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शनिवार, जुलाई 06, 2013

“भेजे में विचार नही आते?” (चर्चा मंच-अंकः1298)

मित्रों!
आज शनिवार की चर्चाकार श्रीमती वन्दना गुप्ता किसी आवश्यक कार्य में व्यस्त हैं। उनके आदेश से शनिवार की चर्चा में कुछ लिंकों के साथ मैं स्वयं उपस्थित हूँ।
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
सपने में देखा मैंने सपनों का हिन्दुस्तान
दोहों पर दोहे
उर्दू में है शेर ज्यों, दोधारी शमशीर |
हिंदी में दोहा अटल, सही लक्ष्य का तीर |

शेरो में शायर भरे, पूरे मन के भाव |
इसी भाँति  दोहा करे, सीधे मन पर घाव…
साहित्यिक सहचर पर डॉ.राज सक्सेना

बुरी और अच्छी लड़कियां
डॉल्फ़िन दुनिया के कहानी किस्से
बालकुंज पर सुधाकल्प
कौन कहता है कि भेजे में विचार नही आते?
ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया
गुज़ारिश...सुप्रभात दोहे 2. 
सुबह सुहानी आ गई ,लेकर शुभ सौगात | अधर पर मुस्कान लिए, प्यार बसे दिन रात||
जीवन गली के आखिरी छोर पर एक जर्जर मकान और एक बुढ़िया। एक होड़ कौन टिकता है देर तक। देह का सिकुड़ता आवरण और दीवार पर गहराती दरारें चुनौती सी समय को...
हमारा वैश्य समाजदानवीर भामाशाह - वैश्य गौरव दान की चर्चा होते ही भामाशाह का नाम स्वयं ही मुँह पर आ जाता हैकांग्रेस ने देश आज़ाद नहीं टुकड़े करबाए .. क्या आप जानते हैं पिछले 100 वर्षों में भारत के कितनी बार टुकडे किये गए और उसके पीछे किसकी सोच रही है ..
म्हारा हरियाणासिंपल तेज होती सांसें, और आँखों में नमी, ह्रदय की धक् धक्, और बस यहीं ख़तम हो जाती है मेरी प्रेम कहानी, 
श्याम स्मृति..The world of my thoughts...डा श्याम गुप्त का चिट्ठा..ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ ....भाव अरपन ..नौ ..अगीत .. ....डा श्याम गुप्त....
जो न कह सके...यह कैसी पत्रकारिता? पिछले दो दशकों में भारत में टीवी चैनलों और इंटरनेट के माध्यम से पत्रकारिता के नये रास्ते खुले हैं. शायद पत्रकारिता के इतने सारे रास्ते होने के कारण ही....मनोरमा...जीने का आधार बहुत है तुमसे मुझको प्यार बहुत है बीच खड़ी दीवार बहुत है भले मुझे तरजीह नहीं दो मैं मानूँ अधिकार बहुत है मिली नियति से जब सुन्दरता क्यों करती श्रृंगार...
जाले...बुद्धिनाश गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस एक पूर्ण उपदेशात्मक महाकाव्य भी है, जिसमें जगह जगह पर मनुष्यों के लिए मर्यादाओं की लकीरें खींची गयी हैं....Mausam...दिल को क्या चाहिए तुम्हारे सिवा ... दिल को और क्या चाहिए तुम्हारे सिवा ... उन मदहोश पलों की उलझन सुलझाते और काली रातो में पर्छाइया ढूंढते ..... या फिर कभी न होने वाली सुबह का इंतज़ार कर...
किस ने की इन्सान की ऐसी की तैसी
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अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल
आतुरता !
….अंधी दौड़ में, न जाने हर कोई क्यों इस कदर उतावला हो गया है…
अंधड़ ! पर पी.सी.गोदियाल "परचेत"
सबक
हर तरफ शोर सुन धरा ने निर्णय था लिया ,
बादलों को बगावत का प्रस्ताव लिख दिया |
उमड़ - घुमड़ के शोर ने हर शोर को दबा दिया ,
मूक तांडव ने इंसानी ज़ज्बातों को जगा दिया…
मत खोलो हे मातु, खोल में रहो सुरक्षित-
मै जिन्दा भी नही
उसके बिना भीड मे, हसने का मजा ही नही…
धुंधली यादें पर Nitish Srivastava
समाज...टीआर *बलात्कार के बढ़ते मामलों में कौन **सबसे* ज्यादा जिम्मेदार है *?* *मॉ – बाप**दोस्ती**टेलिविजन**ब्लु फिल्मस्* View Results *बलात्कार के बढ़ते मामलों को रोकने...अंजुमन...कवि की पीड़ा..! अचानक एक दिन लिखते-२ ठिठक गई मेरी कलम दर्द..........! किसका है ये दर्द ? कहीं पूँछने ना लगें लोग... क्या कवि सिर्फ़ अपनी ही पीड़ा लिखता है ?...
काव्य का संसार...प्रियतमे कब आओगी प्रियतमे कब आओगी मेरे दिल को तोड़ कर यूं ही अकेला छोड़ कर जब से तुम मैके गई चैन सब ले के गयी इस कदर असहाय हूँ खुद ही बनाता चाय हूँ खाना क्या,क्या.....स्पर्श.........................my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.....चेहरे पर पड़ती बूँदें बारिश की मानों एक बोसा संग हवा के सरसराता छू कर निकला हो गालों को.... 
मिसफिट:सीधीबात

