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बुधवार, मई 22, 2013

कितनी कटुता लिखे .......हर तरफ बबाल ही बबाल --- बुधवारीय चर्चा -1252


नमस्कार मित्रों!
       आज की बुधवारीय चर्चा मे आपकी मित्र शशि पुरवार पुनः आपके समक्ष हाजिर है , आज की चर्चा एक विषय पर न हो कर अनेक रंग समेटे हुए है ,कहीं प्यार के रंग , कहीं आक्रोश .....हर गलियों में पाए एक नया दर्शन .एक नया रंग ..काव्य संसार की घाटियों में --------- आप सभी का दिन मंगलमय हो . सुप्रभात....!

झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (ठ) आधा संसार | (नारी उत्पीडन के कारण) (iv)पीड़ित बेटियाँ |

Devdutta Prasoon
मुझे अच्छी तरह मालूम है कि दहेज़ देने वाला बाप कभी भी नहीं कहता कि उस ने दहेज़ दिया | बेटी के लिये वर ढूँढना भगवान ढूँढने से भी कठिन है | बेटी के विवाह के नाम पर माँ बाप बिक जाते हैं | हाँ कभी कभी चमत्कार की तरह बहुत महान उदार बाप मिल जाता है जो दहेज़ नहीं मांगता | यह बात सब कोम मालूम है किन्तु ध्यान नहीं देते | मेरे भावुक मन में इस 'भीषण कुप्रथा' की गहरी छाप है |

कविता: नीम

Shobhana Sanstha 
  • पागल

    मैं
    एक पागल
    और
    आप
     अलग - अलग
    श्रेणी के पागल
    जनता ही गूंगी बहरी हो गयी है !
 जो मेरा मन कहे
जो मेरा मन कहे
*कई दिन से 'सवाल' शब्द मेरे पीछे पड़ा था ,आज कुछ सोचते सोचते यह बेतुकी भी लिख ही दी :)* सवाल इस बात का नहीं कि सवाल क्या है सवाल इस बात का है कि सवाल , सवाल ही क्यों है सवाल सच में

जनता सबक सिखायेगी...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया at काव्यान्जलि - 2 hours ago

भोजपुर में महंत की हत्या कर अष्टधातु की मूर्तियां चुराई                         
  बिहार में भोजपुर जिले के अगिआंव बाजार थाना क्षेत्र में सोमवार देर रात अज्ञात अपराधियों ने एक मंदिर से अष्टधातु की तीन प्राचीन कीमती मूर्तियां चुरा ली और व...

मेरा फोटो
शेफाली पाण्डेय
 
आ रही सट्टालय से पुकार 
है बुकी गरजता बार - बार 
कर फिक्सिंग तू बटोर नोट अपार  
सब कुछ मिले है तुरंत - फुरंत ।
श्रीसंतों का कैसा हो बसंत ?

हंसि‍ए सा चांद

रश्मि शर्मा

निमिया के छाँव तले...

ऋता शेखर मधु 

चैत के महीने में नीम की पत्तियाँ, फूल, फल, छाल आदि का प्रयोग खाने या लगाने के लिए किया जाता है| इससे काफी रोग दूर भाग जाते हैं| यह सबसे अधिक आक्सीजन देने वाला भी पेड़ है अतः

हम न भूल पायेंगे

मेरा फोटो

शारदा अरोरा 

आज के दौर में एक मित्रता और सदभावना भरा दिल ही ढूँढना मुश्किल है ...और जब कभी ऐसा कोई मिल जाता है तो मन कुछ इस तरह गुनगुना उठता है ... *हम न भूल पायेंगे , ये जो तुम चले हो हमारे साथ * *दुनियावी बातों में , रूहानी सी हो जैसे कोई मुलाकात *
ये कैसी अजीब कशमकश है  उल्फत में
दिल के कहे को   दिमाग मानता  नहीं ,
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मेरा अव्यक्त --राम किशोर

