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शुक्रवार, नवंबर 30, 2012

पर दिमाग अति-क्लिष्ट, नेक दिल को भरमाया : चर्चा मंच 1079




डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)  

1

भारत में चमका था विज्ञान का सूर्य

lokendra singh 


2

हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

डॉ शिखा कौशिक ''नूतन ''  


3

गीता (भाग 1) : क्यों ?

tarun_kt  


4

"गंगास्नान मेला, झनकइया-खटीमा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) 


5

रक्त या लार की एक बूँद ही काफी है मलेरिया की शिनाख्त के लिए

Virendra Kumar Sharma 


  6

मनन-सुख 

Prarthana gupta 

"सुख"...... आखिर है क्या ये बला ??...इसे कैसे परिभाषित किया जाये ?..या कैसे समझा जाये ??? या कैसे पाया जाये ???....और हम सुखी कैसें हों ??...या सुख कि प्राप्ति कैसे हो ???

7

कामशक्ति बढ़ाने बाले सुन्दर सुन्दर योग

GYanesh Kumarat 


8

ग़ज़लगंगा.dg: काटने लगता है अपना ही मकां शाम के बाद

devendra gautam 


9

पूँजीवादी विकास भूत के पांव की तरह

रणधीर सिंह सुमन 


10

कला की एकांत साधिका- सुश्री साधना ढांढ

Sanjeeva Tiwari 



11

एक सवाल...!

डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन' 

12

क्या लिखूँ पता न था,

त्रिवेणी 
*डॉ सुधा गुप्ता



13

मच्‍छर की मौत लाइव रिपोर्टिंग

Kulwant Happy "Unique Man" 


14

फेसबुक तनाव देता है सिब्बल एंड पार्टी को..

ZEAL 
टेंसन देता फेसबुक, लेता सिब्बल लेट ।
यह तो है मस्ती भरा, तिकड़म तनिक समेट ।
तिकड़म तनिक समेट, तीन से बचना डेली ।
मोहन राहुल मॉम, बड़ी घुड़साल तबेली ।
सो जा चद्दर तान, भली भगवान् करेंगे ।
कर मोदी गुणगान, जिरह बिन नहीं मरेगा ।।




15

'दिल' और 'दिमाग'

विवेक मिश्र  

दिल-दिमाग में पक रही, खिचड़ी नित स्वादिष्ट ।
दिल को दूजा दिल मिला, नव-रिश्ते हों श्लिष्ट ।
नव-रिश्ते हों श्लिष्ट, मस्त हो जाती काया ।
पर दिमाग अति-क्लिष्ट, नेक दिल को भरमाया ।
पड़ती दिल में गाँठ, झोंकता प्रीत आग में । 
दिल बन जाय दिमाग, फर्क नहिं दिल दिमाग में ।। 

16

विवाहेतर सम्बन्ध (लेख)

Kavita Verma

सपने ज्यादा गति बढ़ी, समय किन्तु घट जाय |
महत्वकांक्षा अहम् मद, मेटे नहीं मिटाय | 
मेटे नहीं मिटाय, गौण बच्चे का सपना |
घर-ऑफिस बाजार, स्वयं ही हमें निबटना |
मांगे हम अधिकार, लगे कर्तव्य खटकने | 
भोगवाद की जीत, मिटे ममता के सपने ||

17

अधूरे सपनों की कसक : एक विश्लेषण और उपलब्धि !

रेखा श्रीवास्तव 
 न्यौछावर सपने किये, अपने में संतुष्ट ।
मातु-पिता पति प्रति सजग, पुत्र-पुत्रियाँ पुष्ट ।
पुत्र-पुत्रियाँ पुष्ट, वही सपने बन जाते ।
खुद से होना रुष्ट, यही तो रहे भुलाते ।
सब रिश्तों में श्रेष्ठ, बराबर बैठा ईश्वर ।
परम-पूज्य है मातु, किया सर्वस्व निछावर ।।

18

 कार्टून कुछ बोलता है -उज्जैन का खोता मेला

दिखा पिछाड़ी जो रहा, रविकर वही अमूर्त |
दो कौड़ी में बिक गया, लेता ग्राहक धूर्त |
ले खरीद इक धूर्त, राष्ट्रवादी यह खोता |
खोता रोता रोज, यज्ञ आदिक नहिं होता |
खुली विदेशी शॉप, खींचता उनकी गाड़ी |
बनता लोमड़ जाय, अनाड़ी दिखा पिछाड़ी ||

A

पुस्तकें मौन हैं !

