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शुक्रवार, जुलाई 06, 2012

लक्ष्मीपति अखिलेश, खफा क्यूँ हो जाते हो ; चर्चा-मंच 932

बीस लाख की लाटरी, लक्ष्मीपति अखिलेश-


आभार ; जनसन्देश 04-07-2012

रविकर फैजाबादी 
पैसे उगते पेड़ पर , मनमोहनी ख़याल । 
सहमत दिखते हैं कई, यूरोपी कंगाल । 
यूरोपी कंगाल, कम्पनी ईस्ट बनी है । 
प्रांत कई बदहाल, प्रणव पर तनातनी है । 
 निरहू नवनिर्माण, पाय के पैकेज ऐसे । 
हिंदुत्व-वाद कबाड़, करे नित पैसे पैसे ।।


तुम कहो ....

Dr (Miss) Sharad Singh  


शिकायत

प्रतुल वशिष्ठ 

"आऊँगा"
कह कह कर
क्यों रह रह जाते हो
आपके लिये रिक्त करती हूँ घर
पर तुम ना आते हो.

मेरा प्रणाम कह देना  -

जल     गए      हैं   पांव ,   अग्नि    -    पथ    पर
चलते   -   चलते  ,   न      पाई      कहीं      छाँव
             कह   देना .......
मित्र-   पथ    में  , न   मिला   साथ   अपनों   का ,
शत्रु -  पथ    की   वीथियों    में   हो   गयी   शाम ...
             कह  देना ....


बारिश के पहले,बारिश के बाद



Untitled

My Photo
कविता विकास
काव्य वाटिका

झूम झूम झर झर कर सावनी फुहार...

रवीन्द्र प्रभात
वटवृक्ष
 




दीपक द्विवेदी 
http://www.jagranjunction.com/author/deepakdwivedi/

Sushil 

कि अब कोयल के कंठ में भी अटके है गीत

 swati

शब्दों का कफन अब साझा होगा
राँझे की चिता में अग्नि होगी हीर के पीर की
आज ग़ज़ल मीर की फिर आबाद होगी ...
मिलूँगी तुमसे ...तुम्हारे ही कंठ में
आज फिर आँखों मे इक रूह मरेगी.......


My Image
A gullible disciple: Some politicians are even called communal if they go to a temple or wear saffron clothes, what do you think of that?

Mr. secular Indian: Well, you cannot wear any identity that could relate you to a majority community. You can go to the temple every now and then but make sure nobody is watching you. This might come to haunt you later in your political career. At the same time make sure you make frequent visits to churches and mosques and also meet some religious leaders, but this time makes sure you do it in front of the full glare of the media.

Meanwhile a Muslim gullible disciple jumps in and asks:

A gullible Muslim disciple: I go to mosques every Friday. Would I have to be careful too ? Also would I have to meet some swami jis in front of the media?

Mr. secular Indian: No, this does not apply to you as you belong to a minority community. In fact, if someone questions you about any aspect of your faith, just call for protection of your rights and your secular friends will take care of the rest. Talking about you meeting swamis, this could severely dent your chances of being a secular politician and your credentials might get questioned, even if you have to do that, do it behind the cameras
 











गौमुख से तपोवन- एक खतरनाक सफर

नीरज जाट 
 मुसाफिर हूँ यारों  

63 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया ढंग से प्रस्तुत चर्चा.......आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. रोचकता के साथ बहुत सुन्दर ढंग से लगाई गई चर्चा।
    आपका आभार रविकर जी!

    जवाब देंहटाएं
  3. हमेशा कि तरह , शानदार चर्चा .

    मेरी रचना "पुलिस कि कृपा और हमारा अन्याय " शामिल करने के लिए आभार ...

    सादर ..

    जवाब देंहटाएं
  4. रविकर जब भी आएं ,बेहतरीन चर्चा सजाएं .मुबारक ,शुक्रिया मेहरबानी .

