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शुक्रवार, दिसंबर 28, 2012

""आओ नूतन वर्ष मनायें"" (चर्चा मंचः1107)

मित्रों!
                   शुक्रवार की चर्चा के चर्चाकार आदरणीय रविकर जी अगले सप्ताह से अपनी चर्चा में नियमित हो जायेंगे। आज उनके स्थान पर आपका यह नाचीज ही शुक्रवार की चर्चा में अपनी पसंद के कुछ लिंक आप सबके अवलोकनार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ!
"आओ नूतन वर्ष मनायें"
happy_NEWyEAR

अपना देश महान बनायें।
आओ नूतन वर्ष मनायें।।
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सुबह सुबह ही अखबार के फ़्रंट पेज पर दिल्ली गैंग रेप पर यह खबर पढकर मन ग्लानि से भर गया. मध्यम प्रदेश यानि मध्य प्रदेश महिला दुष्कर्मों में अब्बल क्यों है? ...
नए ब्लॉग की शुरुआत के लिए कुछ टिप्स
जब एक नया ब्लोगर ब्लोगिंग के मैदान में आता है ,तो एक बारगी उसे कुछ समझ नही आता की क्या करना है कैसे करना है। इसकी तैयारी कैसे करनी है। फिर ऐसे में कोई यारो मददगार नही मिले तो काफी परेशानियों का सामना रहता है। मै कोशिश करूँगा की ब्लॉग की शुरूआती दिनों के लिए कुछ टिप्स दे सकूं। ताकि एक नए ब्लोगर के लिए मददगार साबित हों। एक बात का ख्याल रखें की नए ब्लोगर के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी तो यही होता है की वो ब्लॉग सम्बन्धी टिप्स को ध्यान से पढ़े ,उन्हें समझने की कोशिश करे। और उनके मुताबिक अपने ब्लॉग को ढाले। ताकि सही मायनो में उसका ब्लॉग लोगों के सामने आ सके। मै स्टेप बाय स्टेप आपको बताता हूँ ...
कोढ़ियों के मिस्ल होगा यह समाज
ग़ाफ़िल की अमानत

ज़ुल्मो-सितम को ख़ाक करने के लिए,
लाज़िमी है कुछ हवा की जाय और।
उस लपट की ज़द में तो आएगा ही;
चोर या कोई सिपाही या के और।।
यह ऊना जिले में नारी गांव के पास स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्‍थल है जो ऊना से 10 किमी. की दूरी पर बना हुआ है। यह मंदिर हिंदू धर्म के भ्रगवान शिव के...
खड़ा मैं कब से समुन्दर के किनारे, देखता हूँ अनवरत, सब सुध बिसारे । काश लहरों की अनूठी भीड़ में अब, कोई पहचानी, पुरानी आ रही हो । कोई हो जो कह सके, मत जा...
थर्रा गये मंदिर ,मस्जिद ,गिरिजा घर * *जब कर्ण में पड़ी मासूम की चीत्कार * *सहम गए दरख़्त के सब फूल पत्ते * *बिलख पड़ी हर वर्ण हर वर्ग की दीवार
याद करना याद आना, जिंदगी तेरे हवाले, छोड़ दो या मार जाना, प्यार तेरा बंदगी है, आज है तुझको बताना, चाहते हैं लोग सारे, दाग से...
पृथ्वी का पहला व्यक्ति
मैने जब पृथ्वी पर पहला पग रखा
सौन्दर्याचारी बना- मां का मुंह निहार
फिर बना लोभाचारी-अच्छे स्वादिष्ट भोजन,
सुस्वादिक वह सब कुछ जिससे पेट भरता हो
तभी प्रेम के अंकुर उगने लगे
मैंने जब धरती पर प्रथम पग रखा
बनाये कितने सारे मित्र, सखा
मां के प्रथम चुम्बन से मेरे भीतर पैदा हुई
नई शक्ति और वही मेरे अस्तित्व का औदार्य
मरे मिले करोड़
My Photo
Rahul Upadhyaya
जितनी लम्बी चादर हो
उतने ही पांव पसार
यहीं पाठ पढ़ाया गया
जीवन में हर एक बार
पाई पाई गिन के
जब जब पाई पगार…
पाखी की दुनिया

दो साल दो महीने की हो गईं अपूर्वा - ये हैं हमारी सिस्टर अपूर्वा। आज 27 दिसंबर, 2012 को पूरे दो साल दो महीने की हो गईं। अब चीजों को समझने लगी हैं और खूब जिद भी करने लगी है…
बच्चों का कोना

