फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, जून 14, 2013

"मौसम आयेंगें.... मौसम जायेंगें...." (चर्चा मंचःअंक-1275)

मित्रों!
रविकर जी शायद अभी एक सप्ताह और नेट पर नहीं आ पायेंगे।
लेकिन कल तो वो हल्दवानी आ ही रहे हैं। उनसे हमारी भी भेंट होना निश्चित ही लग रहा है। आज उनके स्थान पर शुक्रवार की चर्चा में अपनी पसन्द के कुछ लिंक आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूँ।
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'



मगर कैसे? बता रहे हैं..हितेश राठी

स्वीकृत धन का एक हिस्सा कुछ अलग तरह से जिसको खर्च किया जाता है कंटिंजेन्सी कहलाता है गूगल ट्रांस्लेट हिन्दी में जिसे आकस्मिकता होना बतलाता है बहुत ज्यादा पढ़ लिख लिया पढा़ना लिखाना भी सीख लिया हाय किया तो तूने क्या किया जब तू ये पूछने के लिये जाता है आक्स्मिक व्यय को कैसे और किसमें खर्च किया जाता है ...!
बहुत बहुत बधायी हो डॉ.साहिब

साहित्यिक सहचरपरडॉ.राज सक्सेना (राजकिशोर सक्सेना राज) कह रहे हैं... हे प्रियतम तुमने बसंत में,क्या अपना आनन देखा है | सत्य कहो इस आनन जैसा,क्या मह्का मधुवन देखा है 


पी.डी. शर्मा कह रहे हैं ...लेकिन... ये जानने से पहले..... हम एक झलक नालंदा विश्वविधालय के अतीत और उसके गौरवशाली इतिहास पर डाल लेते हैं....... फिर, बात को समझने में आसानी होगी....

गगन शर्मा कह रहे हैं...अपने यहाँ नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर बहुत ज्यादा है. वर्षों से सरकारों द्वारा इसकी रोक-थाम के लिए कदम उठाने के बावजूद कोइ बहुत ज्यादा सुधार नहीं हो पाया है. आज के माहौल में कारणों की छीछालेदर न ही की जाए तो बेहतर है. इसी के संदर्भ में ...

अरुण जी अपनी कविता में वेदना प्रकट कर रहीं है...*तपिश झेल चुकी धरती माता ,अन्दर तक आहत है * *दरक धरा का ह्रदय गया है ,सबके लिए घातक है ..!

राजीव गुप्ता अपने आलेख में बता रहे हैं बबली कुमारी की व्यथा को

ताऊ रामपुरिया ने एक ज्ञानगीत पेश किया है...वक्त इक मौज का दरिया है, आता है चला जाता * *ले मौज तू दुनिया की, गुजरा समय नहीं आता !...

बस एक कोने से रंग पकड़कर उसे प्रेम तक पहुंचाने की कोशिश :में लगे हैं शिवनाथ कुमार औ कह रहे हैं... हरी वसुंधरा वसुंधरा पर कई नदी यमुना भी है एक नदी यमुना पार रास रचाता मुरली वाला राधा मुरली वाले की दीवानी राधा प्रेम पुजारिन प्रेम आशक्त है

कैलाश शर्मा जी अपनी पोस्ट में बता रहे हैं...सारा जीवन गंवा दिया है प्रश्नों के उत्तर देने में, बैठें भूल सभी बंधन को, कुछ प्रश्न अनुत्तरित रहने दें. सूरज पाने की चाहत में, शीतलता शशि की बिसरायी, टूटे तारों से अब क्या मांगें,....

वन्दना गुप्ता जी लेकर आयी हैं एक सम्वाद..आइए इसकी बनगी देखें...प्रेमी : तुम मुझे अच्छी लगती हो प्रेमिका : तो अपनी सीमा में रहकर चाहो प्रेमी : तुमसे प्यार करता हूँ प्रेमिका : तो अपने मन में सराहो उस चाहत का सरेआम क्यूँ बाज़ार लगाते हो ....

