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शनिवार, फ़रवरी 16, 2013

“बिना किसी को खबर किये” (चर्चा मंच-1157)

मित्रों!
     सबसे पहले शनिवार की चर्चाकार ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र, एक प्रयास, ज़ख्म…जो फूलों ने दिये वालीं श्रीमती वन्दना गुप्ता को उनकी 25 वीं वैवाहिक वर्षगाँठ की हार्दिक शुभकामनाएँ!
 
      25 वीं वैवाहिक वर्षगाँठ का जश्न हो तो चर्चा तो ब्लॉगव्यवस्थापक को ही लगानी पड़ेगी। इसलिए इस शनिवार की चर्चा में मेरी पसन्द के कुछ लिंक देखिए!
सबसे पहले
दोस्तों ने दोस्तों को, यूँ गले से लगाया है.
गिले-शिकवे मिटा कर, दिल से दिल लगाया है!

आरती उतार लो,
आ गया बसन्त है!
ज़िन्दग़ी सँवार लो,
"आ गया बसन्त है"
बसंत पंचमी
सभी मित्रों को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं। Divya
पता नहीं
था अँधेरा बहुत मैंने चिराग जला दिया .. पता नहीं कैसे घर में ....... आग लगा दिया ..
  पर ज्यादा उन्माद, सुबह कर कृष्णा-वन्दन-
बचपन में ली गई संगीत की दीक्षा दिमागी क्षमता में इजाफा करती है
आली रे आली बसंत ऋतु आली - आली रे आली बसंत ऋतु आली पीली पीताम्बरी बदली छा ली आली रे आली...
मधु सिंह : प्रणय की वीथिका
प्रणय की वीथिका तुम प्रणय की बीथिका से , प्यार के संदेस लिखना कर प्रफुल्लित ह्रदय अपना ,प्यार से तुम पुष्प चुनना ह्रदय के हर पृष्ठ पर तुम….
यही तो प्यार है ......
मैंने पेड़ के जड़ से पूछा .. .तुम ..किस से प्यार करते हो ? उसने कहा तने से .... तने से पूछा ..तुम किस से प्यार करते हो...... उसने कहा शाखाओं से,..... शाखाओं से पूछा कि तुम्हारा प्यार कौन है तो ,.....
पैदा होते ही बल्लियों उछल रहा था उसका नन्ना सा दिल 300 मर्तबा
बसन्त चाचा
कंक्रीट की दीवारों पर कभी बसन्त नहीं आता, ज़रा सोचियेगा :( - पूरे घर को इंतज़ार है बसन्त चाचा का,..
व़जूद मेरा
अपना व़जूद कहाँ खोजूं फलक पर ,जमीन पर या जल के अन्धकार के अन्दर सोच सोच कर थक गयी लगा पहुँच से बाहर वह मन मसोस कर रह गयी फिर उठी उठ कर सम्हली बंधनों में बंधा खुद को देख कोशिश की मुक्त होने की असफल रही आहात हुई निराशा ही हाथ लगी…
अज्ञान में संतान तेरी, ज्ञान की मनुहार है - ऋता
सरस्वती वंदना—यह शीश कदमों पर नवा कर, कर रहे हम वन्दना | माँ शारदे, कर दो कृपा तुम, ज्ञान की है कामना||…
पवाँली- केदारनाथ पदयात्रा का खूबसूरत पड़ाव Panwali
स्नेह बंधन
1 स्नेहिल रिश्ता ममता का बिछोना माँ का शिशु से . 2 स्नेह बंधन फूलो से महकते हरसिंगार 3 झलकता है नजरो से पैमाना वात्सल्य भरा 4 दिल की बातें दिल ही तो जाने है शब्दों से परे …
हिंदी पंचांग वाला विजेट आप भी अपने ब्लॉग पर लगा सकते हैं !!