    जवाब देंहटाएं
  5. बीस लाख की लाटरी लक्ष्मी पति अखिलेश,,,पर,,,,,,

    बीस लाख की कार का, निरस्त हुआ आदेश,
    यह सुनकर विधायकों का, बिगड गया है फेस
    बिगड गया है फेस, बिपक्ष ने ऐसा डाला डंडा
    चित्तपड़े अखिलेश, भूले विधायकनिधि का फंडा
    विधायकनिधि की राशि का सही करो उपयोग
    जनहित में खर्च करो, खुद मत करो उपभोग

    जवाब देंहटाएं
  6. तुम कहो,
    डा०मिस शरद सिंह की रचना पर ,,,,,

    अषाढ़ गया, सावन लग गयो,
    प्रियतम ने भी सुधि न लियो
    गरजत बदरा में हुक उठति है,
    परदेश में जाकर भूल गयो है,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  7. बारिश के पहले,बारिश के बाद,रचना पर,,,,,,,

    चाहे बारिश के पहले हो या चाहे बारिश के बाद,
    हर हांल होती परेशानी,चाहे करो जितनी फ़रियाद,,,

    जवाब देंहटाएं
  8. आभार ; जनसन्देश 04-07-2012
    दिख रहा है हमें भी
    बहुत सुंदर है
    मनमोहन का पेड़ !

    जवाब देंहटाएं
  9. तुम कहो ..

    सब कह तो रहे हैं
    सुंदर है बहुत
    हम बस देख रहे हैं
    कह कुछ नहीं रहे हैं !

    जवाब देंहटाएं
  10. देख लिया उल्लूक ने, अब पैसों का पेड़ |
    दिन में चाहो लो हिला, मारे रात थपेड़ |

    जवाब देंहटाएं
  11. शिकायत
    .........

    सुंदर !
    अच्छा लो चले ही जाता हूँ
    चलो अब नहीं घबराता हूँ !

    जवाब देंहटाएं
  12. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  13. बारिश से पहले घटा, नहीं कभी भी धीर |
    बारिश की देखे घटा, होता धीर अधीर ||

    dheerendra said...
    बारिश के पहले,बारिश के बाद,रचना पर,,,,,,,

    @ चाहे बारिश के पहले हो या चाहे बारिश के बाद,
    हर हांल होती परेशानी,चाहे करो जितनी फ़रियाद,,,

    जवाब देंहटाएं
  14. राधा मन को शरद ही, भावे गोकुल वीर |
    मिलन आस हो बलवती, बाकी समय अधीर ||

    dheerendra said...
    तुम कहो,
    डा०मिस शरद सिंह की रचना पर ,,,,,

    @ अषाढ़ गया, सावन लग गयो,
    प्रियतम ने भी सुधि न लियो
    गरजत बदरा में हुक उठति है,
    परदेश में जाकर भूल गयो है,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  15. उन्नयन (UNNAYANA)
    इतने सुंदर भाव से कहा है
    क्यों नहीं कहेंगे जरूर कह देंगे !

    जवाब देंहटाएं
  16. भोग लगा लक्ष्मीपती, सबको रहे भोगाय |
    आस टूट एम् एल ए की, आंसू रहे बहाय ||

    dheerendra said...
    बीस लाख की लाटरी लक्ष्मी पति अखिलेश,,,पर,,,,,,


    @जनहित में खर्च करो, खुद मत करो उपभोग

    जवाब देंहटाएं
  17. बारिश के पहले,बारिश के बाद
    ...................
    अपने मन से बारिश का मन मिलाना
    वाकई काम बहुत मुश्किल है
    उतना ही मुश्किल है मनों को समझाना !!!

    जवाब देंहटाएं
  18. प्रोफ़ेसर यह फटाफट, रहा काम निपटाय |
    जैसे सारे कोर्स को, देता तुरत पढाय |

    भावों के उन्नयन पर, हामी भारी तुरंत |
    और शिकायत पर बने, ढोंगी बाबा संत ||

    Sushil said...
    शिकायत
    .........

    सुंदर !
    अच्छा लो चले ही जाता हूँ
    चलो अब नहीं घबराता हूँ !

    Sushil said...
    उन्नयन (UNNAYANA)
    इतने सुंदर भाव से कहा है
    क्यों नहीं कहेंगे जरूर कह देंगे !

    जवाब देंहटाएं
  19. कविता विकास !!!!
    सुंदर चाँद की चाह और लहर की आस !!

    जवाब देंहटाएं
  20. बारिश पर विद्वान ने, लिया सही स्टैंड |
    मन को समझाना कठिन, समझो मेरे फ्रेंड ||

    Sushil said...
    बारिश के पहले,बारिश के बाद
    ...................
    अपने मन से बारिश का मन मिलाना
    वाकई काम बहुत मुश्किल है
    उतना ही मुश्किल है मनों को समझाना !!!