बचा लो बेटियाँ अपनी/कविता

मेरी ग़ज़लें, मेरे गीत/ प्रसन्नवदन चतुर्वेदी
प्रसन्न वदन चतुर्वेदी 
मित्रों ! दिल्ली की वारदातों और देश भर में ऐसी ही घटनाओं ने मुझे किसी नई रचना को जन्म देने से रोक रखा था क्योंकि मैं अपने हृदय की गहराइयों से स्वयं को बहुत ही दुखी महसूस कर रहा था। संयोग से मेरी बेटी को एक संस्था द्वारा आयोजित "बेटी बचाओ नशा छुड़ाओ" विषय पर कविता प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये एक कविता की आवश्यकता पड़ी तो मेरे कलम खुद-ब-खुद लिखते गये और यह कविता बन गयी। बेटी ने भी प्रथम पुरस्कार पाकर इस कविता को सार्थक किया।

हाइकू -ठंडी धूप बिटिया

डॉ शिखा कौशिक ''नूतन '' 
गलियों का मज़ा -
संचालक
प्रेम की सकड़ी गली में दो समा सकते नहीं , कृष्ण राधा मिलन साक्षी ,कुञ्ज की गलियाँ रही रसिक भंवरा ही ये अंतर बता सकता है तुम्हे फूलों में ज्यादा...
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
बहुत लम्बे अरसे के बाद कुछ लिखने की हिम्मत जुटा  पाई हूँ। रोग हुआ है फैब्रो myalagia जो लाइलाज है. हर समय बेहद दर्द में रहती हूँ .खैर! ज़िदगी चल रही थी . मैंने इस दर्द को स्वीकार भी कर लिया था ....
मेरा फोटो
BIKHARE SITARE पर kshama
(2)
तो जीने का मज़ा क्या है ?
आँखों में कोई सपना ना हो, तो जीने का मज़ा क्या है ? 
सपने के लिए बरबाद हुए, तो इसमें खता क्या है... 
मेरा फोटो
Hindi Poem (हिंदी कविता ) पर

Bhoopendra Jaysawal
(3)
पिछली पोस्ट के क्रम को आगे बढ़ाते हुए विश्व कविता के उर्वर हिस्से से आज एक बार फिर पोलिश कवि अन्ना स्विर ( १९०९ - १९८४ ) की एक और छोटी - सी यह कविता.....

कर्मनाशा पर siddheshwar singh 
(4)
उल्लूक टाईम्स
My Photo
सुशील जोशी
बधाई रजिया ने दौड़ है लगाई ! 

अफसोस हुआ बहुत अभी अभी जब किसी ने खबर मुझे सुनाई होने वाला है ये जल्दी कह रही थी मुझसे कब से फेसबुकी ताई पर...
(5)


स्वयं से भागते, हम लोग 
कभी सोचा है कि व्यक्ति को सबसे अधिक भड़भड़ाहट कब होती है, सर्वाधिक मन कब ऊबता है, कौन सा समय वह शीघ्रातिशीघ्र बिता देना चाहता है? उत्तर अधिक कठिन नहीं हो...

28 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात
    उम्दा लिंक्स के साथ मेरे लिखे को
    मान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
    और आभार
    हार्दिक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  2. शशि पुरवार जी!
    कितनी कटुता लिखे .......हर तरफ बबाल ही बबाल --- बुधवारीय चर्चा -1252
    में
    आपने बहुत सामयिक और अद्यतन लिंकों का समावेश किया है।
    अब आप चर्चा लगाने में पारंगत हो गयी हैं।
    मेरे ब्लॉग्स के दो-दो लिंक देने के लिए आपका आभार!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. shukriya shashtr ji is naye karye ki jimmedari aapne hamare kandhe par daali aur aur naya sikhne ko bhi mila hamen . is tarah naye links ko padhna bhi sukhad anubhuti hai

      हटाएं
  3. कुछ अलग अंदाज में की गयी चर्चा
    बहुत सुंदर प्रयास !
    उल्लूक टाईम्स की तरफ से आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. चर्चा मंच की प्रस्तुति के लिए आभार ----------!

    जवाब देंहटाएं
  5. आभार शशि जी ...बढ़िया चर्चा में मेरी रचना को स्थान दिया ....!!