सेंटा क्लॉज़ का इंतज़ार है -जब क्रिसमस त्यौहार है आता, खुशियाँ छा जाती हैं मन में. जगमग करता है घर सारा, क्रिसमस ट्री सजता आँगन में. तरह तरह के केक हैं बनते, जिनको मिलजुल कर खाते….
बाल सजग
शीर्षक : ग्रामीण महिला और अधूरे सपने - ग्रामीण महिला और अधूरे सपने एक अदद जहाँ घूमने की आजादी मिल जाए अगर । सपनो की दुनिया बसाने की एक राह मिल जाए अगर
काजल कुमार के कार्टून

कार्टून :- कि‍सी को अंधा ना कीजौ सावन में

yatra (यात्रा ) मुसाफिर हूं ..............

कुदरत के नजारे और ये अदभुत मंदिर का दृश्य - ये फोटो बैजनाथ मंदिर के पास फूलो की क्लोजअप फोटो लेने के दौरान लिया गया है । मंदिर तक पहुंचने से पहले जो थोडा सा रास्ता है ...

अपनों का साथ

मैं एक नारी हूँ
*Artist*....Ameeta Verma हे!सखा कृष्ण मैं एक नारी हूँ , आत्मा हूँ हर युग की मैं एक चुनौती-एक आवहान हूँ…
साहित्य प्रसून
मेरी पुस्तक 'ठहरो मेरी बात सुनो' में एक ताज़ा सामयिक परवर्धन- 'माता की पुकार' (व्याजोक्ति) -भारत की गरिमा कई बार भंग हो चुकी है | पर अब तो हद हो गयी है | इतना घिनौना काण्ड, 'पशुता' का 'मानवता' पर आक्रमण ! सीधे तरीके से फैसला ...
BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN
दिया ह्रदय में रख दूंगा 
 दिया ह्रदय में रख दूंगा मन में मेरे जो आएगा लिख कर उसको रख दूंगा चाह नहीं कुछ नाम कमाऊँ दिया ह्रदय में रख दूंगा ! घर में मेरे जो आएगा मान दिए खुश कर दूंगा...
डॉ अनीता शुक्ला का घटिया और वाहियात बयान --- - कृषि अनुसंधान केंद्र की वैज्ञानिक और लायंस क्लब की अध्यक्ष कृषि अनुसंधान केंद्र की वैज्ञानिक और लायंस क्लब की अध्यक्ष डॉ अनीता शुक्ला का घटिया और वाहियात बयान... शिप्रा की लहरें
किं-बहुना !
तुमने जो भी दिया ,निबाहा क्षमता भर ,धर सिर-आँखों पर , ले इतना विश्वास , कि मेरी लज्जा-मान तुम्हीं रक्खोगे! - मेरी त्रुटियाँ ,दुर्बलताएँ,मेरे मति-भ्रम ,मेरे...
***कम्बल वितरण का दौर***
Hindi Bloggers Forum International (HBFI)
जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है , पारा गिर रहा है वैसे-वैसे कई सामाजिक संस्थानों और सरकार द्वारा कम्बल वितरण का दौर बढ़ते जा रहा है । अख़बारों में फोटो के साथ ख़बरें आ रही है कि अमुक संस्था ने इतने कम्बल बनते, फलाना ने इतने कम्बल दिए । पर ध्यान देने वाली बात ये है कि इनमे से ज्यादातर परोपकार कम और नाम कमाने और वाह-वाही लूटने का भाव ज्यादा रहता है । जो कम्बल गरीबों को दिया जाता है वह बड़ा ही निम्न कोटि का होता है और जिसे भी खरीदने की जिम्मेदारी दी जाती है वो अपने स्तर से घोटाला करने में कोई कसर नहीं छोड़ता । 200 रुपय्ये का समान लेके 600 का बिल जरुर बनवा लेता है । कम्बल लेने वाले लाभुक भी…
'शशि'-एक आम स्त्री का प्रतिबिम्ब
Vyom ke Paar...व्योम के पार
शुक्रवार की शाम को  मेरी सहेली हेमा  का फोन आता है- भाभी जी ,आप ने 'इग्लिश- विन्ग्लिश' देखी? नहीं ,पता नहीं क्यों हेमा  ,मुझे पुरानी  श्रीदेवी पसंद है उनका नया लुक टोलरेट नहीं हो रहा, इसलिए देखने नहीं ग
सिर्फ़ एक झलक दिखा जाओ
एक प्रयास
सुना है कान्हा निधि वन मे रास रचाते हैं गोपियों को नाच नचाते हैं मै गोपी बन कर आ गयी मुझे मिले ना श्याम मुरारी मेरी चुनर रह गयी कोरी श्याम ने खेली ना प्रीत की होरी ललिता से प्रीत बढाते हैं राधा संग पींग बढाते हैं हर गोपी के मन को भाते हैं पर मुझसे मूँह चुराते हैं और मुझे ही इतना तडपाते हैं ये कैसा रास रचाते हैं जिसमे मुझे ना गोपी बनाते हैं मेरी प्रीत परीक्षा लेते है पर अपनी नही बनाते हैं और मधुर मधुर मुस्काते हैं अधरों पर बांसुरी लगाते हैं मुझे ना बांसुरी बनाते हैं सखि री वो कैसा रास रचाते हैं मुझे मुझसे छीने जाते हैं पर दूरी भी बनाते हैं पल पल मुझे तडपाते हैं उर की पीडा को बढाते हैं
ज्ञान दर्पण

