पिया ...
  30. Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून... कार्टून :- देखा ! गुरू रह गया न गुड़  
अब देखिए चर्चा मंच की यह  द्वितीय प्रविष्टी!
SATURDAY, DECEMBER 19, 2009
"चर्चा मंच" अंक-2
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आज "चर्चा मंच" की दूसरी पोस्ट लगा रहा हूँ। इसके प्रवेशांक पर सुधि टिप्पणीकारों के आशीर्वादों से मैं वास्तव में अभिभूत हूँ। आप सब ने मुझे निश्चितरूप से बल प्रदान किया है।
सादर अभिवादन के साथ आज का "चर्चा मंच" सजाता हूँ-
जरा इन नए ब्लॉगर्स की भी सोचें …. !!!!--- --- मनोज कुमार
मैंने जब नई-नई नौकरी ज्वाइन की थी उस समय का एक वाकया याद आ रहा है। फैक्टरी में हमारे संगठन के चेयरमैन की विजिट थी। तब मैं सबसे निचले ओहदे का अधिकारी था और वे सबसे ऊंचे पद पर आसीन थे। जब फैक्टरी का दौरा चल रहा था तो मैने उन्हें कॉरीडोर में खड़े होकर अभिवादन किया। पर वे अन्य बड़े पदाधिकारियों के साथ बात-चीत करते हुए प्रस्थान कर गए। मेरी तरफ देखा तक नहीं। मैंने अपना जी छोटा नहीं किया। दूसरे अवसर को तलाशता रहा। हालांकि हम प्रशासन भवन में कार्यरत थेपर उत्पादन अनुभाग के भी चक्कर-काट आए और एक बार जब वे क़रीब से गुजरे तो फिर उनका अभिवादन किया। पर प्रतिक्रया नदारद। मुझे पहले लगा काफी घमंडी हैफिर तुरंत ही मन ने सांत्वना दिया बड़े लोग काफी बीजी होते हैं। शायद न देख पाए हों।
मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay. 
राज भाटिय़ा जी आपके मन में तो न जाने कितने राज दफ्न हैं-
राज !! अगले जन्म का??
 
नमस्कार, सत्श्री अकाल, सलामआलेकूम, जी आयानू. तो जनाब लिजिये हम एक नया कार्यक्रम आप लोगो की सेवा मै ले कर आये है*""राज अगले जन्म का""* आप इस मे जान पायेगे कि हम अगले जन्म मे क्या बनेगे?हमारे कर्म हमे अगले ...
सदा जी से सुनिए कागज और कलम की कविता-
कागज उजला है फिर भी निखरा नहीं है वह,

कलम उदास पड़ी है कागज के एक कोने में,

उसमें निखार आएगा जब सार्थक अक्षर उसपे,

कलम उतारेगी अपनी नोक से हर एक कोने में।
मान्यवर पहले बदले में पाक से अपने युद्ध-बन्दियों को ते छुड़वा लो-
कसाब को छोड़ दिया जाना ही उचित है.भारतीय नागरिक - Indian Citizen - 

कारण नम्बर एक - शुक्ला जी के नजरिये से भी एकदम उचित है, वही क्रिकेट वाले शुक्ला जी जिन्होंने कुछ दिन पहले ही कहा था कि कुछ करोड़ रुपये की घूसखोरी के आरोपों के चलते एक विदेशी मेहमान को कितनी दिक्कत उठानी पड़ी...
आज सरकारी विद्यालयों और महाविद्यालयों में अच्‍छी पढाई न होने से समाज के मध्‍यम वर्ग की जीवनशैली पर बहुत ही बुरा असर पड रहा है। चार वर्ष के अपने बच्‍चे का नामांकण किसी अच्‍छे विद्यालय में लिखाने के लिए हम परेशान रहते हैं , क्‍यूंकि उसके बाद 12 वीं तक की उसकी पढाई का सारा तनाव समाप्‍त हो जाता है। यदि उस बच्‍चे का उस विद्यालय के के जी या नर्सरी में नाम नहीं लिखा सका तो बाद में उस विद्यालय में नाम.............
विवेक रस्तोगी सुना रहे हैं 
एक महाभारत कालीन गाथा-
आज से मैं वापस मृत्युंजय की कड़ियों की
शुरुआत कर रहा हूँकोशिश करुँगा कि अब अंतराल न हो।
एक बार अश्वत्थामा के साथ मैं यों ही राजभवन पर गया। राजभवन के सामने सरोवर के किनारे, दुर्योधन के मामा शकुनि बैठे हुए थे, उनके हाथ में एक श्वेत-शुभ्र राजहंस था। उस श्वेत पक्षी के प्रति मेरे मन में बड़ा आकर्षण था। पानी में अपने पैरों की डाँड़ चलाता हुआ गरदन को कितने शानदार झटके देता हुआ घूमता रहता है...... 

