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बुधवार, फ़रवरी 13, 2013

तेरी यादों की महक (बुधवार की चर्चा-1154)


आप सबको प्रदीप का नमस्कार |
शुरू करते हैं आज की चर्चा:
आम आदमी: " Used To "
- धीरेन्द्र अस्थाना
@ अन्तर्गगन
सपना ...
Parul Pankhuri
Os ki boond
कर्मन की गति न्यारी
- पुरुषोत्तम पाण्डेय
@ जाले
ये नन्हे चिराग
- Neeraj Dwivedi
@ Life is Just a Life
कौन सुनानें वाला है और कौन सुनने वाला है ?
- J Sharma
कौन सुनता है ?
"मयंक का कोना"

वेलेण्टाइन डे: संस्कृति रक्षा का पुनीत प्रतीक्षित अवसर


पश्चिम की है सभ्यता, प्रेमदिवस का वार।
लेकिन अपने देश में, प्रतिदिन प्रेम अपार।


ज़िन्दगी जीने के बहाने

पत्नी, पुत्री, बहन का, मात-पिता का प्यार।
उनको ही मिलता सदा, जिनका हृदय उदार।
Photo: मंगलवार, 12 फरवरी 2013

"दोहे-बदल रहे परिवेश" 

सबसे अच्छा विश्व में, अपना भारत देश।
किन्तु यहाँ भी मनचले, बदल रहे परिवेश।१।

कामुकता-अश्लीलता, बढ़ती जग में आज।
इसके ही कारण हुआ, दूषित देश समाज।२।

ढोंग-दिखावा दिवस हैं, पश्चिम के सब वार।
रोज बदलते है जहाँ, सबके ही दिलदार।३।

एक दिवस की प्रतिज्ञा, एक दिवस का प्यार।
एक दिवस का चूमना, पश्चिम के किरदार।४।

प्रतिदिन करते क्यों नहीं, प्रेम-प्रीत-व्यवहार।
एक दिवस के लिए क्यों, चुम्बन का व्यापार।५।

http://uchcharan.blogspot.in/2013/02/blog-post_12.html

किन्तु यहाँ भी मनचले, बदल रहे परिवेश


आज के लिए बस इतना ही | मुझे अब आज्ञा दीजिये | मिलते हैं अगले बुधवार को कुछ अन्य लिंक्स के साथ |
तब तक के लिए अनंत शुभकामनायें |
आभार |

24 टिप्‍पणियां:

  1. प्रदीप जी, गागर में सागर सी है आपकी यह ब्‍लॉग चर्चा। आभार उपयोगी लिंक्‍स उपलब्‍ध कराने का।

    एक सदी शोषण की जी ली...

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी बुद्धजीवियों को शुभ प्रभात
    शुक्रिया प्रदीप भाई को
    मेरी पसंदीदा रचना
    को यहाँ स्थान दिया
    और नये लिंक्स से परिचय करवाया

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर सार्थक लिंक्स से सुसज्जित आकर्षक चर्चामच प्रदीप जी ! वसंत की आप सभीको हार्दिक शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रदीप जी आपका आभार!
    बहुत सुन्दर चर्चा की है आपने!

    जवाब देंहटाएं
  5. हमारी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद!


    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. बढ़िया चर्चा-
    शुभकामनायें प्रियवर प्रदीप ||

    जवाब देंहटाएं
  7. पठनीय सूत्रों के साथ सुंदर सार्थक चर्चा हेतु हार्दिक बधाई प्रदीप जी |

    जवाब देंहटाएं
  8. ज़िन्दगी जीने के बहाने

    Photo: मंगलवार, 12 फरवरी 2013 "दोहे-बदल रहे परिवेश" सबसे अच्छा विश्व में, अपना भारत देश। किन्तु यहाँ भी मनचले, बदल रहे परिवेश।१। कामुकता-अश्लीलता, बढ़ती जग में आज। इसके ही कारण हुआ, दूषित देश समाज।२। ढोंग-दिखावा दिवस हैं, पश्चिम के सब वार। रोज बदलते है जहाँ, सबके ही दिलदार।३। एक दिवस की प्रतिज्ञा, एक दिवस का प्यार। एक दिवस का चूमना, पश्चिम के किरदार।४। प्रतिदिन करते क्यों नहीं, प्रेम-प्रीत-व्यवहार। एक दिवस के लिए क्यों, चुम्बन का व्यापार।५। http://uchcharan.blogspot.in/2013/02/blog-post_12.html



    बहा बहाने ले गए, आना जाना तेज |
    अश्रु-बहाने लग गए, रविकर रखे सहेज |
    रविकर रखे सहेज, निशाने चूक रहे हैं |
    धुँध-लाया परिदृश्य, शब्द भी मूक रहे हैं |
    बेलेन्टाइन आज, मनाने के क्या माने |
    बदले हैं अंदाज, गए वे बहा बहाने ||

    जवाब देंहटाएं
  9. शानदार चर्चा प्रदीप जी , आपका सुझाव भी बहुत अच्छा है !