मैनें अपने ब्लॉग पर हिंदी पंचांग वाला विजेट लगा रखा है लेकिन मुझे यह विजेट और किसी ब्लॉग पर नजर नहीं आया ! वैसे यह विजेट गूगल विजेट पर उपलब्ध है लेकिन वहाँ से यह ब्लोगर पर आसानी से नहीं आ पाता है और शायद यही कारण रहा होगा जिससे किसी के ब्लॉग पर यह विजेट नहीं है ! इसलिए मैंने सोचा कि में उन लोगों कि परेशानी दूर कर दूँ जो इस विजेट को लगाना तो चाहते हैं लेकिन लगा नहीं पाते हैं ! इसके लिए आपको कुछ नहीं करना है बस विजेट जोड़ें में जाकर एचटीएमएल विजेट में निचे दिए गये कोड को डालकर सेव कर लीजिए ! बस आपका हिंदी पंचांग वाला विजेट आपके ब्लॉग पर दिखने लगेगा….
प्रीत दिवस
प्रीत दिवस के बाद क्या ,खो जाता है प्यार ?
सच्चे मन से कीजिये ,सच्चे दिल का प्यार…
पढ़िए…!
अरुण शर्मा अन्नत की ये ग़ज़ल..
लुटा है चमन मुस्कुराने की जिद में
महक कर सभी को लुभाने कि जिद में,
लुटा है चमन मुस्कुराने कि जिद में…
आँख मिचौली वासंती संग
आँख मिचौली वासंती संग पीत वसन से सजी धरती सखि सोन से भाव में तोलि रही सब सोंधी सी खुश्बू हिया अब उमड़ति प्रीति के चन्दन लपेटि रही अंग कुसुमाकर बनि काम कुसुम तन सिहरन बनि झकझोरि रहे हैं नील गगन रक्तिम बदरी मुख मलयानिल बढ़ी खोलि दिए हैं पतझर के दिन बीते रे सजनी !
प्रेम (अपरिभाषित)
मेरा फोटो
*प्रेम इतना विशाल होता है कि जिसको परिभाषित करना नामुमकिन है बिलकुल वैसे....जैसे इस असीमित आकाश को सीमा देना | ईश्वर की सबसे सुंदर कृति इन्सान और इंसान में धड़कता उसका कोमल ह्रदय ..उसमें बहता भावनाओं का दरिया ....और उन भावनाओं से उपजती प्रेम की अभिव्यक्ति......* *प्रेम (अपरिभाषित)* *सोचा लिखूं...
आंसू के नमक का स्वाद
बेस्वाद लगता था उस भेडिये को लहू और मांस तब से जब से उसे आंसुओं के स्वाद का चस्का लगा अब वह खाने के मामले में कलचर्ड हो गया अक्सर कहता है वक्तव्यों में बिना यातना और आंसू के मौत तो छल है, धोखा है पीठ पर वार है सचमुच अत्याचार है…
बस यूँ ही
* **प्यार ! कैसा है ये प्यार * *क्या जरूरी है इसके लिए * *सोलह साल का अल्हड़पन * *आती - जाती ऋतुओं से * *थामना बसंती पुरवाई को * *झिझकती ठिठकती तिथियाँ * *चुन लेना बस एक तिथि को * *कभी शमा रौशन करना * *कभी नम सी साँसें और ..* *प्यार !….
अब थक गया हूँ
अब थक गया हूँ इमानदारी सच्चाई, इंसानियत को ढूंढते ढूंढते ह्रदय अतृप्त मन व्यथित होने लगा क्यों नहीं समझ पाता हूँ दे दी लोगों ने जान जिसको पाने के लिए जो मिला नहीं सदियों से किसी को मुझे कैसे मिल जाएगा खुद से पूछता हूँ क्या तलाश बंद कर दूं…
लो फिर बसंत आया...
लो फिर बसंत आया फूलों पे रंग छाया पेड़ों पे टेसू आया लो फिर बसंत आया...! कलियों ने सिर उठाया भंवरो ने प्यार जताया लो फिर बसंत आया...! …
बिना किसी को खबर किये !!!!!!
रूहों को लिबास बदलना खूब भाता है बिना किसी गम के हँसते-हँसते बदल लेती हैं ये बिना किसी को खबर किये लिबास अपना ... फिर रोकर ये बताना चाहती हैं दुनिया को इसमें हमारी कोई रज़ा न थी हम तो कठपुतलियाँ हैं बस जो भी ये करिश्‍में करता है वो ऊपरवाला है !!!
क्रेडिट कार्ड इश्यू करने के लिए नई गाइडलाइंस ? -मनोज जैसवाल : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) यूजर्स को धोखाधड़ी से बचाने के लिए क्रेडिट कार्ड कंपनियों को चिप वाले कार्ड इश्यू करने पर जोर दे रहा है.
Voice of Silent Majority