प्रवीण पथिक याद दिला रहे हैं एक अमर हुतात्मा की-

"हौसिला कितना तड़फने का देख तेरे बिस्मिल में है ।।"

आज देश की महान हुतात्मा राम प्रसाद बिस्मिल का शहीद दिवश है तो इस छोटी पोस्ट में पेश इसी महान आत्मा द्वारा लिखित अंतिम नोट

देखना है किस कदर दम खंजरे कातिल में है। 
अब भी यह अरमान यह हसरत दिले बिस्मिल में है ।।......

लखनऊ ब्लॉगर एसोसिएशन

में है प्रबल प्रताप सिंह की एक गजल-
ग़ज़ल
लबादा पैसों का जबसे ओढ़ा है 
हर भावों को पैसों से तोला है. 
ये भी सच है एक हद तक 
इसी पैसे ने हमको तुमसे जोड़ा है...........
RAINBOW/इंद्रधनुष फेफड़ों और त्वचा के कैंसरों के जीववैज्ञानिक इतिहास का पता लगा लिया गया है। इंग्लैंड के सेंगर इंस्टीट्यूट में कैंसर जीनोम परियोजना में लगे वैज्ञानिकदल ने इन दोनों प्रकार के कैंसरों के मरीजों की बीमार कोशिका...
ताऊ रामपुरिया at ताऊ डॉट इन -
प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम और सभी मुस्लिम भाई बहनो को 'इस्लामिक नव वर्ष 'की शुभकामनाएँ. ताऊ पहेली *अंक 53 *में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के...
और ये रहा आज का कार्टून-
आज भी मंच को मात्र ग्यारह चिट्ठों से ही सजाया है!
कल की कल देखी जायेगी..............!


"जरा इन नए ब्लॉगर्स की भी सोचें …. !!!!" (चर्चा मंच)

SATURDAY, DECEMBER 19, 2009

"चर्चा मंच" अंक-2
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आज "चर्चा मंच" की दूसरी पोस्ट लगा रहा हूँ। इसके प्रवेशांक पर सुधि टिप्पणीकारों के आशीर्वादों से मैं वास्तव में अभिभूत हूँ। आप सब ने मुझे निश्चितरूप से बल प्रदान किया है।
सादर अभिवादन के साथ आज का "चर्चा मंच" सजाता हूँ-
जरा इन नए ब्लॉगर्स की भी सोचें …. !!!!--- --- मनोज कुमार
मैंने जब नई-नई नौकरी ज्वाइन की थी उस समय का एक वाकया याद आ रहा है। फैक्टरी में हमारे संगठन के चेयरमैन की विजिट थी। तब मैं सबसे निचले ओहदे का अधिकारी था और वे सबसे ऊंचे पद पर आसीन थे। जब फैक्टरी का दौरा चल रहा था तो मैने उन्हें कॉरीडोर में खड़े होकर अभिवादन किया। पर वे अन्य बड़े पदाधिकारियों के साथ बात-चीत करते हुए प्रस्थान कर गए। मेरी तरफ देखा तक नहीं। मैंने अपना जी छोटा नहीं किया। दूसरे अवसर को तलाशता रहा। हालांकि हम प्रशासन भवन में कार्यरत थेपर उत्पादन अनुभाग के भी चक्कर-काट आए और एक बार जब वे क़रीब से गुजरे तो फिर उनका अभिवादन किया। पर प्रतिक्रया नदारद। मुझे पहले लगा काफी घमंडी हैफिर तुरंत ही मन ने सांत्वना दिया बड़े लोग काफी बीजी होते हैं। शायद न देख पाए हों।
मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay. 
राज भाटिय़ा जी आपके मन में तो न जाने कितने राज दफ्न हैं-
राज !! अगले जन्म का??
नमस्कार, सत्श्री अकाल, सलामआलेकूम, जी आयानू. तो जनाब लिजिये हम एक नया कार्यक्रम आप लोगो की सेवा मै ले कर आये है*""राज अगले जन्म का""* आप इस मे जान पायेगे कि हम अगले जन्म मे क्या बनेगे?हमारे कर्म हमे अगले ...
सदा जी से सुनिए कागज और कलम की कविता-
कागज उजला है फिर भी निखरा नहीं है वह,

कलम उदास पड़ी है कागज के एक कोने में,

उसमें निखार आएगा जब सार्थक अक्षर उसपे,

कलम उतारेगी अपनी नोक से हर एक कोने में।
मान्यवर पहले बदले में पाक से अपने युद्ध-बन्दियों को ते छुड़वा लो-
कसाब को छोड़ दिया जाना ही उचित है.भारतीय नागरिक - Indian Citizen - 