    जवाब देंहटाएं
  10. चर्चा में मेरे ब्‍लॉग को शामिल कर, आप सम्‍मान प्रदान करते हैं। अनर्त्‍मन से आपका आभारी हूँ।

    प्रदीपजी का सुझाव बहुत ही अच्‍छा है। 'शास्‍त्री-प्रसाद' के रूप में कुछ न कुछ मिलता रहेगा, नियमित रूप से, 'विशेषज्ञ की राय' की तरह।

    जवाब देंहटाएं
  11. वेलेण्टाइन डे: संस्कृति रक्षा का पुनीत प्रतीक्षित



    अवसर



    हर दिन तो अंग्रेजियत, मूक फिल्म अविराम |
    देह-यष्टि मकु उपकरण, काम काम से काम |
    काम काम से काम, मदन दन दना घूमता |
    करता काम तमाम, मूर्त मद चित्र चूमता |
    थैंक्स गॉड वन वीक, मौज मारे दिल छिन-छिन |
    चाकलेट से रोज, प्रतिज्ञा हग दे हर दिन ||

    जवाब देंहटाएं
  12. प्रदीप भाई बहुत सुन्दर-सुन्दर लिंक्स चुने हैं और उतनी ही सुन्दरता से प्रस्तुत भी किया है, हार्दिक बधाई स्वीकारें इस शानदार चर्चा के लिए.

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत बढिया चर्चा
    सभी लिंक्स एक से बढकर एक

    जवाब देंहटाएं
  14. प्रदीप जी आपका तहेदिल से शुक्रिया इसलिए नहीं की आपने मेरी पोस्ट को इस चर्चा में शामिल किया बल्कि इसलिए की आपने मुझे इस मंच तक का रास्ता दिखा दिया जहा आपने एक ही उपवन में अलग अलग तरह के अलग अलग रंग के काव्य फूलो से बागीचा सजा रखा है ....सारी अछि लिनक्स आपने दी है हर तरह की कही कुछ धुंडने की जरुरत नहीं सीधे चर्चामंच पर आओ और पढ़ लो मन के मुताबिक जो दिल करे ...एक बार फिर बहुत बहुत शुक्रिया आपका :-)

    जवाब देंहटाएं
  15. शानदार सुंदर चर्चा के लिए प्रदीप जी,,,,शुभकामनाए

    RECENT POST... नवगीत,

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....आभार।।

    जवाब देंहटाएं

  17. प्रेम दिवस मुबारक .मान्यवर बहुत सुन्दर दोहावली है .बस एक ही गुजारिश पहले पूरब के गिरेबान में झांकें फिर कोसें पश्चिम को .रोज़ यहाँ किरदार बदलते ,पूरब पश्चिम ,पश्चिम पूरब .

    "दोहे-बदल रहे परिवेश"
    - डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
    @ उच्चारण

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत व्यापक फलक लिए हुए है चर्चा मंच .मह नत के साथ की गई है सज धज सेतु चयन .खूबसूरत हैं अंदाज़ आपके .शुक्रिया अपने को (हमें )पनाह देने

    के लिए चर्चा में .

    जवाब देंहटाएं
  19. बिपत्ति राम तेजस्वी किसी रेगिस्तान में उगे हुए कैक्टस पर खिले सुन्दर पुष्प की तरह अपनी अलग पहचान बनाते चला गया. हायर सेकेण्डरी की बोर्ड परीक्षा में प्रथम आने पर वह सबकी नज़रों में आ गया. वजीफा भी मिलने लगा. क्षेत्रीय विधायक महोदय ने अपने इलाके के इस होनहार विद्यार्थी को सब प्रकार की सलाह व आर्थिक सहायता देकर आगे बढ़ने के लिए बहुत उत्साहित किया. जब इन्सान के अच्छे दिन आते हैं, तो सब तरफ से मार्ग खुलते चले जाते हैं.

    ऊधौ कर्मन की गति न्यारी ....
    ऊधौ कर्मन की गति न्यारी ....

    कसावदार भाषा और जीवंत परिवेश बुनती हैं आपकी सच्ची कहानियां .

    प्रत्‍युत्तर देंहटाएं
    कर्मन की गति न्यारी
    - पुरुषोत्तम पाण्डेय
    @ जाले

    जवाब देंहटाएं
  20. बहुत आभार "अपना घर" शामिल करने के लिए..

    जवाब देंहटाएं

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