    जवाब देंहटाएं
  21. सावनी है वाकई फुहार
    भिगा रही है
    "वटवृक्ष" में शुरु बारिश
    करके आ रही है ।

    जवाब देंहटाएं
  22. कि अब कोयल के कंठ में भी अटके है गीत
    swati
    सुंदर अभिव्यक्ति!!!!
    ़़़़़़़़़

    कोयल के कंठ में गीत तक अटका दिये
    रविकर जाकर कोई तो डाक्टर बुला दे
    कुछ अगर नहीं हो सकता तुझसे
    तो कम से कम कोयल को ही समझा दे !!!

    जवाब देंहटाएं
  23. कविता करे विकास नित, कवि के मन की चाह |
    शीतल चन्दा चांदनी, मिले आस को राह ||

    Sushil said...
    कविता विकास !!!!
    सुंदर चाँद की चाह और लहर की आस !!

    जवाब देंहटाएं
  24. सचमुच ही वटवृक्ष यह, श्रेष्ठ वांटेड मोस्ट |
    प्राण-वायु से पोसता, ब्लॉग वर्ल्ड की पोस्ट ||


    Sushil said...
    सावनी है वाकई फुहार
    भिगा रही है
    "वटवृक्ष" में शुरु बारिश
    करके आ रही है ।

    जवाब देंहटाएं
  25. Mr. Secular Indian teaching secularism to his Gullible disciples who are pursuing a political career as a secular politician.

    सेक्युलेरिज्म समझ में आया है
    कैसे नहीं आयेगा आयरन लेडी ज़ील
    ने इंटरव्यू में समझाया है ।

    जवाब देंहटाएं
  26. वेदों में भी है ईश्वरीय कण का जिक्र
    ़़़़़़़़़़़़़

    बहुत सुंदर और सटीक बातें बताये है
    हमारे खजाने के मोती हमें दिखाये हैं ।।

    जवाब देंहटाएं
  27. मालीगांव

    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
    बहुत सुंदर कहानी
    खरगोश जैसे बच्चे लक्ष्य
    के पापा की जुबानी !!!!

    जवाब देंहटाएं
  28. कोयल ने देखा वहाँ, कौवे जैसा लंठ |
    इसीलिए तो मधुरता, अटक रही है कंठ |
    अटक रही है कंठ, करे क्या इसका रविकर |
    कोई नहीं इलाज, बुलाएगा क्या डाक्टर |
    कोई उल्लू आय, अगर कौवे से बाझे |
    तब ही गीत सुनाय, ख़ुशी मन नाचें राझें ||

    Sushil said...
    कि अब कोयल के कंठ में भी अटके है गीत
    swati
    सुंदर अभिव्यक्ति!!!!
    ़़़़़़़़़

    कोयल के कंठ में गीत तक अटका दिये
    रविकर जाकर कोई तो डाक्टर बुला दे
    कुछ अगर नहीं हो सकता तुझसे
    तो कम से कम कोयल को ही समझा दे !!!

    जवाब देंहटाएं
  29. गजब जील उत्साह, राह दिखाए रोज ही |
    जागे चाह अथाह, हम भी अब तैयार हैं ||

    Sushil said...
    Mr. Secular Indian teaching secularism to his Gullible disciples who are pursuing a political career as a secular politician.

    सेक्युलेरिज्म समझ में आया है
    कैसे नहीं आयेगा आयरन लेडी ज़ील
    ने इंटरव्यू में समझाया है ।

    जवाब देंहटाएं
  30. बंदा खड़ा फिजिक्स का, पढ़ा आप का लेख |
    वेद शास्त्र से जोड़ के, रहा खोज को देख ||


    Sushil said...
    वेदों में भी है ईश्वरीय कण का जिक्र
    ़़़़़़़़़़़़़

    बहुत सुंदर और सटीक बातें बताये है
    हमारे खजाने के मोती हमें दिखाये हैं ।।

    जवाब देंहटाएं
  31. जिंदगी वास्तव में जिन्दादिली का नाम है -- डॉक्टर्स भी क्या खूब जीया करते हैं !
    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
    डाक्टर लोग क्या समा बना रहे हैं
    जिंदादिल वो भी हैं सबको बता रहे हैं
    डा0 दराल कविता सुना सुना कर
    बच्चों के पेट में हंसी दोड़ा रहे हैं
    रविकर पर सुनो हम मरीजों को
    भी वहाँ कभी कभी क्यों नहीं वो
    बुला रहे हैं क्या आप बता रहे हैं?

