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बुधवार, सितंबर 12, 2012

(1000) चर्चा-मंच प्रणाम, आज तू हुआ हजारी -रविकर

है हजार हाथा-हथी,  हथिनी हथ हथियार ।
हथियाया हरदम हटकि, हरसाया हरबार । 
हरसाया हरबार, सभी हे *चर्चा-कारों
नए-पुराने विज्ञ, नेह शाश्वत स्वीकारो ।
पाठक ब्लॉगर जगत, हुआ रविकर आभारी ।।

*


रविकर फैजाबादी
 
 शास्त्री जी गुरुनाम धन्य, रूप मंच का श्रेष्ठ ।
सतत परायण चिकित्सक, नर नारायण ठेठ ।

नर नारायण ठेठ, मंच को साजा एकल।

चर्चा का आलेख, बढाया कितना दल बल ।

प्रस्तुति हों उत्कृष्ट, सजे हर दिन यह चर्चा ।

रहें स्वस्थ सानंद, पाठकों पढ़ लो पर्चा ।।


  नए ब्लॉगर 

ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती (रह.) की ग़ज़ल

(1) Persion
 توئی کہ جز توُ ترا خود حجاب دیگر نیست
بغیر نور رخت را نقاب دیگر نیست
(1) Urdu
تو ہے کہ تیرے سوا دوسرا حجاب نہیں
سوائے نور کے تیرے کوئی نقاب نہیں
(1) Hindi
तू है कि तेरे सिवा दूसरा कोई हिजाब नहीं है 
सिवाय नूर के तेरे कोई तेरा नक़ाब नहीं है
Aziz Jaunpuri  

 ज़ुल्म की नई तहरीर लिखकर किताबों में  
 शब्द 'बेटी'का क्यूँ वेहद विषैला कर दिया है

 फिज़ाओं  में ज़हर के उन्नत बीज बोकर
 हवाले मौत के अब बेटिओं को कर दिया है
SACCHAI 
AAWAZ  
" टॉइलेट पेपर पर जब सरकार खुद अशोक चक्र लगाती है तब वो क्यू नहीं कहेलाती देशद्रोही ? और क्यू नहीं दिखता उस "अशोक चक्र" मे देश के "संविधान का अपमान " ? कमाल है जब एक कार्टूनिस्ट सच्चाई बताता है देश की तो सरकार उस कार्टूनिस्ट को देशद्रोही करार देती है मगर टॉइलेट पेपर पर सरकार के द्वारा ही लगाए गए अशोक चक्र के लिए क्या काँग्रेस सरकार देश के रेलमंत्री को भी देश द्रोही करार देगी क्या ? "

अमित्रस्य कुतो सुखम....

shikha varshney  
Virendra Kumar Sharma 
शर्म, हया सब तजके चली गई,पद के आसक्त को,  
नोचता नित बैठकर असहाय,असमर्थ,अशक्त को !   
मूल्यहीन, बेकदर होकर रह गई अनमोल आबरू, 
दौलत का है ये कैसा नशा, वैराग्यनिष्ट विरक्त को !

सागर की सच्चाई

Dr.NISHA MAHARANA
  My Expression -   

हो कौन ?

Asha Saxena 
Akanksha    

गलियों में शोर मचा वो मेरी दुल्हन बनी

RAJEEV KULSHRESTHA 
 परिचय युवा ब्लागर श्री अरुन शर्मा

O B O : मेरे सपनों का भारत - रविकर की टिप्पणियां

आदरणीय अम्बरीश जी और अरुण निगम जी की युगलबंदी पर 
( प्रशंसा करने का यह तरीका : कहीं गलत तो नहीं )

 दारुण दोहा दत्तवर, दिया दाद  दिल-दाध  ।
अरुण अशठ अमरीश अध , अवली असल अबाध ।
अवली असल अबाध, पुन: रोला जुड़ जाते ।
चढ़ा करेला नीम, देख रविकर घबराते ।
युगलबंद हो बंद, सुनो स्वर रविकर कारुण ।
हे आयोजक वृन्द, घटाओ लेबल दारुण ।।
कुण्डलिया  1. – “ अम्बर ”
आगे  तीनों लोक  के , अम्बर का  विस्तार
मंदाकिनियाँ  हैं   कई , धारे  अरुण हजार
धारे अरुण हजार , ऋषि गुनी  कहे अनंता
अम्बर का  विस्तार  , जान पाये  नहि संता
कितने  ही  ब्रम्हाण्ड , सतत  हैं  दौड़े भागे
अम्बर  का  विस्तार,  लोक तीनों के  आगे  |
कुण्डलिया  2. –  “ रवि “
जलना रवि का धर्म है  , लेकिन यह सत्कर्म
संचालित   है   सृष्टि  में  ,  इससे  जीवन मर्म
इससे  जीवन  मर्म , करे  जग को आलोकित
वन  जन  जंतु  जहान  ,  इसी  से  हैं  स्पंदित
सिर्फ दृष्टि भ्रम एक, अरुण का उगना ढलना
लेकिन  यह सत्कर्म , धर्म है रवि का जलना  |

"बने बेसुरे छन्द" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) 
 