अखबारों की सुर्खिया कहती है
तुम्हारे थोड़े से राशन बचाने से ,बच नहीं जाएगी उसकी लाज टूट पड़ेगा गिद्ध सा , घर से भूखा निकला हैं वो आज ये क्या बचकानी हरकते करती हो तुम…?
आर्यावर्त
नव-वर्ष मे एक चिन्तन यह भी
समय-चक्र की गतिशीलता के कारण प्रकृति की स्वतः परिवर्तन प्रक्रिया के परिणामस्वरूप हम वर्ष 2013 के समय-काल मे पहुंच चुके हैं। आईये, नव-वर्ष मे हम सब मिल कर ..

चित्रात्मक--कहानी सोनू चिड़िया
JHAROKHA

*सोनू चिड़िया और रुपहली दोस्त थीं। दोंनों पेड़ों पर फ़ुदक रही थीं।तभी सोनू को **एक पेड़ पर एक बहुत सुन्दर रंग बिरंगा फ़ल दिखा।* *सोनू बोली,“मैं ये फ़ल खाऊंगी।”* *उसकी प्यारी दोस्त सुनहरी ने बहुत समझाया।मना किया।

Madhu Singh: Kuch To Karo
Benakab

* * * कुछ तो करो* पास बैठो मेरे,कोई शरारत करो नफ़रत करो या मोहब्बत करो न डूबें कहीं हम भँवर में अकेले साथ जीने की कोई सूरत करो चुप न हो, तुम यूँ हीं बैठी रहो कोई खंजर चलाओ शरारत करो छलक जाएँ न आँखों से आँसूं कहीं इन्हे तुम छुपाने की हिम्मत करो कहीं खो न जाए मंजिल तुम्हारी मोहब्बत की अपनी हिफाज़त करो ...
State VS people
कबीरा खडा़ बाज़ार में

State VS people Battle of India Gate raises questions यह थेन मन चौक की घटना नहीं है जहां युवा विरोधियों पर टेंक चढ़ा दिए गये थे न यह मिश्र के कैरों के तहरीर स्क्वायर का दमन चक्र है जहां प्रजातांत्रिक विरोध को बर्बरता पूर्वक ख़ट खट करते बूटों ने रौंद डाला था .यह किस्सा है भारत के प्रतीक इंडिया गेट का जहां शान्ति पूर्वक दिल्ली रेप की जां बाज़ युवती निर्भय को बर्बरता पूर्वक अपराध तत्वों द्वारा रौंदे जाने के बाद लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे थे . गणतंत्र दिवस के प्रतीक खम्बों को(जो आगामी गणतंत्र दिवस के लिए खड़े किए गएँ हैं ) उखाड़ कर युवा भीड़ ने जला डाला था शायद ..
दिमागी तौर पर ठस रह सकती गूगल पीढ़ी
कबीरा खडा़ बाज़ार में

