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सोमवार, जुलाई 02, 2012

सोमवारीय चर्चामंच-928

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ का नमस्कार! सोमवारीय चर्चामंच पर पेशे-ख़िदमत है आज की चर्चा का-
 लिंक 1- 
बेचैन आत्मा द्वारा प्रस्तुत गंगा चित्र -देवेन्द्र पाण्डेय
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लिंक 2-
My Photo
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लिंक 3-
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लिंक 4-
एक दिन कुँवर प्रणव सिंह के साथ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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लिंक 5-
छोड़ आई हूँ! -सुषमा आहुति
My Photo
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लिंक 6-
मेरा फोटो
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लिंक 7-
ओस फूलों पर नहीं हवा में है -निवेदिता श्रीवास्तव
मेरा फोटो
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लिंक 8-
करते प्रतिदिन ढोंग पड़ोसी बड़े हितैषी -दिनेश चन्द्र गुप्त ‘रविकर’
दिनेश की  दिल्लगी, दिल की सगी |
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लिंक 9-
मेरा फोटो
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लिंक 10-
केंचुल -प्रियंका राठौर
My Photo
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लिंक 11-
My Photo
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लिंक 12-
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लिंक 13-
My Photo
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लिंक 14-
वेदों के देश भारत में आयुर्वेद की दशा -डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
ZEAL
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लिंक 15-
अर्श से फर्श तक -उदयवीर सिंह
मेरा फोटो
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लिंक 16-
इश्क़ -पुरुषोत्तम पाण्डेय
मेरा फोटो
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लिंक 17-
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लिंक 18-
थोड़ा सा रूमानी हो जायें -मृदुला हर्षवर्द्धन
My Photo
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लिंक 19-
राम राम भाई! दीर्घायु के लिए खाद्य -वीरूभाई
मेरा फोटो
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और अन्त में
लिंक 20-
ग़ाफ़िल की अमानत
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आज के लिए इतना ही, फिर मिलने तक नमस्कार!

56 टिप्‍पणियां:

  1. इश्क पर जोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब ,के लगाए न लगे और बुझाए न बने ..एक से एक बढिया सेतु लिए आए आप ,जागे हम सारी रात ,सात समुन्दर पार ,करते हुए इंतज़ार ,.....शुक्रिया सेहत के ली खाद्य सजाए ..... .बहुत सुन्दर है . बहुत बढ़िया प्रस्तुति .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai

    रविवार, 1 जुलाई 2012
    कैसे होय भीति में प्रसव गोसाईं ?

    डरा सो मरा
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  2. नारद हमेशा की तरह जन कल्याण की खुर-पेंच में,
    हाँ भाई जानता हूँ-बैल के भी खुर होते हैं और मालिक के पेंच-ढीला सा ||
    बिना बुलाये बहकता, गोबर करके जाय |
    हुआ मार का हक़ ख़तम, बैल नधा अकुलाय |

    बैल नधा अकुलाय, हुआ था बधिया पहले |
    कोल्हू-रहट चलाय, कलेजा अब तो दहले |

    बैल मुझे आ मार, नहीं तेली बोलेगा |
    जब तक करे बेगार, पगहिया ना खोलेगा ||

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन चर्चा , बहुआयामी सृजन -संकलन ,.......शुभकामनायें मिश्र जी /

    जवाब देंहटाएं
  4. धीर को जन्मदिन की बधाईयाँ |
    चालाकी से चाय पिलाकर मन लिया जन्म-दिन |

    चाय वाय करवा रही, चांय-चांय हर रोज |
    सुबह सुबह तो ठीक है, दिन में बारह डोज |

    दिन में बारह डोज, खोज अब दूजी लीजै |
    यह मित्रों की फौज, नवाजी बाहर कीजै |

    हुई एक दिन शाम, मिले व्यवहारी आला |
    इंतजाम छ: जाम, हुआ अंजाम निराला ||

    जवाब देंहटाएं
  5. और अपने निगम साहब-आजकल जबरदस्त गजल लिख रहे हैं-
    कुछ न सूझे मोहे-

    भीड़ बढ़ी है बाजारों में, यार जरा सा आ जाना |
    गम खाया है बहुत दिनों तक, इक मुस्कान खिला जाना |

    मंहगाई बेजार किये जब, तू विरह गीत बेजा गाई-
    दूरभाष बेतार किये पर , तार तार अरमान मिटाई-
    पिछली मुलाक़ात मंहगी अति, सालों ने क्या करी धुलाई -
    नजर बचा आ मन्दिर पीछे, घूम रहे हैं वो दंगाई -