अँधियारा छाए तो बिस्तर पर जाकर आराम करो।
उजियारा आये तो उठकर अपने सारे काम करो।।
पता नहीं क्या लिख दिया, बने बेसुरे छन्द।
बीमारी मे हो गयी, मस्तक की गति मन्द।।
इंडियन मीडिया सेंटर :उज्जैन यात्रा
महाकाल के दर्श कर, घूमे जब उज्जैन ।
तन थक कर था चूर पर, मन को मिलता चैन ।
मन को मिलता चैन, रैन में  बेचा घोड़ा ।
सोया गहरी नींद, भिखारी किन्तु निगोड़ा ।
देता मुझे जगाय, बताये वह क्यों तगड़ा ।
सिंहासन बत्तीस, करे है सारा रगड़ा  ।।

मुनासिब सवाल का जबाब

केवल राम : 

आ गए घर जलानेवाले , हाथों में मरहम लिए

रजनी मल्होत्रा नैय्यर

vally of flowers .chamba , himachal , फूलो की घाटी ,​हिमाचल प्रदेश में

Manu Tyagi 
yatra  

काम अब कोइ न आयेगा बस इक दिल के सिवा…अली सरदार जाफरी

डा. मेराज अहमद 

56 टिप्‍पणियां:


  1. देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने
    आज भारत के लोग बहुत उत्तप्त हैं .वर्तमान सरकार ने जो स्थिति बना दी है वह अब ज्यादा दुर्गन्ध देने लगी है .इसलिए जो संविधानिक संस्थाओं को गिरा रहें हैं उन वक्रमुखियों के मुंह से देश की प्रतिष्ठा की बात अच्छी नहीं लगती .चाहे वह दिग्विजय सिंह हों या मनीष तिवारी या ब्लॉग जगत के आधा सच वाले महेंद्र श्रीवास्तव साहब .

    असीम त्रिवेदी की शिकायत करने वाले ये वामपंथी वहीँ हैं जो आपातकाल में इंदिराजी का पाद सूंघते थे .और फूले नहीं समाते थे .

    त्रिवेदी जी असीम ने सिर्फ अपने कार्टूनों की मार्फ़त सरकार को आइना दिखलाया है कि देखो तुमने देश की हालत आज क्या कर दी है .

    अशोक की लाट में जो तीन शेर मुखरित थे वह हमारे शौर्य के प्रतीक थे .आज उन तमाम शेरों को सरकार ने भेड़ियाबना दिया है .और भेड़िया आप जानते हैं मौक़ा मिलने पर मरे हुए शिकार चट कर जाता है .शौर्य का प्रतीक नहीं हैं .
    असीम त्रिवेदी ने अशोक की लाट में तीन भेड़िये दिखाके यही संकेत दिया है .

    और कसाब तो संविधान क्या सारे भारत धर्मी समाज के मुंह पे मूत रहा है ये सरकार उसे फांसी देने में वोट बैंक की गिरावट महसूस करती है .
    क्या सिर्फ सोनिया गांधी की जय बोलना इस देश में अब शौर्य का प्रतीक रह गया है .ये कोंग्रेसी इसके अलावा और क्या करते हैं ?

    क्या रह गई आज देश की अवधारणा ?चीनी रक्षा मंत्री जब भारत आये उन्होंने अमर जवान ज्योति पे जाने से मना कर दिया .देश में स्वाभिमान होता ,उन्हें वापस भेज देता .
    बात साफ है आज नेताओं का आचरण टॉयलिट से भी गंदा है .
    टॉयलट तो फिर भी साफ़ कर लिया जाएगा .असीम त्रिवेदी ने कसाब को अपने कार्टून में संविधान के मुंह पे मूतता हुआ दिखाया है उसे नेताओं के मुंह पे मूतता हुआ दिखाना चाहिए था .ये उसकी गरिमा थी उसने ऐसा नहीं किया .
    सरकार किस किसको रोकेगी .आज पूरा भारत धर्मी समाज असीम त्रिवेदी के साथ खड़ा है ,देश में विदेश में ,असीम त्रिवेदी भारतीय विचार से जुड़ें हैं .और भारतीय विचार के कार्टून इन वक्र मुखी रक्त रंगी लेफ्टियों को रास नहीं आते इसलिए उसकी शिकायत कर दी .इस देश की भयभीत पुलिस ने उसे गिरिफ्तार कर लिया .श्रीमान न्यायालय ने उसे पुलिस रिमांड पे भेज दिया .
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने .
    टॉइलेट पेपर पर भी अशोक चक्र तो क्या सरकार भी है गुनहगार ?
    SACCHAI
    AAWAZ

    " टॉइलेट पेपर पर जब सरकार खुद अशोक चक्र लगाती है तब वो क्यू नहीं कहेलाती देशद्रोही ? और क्यू नहीं दिखता उस "अशोक चक्र" मे देश के "संविधान का अपमान " ? कमाल है जब एक कार्टूनिस्ट सच्चाई बताता है देश की तो सरकार उस कार्टूनिस्ट को देशद्रोही करार देती है मगर टॉइलेट पेपर पर सरकार के द्वारा ही लगाए गए अशोक चक्र के लिए क्या काँग्रेस सरकार देश के रेलमंत्री को भी देश द्रोही करार देगी क्या ? "

    जवाब देंहटाएं
  2. कितनी बार किस किस ने नहीं कहा है -"संविधान नेताओं की भाषण में पवित्र पुस्तक है व्यवहार में रखैल."वरना शाहबानों के लिए संविधान अलग नहीं होता .इस संविधान में पहला क्षेपक ज़बरिया जोड़ा गया "सेकुलर ",अध्यादेश वोटों की गिनती बढाने के लिए इस या उस वर्ग को ध्यान में रखके बारहा जोड़ें गए नाम दिया गया फलाना संविधान संशोधन और कई मर्तबा संशोधन पहले किया गया राष्ट्रपति के दस्तखत बाद में करवाए गए ,इमरजेंसी की रात ऐसा ही हुआ .भला हो थेगलिया(थेग-ड़ी-नुमा पैबंद लगी सरकारों का )अब ऐसा जुल्म नहीं हो सकता .