जबान बदल गयी - बादलों की टोकसे यूं आहत हो गयी इस दोपहर को किरन संज़ीदा हो गयी शक्लो-सूरत बदलतीहै वक्त केसाथ शाम उतरी थीजमीं पर रात हो गयी…

ठाले बैठे
आउते बसंत कंत संत बन बैठे री - यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम' 
चाँह चित चाँहक की चाँहि कें चतुर चारु, चाउ ते चली कर चरचित इकैठे री पाउते सु 'प्रीतम' के हाव दरसाउ भूरि भाउते करौंगी मिल मन के मनेंठे री जाउते बिलोके...

मुख्य पृष्ठ का मुख्य समाचार हल्द्वानी शहर में घुसा तेंदुआ कह रहा है आज हर अखबार -*अखबारों ने सारे आज मुख्य पृष्ठ पर जंगल का तेंदुआ शहर के बीच में घुसा हुआ एक दिखाया..
कल और आज ....
चित्र-जूही श्रीवास्तव जी की फेसबुक वॉल से कल हाथों में ढेर सारे 'दिल' पकड़े दिलवालों के इंतज़ार में उसका दिन बीत गया दिल वाले आते गये 'दिल' लेते गये किसी को देते गये और वो खुश होता रहा आज भी वो उसी जगह खड़ा है आज हाथ मे दिल नहीं सरस्वती हैं लोग आ रहे हैं उसके पास खरीद रहे हैं ज्ञान की देवी को,,,
चिंगारियां दबी रहने दो -- आशा जी
आपस की बातों को
बातों तक ही रहने दो
जो भी छिपा है दिल में
उजागर ना करो
नाकाम मोहब्बत
परदे में ही रहने दो |…
“रविकर का कोना”
(1)

कविता

दिलबाग विर्क 
 म्हारा हरियाणा

(2)
 25 वर्षों का सफ़र एक स्वप्न-सा
vandana gupta 

चलते ही रहना सखी, चखते हर्ष-विषाद ।
जीवन में अवसाद है, पर ज्यादा उन्माद ।
पर ज्यादा उन्माद, सुबह कर कृष्णा-वन्दन ।
भली बुरी कर याद, जख्म फूलों का क्रंदन ।
यही छाँव शुभ धूप, रहे हैं सकल निकलते ।
शुभकामना अनूप, चलो मिल रहो मचलते ।।
(3)
मेवा खा के पाक का, वाणी-कृष्णा-लाल |
ठोके कील शकील नित, वक्ता करे हलाल  |

वक्ता करे हलाल, कमाई की कमाल की |
मनमोहन ले पाल, ढाल यह शत्रु-चाल की |

लेकिन पाकिस्तान, हिन्दु का करे कलेवा |
खावो कम्बल ओढ़, मियाँ सेवा का मेवा ||

27 टिप्‍पणियां:

  1. श्रम से संजोए गए उपयोगी एवं सार्थक लिक्‍स।

    आभार।

    .............
    हिन्‍दी की 50 से अधिक ऑनलाइन पत्रिकाएं

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर और पठनीय चर्चा लिंकों के बीच मेरे लिंक को पाकर खुशी हुयी ,आभार!!

    जवाब देंहटाएं
  3. चर्चामंच हमेशा ही सुंदर बनाया जाता है
    किसी एक की मेहनत से सजाया जाता है
    चर्चा किसकी है चर्चाकार बता भी जाता है
    उसके बाद कुछ कहाँ समझ में आता है
    हर कोई चाहता है कि वो क्यों नहीं आता है
    लेकिन फिर भी कोई कहीं नहीं कहीं जाता है !