    सावन भी प्यासा का प्यासा, मन-मयूर हरसा जाना |
    गम खाया है बहुत दिनों तक, इक मुस्कान खिला जाना ||

    जवाब देंहटाएं
  6. प्यार का नाम लेना , अब अच्छा नहीं लगता ...
    छीके अब मुंह खोल के, कै मीठे-पकवान ।
    जगह-जगह खाता रहा, कम्बल ओढ़ उतान।

    कम्बल ओढ़ उतान, तपन की आदत डाले ।
    रहा बहुत मस्तान, आज मधुमेह सँभाले ।

    उच्च दाब पकवान, करे अब Point फ़ीके ।
    बदल गया इंसान, खोल में बैठा छींके ।।

    जवाब देंहटाएं
  7. " यादों" ने परेशान तो किया पर नींद खुल गई-
    अशोक सलूजा जी की सजग प्रस्तुति |


    यात्रा का मंचन सदा, किया करे बंगाल ।

    मौत-जिंदगी हास्य-व्यंग, क्रमश: साँझ- विकाल ।

    क्रमश: साँझ- विकाल, मस्त होकर सब झूमें।

    देते व्यथा निकाल, दोस्त सब हर्षित घूमें ।

    पर्दा गिरता अंत, बिछ्ड़ते पात्र-पात्रा ।

    पर चलती निर्बाध, मनोरंजक शुभ यात्रा ।।

    जवाब देंहटाएं
  8. गंगा दर्शन का पूरा लाभ मिला -
    देवेन्द्र जी के सौजन्य से-

    पक्षी दाना चुग रहे, मुर्गा है तैयार ।

    बारी गंगा-लाभ की, जाना सागर पार ।


    जाना सागर पार, बनारस घूम सकारे ।

    हो जाए उद्धार, मनौती गंग किनारे ।

    मानव देश-विदेश, आय के महिमा जाना ।

    खाय उड़े परदेश, आत्मा पक्षी दाना ।।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर चर्चा , मेरा संपादक के नाम पत्र को शामिल करने के लिए आभार ...

    जवाब देंहटाएं
  10. आज की सुन्‍दर चर्चा मंच को सजाने के लिये चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ का धन्‍यवाद

    युनिक तक्‍नीकी ब्‍लाग ------म्‍हारों राजस्‍थान

    जवाब देंहटाएं
  11. निगम जी कि ये वाली कविता वास्तव मे बहुत सुन्दर है ,

    अदल बदल कर पहन रहा है , दो कुरते पखवाड़े भर
    इक दिन हँस कर बोला मुझसे, महँगी बहुत धुलाई है |

    हंसों से कछुवों ने गुपचुप कुछ सौदे हैं कर डाले
    पूछे कौन समंदर से तुझमें कितनी गहराई है |.

    आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. भाई ग़ाफ़िल जी!
    सोमवासरीय चर्चा में आपने बहुत अच्छे लिंकों का समावेश किया है।
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  13. डाक्टर की राय आयुर्वेद पर -
    सटीक और जरुरी-

    रोगी की सम्पूर्ण चिकित्सा, रक्षित होय निरोगी ।
    आयुर्वेद पूर्ण सक्षम है, निन्दा करते ढोंगी ।

    सुश्रुत शल्य-क्रिया धन्वंतरि, औषधि के विज्ञाता
    वैदिक ज्ञान प्रतिष्ठित होगा, फिर से जय जय होगी ।।

    जवाब देंहटाएं
  14. सूखी लकड़ी के बदले क्यूँ इंसान जलाये जाते हैं?

    गाफिल जी ये आपकी सबसे अच्छी रचनाओं में से एक है |
    हर पंक्ति में आग है और यहाँ ----
    बड़ी मुहब्बत से यारा , ये पाठक जलाए जाते हैं ||

    जवाब देंहटाएं
  15. ओस फूलों पर नहीं......................