    मकबूल फ़िदा हुसैन की नीयत ठीक नहीं थी वरना हिदू धर्म के प्रतीकों को अपमानित न करते सरस्वती -सीता किसको अगले ने छोड़ा .एक मोहम्मद साहब के कार्टून पर मुस्लिम जगत में आग लग जाती है .एक वर्ग नाराज़ हो जाएगा .साफ़ साफ़ कहने में फटती है दोगले लोगों की .

    शंकर के कार्टून प्रतीकात्मक रहें हैं किसी को अपमानित करने की मंशा उनकी कभी नहीं रही .और असीम त्रिवेदी ने तो यही कहा है भैया कसाब हिदू धर्मी समाज का मुंह चिढा रहा है .शेर का शौर्य नष्ट करके इस सरकार ने उसे भेड़िया बना दिया है.जो इस देश में शौर्य का प्रतीक कभी नहीं रहा .

    ऐसा न होता तो एंकाउन्टर स्पेशलिस्ट क़ी शहादत को कथित सेकुलर निशाने पे न लेते .

    क्या होता नहीं है भारत देश की अस्मिता के साथ गैंग रैप रोज़ -बा -रोज़ जब अफज़ल गुरु .कसाब और एक आम फांसी शुदा एक ही पंक्ति में एक ही माफ़ी (मर्सी )की कतार में होतें हैं .नम्बर गिना ,बतलाते हैं वक्र मुखी दिग -विजये.और ओसामा बिन लादिन के सफाए पर अमरीका को भी पाठ पढातें हैं -ओसामा जी को ,प्रत्येक मृत व्यक्ति को ,कफन सबको मिलना चाहिए .दो गज ज़मीं भी इनका बस चले तो भोपाल में ओसामा बिन लादेन की समाधि बनवा दें .यही सब कहतें हैं असीम के कार्टून .बधाई उनको .कितनी तेज़ बोलतीं हैं असीम की कार्टूनी तस्वीरें जिनके कान पे कभी जूँ नहीं रेंगती उन्हें सुनाई देने लगा .

    असीम ने किसकी भैंस खोल के बेच दी ?

    नेता तिहाड़ खोर क्या डायना सौर से कम हैं इस दौर में जिनका स्विस बैंक खाता दिन दूना रात चौगुना हो रहा है और बेटे जी उनके जिनके हाथ में खुद प्रधान मंत्रीका रिमोट है खुद प्रधान मंत्री बनने का खाब देख रहें हैं . बतलादें आपको खाता इंदिराजी के ज़माने से चला आरहा था .इस योरोपी महिला के नाम से शुरु हुआ था ,इंदिरा जी में एक ईमानदारी थी उन्होंने साफ़ कहा भ्रष्टाचार तो आलमी रवायत है ग्लोबल फिनोमिना है कभी खुद को "मिस्टर क्लीन " बतलाने की कोशिश नहीं की और सोनिया जी ने कितनी बार नहीं कहा भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हाथ आज सबके काले ही नहीं गरीब की जेब में हैं .नारा है कोंग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ .हकीकत में उसकी जेब में है .

    चोर पकड़ा जाता है रंगे हाथों सरकार कहती है पकड़ा गया तो क्या पहले बहस कराओ ,सबूत लाओ .कौन सी संसद का अपमान कर दिया असीम साहब ने वह जिसकी कोई साख ही नहीं बची है ?जो गंधाने लगी है नेताओं के भ्रष्ट आचरण से .

    इस सरकार के प्रधान मंत्री को तो विदेशी मीडिया भी पूडल कह चुका है .देसी लोगों की तो बात छोडिये .बुरा नहीं लगा हमें अन्दर से गो वह हमारे प्रधान मंत्री हैं.ऐसा क्यों हुआ .विचारणीय प्रश्न यह भी होना चाहिए .

    तो सवाल नीयत का है असीम की नीयत पे सवाल कुछ वक्र मुखी ही उठा सकतें हैं वही मामला भी कचहरी में ले गए थे .

    ये वही लेफ्टिए हैं जिन्होनें देश आज़ाद होने पर तिरंगे को मान्यता देने से इनकार कर दिया था .किस मुंह से यह तिरंगे के अपमान की बात कर रहें हैं .और वैसे भी इन रक्त रंगियों का आज नाम लेवा भी कौन रहा है ?

    बोलेगा तो बिंदास बोलेगा चाहो तो भैया जी मोडरेशन में डाल दो .

    आपने खुला विमर्श आमंत्रित किया आपका शुक्रिया .आपकी उम्र दराज़ हो .प्रोफ़ेसर बने आप जल्दी बा -रास्ता रीडर .

