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रविवार, जून 30, 2013

"आज बहुत है शोक" : चर्चा मंच 1292

"जय माता दी" रु की ओर से आप सबको सादर प्रणाम. चलते हैं आप सभी के चुने हुए प्यारे लिंक्स पर.


(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Aparna Bose
Kailash Sharma
रविकर
(आल्हा/वीर छंद पर आधारित )
Rajesh Kumari
सरिता भाटिया
Sushil Bakliwal
निवेदिता श्रीवास्तव
Ranjana Verma
उपासना सियाग
sushma 'आहुति'
Virendra Kumar Sharma
Aziz Jaunpuri
प्रवीण पाण्डेय
इसी के साथ आप सबको शुभविदा मिलते हैं रविवार को. आप सब चर्चामंच पर गुरुजनों एवं मित्रों के साथ बने रहें. आपका दिन मंगलमय हो
जारी है... "मयंक का कोना"
(1)
लाइटहाउस
*बस्ती से दूर* 
*कहीं एकांत में* 
*कोलाहल भरे* 
*वातावरण से दूर* 
*कहीं निर्जन* 
*और शांत में* 
*अंधेरे को चाटता* 
*रात भर* 
*अपनी जीभ* 
*लपलपाता हूँ* 
*मैं ही आपको* 
*आपका गंतव्य* 
*बताता हूँ* 
*मैं लाइटहाउस हूँ*...
अंतर्मन की लहरें  पर Dr. Sarika Mukesh 

(2)
राहुल विन्ची की नौटंकी से हुए २० जवान शहीद

राहुल गांधी के उत्तराखंड दौरे से राहत कार्यो में खलल पड़ने पर उठ रहे सवालों पर आइटीबीपी ने अपनी मुहर लगा दी है. आइटीबीपी के महानिदेशक अजय चढ्डा ने स्वीकार किया कि कांग्रेस उपाध्यक्ष के ठहरने के लिए गोचर स्थित आइटीबीपी कैंप के आफिसर्स मेस में जगह बनाई गई थी...
ZEAL पर ZEAL

(3)
यह भारत है देश मेरा

यह भारत है देश मेरा इस देश के लोग निराले हैं 
कुछ मरने मिटने वाले हैं कुछ करते घोटाले हैं 
कुछ देश के भक्त यहाँ कुछ के ठाठ निराले हैं...
तमाशा-ए-जिंदगी पर तुषार राज रस्तोगी 
(4)
एक महिला के दिमाग से वैज्ञानिकों ने तैयार किया 
दिमाग का थ्रीडी मैप

वैज्ञानिकों ने पहली बार इंसानी दिमाग का एक थ्रीडी खाका तैयार किया है। इससे वैज्ञानिकों को भावनाओं के बनने और बीमारियों के वजहों का अधिक गहराई से अध्ययन करने में मदद मिलेगी...
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
(5)
"चापलूस बैंगन"


बैंगन का करना नहीं, कोई भी विश्वास।
माल-ताल जिस थाल में, जाते उसके पास।।
 --
कुछ बैंगन होते यहाँ, चतुर और चालाक।

छल से और फरेब से, खूब जमाते धाक...

शनिवार, जून 29, 2013

कड़वा सच ...देख नहीं सकता...सुखद अहसास !

आज की चर्चा में आज सबसे पहले टैक्नोलोजी से परिचित हो जाइये जो सबके बडे काम आती है उसके बाद अपने मनपसन्द लिंक्स पर जाइये क्योंकि कितनी बार लेटेस्ट टैक्नोलोजी से परिचित ना होने के कारण हमारे बहुत से काम रुक जाते हैं और आज के वक्त में टैक्नोलोजी से परिचित होना खुद को अपडेट रखना बेहद अहम हिस्सा है ज़िन्दगी का ………वैसे आज सिर्फ़ लिंक्स दूँ तो चलेगा ना ………:)




start menu के प्रोग्राम फ़ाइल में अपने नाम का फोल्डर बनाये , प्रोग्राम फ़ाइल में ऐसा शार्टकट फोल्डर बनायें जहाँ से सभी प्रोग्राम ओपन करें, Make a shortcut in start menu program files.









