    भावों की परिपक्वता , शब्दों का अनुप्रास
    नव कविता में है किया,सुंदर सफल प्रयास
    सुंदर सफल प्रयास , छीजती जिंदगी नश्वर
    खारी नन्हीं बूँद , गरजता खारा सागर
    कोई करे गुमान , होड़ भी है दावों की
    शब्दों का अनुप्रास , परिपक्वता भावों की ||

    जवाब देंहटाएं
  16. bahut sarthak charcha .... isme meri rachna ko shamil karne ke liye bahut bahut dhanybad....aabhar

    जवाब देंहटाएं
  17. एक दिन कुँवर प्रणव सिंह के साथ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' पर

    जमा सितारे इक जगह, जमा रहे हैं रंग ।

    चैम्पियन के साथ से, जीत चुनावी जंग ।|

    जवाब देंहटाएं
  18. वेदों के देश भारत में आयुर्वेद की दशा.....पर

    ऋषि मुनि अरु विद्वान का लुप्त हो रहा स्वेद
    धनवंतरि की देन ज्यों , अपना आयुर्वेद
    अपना आयुर्वेद , उपेक्षित मातृभूमि पर
    दुनियाँ वाले आये , लौटे ज्ञान सीख कर
    दूजों को पूजा अपनों को किया तिरस्कृत
    भूल सुधारें आयुर्वेद को करें प्रतिष्ठित |

    जवाब देंहटाएं
  19. अर्श से फर्श तक...........पर

    छाया इस संसार में बस उपभोक्तावाद
    रुपये खर्चें क्रय करें,अब तो आशीर्वाद
    अब तो आशीर्वाद,चाँद पर प्लॉट खरीदें
    बिकने को तैयार खड़ी हैं आस उम्मीदें
    जल भूमि आकाश हवा अरु अग्नि बिकती
    कुत्ते पायें गोद बिटिया रही सिसकती ||

    जवाब देंहटाएं
  20. जीने मरने में क्या......पर

    सेवन कीजे दूध का , इसको अमृत जान
    हृष्टपुष्ट तन को रखे, बनें आप बलवान
    बनें आप बलवान , दूध देता दीर्घायु
    माखन दूध ही खाते थे , कृष्णा-बलदाऊ
    बुरे स्वप्न ना आते,खुलता मति का ताला
    सुबह नींद ना खुले ,जगा देता है ग्वाला ||

    जवाब देंहटाएं
  21. bahut hi badhiya -----somaar ke charcha -manch par bahut bahut hi achhe link mile .
    jinhe padh kar bahut hi achha laga.aapka prayaas bahut hi badhiya hain chun- chun kar moti late hain aap---
    badhai
    poonam

    जवाब देंहटाएं
  22. वाह ... बेहतरीन लिंक्‍स ... आभार

    जवाब देंहटाएं
  23. भाई 'रविकर' और 'निगम' जी! आपका बहुत-बहुत आभार आपने सारे लिंकों को पढ़कर प्रत्येक पर क्या ख़ूब टिप्पणियाँ कीं आपके इस सफल प्रयास के बाद भी इस पोस्ट पर टिप्पणियाँ यदि अर्द्धशतक तक नहीं पहुँचीं तो इस पोस्ट का दुर्भाग्य ही माना जाएगा। आइए हम सब इस लक्ष्य को हासिल करने का जी तोड़ प्रयास करें आपके उत्साह को देखकर हमारी हिम्मत बढ़ी है 'हिम्मते बंदा मददे ख़ुदा'

    जवाब देंहटाएं
  24. खर्चा कर लो समय सब, समालोचना छाप |
    चिट्ठाकारों का करें, उत्साह दोगुना आप |
    उत्साह दोगुना आप, बड़ी सुन्दर रचनाएं |
    अरुण निगम जी आज, पुन: सबको हरसायें |
    चार चाँद चमकाय, बताई असली चर्चा |
    खरबूजे सा आय, समय रविकर ने खर्चा ||

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत सुन्दर चर्चा और कमेंट्स पढ़कर तो मजा ही आ गया

    जवाब देंहटाएं
  26. खूबसूरत गुलदस्ता, बढ़िया संकलन. बधाई है.

    जवाब देंहटाएं
  27. अच्छी चर्चा... सुन्दर लिंक्स...
    सादर आभार.

    जवाब देंहटाएं
  28. sadaa kee tarah chandrbhooshanji ,badhiyaa charcha,
    meree bhaagidaare ke liye dhanywaad

    जवाब देंहटाएं
  29. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक',,,,, की पोस्ट पर

    दोहा कविता छोड़ कर, करने लगे प्रचार
    बहुगुणा, को जिताने का बना रहे आधार

    बना रहे आधार, लिया साथ चैम्पियन
    गुरुद्वारा में घुमा,पहुच गए सितार गंज

    विजय,शेखर,यशपाल,नेता थे भारी भारी
    शास्त्री लगते,राजनीत के पुराने खिलाड़ी,,,

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  30. थोड़ा सा रूमानी हो जाय,,,,,,,,पोस्ट पर

    तन्हाइयों में अक्सर याद करता है दिल
    फिर भी मिलने को बेकरार रहता है दिल
    ये जानते हुए की आपको पा नही सकता
    फिरभी रूमानी हो देखने को तडपता है दिल,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  31. abhi kuch padha nahi par tippaniyan dekhkar padhne ka mn kar gaya hai. ja rahi hu padhne

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  32. दूध वाले ने जगा के, सपना दिया है तोड़,
    वर्ना कुछ समय तक बना रहता ये जोड!

