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मंगलवार, अप्रैल 23, 2013

मंगलवारीय चर्चा --(1223)"धरा दिवस"

आज की मंगलवारीय  चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , ,आप सब का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर 
  










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आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ  फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी  कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
*जिन्दगी के टूटे सिरों को * *मैं फिर से जोड़ लेता हूँ, * 
*ग़मों के बिछोने पर * *ख़ुशी की चादर ओड़ लेता हूँ..
(2)
? न यहाँ कौरव थे , न शतरंज की बिसात  कातर  स्वर और पुकार  
क्यों कान्हा तुमने सुना नहीं? देह उघडी, हुई रूह छलनी , और  शर्मसार...
(3)
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* **..१----* *.मुमताज 'महल' में सोयी 'जहाँ' है ..........* *...एक शाह का जहाँ वहां है.........* 
*२-* *..श्वेत 'संग' की एक इमारत * *..'संग' त्तराश ने लिखी इबारत ...... *
*३-* *जीवन के कुछ लम्हे उदास हैं रहते दिल के बहुत पास हैं...
(4)
(5)
गर्मी की छुट्टी जब आये,
सब बच्चों का मन हर्षाये....

19 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीया बहन राजेश जी आपने मंगलवारीय चर्चा --(1223)"धरा दिवस" में बहुत सुन्दर लिंकों का समावेश किया है!
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
    आपका आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चर्चा -
    आभार दीदी-

    24 अप्रैल से 5 मई तक
    ब्लॉग-जगत से दूर
    अवकाश पर -रविकर

    जवाब देंहटाएं
  3. हर मछली को लील रहा
    shashi purwar at sapne



    छली जा रहीं नारियां, गली-गली में द्रोह ।
    नष्ट पुरुष से हो चुका, नारिजगत का मोह |

    नारिजगत का मोह, गोह सम नरपशु गोहन ।
    बनके गौं के यार, गोरि-गति गोही दोहन ।

    नरदारा नरभूमि, नराधम हरकत छिछली ।
    फेंके फ़न्दे-फाँस , फँसाये फुदकी मछली । ।

    गोहन = साथी-संगी
    गौं के यार=अपना अर्थ साधने वाला
    गोही = गुप्त
    नरदारा=नपुंसक
    नरभूमि=भारतवर्ष
    फुदकी=छोटी चिड़िया

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर चर्चा...आभार । मैं पढूंगी आपके लगाए सारे लिंक्‍स आज

    जवाब देंहटाएं
  5. shukriya priye rajesh ji bahut sundar links hai , hamen bhi shamil karne ke liye abhaar aapka :) naye links bhi dekhe sundar lage .

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बढिया लिंक्स संजोये हैं …………सार्थक चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  7. अदरणीया राजेश कुमारी जी एवं संगीता जी सादर वन्दे !
    चर्चमंच से मासूम बच्चियों के हक और सुरक्षा की हर आवाज़ को पुरजोर उठाइए , हम जैसे मर्द , शर्मसार सही पर सदा साथ देंगे , ये वादा करते है | खुद से और अपनी बेटियों से भी ... जय माँ भवानी , शक्ति दे !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. तरुण जी आपकी इन भावनाओं का तहे दिल से स्वागत करते हैं हार्दिक आभार ।

      हटाएं
  8. बेहतरीन लिंक्‍स संयोजित किये हैं आपने ... आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन सेतु चयन एवं संयोजन .शुक्रिया हमें चर्चा में बिठाने का .

    जवाब देंहटाएं
  10. (1)
    टूटे रिश्तों को...जोड़ लेता हूँ !!!

    *जिन्दगी के टूटे सिरों को * *मैं फिर से जोड़ लेता हूँ, *
    *ग़मों के बिछोने पर * *ख़ुशी की चादर ओड़ लेता हूँ..
    क्या बात है भाई साहब ! ज़िन्दगी की परवाज़ परों से नहीं हौसलों से ही भरी जाती है .

    जवाब देंहटाएं
  11. नमस्कार मित्रों .......मेरा प्रथम आगमन आप सबके बीच मुझे बहुत अच्छा लग रहा है ..........
    सुन्दर संयोजन है .........विशेष रूप से डा रूपचन्द्र शास्त्री जी का आभार प्रकट करना चाहूंगी ........मुझे यहाँ इस मंच पर आने का अवसर दिया ............सभी मित्रों को शुभकामनाएं .............

    जवाब देंहटाएं
  12. लिंकों का सुंदर संकलन,बढ़िया चर्चा,,,,
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार,,,,शास्त्री जी,,,

    जवाब देंहटाएं
  13. चर्चा मंच के आँकड़े...
    --
    आज पृष्ठ देखे जाने की संख्या
    277
    बीते हुए कल में पृष्‍ठ देखे जाने की संख्‍या
    230
    पिछले माह पृष्ठ देखे जाने की संख्या
    7,807
    अब तक पृष्ठ देखे जाने की संख्या का इतिहास
    335,737

    जवाब देंहटाएं
  14. लिंकों की सुन्दर प्रस्तुति.
    मेरी पोस्ट भी शामिल करने हेतु आभार .

    जवाब देंहटाएं
  15. sundar links se saji ye charcha manch hamesha hi achhe achhe blogs tak le jaata hai ...samay ki kami ke kaaran samay par nahi aa pai ..kintu aapki aabhari hun :-)

    जवाब देंहटाएं

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