    वीरुभाई ,कैंटन (मिशगन ),यू एस ए .
    टॉइलेट पेपर पर भी अशोक चक्र तो क्या सरकार भी है गुनहगार ?
    SACCHAI
    AAWAZ

    " टॉइलेट पेपर पर जब सरकार खुद अशोक चक्र लगाती है तब वो क्यू नहीं कहेलाती देशद्रोही ? और क्यू नहीं दिखता उस "अशोक चक्र" मे देश के "संविधान का अपमान " ? कमाल है जब एक कार्टूनिस्ट सच्चाई बताता है देश की तो सरकार उस कार्टूनिस्ट को देशद्रोही करार देती है मगर टॉइलेट पेपर पर सरकार के द्वारा ही लगाए गए अशोक चक्र के लिए क्या काँग्रेस सरकार देश के रेलमंत्री को भी देश द्रोही करार देगी क्या ? "

    जवाब देंहटाएं
  3. कितनी बार किस किस ने नहीं कहा है -"संविधान नेताओं की भाषण में पवित्र पुस्तक है व्यवहार में रखैल."वरना शाहबानों के लिए संविधान अलग नहीं होता .इस संविधान में पहला क्षेपक ज़बरिया जोड़ा गया "सेकुलर ",अध्यादेश वोटों की गिनती बढाने के लिए इस या उस वर्ग को ध्यान में रखके बारहा जोड़ें गए नाम दिया गया फलाना संविधान संशोधन और कई मर्तबा संशोधन पहले किया गया राष्ट्रपति के दस्तखत बाद में करवाए गए ,इमरजेंसी की रात ऐसा ही हुआ .भला हो थेगलिया(थेग-ड़ी-नुमा पैबंद लगी सरकारों का )अब ऐसा जुल्म नहीं हो सकता .

    मकबूल फ़िदा हुसैन की नीयत ठीक नहीं थी वरना हिदू धर्म के प्रतीकों को अपमानित न करते सरस्वती -सीता किसको अगले ने छोड़ा .एक मोहम्मद साहब के कार्टून पर मुस्लिम जगत में आग लग जाती है .एक वर्ग नाराज़ हो जाएगा .साफ़ साफ़ कहने में फटती है दोगले लोगों की .

    शंकर के कार्टून प्रतीकात्मक रहें हैं किसी को अपमानित करने की मंशा उनकी कभी नहीं रही .और असीम त्रिवेदी ने तो यही कहा है भैया कसाब हिदू धर्मी समाज का मुंह चिढा रहा है .शेर का शौर्य नष्ट करके इस सरकार ने उसे भेड़िया बना दिया है.जो इस देश में शौर्य का प्रतीक कभी नहीं रहा .

    ऐसा न होता तो एंकाउन्टर स्पेशलिस्ट क़ी शहादत को कथित सेकुलर निशाने पे न लेते .

    क्या होता नहीं है भारत देश की अस्मिता के साथ गैंग रैप रोज़ -बा -रोज़ जब अफज़ल गुरु .कसाब और एक आम फांसी शुदा एक ही पंक्ति में एक ही माफ़ी (मर्सी )की कतार में होतें हैं .नम्बर गिना ,बतलाते हैं वक्र मुखी दिग -विजये.और ओसामा बिन लादिन के सफाए पर अमरीका को भी पाठ पढातें हैं -ओसामा जी को ,प्रत्येक मृत व्यक्ति को ,कफन सबको मिलना चाहिए .दो गज ज़मीं भी इनका बस चले तो भोपाल में ओसामा बिन लादेन की समाधि बनवा दें .यही सब कहतें हैं असीम के कार्टून .बधाई उनको .कितनी तेज़ बोलतीं हैं असीम की कार्टूनी तस्वीरें जिनके कान पे कभी जूँ नहीं रेंगती उन्हें सुनाई देने लगा .

    असीम ने किसकी भैंस खोल के बेच दी ?

    नेता तिहाड़ खोर क्या डायना सौर से कम हैं इस दौर में जिनका स्विस बैंक खाता दिन दूना रात चौगुना हो रहा है और बेटे जी उनके जिनके हाथ में खुद प्रधान मंत्रीका रिमोट है खुद प्रधान मंत्री बनने का खाब देख रहें हैं . बतलादें आपको खाता इंदिराजी के ज़माने से चला आरहा था .इस योरोपी महिला के नाम से शुरु हुआ था ,इंदिरा जी में एक ईमानदारी थी उन्होंने साफ़ कहा भ्रष्टाचार तो आलमी रवायत है ग्लोबल फिनोमिना है कभी खुद को "मिस्टर क्लीन " बतलाने की कोशिश नहीं की और सोनिया जी ने कितनी बार नहीं कहा भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हाथ आज सबके काले ही नहीं गरीब की जेब में हैं .नारा है कोंग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ .हकीकत में उसकी जेब में है .

    चोर पकड़ा जाता है रंगे हाथों सरकार कहती है पकड़ा गया तो क्या पहले बहस कराओ ,सबूत लाओ .कौन सी संसद का अपमान कर दिया असीम साहब ने वह जिसकी कोई साख ही नहीं बची है ?जो गंधाने लगी है नेताओं के भ्रष्ट आचरण से .

    इस सरकार के प्रधान मंत्री को तो विदेशी मीडिया भी पूडल कह चुका है .देसी लोगों की तो बात छोडिये .बुरा नहीं लगा हमें अन्दर से गो वह हमारे प्रधान मंत्री हैं.ऐसा क्यों हुआ .विचारणीय प्रश्न यह भी होना चाहिए .