    बना रहता ये जोड़,दोस्त से और बतियाते,
    बीते बचपन की यादो को फिर से दोहराते!

    तभी अचानक बीच में, छूटा मेरा अपना,
    बाबु जी "दूधवाला" और टूटा मेरा सपन!

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  33. वाह वाह धीरेन्द्र जी, शोभा दिया बढ़ाय |
    सोये पाठक पी रहे, बिना दूध की चाय ||

    जवाब देंहटाएं
  34. चर्चामंच बना दिया आज है दुल्हन जैसा
    हर कौई खोना नहीं चाहता एक भी मौका
    रविकर की दौड़ देखलो है देखने लायक
    शतक तक टिपियाने वाला बनेगा धावक ।

    जवाब देंहटाएं
  35. आपने जो चित्र पंसद किया वो मुझे भी पसंद है।..आभार।

    जवाब देंहटाएं
  36. बहुत ही बेहतरीन लिंक्स...
    बढ़िया मंच:-)

    जवाब देंहटाएं
  37. चन्द्र भूषण "गाफिल"जी की टिप्पणी पर,,,,,,

    कोशिश में सब लगे है,पूरा यही प्रयास,
    अर्धशतक बन जायगा,रखिये पूरी आस|

    रखिये पूरी आस"गाफिल"रखिये भरोसा,
    पूरी जब हो जाय खिलाए हमे समोसा|

    जन्म दिन पर मैंने सबको पिला दी है चाय,
    इसी खुशीमें चाय+समोसा की पार्टी हो जाय|

    जवाब देंहटाएं
  38. बहुत बढ़िया चर्चा
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  39. तुम्हें याद करना...ना तो मेरी आदत ना ही मजबूरी,,,
    राजेन्द्र तेला जी, की पोस्ट पर,

    सपनो से दिल लगाने की आदत नही रही|
    हर वक्त अब मुस्कराने की आदत नही रही||
    यह सोच कर कि अब मनाने नही आयेगें|
    अब रूठ जाने कि मजबूरी,आदत नही रही||

    जवाब देंहटाएं
  40. धीरेन्द्र जी! रविकर जी और निगम जी मेरी इस टिप्पणी को लेकर भी लक्ष्य तक पहुंचने में छः की कमी आ रही है आप लोगों ने बहुत प्रयास किया बहुत-बहुत शुक़्रिया!...मंज़िल तक बस पुंचने को हें और भारतीय समयानुसार रात के 11 बज गये क्या उम्मीद करूं...मेरा ही एक शेर अर्ज़ है-

    जब चले थे तो नहीं सोचे थे कि हो जाएगा,
    हादिसा-ए-फ़ाज़िया मंजिल को पा जाने के बाद।

    ख़ैर!!!!!!!!!! आप सबो का पुनः धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  41. चर्चामंच पर टिप्पणी करने का यही तरीक़ा होना चाहिए कि लिंको को पढ़ा जाय वहां तो टिप्पणी की ही जाय यहां उसपर विमर्श उपस्थित किया जाय तभी इस मंच की सार्थकता है...आप सबका बहुत-बहुत आभार जो लिंकों पर टिप्पणियां की गयीं आइंदा भी ऐसे ही होगा...केवल यह कह देना कि 'मेरी रचना शामिल करने का आभार' या यह कह देना कि 'बहुत अच्छी चर्चा' कोई मायने नहीं रखती जब तक प्रस्तुत लिंकों पर विमर्श न हो...आज के आप लोगों के शुरुआती प्रयास, खासकर रविकर, निगम और धीरेन्द्र जी के, से हम बहुत उत्साहित हैं...आइन्दा इस मंच पर लिंकों पर व्यापक विमर्श की अपेक्षा करते हैं...शुभमस्तु! आपका-
    ग़ाफ़िल

    जवाब देंहटाएं
  42. अर्श से फर्श तक,,,,,उदयवीर जी की पोस्ट पर

    ईमान तो बिक गया बाकी बचा न कोय,
    खरीदन वाला चाहिए,जा के हिम्मत होय|

    जाके हिम्मत होय,रिश्तों को बेच रहे है,
    बिक रही है बेटियाँ, दहेज हम दे रहे है!