संतोष त्रिवेदी  
महबूबा नाराज है, कूड़े में सरताज ।
बोल चाल कुल बंद है, कौन उठावे नाज ।
कौन उठावे नाज, अकेले खेले झेले ।
तीनों बन्दर मस्त, दूर सब हुवे झमेले ।
खाली कर ये रैक, पुस्तकें नहीं अजूबा ।
करदे या तो पैक, रही अब न महबूबा ।।

B

इक ऐसा सच!!!

Rajesh Kumari 

व्यथा मार्मिक है सखी, शुरू कारगिल युद्ध ।
तन मन में  हरदम चले, वैचारिकता क्रुद्ध ।
वैचारिकता क्रुद्ध , पकड़ जग-दुश्मन लेता ।
दुष्ट दानवी सोच, छेद वह काया देता ।
लड़िये जब तक सांस, कामना सत्य हार्दिक ।
रखिये याद सहेज, बड़ी यह व्यथा मार्मिक ।।
 ब्लॉगर होते जा रहे, पॉलिटिक्स में लिप्त |
राजग यू पी ए भजें, मिला मसाला तृप्त |

मिला मसाला तृप्त, उठा ले लाठी डंडा |
बने प्रचारक पेड, चले लेखनी प्रचंडा |

धैर्य नम्रता ख़त्म, दांत पीसे अब रविकर |
दे देते हैं जख्म, कटकहे कितने ब्लॉगर -

D

  ब्लॉग परिचय ''यादें ''

आमिर दुबई  

आदरणीय अशोक जी, कहें सलूजा सा'ब ।
यादें इनका ब्लॉग है, पढ़ते गजल जनाब ।
पढ़ते गजल जनाब, बड़े जिंदादिल शायर ।
कंकड़ पत्थर बीच, दीखते आप *सफायर ।।
स्वस्थ रहें सानंद, बधाई देता रविकर ।
शानदार हर शेर, नौमि करता हूँ सादर ।।  
*नीलम  
 विचार 
देश भक्ति के नाम पर, भाषण यह उत्कृष्ट |
विंस्टन चर्चिल दाद दें, अंकित स्वर्णिम पृष्ट |
अंकित स्वर्णिम पृष्ट, मरा था कर्जन वायली |
पर गांधी की दृष्टि, धींगरा व्यर्थ हाय ली |
सत्य अहिंसा थाम, काम कर गए शक्ति के |
राष्ट्रपिता का नाम, देवता देशभक्ति के ||

F

जी संपादकों की समझदारी बढ़ी होगी

रणधीर सिंह सुमन 

सुनी सुनाई पर सदा, करते थे एतबार ।
सत्ता-डंडा जोड़ दो, हो कितना खूंखार ।
हो कितना खूंखार, निखर कर यह आयेंगे ।
जिंदल मुर्दल सीध, सभी तब हो जायेंगे ।
क्राइसिस पर अफ़सोस, मगर हिम्मत रख भाई ।
तनिक मीडिया दोष, करे क्यूँ सुनी सुनाई ।।

सदा 
 SADA  
 खलता जब खुलते नहीं, रविकर सम्मुख होंठ |
देह-पिंड में क्यूँ सिमट, खुद को लेता गोंठ ||
 

H

नरेन्द्र मोदी : सावधानी हटी, दुर्घटना घटी ...

महेन्द्र श्रीवास्तव 
 
कांगरेस की डूबती, लुटिया बारम्बार ।
हार हार हुल्लड़ हटकु, हरदम हाहाकार ।
हरदम हाहाकार, मौत का कह सौदागर ।
बढ़ा गई सोनिया, विगत मोदी का आदर ।
तरह तरह के चित्र, बिगाड़ें इमेज देश की ।
शत्रु समझ गुजरात, चाल अघ कांगरेस की ।।

I

अर्द्ध -अनिद्रा बोले तो सेमी -सोम्निया (Semi -somnia)बला क्या है ?