    तो सवाल नीयत का है असीम की नीयत पे सवाल कुछ वक्र मुखी ही उठा सकतें हैं वही मामला भी कचहरी में ले गए थे .

    ये वही लेफ्टिए हैं जिन्होनें देश आज़ाद होने पर तिरंगे को मान्यता देने से इनकार कर दिया था .किस मुंह से यह तिरंगे के अपमान की बात कर रहें हैं .और वैसे भी इन रक्त रंगियों का आज नाम लेवा भी कौन रहा है ?

    बोलेगा तो बिंदास बोलेगा चाहो तो भैया जी मोडरेशन में डाल दो .

    आपने खुला विमर्श आमंत्रित किया आपका शुक्रिया .आपकी उम्र दराज़ हो .प्रोफ़ेसर बने आप जल्दी बा -रास्ता रीडर .

    वीरुभाई ,कैंटन (मिशगन ),यू एस ए .

    असीम,हुसैन और कमर पर तिरंगा लपेटने वाली माडल
    DR. PAWAN K. MISHRA
    पछुआ पवन (The Western Wind)

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  4. सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुति ।
    सार्थक पठनीय सूत्र ।
    आभार रविकर जी ।

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  5. हबीब काविशी साहब बेहतरीन नज्म पढवाई इतनी अदबी उर्दू (फ़ारसी )में .शुक्रिया ज़नाब का .
    ram ram bhai

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  6. पाँव पकड़ने की आदत जब लग जाती इसको
    आजीवन फिर मैल पाँव की खाता है जूता/ज़रूर चिरकुटिया सियासी जूता होगा .
    ram ram bhai
    मंगलवार, 11 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने

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  7. सार्थक चर्चा |१००० चर्चा के लिए बधाई |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

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  8. १००० वीं पोस्ट की बधाई,शास्त्री जी को भी और आप सभी चर्चाकारों को भी.
    इंशाल्लाह, ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहे.

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  9. हजारवीं पोस्ट पर सहस्त्रों बधाइयाँ, शुकामनाएँ
    इन्तजार करूँगी पाँच हजारवीं पोस्ट का...
    बधाई दूँगी..नज़र भी उतारूँगी...
    इसी बहाने मैं अपनी उम्र भी माँग रही हूँ
    कि पाँच हजार दिन और जीवित रहूँगी
    मेरी संग्रहित रचना यहाँ लाई गई
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढ़िया लिंक्स से सजी चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. भाई रविकर जी हजारी होने पर आपको हजार शुभकामनायें |

    जवाब देंहटाएं
  12. “ चर्चा मंच” – 1000 वें अंक की बधाई
    भाई “चर्चा– मंच ” पर , कल का अंक “हजार”
    और सुखद संयोग है , रविकर सँग बुधवार
    रविकर सँग बुधवार , देखिये क्या गुल खिलता
    दिन है बड़ा विशिष्ट , प्रतीक्षा !! क्या-क्या मिलता
    शुभ-अवसर पर“ रूप ” , खिलायें हमें मिठाई
    “कुछ मीठा हो जाय” , बधाई बहना भाई ||

    date 11.09.2012

    http://mitanigoth.blogspot.in/







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  13. मासूम साहब की सेहत के लिए दुआ करते हैं.
    1000 वीं पोस्ट मुबारक हो.

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  14. बहुत सुंदर !
    हजारवें अंक ने आज धूम मचाई है
    चर्चाकारों की मेहनत रंग लाई है
    बधाई है जी ढेर सारी बधाई है !

    जवाब देंहटाएं
  15. HAZARWI'N POST KE LIYE BADHAI...MASOOM SAHAB KE SWASTHY KE LIYE DUWAYEN....BEHTAREEN LINKS KE SANKLAN KE LIYE AABHAR

    जवाब देंहटाएं
  16. १००० वीं पोस्ट की बधाई.......
    बढ़िया चर्चा....

    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  17. चर्चा मंच के अंक की,गिनती हुई हजार,
    रविकर चर्चा कर रहे,आज दिन बुधवार

    आज दिन बुधवार,समर्थक नौ सौ बनकर
    गाफिल का रिकार्ड,टिप्पणियाँ 111 छपकर

    एक हजारी पोस्ट,आज का पढ़ लो पर्चा
    विर्क,शास्त्री,गाफिल,राजेश,रवि करते चर्चा,,,,,,

    १०००वी चर्चा पोस्ट करने की हार्दिक,,,बधाई शुभकामनाए

    जवाब देंहटाएं
  18. आदरणीय श्री राजीव जी एवं श्री रविकर जी का बहुत-२ साधुवाद, आभार राजीव जी ने मेरा परिचय कराया है है श्री रविकर सर ने उसे चर्चा मंच पर शामिल किया है. १००० वीं चर्चा है मैं ईश्वर से प्राथना करता हूँ की चर्चा मंच यूँ ही बढ़ता है जाए,

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  19. हजारिका की बधाई ...
    आज की चर्चा भी मस्त है ... बहुत से नए लिंक मिल गए ...