इस कहानी में सिर्फ नाम और पहचान बदल दी गई है। बाकी एक-एक बात बिलकुल सच है।













अब आज्ञा दीजिये फिर मिलते हैं तब तक के लिये सबके सब दिन शुभ हों ...!
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
कितने सुन्दर पंख तुम्हारे।
आँखों को लगते हैं प्यारे।।

फूलों पर खुश हो मँडलाती।
अपनी धुन में हो इठलाती...
(2)
*डॉ नूतन डिमरी गैरोला जी के हाइकुओं पर आधारित हाइगा*

हिन्दी-हाइगा पर ऋता शेखर मधु
(3)
*सही मानिए, जिस दिन इस "कब" का उत्तर मिल जाएगा, 
उस दिन से कोई आपदा, विपदा, त्रासदी प्रलयंकारी हो कर हमें इतना नहीं सताएगी. 
क्योंकि तब प्रकृति का दोस्ताना हाथ हमारे साथ होगा. * उत्तराखंड हादसे के भी कई रूप हैं...

कुछ अलग सा पर गगन शर्मा, कुछ अलग सा 
(4)
हम जब भी कार्यपालिका की बात करते हैं अथवा उन पर दोषारोपण करते हैं तो उसके मूल में भाव उनके लोकसेवक होनें और उसमें कोताही बरतने का ही रहता है ! लेकिन यक्ष प्रश्न तो यही है कि जिनको हम लोकसेवक मानकर चलते हैं वास्तव में उनके मन में लोकसेवक होने का भाव रहता है या नहीं रहता है...

शंखनाद पर पूरण खण्डेलवाल
(5)
धू - धू कर बेख़ौफ़ जलने लगी लाशें , धर्म के नाम पर जहां होती थी बातें | अब बताओं न ... क्या होती है ये श्रद्धा ? किसे कहते हैं धर्म ? मंदिर , मस्जिद की चौखट में बैठकर एक २ श्लोक पर पैसों की बोली ? बेसहारों पर अत्याचार ? सब गुनाहों का हिसाब तो है यही ... फिर किस बात की है मनाही ...

(6)
रुंधे कंठ से फूट रहें हैं अब भी भुतहे भाव भजन----- शिवलिंग,नंदी,नाग पुराना किंतु झांझ,रुंधे कंठ से फूट रहें हैं अब भी भुतहे भाव भजन----- शिवलिंग,नंदी,नाग पुराना किंतु झांझ,मंजीरे,ढोलक चिमटे नये,नया हरबाना रक्षा सूत्र का तानाबाना भूखी भक्ति,आस्था अंधी ... 

(7)

काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
बधाई हो आपको...!
ज़ज़बा सलामत रहना चाहिए!

शुक्रवार, जून 28, 2013

भूले ना एहसान, शहीदों नमन नमस्ते - चर्चा मंच 1290

नमन नमस्ते नायकों, नम नयनों नितराम-
क्रूर कुदरती हादसे, दे राहत निष्काम  |

दे राहत निष्काम, बचाते आहत जनता |
दिए बगैर बयान, हमारा रक्षक बनता |

अमन चमन हित जान, निछावर हँसते हँसते |
भूले ना एहसान, शहीदों नमन नमस्ते -

ललकारो न मेरी शक्ति को...............नीना वाही (अप्रवासी भारतीय)