मेरा फोटो
 राजेश कुमार जी दे रही हैं अपनी पोस्ट में पाखंडी की परिभाष... *नस नस में* *टीस रही दरारे* *नैना बरसे* *पर नहीं बरसे* *पाखंडी तुम* *व्यथित चित्त...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने प्रस्तुत की है ..ये ग़ज़ल...कब तक मुझे ऐसे सतायेगी जिन्दगी,  और कितना मुझको रुलायेगी जिन्दगी,...

*साहित्य प्रेमी संघ* पर Asha Saxena ने देश की ज्वलन्त समस्या पर ध्यान आकृष्ट करते हुए लिखा है...तपती धूप , दमकते चहरे श्रमकण जिनपर गए उकेरे काले भूरे बाल सुनहरे भोले भाले नन्हे चेहरे जल्दी जल्दी हाथ चलाते थक जाते पर रुक ना पाते उस पर भी वे झिड़के जाते ...

मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु ने रचा है...पूनो की रात आती जब समंदर क्युँ मचल जाता है राज़े-दिल बयाँ करने को वह भी तो उछल जाता है 


मुसाफ़िर हूँ यारों ..पर Manish Kumar जी लाए हैं अपना यात्रा संस्मरण...!

यादें...पर Ashok Saluja को याद आता है अपना वतन..!

मुकेश पाण्डेय "चन्दन" पर मुकेश पाण्डेय सैर करा रहे हैं आपको मालवा के स्वर्ग यानि मांडू अथवा मांडवगढ़ की...!

अंधड़ !परपी.सी.गोदियाल "परचेत" - 
 !अंधड़ !परपी.सी.गोदियाल "परचेत" -

चलो रक्तदान करें ....... आज 14 जून अर्थात विश्व रक्तदान दिवस है
Albelakhatri.com पर Albela Khtari


भागो भागो बिल्ली है 
My Photo
Ocean of BlissपरRekha Joshi


वैदेही का महाप्रयाण ....राम निवास फज़लपुरी
My Photo
हम और हमारी लेखनी पर गीता पंडित

--
और अन्त में

जल से भर कर लाये छागल!
उमड़-घुमड़ कर आये बादल!!
कुछ भूरे कुछ श्वेत-श्याम हैं,
लगते ये नयनाभिराम हैं,
नील गगन की चूनरिया पर,
शैल-शिखर बन भाये बादल!
आज के लिए बस इतना ही...!

18 टिप्‍पणियां:

  1. कई लिंक्स से सजा
    चर्चा का दरबार
    मंच इनसे समृद्ध हुआ
    पनपे कई विचार |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर चर्चा सार्थक लिंक्स ! इतनी पठनीय सामग्री उपलब्ध कराने के लिये आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  3. सावन की फुहार से सजे लिंक्स....
    आभार शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  4. सुव्यवस्थित...सुसज्जित मंच...पठनीय सूत्रों से भरपूर...मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार|

    जवाब देंहटाएं
  5. आज की चर्चा तो मानसूनी बयार से और खिल उठी।

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन सूत्र लाती है चर्चा
    क्या कहाँ छपा बताती है चर्चा
    उल्लूक भी खुश होता है बहुत
    जब भी उसकी कोई एक बात
    यहाँ ला कर दिखाती है चर्चा
    आभार शास्त्री जी का उनका आशीर्वाद बना रहे !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर चर्चा…………बढिया लिंक संयोजन

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत शानदार सुव्यवस्थित चर्चा मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार आपका आदरणीय शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर लिंक्स...रोचक चर्चा...आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन संयोजन
    बरखा रानी की बहार ........
    सादर आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. सुन्दर लिंक्स संयोजन
    सादर आभार!

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर लिंक्स,मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार|

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही सुंदर लाजबाब लिंक्स ,,,मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार|

    RECENT POST: जिन्दगी,

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।