    जवाब देंहटाएं
  20. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स एवं प्रस्‍तुति

    जवाब देंहटाएं
  21. शानदार लिंक्स, बहुत से नए लिंक्स मिले। आभार मुझे शामिल करने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  22. चर्चा मंच की हजारवी प्रस्तुति पर हार्दिक बधाइयाँ. बस इसी तरह से चलाता रहे अपनी यात्रा को.
    --

    जवाब देंहटाएं
  23. १००० वि पोस्ट के लिए चर्चामंच से जुड़े हुए सभी मित्रों और पाठक गणों को शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई बहुत सुन्दर नूतन सूत्र संजोये हैं रविकर भाई बहुत बहुत बधाई चर्चामंच इसी तरह सब ऊँचाइयों को छूता रहे यही मंगलकामना है

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  24. आप भाग्यशाली हैं!
    1000वीं चर्चा आपके द्वारा सम्पन्न हो रही है!
    वाह क्या आँकड़ा है?
    समर्थक-901
    चर्चा मंच अंक-1000
    बधाई हो रविकर जी!

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  25. मासूम जी के शीघ्र स्वास्थ्यलाभ की कामना करता हूँ!

    जवाब देंहटाएं
  26. सूफी सन्तों से धनी, अपना प्यारा देश।
    सन्तों से निखरा हुआ, भारत का परिवेश।।

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  27. बिटिया की महिमा अनन्त है।
    बिटिया से घर में बसन्त है।।

    जवाब देंहटाएं
  28. अपने-अपने माप से नाप रहे हैं देश।
    भेद-भाव के साथ में, बिगड़ रहा परिवेश।।

    जवाब देंहटाएं
  29. मासूम साहब के लिये फिक्र है मैने फोन से बात की थी वह अब कुशल पूर्वक है. 1000 वी पोस्ट के लिये बधाई

    जवाब देंहटाएं
  30. जो सुख-दुख को बाँट ले, मित्र उसी का नाम।
    करे परोक्ष बुराइयाँ, वो साथी बदनाम।।

    जवाब देंहटाएं
  31. घोटालों के देश में, देशभक्त बदनाम।
    कलाकार को जेल का, मिलता है ईनाम।।

    जवाब देंहटाएं
  32. काम अब कोइ(कोई ) न आयेगा बस इक दिल के सिवा…अली सरदार जाफरी

    *

    काम अब कोइ(कोई ) न आयेगा बस इक दिल के सिवा,

    रास्ते बन्द हैं सब, कुचा(कूचा )-ए-क़ातिल के सिवा/बढ़िया प्रस्तुति .
    ram ram bhai

    जवाब देंहटाएं
  33. रविकार जी की टिप्पणी, होती लच्छेदार।
    लच्छेदार जलेबियाँ, होती हैं रसदार।।

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  34. मनु त्यागी जी ,कुछ का होना ही फूलों की तरह सुन्दर और सुकून भरा होता है -चाह नहीं में सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं .....एक फूल की अभिलाषा याद आ गई ...स्वभाव के बारे में भी आपकी सीख बहुत खूब रही आदमी अपना स्वभाव न छोड़े अपने आत्म स्वरूप में स्थित प्रग्य रहे ,वाह क्या बात है .

    छायांकन में आपने बहुत ही कोमल रंगों का इस्तेमाल किया है सारा कमाल केमरे की आँख नहीं आपके नयनों का है ,हैं न ये नैन बावरे ...
    ram ram bhai
    बुधवार, 12 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने .

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  35. ज़ुल्म की नई तहरीर लिखकर किताबों में
    शब्द 'बेटी'का क्यूँ वेहद विषैला कर दिया है

    फिज़ाओं में ज़हर के उन्नत बीज बोकर
    हवाले मौत के अब बेटिओं को कर दिया है


    शब्द 'बेटी'का माथे की सिकन अब हो गया
    वहशिओं ने कितना घुप अँधेरा कर दिया है ...........बेहद चुभन भरी व्यंजना ...बड़ा गर्क हो इन वाशियों का इनके पूत दिलवाएं इन्हें काशी करवट ,....
    ram ram bhai
    बुधवार, 12 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने .

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  36. हुज़ूर कई लोग तो अपने घर से ही नहीं निकलते ,(आत्म -विमुग्धता की स्थिति में रहतें हैं ,एक स्थिति को प्राप्त हो चुके अवस्थी हैं ये तमाम लोग- लुगाई ) कहें उन्हें : हवा लगाया करें खुद को (अपने ब्लॉग को ,टिपियाया भी करें अन्यत्र )वरना फंगस लग जायेगी .
    कोपलें फिर फूट आईं ,शाख पे कहना उसे ,
    वो न समझा है ,न समझेगा मगर कहना उसे .
    ram ram bhai
    बुधवार, 12 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने .

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    1. नजर लग जायेगी जनाब
      घूँघट की ओट में रहना अच्छा
      कहना हुआ तो बुदबुदा लिया
      लिखने की जहमत लेना नहीं अच्छा !

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  37. ईश्वर से यही कामना इस सेरिब्रल वैस्कुलर एक्सीडेंट (ISCHAMIC BRAIN ATTACK )से आप जल्दी उबरें .दिल को भी आइन्दा दुरुस्त रखना पडेगा ,दिलसे चलके ही खून का थक्का दिमाग तक पहुंचता है .अपने न्यूरोलोजिस्ट का सौ फीसद कहा माने .छ :महीने लग जायेंगे आपको उबरने में लेकिन आप स्वास्थ्य लाभ पूरा प्राप्त करेंगे ."मैं अब स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहा हूँ ....ठीक हूँ यही सोचें ...).
    बुधवार, 12 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने .

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  38. बहुत अच्छा रच रहें हैं अरुण शर्मा ,कविताओं में लय ताल के अलावा एक ताजगी विषय की प्रस्तुति की मिली कहीं कहीं दुष्यंत जी से प्रभावित दिखे .उसी तरफ जाना होगा .बधाई इस व्यक्तित्व और कृतित्व परिचय के लिए .दोनों को पोस्टकार को अरुण जी को .
    बुधवार, 12 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने .

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  39. चेहरा तो छिपा लिया तुमने
    पर आँखों का क्या करोगे
    अक्स सच्चाई का
    उनसे स्पष्ट झांकता |
    सब से छिपाया नहीं बताया
    अपने मन के भावों को
    कैसे छिपा पाओगे
    प्रेम के आवेग को
    गवाह हैं आँखें तुम्हारी
    उजागर होते भावों की |............ये आँखें ये रंगत सब कुछ कह रही है ....तेरी सुबह कह रही है तेरी रात का फ़साना .....देह की अपनी बड़ी सशक्त भाषा होती है जिसका मुख हमारी आँखें ही तो होतीं हैं ....यही है देह भाषा ,दैहिक मुद्रा ,दैहिक लिपि ,मानो या न मानो ...तुमने प्रेम किया है ....तुमने ही कहा था एक दिन -अगर तलाश करोगे ,कोई मिल ही जाएगा ,मगर वो आँखें हमारी ,कहाँ से लाएगा ?
    बुधवार, 12 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने .

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  40. एस. एम. मासूम साहब का Major Operation
    आप के शीघ्र स्वास्थ लाभ की कामना करते हुऎ खुदा से आपके लिये दुआ करते हैं !

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  41. vally of flowers .chamba , himachal , फूलो की घाटी ,​हिमाचल प्रदेश में
    Manu Tyagi
    yatra

    बहुत सुंदर संकलन है फूलों के चित्रों का मन्मोहक !

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  42. काल भैरव मंदिर जो कि भगवन शिव का क्रुद्ध अवतार है , इन्हें शराब का भोग लगता है , आश्चर्य की बात ये है , कि काल भैरव इसका सेवन करते हुए दिखाई पड़ते है , जब पुजारी एक प्याले में शराब डाल कर काल भैरव की मूर्ति के मुख के पास रखते है, तो प्याले में से मदिरा धीरे-धीरे ख़त्म हो जाती है !
    भाई साहब गणेश जी भी इस देश में दूध पी चुकें हैं ,अब लगता है भारत में अमीरों के स्वान और देवता ही दूध पीते हैं ,बच्चों को तो मिलता नहीं .ये पेटी कोट चेक करने की बात भी अजीब रही क्या आगे की सामिग्री भी चेक की जाती है .?आपने यिस यात्रा का सटीक विवरण मुहैया करवाया है हट्टे कट्टे सिल बट्टे साधू भी दिखलायें हैं ,सांस्कृतिक झांकी के नाम पर यहाँ क्या क्या होता है मन्दिर में तोपों की सलामी ,देवदासियां .....रोमांटिक खाऊ पीर पंडित जी ,शराब और घूंघट में शबाब ,कहीं भगवान् की नजर न लग जाए या भगवान् को भगतानी की नजर न लग जाए ..क्या कहना है भैरव जी का ....

    .इंडियन मीडिया सेंटर :उज्जैन यात्रा
    बुधवार, 12 सितम्बर 2012
    देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने .

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  43. हजारी होने की शुभकामनायें, बहुत ही सुन्दर सूत्र..

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  44. Anil Singh: Dhu-Dhu Kr Jlti Betiyan
    Aziz Jaunpuri
    Zindagi se muthbhed

    उम्दा !!

    ये तो कुछ कुछ ऎसा हो गया है
    जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना नहीं........

    जलाओ उन्हें पर रहे ध्यान इतना
    जलाने वाल फिर कोई बच ना पाये...

    आदमी जला भी दिया गया माना
    बात तो तब है जब कोई उसकी
    ये जलाने वाली आदत को जलाये
    फिर इस जहाँ में भूल से भी
    बेटी जल गयी कहीं कोई कह ना पाये !

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  45. टॉइलेट पेपर पर भी अशोक चक्र तो क्या सरकार भी है गुनहगार ?
    SACCHAI
    AAWAZ

    ये जो कर रहे हैं कर ही रहे हैं
    जो इनको डिफेण्ड कर रहे हैं
    उनको कोई भी तो नहीं कहीं
    हम आप सस्पेंड कर रहे हैं !!

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  46. सुंदर लिंक्स काफी पोस्ट देखीं, बची भी देखेंगे सराहेंगे टिपियाएंगे ।

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  47. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  48. आदरणीय रविकर जी को आज के इस १००० वें चर्चा मंच के लिए हार्दिक बधाई
    आदरणीय शास्त्री जी के सम्मान में लिखी गई रविकर जी की कुंडली से मै सौ प्रतिशत सहमत हूँ मै उन्हें धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने आदरणीय शास्त्री जी के महत्व को कुंडली में प्रदर्शित किया
    श्री एस.एम् मासूम साहब का मेजर आपरेसन ...दिल को धक्का लगा
    परन्तु उनके शीघ्र स्वास्थ के लिए उठे सभी के उदगार और प्रार्थना ने द्रवित कर दिया
    नए ब्लॉगर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अल्लेह की गजल पढ़ कर सिर इबाबत के लिए झुक गया
    अनिल सिंग की धू धू कर जलती बेटियाँ ने मन में उन लोगों के लिए आक्रोश भर दिया जो बेटिओं पर जुल्म ढा ते है उन्होंने सही लिखा है
    बस इक गुज़ारिश यह है मेरी जम्हूरियत से
    जलाते बेटिओं को जो उनको जलाना जरूरी हो गया है