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा, आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. कई रंगों का समावेश आज के चर्चा मंच पर |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  8. शानदार लिंक्स से सुसज्जित सुन्दर चर्चा आदरणीया शशि पुरवार जी. हार्दिक आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  9. लाजबाब लिंकों की प्रस्तुति ,,,बधाई
    मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए आभार ....

    जवाब देंहटाएं
  10. बढ़िया सार्थक चर्चा प्रस्तुति ..आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. आभार, मेरी पोस्ट को इस मंच पर जगह देने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं सार्थक चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  13. एक से एक समाजोपयोगी रचनाओं का संयोजन इस मंच को आज मानों विविध रस-स्वाद वाला थाल बना रहा है !वधाई!धन्यवाद मेरी कटु करेला-रस इस मूल्यवान थाल ,में परोसने हेतु !!

    जवाब देंहटाएं
  14. स्वर्णिम पल,सुन्दर मनन,अनुपम कथन उवाच |
    श्रेष्ठ पलों को याद कर, करता मनुआ नाच ||
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  15. संक्षिप्त लेकिन सुन्दर प्रस्तुति .संयोजन करीना लिए हुए है .रंगों की छटा भाई .

    जवाब देंहटाएं
  16. लाजबाब लिंकों की प्रस्तुति शशि जी...
    मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए आभार ....

    जवाब देंहटाएं
  17. कविवर मदन विरक्त से, मिलना सबका भाग्य |
    कवितायें माध्यम बनी, चिंतन था सौभाग्य ||
    बहुत-बहुत धन्यवाद
    और आभार....

    जवाब देंहटाएं
  18. कितनी भला कटुता लिखें(गजल)






















    भर्त्सना के भाव भर, कितनी भला कटुता लिखें?
    नर पिशाचों के लिए, हो काल वो रचना लिखें।

    नारियों का मान मर्दन, कर रहे जो का-पुरुष,
    न्याय पृष्ठों पर उन्हें, ज़िंदा नहीं मुर्दा लिखें।

    रौंदते मासूमियत, लक़दक़ मुखौटे ओढ़कर,
    अक्स हर दीवार पर, कालिख पुता उनका लिखें।

    पशु कहें, किन्नर कहें, या दुष्ट दानव घृष्टतम,
    फर्क उनको क्या भला, जो नाम, जो ओहदा लिखें।

    पापियों के बोझ से, फटती नहीं अब ये धरा
    खोद कब्रें, कर दफन, कोरा कफन टुकड़ा लिखें।

    हों बहिष्कृत परिजनों से, और धिक्कृत हर गली,
    डूब जिसमें खुद मरें वो, शर्म का दरिया लिखें।

    कब तलक घिसते रहेंगे, रक्त भरकर लेखनी,
    हों न वर्धित वंश, उनके नाश को न्यौता लिखें।

    ---कल्पना रामानी
    हमारे वक्त के अव पतन का आईना है ये गजल ,

    गिर गए कितना ये कहती हांफती है यह गजल .

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  19. ये है - माँ बाप के आँखों की पुतली फोड़ना फिर क्या ?

    बचा लो बेटियाँ अपनी ,पड़ेगा तड़ पना फिर क्या ?
    सशक्त मार्मिक अर्थगर्भित प्रस्तुति .समस्या सार लिए .

    जवाब देंहटाएं
  20. लाजबाब
    visit all of you to
    http://hinditech4u.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  21. लिंक्स काम के मिले। कुछ पढ़ा, कुछ पढ़ना है।

    जवाब देंहटाएं
  22. अरे वाह....आज तो इतने खूबसूरत लिंक्‍स के साथ-साथ मेरी दो-दो रचनाएं भी शामि‍ल हैं। बहुत खुशी हुई ये देखकर। शशि पुरवार जी आपका बहुत-बहुत आभार...

    जवाब देंहटाएं
  23. shandar charcha -behtareen links .meri rachna ko yahan sthan pradam karne hetu aabhar

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  24. Mere lekhanki link shamil karne ke liye bahut,bahut shukriya!Zyada se zyada links padhne kee koshish rahegee!

    जवाब देंहटाएं
  25. लाजबाब प्रस्तुति...बधाई...
    मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए आभार...

    जवाब देंहटाएं

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