डू यू नो हू एम आय ! -
Tech Prevue
Big Data and the Cloud[image: cloud computing] Image credit: technorati.com The cloud has made a huge difference to how the internet works. There was a time when cloud storage,...
Computer Tips & Tricks
क्या आप जानते हैं कि पिन कोड का मतलब क्या होता है? 

तमाशा-ए-जिंदगी
एक मुलाकत 'सच्चे बादशाह' के साथ अभी हाल ही में अमृतसर जाने का अवसर प्राप्त हुआ | अगर दुसरे शब्दों में बयां करूँ तो अचानक ही बैठे बैठे 'दरबार साहब- हरमिंदर साहिब' से बुलावा आ गया...
अनवरत
धरती पिराती है 


*धरती के अंतर में धधक रही ज्वाला के धकियाने से निकले * *गूमड़ हैं, पहाड़* ** * मदहोश इंसानो! * *जरा हौले से * *चढ़ा करो इन पर...
nazare bijli mahadev se

Yatra, Discover Beautiful India


 बिजली महादेव मंदिर पर नजारो की भरमार है और वो भी 360 डिग्री । चारो और प्राकृतिक सुंदरता बिखरी पडी है...
Manu Tyagi 
इन सर्वनामों के मध्य : सरोज सिंह की कवितायें
इन पाँच कविताओं को और उनकी कुछ और कविताओं को पढ़ते हुए आश्वस्ति होती है कि कवि अपने समय व समाज को लेकर सजग है और कवितायें उम्मीद का दामन न छोड़ने की जिद साथ - साथ सतत सक्रिय हस्तक्षेप करती दिखाई देती हैं। आइए , इन्हें , पढ़ते हैं…
कर्मनाशा पर siddheshwar singh
**~मेरा योरोप भ्रमण~ भाग २ ~ "फ्राँस" ~**

अपनी पिछली पोस्ट में मैने बताया था हम लोग 'योरोप भ्रमण' के लिए निकले! हमारा पहला destination था "फ्राँस" !भारत से आधी रात के चले हम लोग अगले दिन की दोपहर में पेरिस पहुँचे (वहाँ का समय भारत से साढ़े तीन घंटे पीछे है) ! हल्की-हल्की बारिश हो रही थी! हमारे टूर गाइड मनीष जी एअरपोर्ट पर मिल गये थे! वहीं थोड़ा फ्रेश होकर हम लोग एक बस में इकट्ठे हो गये और घूमने का कार्यक्रम शुरू हो गया...

बूँद..बूँद...लम्हे....पर Anita (अनिता) 
"बिटिया कोहेनूर है" (दिलबाग विर्क)

बाँहे फैलाए तुझे , बिटिया रही पुकार
तुम जालिम बनना नहीं ,वो मांगे बस प्यार । 
सृजन मंच ऑनलाइन

अन्त में देखिए
"आसमान में, घिर-घिर बादल आये रे!"
जिनके घर पक्के-पक्के हैं,
बारिश उनका ताप हरे,
जिनके घर कच्चे-कच्चे हैं,
उनके आँगन पंक भरे,
कंगाली में आटा गीला,
हर-पल भूख सताए रे!
श्याम-घटाएँ विरहनिया के,
मन में आग लगाए रे!!

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