    आभार शास्त्री जी आप हमेशा ही उत्साहवर्धन करते हैं !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर और पठनीय एवं सार्थक लिक्‍स।

    'रूप' ने बसंत को प्यार को दिया है सुन्दर आकार
    'चर्चा मंच' पर आकर हमारा आना किया साकार

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर लिंक संकलन। जितने भी रचनाकार हैं मुझसे बेहतर हैं फिर भी आदरणीय गुरूजी ने आज मेरी दो रचनाओं को स्थान दिया। मुझे इससे बड़ा सम्मान क्या मिलेगा।
    सादर!

    जवाब देंहटाएं
  6. वंदना जी को शादी की शुभकामनाएं और सभी मित्रों को बसंत पंचमी की बधाईयाँ !

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर चर्चा है गुरु जी-
    रविकर का कोना-
    आभारी है-रविकर ||

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर श्रम साध्य विस्तृत सार्थक चर्चा हेतु हार्दिक बधाई मेरी रचना को शामिल किया हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. वंदना जी को वैवाहिक वर्षगाँठ की हार्दिक शुभकामनाएँ !

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर और पठनीय चर्चा.मेरे लिंक को पाकर खुशी हुयी आभार.

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत बढिया चर्चा
    ढेर सारे लिंक्स और सभी एक से बढकर एक

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत अच्छा संकलन ...... आभार और शुभकामनाएं !

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  13. सहज सरल सुन्दर मन की मनोहर अभिव्यक्ति .

    सबसे पहले
    "...जादू की जप्फी..."
    सरिता भाटिया

    दोस्तों ने दोस्तों को, यूँ गले से लगाया है.
    गिले-शिकवे मिटा कर, दिल से दिल लगाया है!

    जवाब देंहटाएं
  14. भुला ना सके हम भुलाने की जिद में ,

    बरसों लगे यूं आजमाने की जिद में .

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति है अनंत भाई .

    लुटा है चमन मुस्कुराने की जिद में
    महक कर सभी को लुभाने कि जिद में,
    लुटा है चमन मुस्कुराने कि जिद में,

    कहीं खो गई रौशनी कुछ समय की,
    निगाहें रवी से मिलाने कि जिद में,

    करूँ क्या करूँ याद वो फिर न आये,
    सुबह हो गई भूल जाने कि जिद में,

    गलतकाम करने लगा है जमाना,
    बड़ा सबसे खुद को बनाने कि जिद में,

    अँधेरा हुआ दिन-ब-दिन और गहरा,
    उजाला जहाँ से मिटाने कि जिद में,

    पढ़िए…!
    अरुण शर्मा अन्नत की ये ग़ज़ल..

    लुटा है चमन मुस्कुराने की जिद में

    महक कर सभी को लुभाने कि जिद में,
    लुटा है चमन मुस्कुराने कि जिद में

    जवाब देंहटाएं
  15. दिल के बहलाने को ग़ालिब ख्याल अच्छा है .प्लेटोनिक लव ,वायुवीय प्रेम का सुन्दर फरमान .

    “रविकर का कोना”
    (1)
    कविता
    दिलबाग विर्क
    म्हारा हरियाणा

    जवाब देंहटाएं
  16. जनभावनाओं से प्रेरित सौद्देश्य वसंत गीत .शुक्रिया हमें शनिवार चर्चा मंच में शरीक करने का .

    आरती उतार लो,
    आ गया बसन्त है!
    ज़िन्दग़ी सँवार लो,
    "आ गया बसन्त है"


    सुर ,लय और ताल लिए ,ज़िन्दगी को संवारने का सुन्दर आवाहन करता है यह गीत .

    जवाब देंहटाएं

  17. यही विरोधाभास है ज़िन्दगी का सौगात है ,औकात है .

    बिना किसी को खबर किये !!!!!!

    SADA
    रूहों को लिबास बदलना खूब भाता है बिना किसी गम के हँसते-हँसते बदल लेती हैं ये बिना किसी को खबर किये लिबास अपना ... फिर रोकर ये बताना चाहती हैं दुनिया को इसमें हमारी कोई रज़ा न थी हम तो कठपुतलियाँ हैं बस जो भी ये करिश्‍में करता है वो ऊपरवाला है !!!