दिमागी तौर पर ठस रह सकती गूगल पीढ़ी जहां तक स्वयं करके सीखने का सवाल है व्यवहारिक हुनर का सवाल है हर चीज़ के लिए हर जानकारी के लिए कंप्यूटर बैशाखी का सहारा लेने वाली गूगल जेनरेशन बेतहाशा पिछड़ सकती है दिमाग ठस हो सकता है इस गूगल बाबा की ऊंगली थाम चलने वाली पीढ़ी का . यह कथन और प्रागुक्ति है मशहूर ब्रितानी अन्वेषक ट्रेवोर बय्लिस का जिन्हें' वाइंड अप रेडिओ 'के आविष्कार के लिए जाना जाता है . कंप्यूटर मानीटर्स के आगे अधिकाधिक रहने वाली पीढ़ी अपनी रचनात्मकता ,काल्पनिक उड़ान भूलती जा रही है

पर्यावरण --हाइगा में
हिन्दी-हाइगा

वर्ष २०१२ बस खत्म होने ही वाला है...नए वर्ष में भी पर्यावरण की सुरक्षा ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए...दूषित पर्यावरण के कुछ दुष्परिणामों पर नजर डालते हैं और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के संकल्प के साथ नये वर्ष की शुरुआत करते हैं... नव वर्ष मंगलमय हो...अनंत शुभकामनाएँ
मौन ही होता जहाँ अभिषेक !!!
SADA
SADA
मेरी खामोशियों को देख शब्‍द आपस में कानाफूसी करते हैं इन दिनो अपने-अपने क़यास लगाते जुबां कुछ कहने को तैयार नहीं मन अपनी धुन में हर वक्‍़त शून्‍य में विचरता आखिर वज़ह क्‍या है ?? ...
Hindi :: MyWebdunia
प्रेरणा!!सुभाष बुड़ावनवाला - इतिहास के अनुभवों से हम सबक नहीं लेते इसलिए...-इतिहास के अनुभवों से हम सबक नहीं लेते इसलिए उसकी पुनरावृत्ति होती है।विनोबा-जिसकी आत्मा पवित्र हो वहीं ऊंचा ...
मयंक

"पुस्तक समीक्षा-लक्ष्य"
लक्ष्य को न भुलाने की परिणति है लक्ष्य…
परिकल्पना

भावों का परिचय - शाँत सागर में बेचैन लहरें...साहिल तक आतीं, हमारे पाँवों से लिपट लिपट जातीं..फिर लौट जातीं चुपचाप..छोड़ अपने वजूद की निशानी..रेत पर आडी-तिरछी लक़ीरें…
कर्मनाशा

स्वप्न , यथार्थ और कविता का गेंदा फूल
'शीतल वाणी' पत्रिका का उदय प्रकाश पर केन्द्रित विशेष अंक किसी तरह डाक की सेवा में घूमता - भटकता -अटकता हुआ मिल (ही) गया…


मेरी कविता
ख्वाब क्या अपनाओगे ? - प्रत्यक्ष को अपना न सके, ख्वाब क्या अपनाओगे; बने कपड़े भी पहन न पाये, नए कहाँ सिलवाओगे | दुनिया उटपटांगों की है, सहज कहाँ रह पावोगे, हर हफ्ते तुम एक ...
जाले
मातृ देवो भव: - सीकर के नजदीक गाँव में रहने वाली एक गरीब विधवा, रतनी बाई, ने मेहनत मजदूरी करके अपने इकलौते बेटे हरिलाल को हाईस्कूल तक पढ़ाया और रिश्तेदारों की सलाह पर उसे...
धान के देश में!
अगर ब्लोगवाणी चाहे तो आज भी फिर से हिन्दी ब्लोगिंग में जान फूँक सकती है - और किसी को लगे, न लगे, पर मुझे लगता है कि हिन्दी ब्लोगिंग की प्राणशक्ति बेहद कमजोर हो चुकी है, इसके पीछे कारण यही लगता है कि हिन्दी ब्लोगिंग के लिए अच्छे एग्रीगेटर...
विचार
तेरी याद सताए
तेरी याद सताए *खिले धूप**, **यदि छटे कुहासा* *फिर बगिया लहराए**,* *देखें जब हरियाली अंखियाँ* *रूप तेरा मन आये**,* *सरदी के इस मौसम में अब* *तेरी याद सताए।*...
काव्यान्जलि ...