    टा ई लेट पेपर में अशोक चक्र ...से उठती आवाज को सलाम मै उनका समर्थन करता हूँ
    अमित्र कुतो सुखं
    स्पंदन
    मित्र के महत्व पर आपका दृष्टान्त बहुत ही अच्छा लगा
    रहीम शेख की तपेदिक कथा अत्यंत मार्मिक है
    आगे पढने की इक्षा प्रबल हो गई
    कबीरा खड़ा बाजार में उद्धृत किये गये

    आज भारत के लोग बहुत उत्तप्त हैं .वर्तमान सरकार ने जो स्थिति बना दी है वह अब ज्यादा दुर्गन्ध देने लगी है .इसलिए जो संविधानिक संस्थाओं को गिरा रहें हैं उन वक्रमुखियों के मुंह से देश की प्रतिष्ठा की बात अच्छी नहीं लगती .चाहे वह दिग्विजय सिंह हों या मनीष तिवारी या ब्लॉग जगत के आधा सच वाले महेंद्र श्रीवास्तव साहब .
    असीम त्रिवेदी की शिकायत करने वाले ये वामपंथी वहीँ हैं जो आपातकाल में इंदिराजी का पाद सूंघते थे .और फूले नहीं समाते थे ..............
    पूरा का पूरा विवरण क्रांतिकारी कडुवा सच है

    अंधड –देश द्रोहियों को पहना रहे है ताज

    लग गई किसकी नजर, वीरों की पावन भूमि पर,
    आखिर हो क्या गया आज, इस कम्वक्त वक्त को !
    अन्याय के इक नाम पर ही, खौलता था जो कभी,
    नैतिक पतन के इस दौर में,क्या हुआ उस रक्त को!
    आक्रोश ही आक्रोश है ...और होना भी चाहिए
    पी.सी.गोदियाल "परचेत" हार्दिक बधाई
    न जाने क्या-क्या खोया ?
    और क्या-क्या पाया है, आपकी याद में ...
    दर्द भरी रचना बहुत अच्छी लगी
    आदरणीय रविकर जी के द्वारा रचे इस कुंडली में छुपी अद्भुत प्रशंसा के आगे हम नतमस्तक है
    दारुण दोहा दत्तवर, दिया दाद दिल-दाध ।
    अरुण अशठ अमरीश अध , अवली असल अबाध ।
    अवली असल अबाध, पुन: रोला जुड़ जाते ।
    चढ़ा करेला नीम, देख रविकर घबराते ।
    युगलबंद हो बंद, सुनो स्वर रविकर कारुण ।
    हे आयोजक वृन्द, घटाओ लेबल दारुण ।।


    अरुण भाई की भी कुंडली बहुत उम्दा है आपके उन भावों को नमन जिन भावों को आपकी कुंडली साध रही है
    सिर्फ दृष्टि भ्रम एक, अरुण का उगना ढलना
    लेकिन यह सत्कर्म , धर्म है रवि का जलना
    बहुत बढ़िया लगे......उत्कृष्ठ रचना
    आदरणीय शास्त्री जी आपने इस कविता के माध्यम से कविता के लिखे जाने पर बहुत ही सटीक कहा है आपको बहुत बहुत बधाई
    चूहा-बिल्ली, पिल्ला-पिल्ली से लगते हैं काले अक्षर।
    इसी लिए तो कहते हैं जी काला अक्षर भैंस बराबर।।
    मुकेश पांडे चन्दन जी ने अपनी उज्जैन यात्रा का बहुत रोचक वृतांत दिखाया और सुनाया बहुत बढ़िया लगा
    केवलराम चलते चलते
    बुराई कभी ख़राब नहीं होती ,
    ना समझने वाला ख़राब होता है .
    मुनासिब सवाल का जबाब मिलना ,
    मुबारक है जरुरी नहीं..
    सवाल का जबाब ना मिलना भी
    एक जबाब होता है .
    सही कहा है सवाल जब किसी से भी पूछा जाये जरुरी नहीं हमें उसका उत्तर भी मिल जाये , और जिस सवाल का उत्तर आपको मिल जाये फिर तो आपकी सारी जिज्ञासा ही शांत हो जाये
    बहुत मजेदार लगी
    रजनी मलहोत्रा नैय्यर
    आ गये घर जलने वाले हाथो में मरहम लिए ...उम्दा रचना है करारा व्यंग
    आदरणीय धर्मेन्द्र सिंह जी की जुटा जूता पे लिखी गजल पर उन्हें दाद ही दाद है
    जूता जैसे विषय पर इतना गहन चिंतन विरला ही कर सकता है
    आदरणीय बहुत बहुत बधाई

    समय सृजन में गजल भी लाजवाब है
    काम अब कोइ न आयेगा बस इक दिल के सिवा

    रास्ते बन्द हैं सब कुचा-ए-क़ातिल के सिवा
    आदरणीय रविकर जी पुनः बधाई

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