    जवाब देंहटाएं
  32. सुन्दर शावक देख के , हुई आत्मा तृप्त |
    पुत्र सरिस हम भी प्रसन्न, सुन्दर प्रस्तुत वृत्त ||

    Sushil said...
    मालीगांव

    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
    बहुत सुंदर कहानी
    खरगोश जैसे बच्चे लक्ष्य
    के पापा की जुबानी !!!!

    जवाब देंहटाएं
  33. जीवन में कितना सुने, देखें दर्द अथाह |
    इक डाक्टर की सदा ही, बड़ी कठिन है राह |
    बड़ी कठिन है राह, मर्ज से रहते लड़ते |
    दवा मरीज की दाह, ताप में समय रगड़ते |
    हक है मित्र दराल, लूटिये हंसी ख़ुशी दिल |
    करूँ थैंक्स टू आल, बढ़े न ज्यादा यह बिल ||

    Sushil said...
    जिंदगी वास्तव में जिन्दादिली का नाम है -- डॉक्टर्स भी क्या खूब जीया करते हैं !
    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
    डाक्टर लोग क्या समा बना रहे हैं
    जिंदादिल वो भी हैं सबको बता रहे हैं
    डा0 दराल कविता सुना सुना कर
    बच्चों के पेट में हंसी दोड़ा रहे हैं
    रविकर पर सुनो हम मरीजों को
    भी वहाँ कभी कभी क्यों नहीं वो
    बुला रहे हैं क्या आप बता रहे हैं?

    जवाब देंहटाएं
  34. नारद जी बता रहे हैं
    मुन्नी को बदनाम
    कितनी बार हो चुका
    सोचो जरा ये काम
    सोचो जरा ये काम
    मुन्नी बदनाम हो रही
    इसीलिये तो अब इस
    देश में आगे को हर चीज
    बस मुन्नी हो रही ।

    जवाब देंहटाएं
  35. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  36. नारद झट झंझट करे, पहुँच जहाँ दरकार |
    उत्प्रेरित जन-मन करे, जनहित से ही प्यार ||


    Sushil

    नारद जी बता रहे हैं
    मुन्नी को बदनाम
    कितनी बार हो चुका
    सोचो जरा ये काम
    सोचो जरा ये काम
    मुन्नी बदनाम हो रही
    इसीलिये तो अब इस
    देश में आगे को हर चीज
    बस मुन्नी हो रही ।

    जवाब देंहटाएं
  37. हिन्दी फ़िल्मों का नायक वामपंथी क्यों नहीं
    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
    इस देश में जो है वो वैसा कहाँ होता है
    इस पंथ का दिखता है उस पंथ का होता है
    कुछ भी कहीं हो रहा हो समझ जाइये
    जो आपको लगे अच्छा वैसी नजर बनाइये
    शेख चिल्ली हो कर सुखी जीवन बिताइये ।

    जवाब देंहटाएं
  38. विवाह जैसी संस्था की परिधि में उन्मुक्त प्रेम की तलाश करती एक पुस्तक
    मंगलायतन

    प्रेम ना हाट बिकाये
    हौट है ।

    जवाब देंहटाएं
  39. एक और अनुपम मोती ढूँढ लायी हूँ
    ज़ख्म…जो फूलों ने दिये -

    चर्चामंच पर चर्चा पर चर्चा
    बहुत सुंदर !!!

    जवाब देंहटाएं
  40. कला फिल्म में हैं दिखे, छुटपुट ऐसे पात्र |
    अगर लिखेंगे पटकथा, बाम-पंथ के छात्र |
    बाम-पंथ के छात्र, तभी तो बात बनेगी |
    फैलेंगे लेफ्टिस्ट, रात दिन खूब छनेगी |
    मजदूर कृषक की जीत, चाहते हम भी भैया |
    पर आयें तो नए, फिल्म के बड़े लिखैया ||


    Blogger Sushil said...