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    शनिवार, 16 फरवरी 2013
    हेलिकॉप्टर घोटाले में वाजपेयी का नाम

    'रविवार ' को आम आदमी की आन लाइन हिंदी पत्रिका बतलाया जाता है आज इसने लिखा -


    हेलिकॉप्टर घोटाले में वाजपेयी का नाम

    पत्रिका ने लिखा "हेलिकोप्टर घोटाले में भारतीय अधिकारियों और वायु सेना प्रमुख की रिश्वतखोरी के बीच रक्षा मंत्रालय ने अगस्ता वेस्टलैंड से सम्बंधित कुछ जानकारियाँ सार्वजनकि करते हुए कहा है कि हेलिकोप्टर की खरीद के लिए तकनीकी शर्तें वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेई के समय निविदाओं में बदल दी गईं थीं और इसमें तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने एहम भूमिका निभाई थी ,....."

    यह एक बहुत ही बेहूदा तर्क है जो असल बात से लोगों का ध्यान हटाता है .फाइलों का चलना एक तकनीकी प्रक्रिया है जो सालों साल चलती है असल बात है घूस कौन खा गया .फ़ाइल आगे किसने बढ़ाई ,ऑर्डर किसने दिया दलाली किसने खाई .

    मान लीजिए राहुल गांधी वाजपई के कार्यकाल में पैदा हुए होते तो क्या इसके लिए बाजपाई को कुसूरवार ठहराया जाता .इस तरह के तर्क पंडित कोंग्रेस में ही पाए जाते हैं .जो असल बात से लोगों का ध्यान हटाने में माहिर हैं .

    सारी नदियाँ हमारी आज जिस कदर गंधाकर , सागर में मिल रही हैं वैसे इस एक खानदान से सारा भ्रष्टाचार निकल रहा है .पहले 'क 'से -क्वाटरोचि अब कनिष्क सिंह एक हाई कमान का भाई दूसरा राहुल का एहमद पटेल बोले तो राजनीतिक सलाहकार , राजनीतिक प्रबंध करता ,राहुल का सबसे नजदीकी व्यक्ति .हेलिकोप्टर मामले में दलाली में खाई गई बे शुमार रकम को लेकर अब कनिष्क सिंह का ही नाम उछल रहा है .

    अभी तो वाड्रा काण्ड की धूल भी नहीं बैठी है ( झड़ी है) .

    अल्प भाषी राहुलबाबा चुप हैं अपने मौन सिंह की तरह . राष्ट्रीय मुद्दों

    पर आप चुप्पा साध लेते हैं .

    जवाब देंहटाएं
  18. डाक्टर साब बहुत ही सुन्दर लिंक्स का चयन किया आपने | मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार और शुक्रिया | दुसरे ब्लॉगर मित्रों की रचनाएँ और लेख पढने में बहुत सुकून और आनंद मिलता है और ज्ञान भी अर्जित होता है | आभार |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. dr. sahab dhanyavad mujhe shamil karne ke liye , behad sundar prastuti hai , sabhi ke links bahut pasand aaye , badhai sabhi rachnakaro ko aur aapko , ek ek link bahut mehanat se pirokar mala sajayi hai aapne , badhai

      हटाएं
  19. बहुआयामी चर्चा कई लिंक्स और उनके चयन के लिए किया गया कठिन परिश्रम बहुत कुछ दे जाता है मानसिक भोजन के लिए |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  20. सुसज्जित चर्चा..बहुत उम्दा लिंक्स मिले.सरस्वती वंदना शामिल करने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
  21. आदरणीय शास्त्री जी

    बहुत ही सुन्दर लिंक्स का चयन किया आपने...| मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार...

    आप बताएं या न बताएं रचना ले जाएँ समाज के कुछ काम तो आये , आप का ये स्नेह साहित्य को यों ही मिलता रहे प्रेमी जन हम सब जुड़े रहें बस ...अच्छा लगा आप ने इस वासंती रचना को मान दिया ..
    आप के साथ साथ सभी प्रेमी सुधी पाठक गन मित्रों को वंसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएं कोमल हरे पत्तों से ताजगी और आये अपने रिश्तों में
    आभार
    भ्रमर ५

    जवाब देंहटाएं
  22. bahut sunder charcha shastri ji ..meri rachna ko sthan dene ke liye aabhar aapka :)

    जवाब देंहटाएं

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