    संस्कार बिक गया गर, बिक जायेगी नारी,
    फिर क्या बचा,आजायेगी हिन्दुस्तान बारी

    जवाब देंहटाएं
  43. एक जुलाई जन्म-दिन,शुभ-घड़ी अति महान
    चाय पिला टरका दिया , चतुर बड़े श्रीमान
    चतुर बड़े श्रीमान , मगर हम भी हैं हठीले
    जिद कर करके खा लेंगे , पकवान रसीले
    देते हैं हम जन्म-दिवस की ढेर बधाई
    शुभ घड़ी अति महान,जन्म दिन एक जुलाई ||

    जवाब देंहटाएं
  44. चर्चाकार चंद्र भूषण गाफिल जी को समर्पित

    हफ्ते की है ओपनिंग, "चंद्र" करें शुरुवात
    हाफ सेंचुरी मारिये , "रनर" रवि हैं साथ
    "रनर" रवि हैं साथ,"धीर-जी" वन डाउन हैं
    "नारद" मुनि को कामेंट्री करने की धुन है
    "श्री सुशील जी" पैड बाँध कर करें प्रतीक्षा
    "अरुण" आँकड़े लिये कर रहा खेल समीक्षा ||

    जवाब देंहटाएं
  45. गाफिल जी,,,,की अपील पर,,,,

    चर्चा ऐसी चाहिये जो सबके मन को भाय,
    टिप्पणी पढकर पाठक,तुरत पोस्ट पर जाय!

    तुरत पोस्ट पर जाय, पढ डाले पूरी रचना
    गर मनको भा जाय ,तभी टिप्पणी करना

    बहुत हो चुका अब,ये "गाफिल" का कहना
    अब नही चलेगा आभार बहुत सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  46. छोड़ आई..............पर...

    छोड़ा अपने हाथ से , लम्हें भरे उमंग
    धागों से गढ़ कर सुमन,सपने रंग बिरंग
    सपने रंग बिरंग,साथ में बचपन गुड़िया
    कागज की नौकायें , वो जादू की पुड़िया
    सावन का झूला भी, छोड़ा निरा-निगोड़ा
    अरी सहेली पूछ न मैंने क्या क्या छोड़ा ||

    जवाब देंहटाएं
  47. क्या बात है आफ सेंचुरी वाह! बहुत-बहुत आभार आप सभी को इतनी सुन्दर टिप्पणियां देने के लिए...हम तो मुरीद हो गये आप सभी कविश्रेष्ठों के

    जवाब देंहटाएं
  48. करते प्रति दिन ढोंग पड़ोसी बड़े हितैषी.....

    रोज पड़ोसी पूजिये,ढोंग करे या प्यार
    मांगे कोई चीज तो मत कीजे इनकार
    मत कीजे इनकार,चाय-पत्ती या शक्कर
    लेन देन से ही बढ़ता है प्रेम परस्पर
    देख सहजता नाम आपका बहुत गुनेगा
    वरना इस युग रवि कविता कौन सुनेगा ?

    क्षमा याचना सहित.....

    जवाब देंहटाएं
  49. चर्चामंच में,
    हाफ सेंचुरी टिप्पणियों की कमेंट्री,,,,

    खूब रहा चर्चामंच में आज टिप्पणिओं का जोर
    हाफ सेंचुरी मार कर, बढ़ गए शतक की ओर,

    ओपनिग करने आये रविकर मारा ऐसा छक्का
    टिप्पणियों की आवक देख हाफ सेंचुरी पक्का,

    रविकरजी के आउट होते ही शंका लगी सताने
    एक छोर "अरुण"खड़े थे, एक पर"धीर"सयाने,

    धीरे धीरे हम बढ़ रहे थे अर्ध शतक की ओर
    गाफिलजी की खबर मिली ६ केलिए लगाओ जोर

    एक-एक कर लिखने लगे करने लगे कमेन्ट
    अरुण निगम ने मार दिया हाफ सेंचुरी कमेन्ट

    Dheerendra bhadauriya,"dheer"

    जवाब देंहटाएं
  50. @क्षमा याचना सहित.....Blogger अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com

    क्षमा मांग कर कर रहे, अपना समय ख़राब |
    नहीं पडोसी हो सखे, देख रहे क्यूँ ख़्वाब ||

    जवाब देंहटाएं
  51. लिंक्स की हैंडिंग के साथ फोटो रखने से मजा आ जाता है बधाई इस बार के लिंकस के लिये

    जवाब देंहटाएं

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