नववर्ष की बधाई,,, - *2013* *नववर्ष की बधाई,* * * साल बीत गया दुख में,कोई खुशी नही पाई, नया साल सुखमय गुजरे,नववर्ष की बधाई! 2012 बीत रहा, क्या खोया क्या पाया...
takniki gyan

कमाल का सॉफ्टवेर Atube Cather.......... - दोस्तों आज मैं आप लोगों के लिए एक बेहतरीन सॉफ्टवेर लेकर आया हूँ..... इस सॉफ्टवेर से आप किसी भी विडियो शेरिंग वेबसाइट से विडियो डाउनलोड कर सकते है।, साथ...

''राम! अब आ ही जाओ''

''त्रेता में तो कर दिया था संहार उसका
कैसे बढ़ा  कलियुग में परिवार उसका
मैं तो हूँ एक,फिर कैसे हो संहार सबका
कर सकूंगा फिर से क्या उद्धार सबका?''…
तो फिर...
मेरी आंखों में आंसू,
फिर भी लवों पे मुस्‍कान क्‍यूं है,
जिन्‍दगी जीते हैं हम,
फिर भी हर कोई परेशान क्‍यों है,
गुलशन है अगर सफर जिन्‍दगी का
तो फिर .......
मेरी कविताओं का संग्रह
अब और सहन नहीं होता है
अब और सहन नहीं होता है देख इस देश की हालत उस दिन अखबार मैं इस कड़क ती ठंड मैं पसीने की बूंद भी खून बन गई एक बेटी , बहन की इज्जत तार
अशोकनामा

एक बात तो बताओ 
एक बात तो बताओ तुम्हारे पास अंग्रेज़ों के दिए संस्कार हैं अंग्रेज़ों के ज़माने का कानून तुम्हारे पास है अनगिनत झूठे केस तुम बना चुके हो लेकिन...
आज के लिए बस इतना ही…!

25 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन लिंक्स...सुन्दर चर्चा...हाइगा शामिल करने के लिए आभार !!

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  2. कई रंग लिए चर्चा है आज की |
    आशा

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  3. बहुत ही सुन्दर सूत्र संकलित किये हैं।

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  4. सुंदर चर्चा शास्त्री जी , नूतन वर्ष चर्चा मंच के सभी चर्चाकारो एवं पाठको के लिये मंगलमय हो

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  5. बहुत सारे अच्छे लिंक के साथ सुन्दर चर्चा !!

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  6. इन्हें तो आराम से बैठकर ध्यान से पढ़ना पड़ेगा.'किंबहुना 'चुनने हेतु आभार!

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  7. आज की चर्चा में शास्त्री जी की मेहनत साफ़ झलक रही है। इतने सारे लिंक्स का इस तरह खूबसूरती से संयोजन करना 10 ,20 मिनट का काम तो नही है। आपकी पूरी टीम ही काबिले तारीफ़ है ,आज के इस दौड़म भाग के दौर में भी आप लोग चर्चा सजाने के लिए अपना कीमती समय निकाल ही लेते हैं।

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  8. आदरणीय शास्त्री सर सुन्दर लिंक्स सजाये हैं आज की चर्चा में मेरी रचना को स्थान देने हेतु आपका अनेक-२ धन्यवाद सादर

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  9. आज की चर्चा बहुत ही बढ़िया रही । सभी लिंक्स बेहतर । कईयों पे हो भी आया तब यहाँ टिपण्णी कर रहा हूँ ।

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  10. बहुत सुन्दर लिंक्स...रोचक चर्चा...आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. सुन्दर प्रस्तुति,
    जारी रहिये,
    बधाई !!

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  12. लूले-लंगढ़े, अंधे-बहरे, गूंगे सत्ताधारियों से सुरक्षा की
    अपेक्षा न करते हुवे अपनी सुरक्षा स्वयं करें.....

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  13. बहुत सुन्दर लिंक्स....आज की चर्चा में मेरी रचना को स्थान देने हेतु आपका अनेक-२ धन्यवाद सादर...........

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  14. बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

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  15. 'चर्चा मंच'सभी कवियों की बढ़िया 'चौपाल'|
    जहाँ बैठ कर 'काव्य-रत्न'से होते सभी निहाल ||

    जवाब देंहटाएं
  16. ,मन पे काबू रखो ,निर्भया बनो ! वर्ष 2012 ने जो चिंगारी छेड़ी है अन्ना जी से निर्भया तक ,जब अकेली जान आधी दुनिया की पूरी तथा इंसानियत की लड़ाई लड़ सकती है मौत को

    धता बता सकती है तब एक फर्ज़ हमारा

    भी है सेकुलर वोट की बात करने वालों को हम भी मुंह की चखाएं .