yashoda agrawal  

ज़िंदा लेते लूट, लाश ने जान बचाई -

खानापूरी हो चुकी, गई रसद की खेप । 
खेप गए नेता सकल, बेशर्मी भी झेंप । 

बेशर्मी भी झेंप, उचक्कों की बन आई । 
ज़िंदा लेते लूट, लाश ने जान बचाई । 

भूखे-प्यासे भटक, उठा दुनिया से दाना ।
लाशें रहीं लटक, हिमालय मुर्दाखाना ॥

नंदी को देता बचा, शिव-तांडव विकराल । 

भक्ति-भृत्य खाए गए, महाकाल के गाल । 
 

महाकाल के गाल, महाजन गाल बजाते । 

राजनीति का खेल, आपदा रहे भुनाते । 
 

आहत राहत बीच, चाल चल जाते गन्दी । 

हे शिव कैसा नृत्य, बचे क्यूँ नेता नंदी ॥
तप्त-तलैया तल तरल, तक सुर ताल मलाल ।

ताल-मेल बिन तमतमा, ताल ठोकता ताल ।



ताल ठोकता ताल, तनिक पड़-ताल कराया ।

अश्रु तली तक सूख, जेठ को दोषी पाया ।



कर घन-घोर गुहार, पार करवाती नैया ।

तनमन जाय अघाय, काम रत तप्त-तलैया ।
तक=देखकर

"नेत्र शिव का खुल गया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

फट रहे बादल दरकती है धरा,
उफनती धाराओं ने जीवन हरा,
कुछ नहीं बाकी बचा है, अब पहाड़ी गाँव में।
हो गये लाचार सारे, अब पहाड़ी गाँव में
उच्चारण


पी.सी.गोदियाल "परचेत" 


स्वराज या गुंडाराज – मर्ज़ी है आपकी क्योंकि देश है आपका

तुषार राज रस्तोगी  



त्रासदी


Madan Mohan Saxena 



मयंक का कोना

(१)

रास्ता केवल ​पक्षियो से ही नही भरा था । ये भरपूर है प्राकृतिक नजारो से भी । जैसे जैसे उपर की ओर चलता गया मै वैसे ही यहां से और सुंदर नजारे दिखते गये । पहाडो की चोटियां जब बर्फ से ढकी हुई पृष्ठभूमि में दिखती हों तो मन खुश हो जाता है ....

(२)
जो मंजर तलाश करता है....अजीज अंसारी

जो फन में फिक्र के मंजर तलाश करता है 
वो राहबर भी तो बेहतर तलाश करता है 
न जाने कौन सा पैकर तलाश करता है 
फकीर बनके वो घर-घर तलाश करता है....
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal 
(३)
फहमाइश देती ''शालिनी ''इन हुक्मरानों को ,

बेचकर ईमान को ये देश खा गए .
 बरगला अवाम को ये दिन दिखा गए . ..
साहिबे आलम बने घूमे हैं वतन में , 
फ़र्ज़ कैसे भूलना हमको सिखा गए . .
कौशल ! पर Shalini Kaushik 
(४)
वियतनाम

उन्नयन  पर udaya veer singh
(५)
ताऊ तेल का सारा स्टाक खत्म !

ताऊ कुछ सोच में बैठा हुआ था. अब क्या सोच रहा था यह तो खुद ताऊ जाने, भगवान इस लिये नही जान सकते कि उनको आजकल सोचने की फ़ुरसत ही नही है....अब भगवान भी कहां तक और किस किस की सोचें? इस समय ताऊ जरूर उतराखंड त्रासदी में अपना नफ़ा नुक्सान और वाहवाही के बारे में ही सोच रहा होगा....पर फ़िर भी ताऊ के दिमाग का कोई भरोसा नही.....
ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया
(६)
कदमों तले धरा !

कभी सोचा है शायद नहीं , धरा जो जननी है , धरा जो पालक है , अपनी ही उपज के लिए मूक बनी , धैर्य धारण किये , सब कुछ झेलती रही . धरा रहती है भले ही सबके कदमों के नीचे पर ये तो नहीं कि वो सबसे कमजोर है . ...
hindigen पर रेखा श्रीवास्तव