Virendra Kumar Sharma 
 ram ram bhai
डायन यह प्रौद्यिगिकी, बेवफा हुश्न  के बैन ।
उल्लू जागे रातभर, गोली खाय कुनैन ।
गोली खाय कुनैन, अर्धनिद्रा बेचैनी ।
देखे झूठे सैन, ताकता फिर मृग-नैनी ।
बढ़े मूत्र का जोर, टेस्ट मधुमेह करायन ।
औषधि नियमित खाय, खाय पर निद्रा-डायन ।। 
J
 आसक्ति की मृगतृष्णा

जोड़-गाँठ कर तह करे, जीवन चादर क्षीण ।
बाँध-बूँध कर लें छुपा, विचलित मन की मीन । 
विचलित मन की मीन, जीन का किया परीक्षण ।
बढ़े लालसा काम, काम नहिं आवे शिक्षण ।
नोट जमा रंगीन, सीन को चूमे रविकर ।
'पानी' मांगे मीन, मरे पर जोड़-गाँठ कर । 

गुरुवार, नवंबर 29, 2012

संक्षिप्त चर्चा - 1078

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
ब्राडबैंड ठप्प पड़ा है डोंगल की धीमी स्पीड पर चर्चा लगाने का प्रयास है , 
चलते हैं चर्चा की और
Photo: आज जिन वैज्ञानिक शोधों पर अंग्रेजों (न्यूटन, मेंडलीफ, डार्विन) का टैग लगा है, वो सबकुछ तो हमारे भारतीय वैज्ञानिक कबका ढूंढकर उस पर ग्रन्थ लिख गए ! लेकिन अंग्रेजी हुकूमत ने हमारे विश्वविद्यालयों (जैसे-नालंदा आदि) को नष्ट कर दिया और पांडुलिपियों को जला दिया ताकि किसी भी भारतीय विद्वान् का नाम न हो सके ! अरे ये लोग समझेंगे हनारे ज्ञानी -ध्यानी और विद्वान् ऋषि मुनियों और वैज्ञानिकों को (जैसे आर्यभट्ट , पतंजलि, कणाद,  सी वी रमन  आदि)  ! नीचे तालिका में देखिये जो ऋषि कणाद द्वारा पूर्व में वर्णित किया जा चुका  है , उसे कितनी आसानी से न्यूटन की खोज कह दिया गया ! और भारतीय सिलेबस/ किताबों में भी न्यूटन का नाम मिलेगा आर्यभट्ट और कणाद आदि विद्वान् वैज्ञानिकों का नहीं ! गुलामी की इससे बड़ी मिसाल और क्या होगी !
मेरे काव्य गुरु <br>प्रात: स्मरणीय परमादरणीय कविरत्न स्व. श्री यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम' जी
अभी सम्भावना  है....
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Karbonn A21 ( Front View )
मेरा फोटो
आज की संक्षिप्त चर्चा में इतना ही
धन्यवाद
*****************

बुधवार, नवंबर 28, 2012

रावण की अयोध्या (बुधवार की चर्चा-1077)

आप सबको प्रदीप का नमस्कार | सभी को कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं  |
अब शुरू करते हैं आज की चर्चा ।
रावण की अयोध्या
- prerna argal
prerna ki kalpanayen
न्यायालय का न्याय :प्रशासन की विफलता
- शालिनी कौशिक
कानूनी ज्ञान
बहू-राष्ट्र की पकड़, विदेशी जिसके गाइड -
- रविकर
"लिंक-लिक्खाड़"
"सुदामा भटक रहा है"
- डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
उच्चारण
मैं इधर जाऊँ या उधर जाऊँ...!
आज की चर्चा यहीं पर समाप्त करता हूँ । दिए गए लिंक्स का आनंद लीजिये और मुझे आज्ञा दीजिये ।

मिलते हैं अगले बुधवार कुछ और लिंक्स के साथ । तब तक के लिए अनंत शुभकामनाएँ ।