    हिन्दी फ़िल्मों का नायक वामपंथी क्यों नहीं
    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
    इस देश में जो है वो वैसा कहाँ होता है
    इस पंथ का दिखता है उस पंथ का होता है
    कुछ भी कहीं हो रहा हो समझ जाइये
    जो आपको लगे अच्छा वैसी नजर बनाइये
    शेख चिल्ली हो कर सुखी जीवन बिताइये ।

    जवाब देंहटाएं
  41. एक और अनुपम मोती ढूँढ लायी हूँ
    ज़ख्म…जो फूलों ने दिये -

    सुंदर हौसला अफजाई है
    सदा ने तुम्हारे लिये ही
    बस ये कविता बनाई है !!!

    जवाब देंहटाएं
  42. उच्चारण
    ़़़़़
    आसमान में बिजली कड़की,
    डर से सहमें लडका-लड़की,
    बन्दर जी की शामत आई।
    रिम-झिम, रिम-झिम वर्षा आई।
    ़़़़़

    शास्त्री जी को भी मस्ती छाई है
    बारिश ऎसा माहौल बनाई है ।

    जवाब देंहटाएं
  43. गौमुख से तपोवन- एक खतरनाक सफर
    ़़़़़़़़़़़़़़़़़
    वाकई खतरे पग पग पर दिखाये हैं
    जाट राम धुमक्कड़ी कर के आये हैं
    जो हम नहीं कर सकते कर के दिखाये हैं।

    जवाब देंहटाएं
  44. रविकर अब ना कहना
    पढ़ कर नहीं आप आये हैं
    बहुत सुंदर चर्चामंच
    आप आज बनाये हैं
    इतना ही नहीं कहने
    हम यहाँ नहीं आये हैं
    आधा सैकड़ा टिप्पणी
    तक पहुँचाये हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  45. हॉट बड़ी दमदार है, हॉट केक है यार |
    मंगल की मम कामना, फैले शुभ प्यार ||

    Blogger Sushil said...

    विवाह जैसी संस्था की परिधि में उन्मुक्त प्रेम की तलाश करती एक पुस्तक
    मंगलायतन

    प्रेम ना हाट बिकाये
    हौट है ।

    जवाब देंहटाएं
  46. अथक परिश्रम आपका, नमन मित्र आभार |
    प्रत्युत्तर की धृष्ठता, करो प्रेम स्वीकार |
    करो प्रेम स्वीकार, धीर की महिमा गाऊं |
    रविकर संग सुशील, ज्ञान सह निष्ठा पाऊं |
    चर्चा मंच की शान, बढ़ी है चढ़े ऊंचाई |
    मिले सतत वरदान, मित्र को सारद माई ||

    जवाब देंहटाएं
  47. bahut achhi ,jankariyon aur manoranjan purn charchha manch ....badhaai ji

    जवाब देंहटाएं
  48. मेरी पोस्ट पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर!


    सादर

    जवाब देंहटाएं
  49. बहुत बढ़िया लिंक्स से सजी चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार!

    जवाब देंहटाएं
  50. .

    रविकर जी चर्चा में से , चर्चा करना सीख लूं
    सुन्दर उनकी टिप्पणियों से , कविता करना सीख लूं

    ब्लॉगर सुनील की टिप्पणियों ने चार चाँद लगाया है।
    कवि रविकर के प्रतिउत्तर ने अर्ध-शतक लगवाया है।

    वन्दे मातरम् !

    .

    जवाब देंहटाएं
  51. acchhi aacchhi rachnayen padhne ko mili.

    samar shesh hai lekh ko yaha sthan dene k liye aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  52. बहुत सुन्दर चर्चा सुन्दर लिंक्स और रविकर जी का श्रम और खूबसूरत कुण्डलियाँ वाह वाह ....मजा आ गया

    जवाब देंहटाएं
  53. मेरे लेख की कड़ी देने के लिए बहुत धन्यवाद आपका। प्रस्तुति जारी रखें।

    जवाब देंहटाएं
  54. ऐसी ही चर्चा चले,सभी लिखें दिल खोल
    ना दें केवल हाजिरी, दें विचार अनमोल
    दें विचार अनमोल , चर्चा - मंच सजेगा
    सच कहता हूँ मित्र , डंका खूब बजेगा
    रवि सुशील अरु धीर करें हैं मिहनत जैसी
    सभी लिखें दिल खोल,चले नित चर्चा ऐसी ||

    जवाब देंहटाएं
  55. रविकर जी,
    मेरी रचना शामिल करने के लिए हार्दिक आभार...

    हमेशा की भांति बहुत बढ़िया लिंक्स से सजी चर्चा प्रस्तुति के लिए बधाई....

    जवाब देंहटाएं

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