    ,शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .


    छलक जाएँ न आँखों से आँसूं कहीं
    इन्हे तुम छुपाने की हिम्मत करो

    कहीं खो न जाए मंजिल तुम्हारी
    मोहब्बत की अपनी हिफाज़त करो

    आंधियाँ जोर की हैं अब चलने लगी
    दो कदम अब चलो,बस इबादत करो

    मंजिल तो है अब तेरे कदमो तले
    सिर्फ बाँहों में भरने की चाहत करो

    संग्रह करें इन प्यार के ज़ज्बातों का ,सफर में रातें अँधेरी भी आयेंगी .हौसला रख आगे बढ़

    अभी तो और भी रातें सफर में आयेंगी ,

    चरागे शब मेरे महबूब संभाल के रख .


    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    शुक्रवार, 28 दिसम्बर 2012
    एक ही निर्भया भारी है , इस सेकुलर सरकार पर , गर सभी निर्भया बाहर आ गईं , तब न जाने क्या होगा ?

    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    Madhu Singh: Kuch To Karo

    Benakab

    * * * कुछ तो करो* पास बैठो मेरे,कोई शरारत करो नफ़रत करो या मोहब्बत करो न डूबें कहीं हम भँवर में अकेले साथ जीने की कोई सूरत करो चुप न हो, तुम यूँ हीं बैठी रहो कोई खंजर चलाओ शरारत करो छलक जाएँ न आँखों से आँसूं कहीं इन्हे तुम छुपाने की हिम्मत करो कहीं खो न जाए मंजिल तुम्हारी मोहब्बत की अपनी हिफाज़त करो ...

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  17. 'चर्चा मंच'सभी कवियों की है बढ़िया 'चौपाल'|
    जहाँ बैठ कर 'काव्य-रत्न'से होते सभी निहाल ||

    जवाब देंहटाएं
  18. "आओ नूतन वर्ष मनायें"



    अपना देश महान बनायें।
    आओ नूतन वर्ष मनायें।।

    सब रंग समेटे हुए है आज का चर्चा मंच .सुख के विषाद के ,मोहब्बत के हौसले की परवाज़ के .बधाई ,संकल्प नव वर्ष के .

    जवाब देंहटाएं
  19. मन पे काबू रखो ,निर्भया बनो ! वर्ष 2012 ने जो चिंगारी छेड़ी है अन्ना जी से निर्भया तक ,जब अकेली जान आधी दुनिया की पूरी तथा इंसानियत की लड़ाई लड़ सकती है मौत को

    धता बता सकती है तब एक फर्ज़ हमारा

    भी है सेकुलर वोट की बात करने वालों को हम भी मुंह की चखाएं .

    ,शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .


    छलक जाएँ न आँखों से आँसूं कहीं
    इन्हे तुम छुपाने की हिम्मत करो

    कहीं खो न जाए मंजिल तुम्हारी
    मोहब्बत की अपनी हिफाज़त करो

    आंधियाँ जोर की हैं अब चलने लगी
    दो कदम अब चलो,बस इबादत करो

    मंजिल तो है अब तेरे कदमो तले
    सिर्फ बाँहों में भरने की चाहत करो

    संग्रह करें इन प्यार के ज़ज्बातों का ,सफर में रातें अँधेरी भी आयेंगी .हौसला रख आगे बढ़

    अभी तो और भी रातें सफर में आयेंगी ,

    चरागे शब मेरे महबूब संभाल के रख .


    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    शुक्रवार, 28 दिसम्बर 2012
    एक ही निर्भया भारी है , इस सेकुलर सरकार पर , गर सभी निर्भया बाहर आ गईं , तब न जाने क्या होगा ?

    http://veerubhai1947.blogspot.in/

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  20. सुन्दर लिंक्स,चर्चामंच में मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत२ आभार,,,शास्त्री जी,,,

    जवाब देंहटाएं
  21. Sir,Bahut achchhe links ke sath aaj ki charcha bahut sakaratmak aur achchhi lagi...prastuti bhi bahut shandar hai...hardik badhai..mujhe bhi shamil karne ke liya abhar......
    Poonam

    जवाब देंहटाएं
  22. shashtri ji aapka aabhar meri rachna ko chunne ke liye aabhar
    sunder rachnae
    www.shuruaathindi.org

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  23. अच्छे लिंक्स मिले.बहुत-बहुत आभार .
    नववर्ष की शुभकामनाएँ.

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