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सोमवार, जुलाई 15, 2013

आपकी गुज़ारिश : चर्चा मंच 1307

.. शुभम दोस्तो ..
खुद जी लिए तो जीना सिखायो सबको,

मुस्कराने का कोई रास्ता बतायो सबको!
....सरिता भाटिया....
मैं 
सरिता भाटिया
लेकर आई हूँ 
आपकी गुज़ारिश 

क्या यही प्यार है ?

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निज आनंद में रहते हुए 
ये दुनिया पागल है 
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शिक्षा बयान और मर्यादा 
नामवर सिंह 
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xxx और oo आप नहीं समझेंगे 
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ब्लॉग सुरक्षित करें 
बैटरी ज्यादा चलानी हो तो 
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शहर गंगा सिंह जी का है 
पहली सरकारी यात्रा 
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हम गवाही देते हैं 


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मन्ना डे की श्रद्दांजलि 
सबसे पहले और सबसे अंतिम 
खलनायक प्राण के नाम 

बड़ों को नमस्कार 
छोटों को प्यार 
..शुभविदा ..

आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
दर्द कहाँ अल्फाजों में है

sapne पर shashi purwar

(2)
सूरत बदल के देखते हैं.....
चलो जहान की सूरत बदल के देखते हैं 
पराई आग में कुछ रोज जल के देखते हैं 
कहा सुनार ने सोना निखर गया जल के 
किसी सुनार के हाथों पिघल के देखते हैं...
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)

(3)
"कुण्डलियाँ छन्द पर अपना आलेख या कुण्डलियाँ पोस्ट करे" 

अब इस क्रम में आज सोमवार (15-07-2013) से 
 कुण्डलिया छन्द की शुरूआत की जा रही है...
सृजन मंच ऑनलाइन

(4)
टेलीग्राम: 1857 का विद्रोह 'दबाने' वाले की मौत

मुझे कुछ कहना है ....पर अरुणा

(5)
खलिश

अर्पित ‘सुमन’ पर सु..मन (Suman Kapoor) 

(6)
पहचान

कमरे की दीवारों ने सरसरा कर वेदिका को चौकन्ना कर दिया . पलकों में जमे आंसू अभी सूखे नहीं थे जाने कितनी देर रोते रोते अभी तो आँख लगी थी कि दीवारों ने सरसराकर उसे जगा दिया ...
कहानी Kahani पर kavita verma
(7)
"रूप पुराना लगता है"

वक्त सही हो तो सारासंसार सुहाना लगता है।
बुरे वक्त में अपना साया भीबेगाना लगता है...

17 टिप्‍पणियां:

  1. सोमवार की गुजारिश में बहुत अच्छे लिंकों का समावेश किया है आपने!
    --
    आभार सरिता भाटिया जी!

    जवाब देंहटाएं

  2. बेहतरीन संयोजन सेतु चयन एवं प्रस्तुति अपना अलग अंदाज़ और शिनाख्त लिए शुक्रिया हमें बिठाने का .ॐ शान्ति

    जवाब देंहटाएं
  3. तल्खियों को स्वर और अंदाज़ देती रचना परिवेश की बुनावट आधुनिक संत्रास रचती है .ॐ शान्ति


    कमरे की दीवारों ने सरसरा कर वेदिका को चौकन्ना कर दिया . पलकों में जमे आंसू अभी सूखे नहीं थे जाने कितनी देर रोते रोते अभी तो आँख लगी थी कि दीवारों ने सरसराकर उसे जगा दिया ...
    कहानी Kahani पर kavita verma

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर है कहावतों को चंद में पिरोना .वाह !

    (7)
    "रूप पुराना लगता है"

    वक्त सही हो तो सारा, संसार सुहाना लगता है।
    बुरे वक्त में अपना साया भी, बेगाना लगता है...

    जवाब देंहटाएं
  5. बढ़िया प्रस्तुति-
    सुन्दर चर्चा मंच-
    अच्छे लिंक्स
    आभार आपका-

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बढ़िया लिंक्स-सह चर्चा प्रस्तुति ...
    आभार! .

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बढिया लिंक्स और चर्चा भी विस्तृत.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीया सरिता जी बहुत ही सुन्दर लिंक्स पिरोये हैं आज की चर्चा में हार्दिक आभार आपका.

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर चर्चा मंच, मेरे पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  10. sarita ji bahut sundar charcha , hame mayank me sthan dene ke liye abhaar shashtri ji

    जवाब देंहटाएं

  11. बहुत सार्थक चर्चा अच्छे सूत्रों से सुसज्जित ,बहुत बहुत बधाई प्रिय सरिता जी

    जवाब देंहटाएं
  12. अच्छे सूत्रों से सुसज्जित सुन्दर चर्चा, मेरे पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए आपका आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  13. सुन्दर लिंक्स से सजी रोचक चर्चा...

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत खूब,सुंदर लिंक्स प्रस्तुति के लिए,,,बधाई सरिता जी,,,

    RECENT POST : अपनी पहचान

    जवाब देंहटाएं
  15. सभी दोस्तो का शुक्रिया आप चर्चा मंच तक आए अपना स्नेह दिया

    जवाब देंहटाएं

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