कारण नम्बर एक - शुक्ला जी के नजरिये से भी एकदम उचित है, वही क्रिकेट वाले शुक्ला जी जिन्होंने कुछ दिन पहले ही कहा था कि कुछ करोड़ रुपये की घूसखोरी के आरोपों के चलते एक विदेशी मेहमान को कितनी दिक्कत उठानी पड़ी...
आज सरकारी विद्यालयों और महाविद्यालयों में अच्‍छी पढाई न होने से समाज के मध्‍यम वर्ग की जीवनशैली पर बहुत ही बुरा असर पड रहा है। चार वर्ष के अपने बच्‍चे का नामांकण किसी अच्‍छे विद्यालय में लिखाने के लिए हम परेशान रहते हैं , क्‍यूंकि उसके बाद 12 वीं तक की उसकी पढाई का सारा तनाव समाप्‍त हो जाता है। यदि उस बच्‍चे का उस विद्यालय के के जी या नर्सरी में नाम नहीं लिखा सका तो बाद में उस विद्यालय में नाम.............
विवेक रस्तोगी सुना रहे हैं
एक महाभारत कालीन गाथा-
आज से मैं वापस मृत्युंजय की कड़ियों की
शुरुआत कर रहा हूँकोशिश करुँगा कि अब अंतराल न हो।
एक बार अश्वत्थामा के साथ मैं यों ही राजभवन पर गया। राजभवन के सामने सरोवर के किनारे, दुर्योधन के मामा शकुनि बैठे हुए थे, उनके हाथ में एक श्वेत-शुभ्र राजहंस था। उस श्वेत पक्षी के प्रति मेरे मन में बड़ा आकर्षण था। पानी में अपने पैरों की डाँड़ चलाता हुआ गरदन को कितने शानदार झटके देता हुआ घूमता रहता है......

प्रवीण पथिक याद दिला रहे हैं एक अमर हुतात्मा की-

"हौसिला कितना तड़फने का देख तेरे बिस्मिल में है ।।"

आज देश की महान हुतात्मा राम प्रसाद बिस्मिल का शहीद दिवश है तो इस छोटी पोस्ट में पेश इसी महान आत्मा द्वारा लिखित अंतिम नोट

देखना है किस कदर दम खंजरे कातिल में है। 
अब भी यह अरमान यह हसरत दिले बिस्मिल में है ।।......

लखनऊ ब्लॉगर एसोसिएशन

में है प्रबल प्रताप सिंह की एक गजल-
ग़ज़ल
लबादा पैसों का जबसे ओढ़ा है 
हर भावों को पैसों से तोला है.
ये भी सच है एक हद तक 
इसी पैसे ने हमको तुमसे जोड़ा है...........
RAINBOW/इंद्रधनुष फेफड़ों और त्वचा के कैंसरों के जीववैज्ञानिक इतिहास का पता लगा लिया गया है। इंग्लैंड के सेंगर इंस्टीट्यूट में कैंसर जीनोम परियोजना में लगे वैज्ञानिकदल ने इन दोनों प्रकार के कैंसरों के मरीजों की बीमार कोशिका...
ताऊ रामपुरिया at ताऊ डॉट इन -
प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम और सभी मुस्लिम भाई बहनो को 'इस्लामिक नव वर्ष 'की शुभकामनाएँ. ताऊ पहेली *अंक 53 *में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के...
और ये रहा आज का कार्टून-
आज भी मंच को मात्र ग्यारह चिट्ठों से ही सजाया है!
कल की कल देखी जायेगी..............!

13 टिप्‍पणियां:

  1. रविकर मामा के पुन ;
    अवतरण की खबर लाया है
    चर्चामंच कुछ खाली खाली
    सा लग रहा था
    उसके लौट आने से
    फिर भर आया है ।

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  2. बढ़िया चर्चा...अच्छे सूत्र संयोजन...आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद , मेरी प्रार्थना को अपनी इस सुन्दर चर्चा में स्थान देने के लिए |
    बहुत सुन्दर लिंक मिले |

    जवाब देंहटाएं
  4. अतिसुन्दर विषयों की सूचि है आज का चर्चा मंच,तरह तरह के लिनक्स से सजाया हुआ हिंदी भाषियों का सम्पूर्ण मंच.

    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

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  5. बहूत हि बढीया लिंक्स.....
    बेहतरीन चर्चा मंच....

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  6. बहुत सुन्दर और रोचक लिंक्स....आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. चर्चा मंच के नए रूप को देखर बड़ी ख़ुशी हुई. फिर कल को दुहराने वाले योजना आपकी अच्छी है क्योंकि पहले उस समय से हर ब्लोगर तो इस मंच पर था नहीं और न ही उसके बाद में सक्रिय हुए ब्लोगर को इस बारे में कुछ पढ़ने को मिला. रचना चर्चा में शामिल करने योग्य समझी इसके लिए धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  8. charcha manch ke niyemit aur sucharu/sudrad prasaran se behad khush hain ham pathak. apki mehnat ko naman.

    meri rachna ko yaha sthan dene k liye aabhar.

    जवाब देंहटाएं

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